Nyctalopia / Night Blindness / रतौंधी, आंखों की एक बीमारी है। इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता। रतौंधी की बीमारी एशियाई और अफ्रीकी देशों में ज्यादा होती है। भारत में असम, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु आदि राज्यों में इस रोग के रोगियों की संख्या ज्यादा मिलती है। ज्यादातर गरीब व कम आय के लोग इस रोग की गिरफ्त में आते हैं, क्योंकि ऐसे लोग पौष्टिक आहार से दूर रहते हैं। लिहाजा उनके शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी हो जाती है। यदि इस रोग की चिकित्सा से अधिक विलम्ब किया जाए तो रोगी को पास की चीजें बिल्कुल दिखाई नहीं देतीं तथा रतौंधी के रोगी तेज रोशनी में ही थोडा़-बहुत देख पाता है रोगी बिना चश्में के कुछ नहीं देख पाता है।
कारण –
Contents
रतौंधी का सबसे आम कारण रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, एक विकार है जिसमें रेटिना में रॉड कोशिका धीरे – धीरे उनके प्रकाश के लिए प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देते है। इस आनुवंशिक हालत से पीड़ित मरीजों को प्रगतिशील रतौंधी है और अंत में उनके दिन दृष्टि भी प्रभावित हो सकता है। इस रोग की उत्पत्तिः अधिक समय तक दूषित, बासी भोजन कर, पौष्टिक व वसायुक्त खाद्य पदार्थों का अभाव होने से नेत्र ज्योति क्षीण होती है और रात्रि के समय रोगी को धुंधला दिखाई देने लगता है। आधुनिक परिवेश में रात्रि जागरण करने व अधिक समय तक टेलीविजन देखने और कम्प्यूटर पर काम करने से नेत्र ज्योति क्षीण होती है और रात्रि के समय रोगी को धुंधला दिखाई देने लगता है।
लक्षण –
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को रात्रि के समय दिखाई देना बंद हो। जाता है तथा रोगी की आंखों के सम्मुख काले-पीले धब्बे आने लगते हैं।
जब यह रोग पुराना होने लगता है, तो आँखों के बाल कड़े होने लगते हैं। आँखों की पलकों पर छोटी-छोटी फुन्सियाँ व सूजन दिखाई पड़ती हैं। इसके साथ ही दर्द भी महसूस होने लगता है। ज्यादा लापरवाही करने पर आँख की पुतली अपारदर्शी हो जाती है और कभी कभी क्षतिग्रस्त भी हो जाती है।
रतौंधी की इस स्थिति के शिकार ज्दायातर छोटे बच्चे होते हैं। अक्सर ऐसी स्थिति के दौरान रोगी अन्धेपन का शिकार हो जाता है। यह इलाज की जटिल अवस्था होती है और एसी स्थिति में औषधियों से इलाज भी बेअसर साबित होता है।
रतौंधी रोग का घरेलु उपचार – Rataundhi Rog ka Ilaj
⇒ रतौंधी दूर करने के लिए गाय के गोबर के रस में लाल चंदन घिसकर नित्यप्रति आंखों में लगाने से शीघ्र लाभ होता है।
⇒ चमेली के फूल, नीम की कोंपल (मुलायम पत्ते), दोनों हल्दी और रसौत को गाय के गोबर के रस में बारीक पीस कपड़े से छानकर आँखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाता है।
⇒ रतौंधी में काली मिर्च पीसकर दही के साथ खरल कर लें और उसे काजल की तरह लगाएं। शीघ्र ही लाभ होगा।
⇒ बबूल के पत्ते व नीम की जड़ का काढ़ा पीना भी रतौंधी में काफी लाभ पहुंचाता है। यह काढ़ा बना बनाया बाजार में भी मिलता है।
⇒ रीठे की गुठली को यदि स्त्री के दूध में घिसकर आँखों में लगाएँ तो यह भी रतौंधी में काफी फायदेमंद होता है।
⇒ तुलसी के पत्तों का रस दिन में तीन चार बार आंखों में डालने से रतौंधी शीघ्र ही नष्ट हो जाती है।
⇒ करंज बीज, कमल केशर, नील कमल, रसौत और गैरिक 5-5 ग्राम लेकर पावडर बना लें। इस पावडर को गो मूत्र में मिलाकर बत्तियां बनाकर रख लें। इसे रोजाना सोते समय पानी में घिसकर आंखों में लगाने से रतौंदी रोग में काफी लाभ होता है।
⇒ इसके अलावा कुपोषणजन्य या विटामिन ‘ए’ की कमी से होने वाले रतौंधी रोग में अश्वगंधारिष्ट, च्यवनप्राश, शतावरीघृत, शतावरी अवलेह, अश्वगंधाघृत व अश्वगंधा अवलेह काफी फायदेमन्द साबित हुए हैं।
⇒ तौंधी के रोगी को सहिजन (सुरजना फली) के पत्ते व फली, मेथी, मूली के पत्ते, पपीता, गाजर और लौकी व कद्दू का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिये। गूलर व अंजीर के फलों का भी उचित मात्रा में सेवन फायदेमन्द होता है।
⇒ प्याज का रस नित्य आँखों में एक-दो बून्द डालने से रतौंधी में लाभ होता हैं।
⇒ सौंठ, हरड़ की छाल, कुलत्थ, खोपरा (सूखा नारियल), लाल फिटकरी का फूला, माजूफल नामक औषधियाँ पाँच-पाँच ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमें ढाई-ढाई ग्राम की मात्रा में कपूर, कस्तूरी और अनवेधे मोती को मिलाकर नींबू का रस डालकर पाँच-सात दिन खरल करें। फिर इसकी गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। इस गोली को गाय के मूत्र में घिसकर लगाने से रतौंधी रोग में फायदा होता है। यदि इसे स्त्री के दूध में घिसकर लगाया जाए तो आँख का फूला (सफेद दाग) व पुतली की बीमारियाँ भी दूर हो जाती हैं।
⇒ रतौंधी की सबसे सस्ती व अच्छी चिकित्सा चौलाई का साग है। चौलाई की सब्जी भैंस के घी में भूनकर रोजाना सूर्यास्त के बाद आप जितनी खा सकें खाएँ, लेकिन इसके साथ रोटी, खिचड़ी न खाएँ। इसका सेवन विश्वास के साथ लम्बे समय तक करने से रतौंधी रोग में फायदा होता है।
क्या खांए?
- प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है।
- प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है।
- आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
- हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें।
- अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें।
- मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है। इससे रतौंधी नष्ट होती है।
- सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से रतौंधी नष्ट होती है।
- शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है।
- किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्त * गोभी का सेवन कराना चाहिए।
क्या न खाएं?
- चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें।
- उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है।
- अधिक उष्ण जल से स्नान न करें।
- आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है।
- अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करें। रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए।
- रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए।
- खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें।
बहुत अच्छी और उपयोगी जानकारी.
धन्यवाद