रोहे ‘पोथकी’ रोग का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार Rohe Rog ka Ilaj

Rohe ka Ilaj/ ट्रेकोमा मतलब  रोहे (पोथकी) आँखों का सबसे हानिकारक रोग है। प्रारंभ में इसका कुछ पता नहीं चलता और छोटे-बड़े लोगों को नेत्रहीन (अँधा ) बना देता है। इस रोग का प्रारंभ आंखें दुखने के साथ होता है। आंख लाल हो जाती है और इनसे पिब निकलने लगती है। आंखें साफ न करने से पिब आँखों के पास लगी रहती है और जीवाणु के संक्रमण से रोग अधिक बढ़ जाता है। इसके फलस्वरुप आंखों में अधिक शोथ हो जाता है। साथ ही पलकों में भीतर की ओर दाने निकल आते हैं। इस वजह से आँखों में दर्द, आँखों के बाहरी सतह या कॉर्निया का टूटना और संभवत: अंधता हो सकती है। आइये जाने रोहे का कारण, लक्षण और घरेलु उपचार (Rohe ka Upchar)..

रोहे (पोथकी) रोग का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार Rohe ka Ilaj

ट्रेकोमा क्या हैं – What is Trachoma?

टेक्रोमा एक संक्रमण है जो आंखों को प्रभावित करती है। यह रोग दुनिया भर में अंधापन का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। यह रोग बैक्टीरियम क्लैमिडिया ट्रेकोमाटिस (Bacterium Chlamydia trachomatis) के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक रिपोर्ट के अनुसार 6 लाख लोग ट्रेकोमा के कारण अंधे हुए हैं। अफ्रीका के गरीब इलाकों में ट्रेकोमा का प्रकोप सबसे अधिक देखा गाया है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ट्रेकोमा संक्रमण का फैलाव 60 प्रतिशत या उससे अधिक तेजी से हो सकता है।

रोहे होने का कारण – Trachoma Causes in Hindi

रोहे (पोथकी) संक्रामक रोग है। घर में किसी एक को हो जाने पर दूसरे स्वस्थ लोग भी शीघ्र इसकी चपेट में आ जाते हैं। यह रोग किसी रोगी से सिर्फ हाथ मिलाने से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। परिवार में सब इसे आंख दुखना ही समझते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद पलकों में शोथ हो जाता है। फिर नन्हें-नन्हें दाने उभर जाते हैं। आंखें खोलने में बहुत कष्ट होता है।

रोहे रोगी तेज जलन और दर्द के कारण बार-बार आंखों को छूता है या किसी रूमाल से पोंछता है तो रूमाल से पोथकी के जीवाणु उसके हाथों में लग जाते हैं। पोथकी रोग राजस्थान में बहुत अधिक होता है। इसके ज्यादा होने का कारण है राजस्थान की रेत। जब रेत के कण आंखों में पहुंच जाते हैं तो बैचैन होकर पलकों को हाथों से रगड़ देते हैं। पलकों के रगड़ने से रेत के कणों के कारण जख्म बन जाते हैं। इन जख्मों में सूजन आती है और फिर रोहे के छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। इसके अलावे भी रहे के लक्षण हैं। जैसे –

  • चेहरे के साफ-सफाई में ध्यान नहीं देने के कारण।
  • गंदे पानी से सफाई करने से।
  • मक्खियों के संपर्क में आने से।

रोहे का लक्षण – Trachoma Symptoms in Hindi

ट्रेकोमा से ग्रस्त मरीजों में ज्यादातर बच्चे पाए जाते हैं। किसी व्यक्ति के रहे रोग से संक्रमित होने पर लगभग 12 दिन बाद उसके लक्षण पैदा होने लग जाते हैं। सामान्य स्थिति में आंखों में थोड़ा बहुत पानी या द्रव बहता है। इसके और भी लक्षण हैं। जैसे –

  • आंख के अगले हिस्से में सूजन होना।
  • आंख या पलकों में रौशनी पड़ने पर तकलीफ होना।
  • आंखों में दर्द होना।
  • पलकों के बाल मुड़ना।
  • पलकों का फूलना।
  • आंखों और पलकों की हल्की खुजली होना।
  • फोटोफोबिया।

ट्रेकोमा का इलाज कैसे होता है? Trachoma Treatment in Hindi

ट्रेकोमा का उपचार, मरीज के आंखों की स्थिति और रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। चिकित्सक पहले जाँच करते और उसके बाद स्थिती के अनुसार इलाज किया जाता हैं। रोहे रोग का इलाज करना आमतौर पर कठिन नहीं होता है। इसके इलाज में सामान्यतः एंटीबायोटिक की एक खुराक दी जाती है, साथ में मरीज को स्वच्छ पानी की व्यवस्था व सफाई रखने की सलाह दी जाती है। एंटीबायोटिक दवा की मदद से बैक्टीरिया को मारने में मदद मिलती है। इसके अलावा एंटीबायोटिक्स सभी घर के सदस्यों को दिया जाता है। यदि ट्रेकोमा काफी गंभीर स्टेज पर पहुंच गया है, तो इस स्थिति का इलाज करने के लिए ऑपरेशन किया जाता है। सर्जरी की मदद से पलक की विकृति को ठीक करने के लिए किया जाता है और वृद्ध लोगों में खराब हुई पलकों को पलटाया जाता है।

रोहे रोग का घरेलु उपचार – Trachoma Treatment in Hindi

रोहे रोग या ट्रेकोमा आंख में होने वाला एक बहुत पुराना संक्रामक रोग है, यह दुनियाभर में अंधापन का एक प्रमुख कारण भी है। रोहे रोग का इलाज आमतौर पर मेडिकल की मदद से परीक्षण के बाद किया जाता है। लेकिन कुछ घरेलु उपचार (Rohe ka Ilaj) से इसे कण्ट्रोल किया जा सकता हैं।

फिटकरी (भुनी हुई) पीसकर गुलाब जल में घोलकर रख दें। जब दोनों अच्छी तरह मिल जाए तो प्रतिदिन सुबह-शाम नेत्रों को शीतल जल से धोकर एक-एक बूंद उक्त मिश्रण डाले। इससे नेत्रों की लालिमा व शोथ नष्ट होकर रोहे ठीक हो जाते हैं।

रात्रि को त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) पानी में भिंगोकर रख दें। सुबह उठने पर कपड़े से छानकर उस जल से नेत्रों को साफ करें। इससे नेत्रों की गंदगी नष्ट हो जाती है। रोहे समाप्त हो कर नेत्र ज्योति तीव्र होती है।

चकबड़ के बीजों को पत्थर पर घिसकर काजल की तरह से लगाने से नेत्रपोथिकी रोग में लाभ मिलता है।

आंवले के स्वरस को जल में मिलाकर नेत्र साफ करने से गंदगी दूर होती है और रोहे ठीक हो जाते हैं।

सहिजन के पत्तो के स्वरस में शहद और सेंधा नमक मिलाकर नेत्रों में लगाने से शोथ-लालिमा नष्ट होती हैं तथा रोहे ठीक होते हैं।

100 मिलीलीटर अनार के हरे पत्तों के रस को खरल यानी पीसकर सुखाकर रख लें। इस सूखे चूर्ण को आंखों में सूरमे की तरह दिन में 2-3 बार लगाने से पोथकी की बीमारी समाप्त हो जाती है।

मिश्री के कपड़छन चूर्ण को स्त्री के दूध में घोलकर आंखों में डाले रोहे शीघ्र ही ठीक हो जाएंगे।

यदि आंखों में रोहे हो जाए तो एक फूल की कटोरी लेकर सरसों के तेल के दीए के ऊपर उल्टी कर के रख दें। फिर गाय के लोनी घी की दो बूंद एक कटोरी पर डालें और उसे ईंट के बारीक पीसें (कपड़छन) चूरे की एक छोटी पोटली से गोल गोल घुमाएं। थोड़ी-थोड़ी देर बाद गाय का लौनी घी बून्द-बून्द टपकाते रहे और पोटली को उस पर घुमाते रहे। कुछ ही देर में कटोरी की सतह पर मेल की परत गोल दायरे में जम जाएगी। इस मैल की परत को रोज रात को आंखों में डाले और सो जाएं। जरूरत समझे तो उसी पोटली से आंखों को सेंक ले। कुछ ही दिनों में रोहे हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे।

सत्यानाशी के रस को किसी कांच के बर्तन में डालकर कुछ दिनों के लिए धूप में सूखने के लिये रख दें। जब यह सूखने पर बहुत ज्यादा गाढ़ा हो जाये तो इसकी वर्तिका (गोली) बनाकर रख लें। इस गोली को अच्छी तरह से पीसकर मक्खन में मिलाकर आंखों में लगाने से अंधेपन का रोग दूर हो जाता है।

रोहे रोग से बचाव – Prevention of Trachoma in Hindi

रहे रोग से बचने के लिए चेहरे के साफ सफाई में ध्यान दे। चेहरे को साफ़ पानी से धोना चाहिए। आँखों में सनग्लास का इस्तेमाल करे। धूल-मिटटी से आँखों बचाना चाहिए। मक्खियां ट्रेकोमा इन्फेक्शन का एक मुख्य स्रोत होती हैं, इसलिए मक्खियों की संख्या को कम करने से इन्फेक्शन होने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। रोहे रोग से इन्फेक्टेड व्यक्ति के सामानो के इस्तेमाल से बचना चाहिए। दुसरो के रुमाल इस्तेमाल करने से बचे। हमेशा शौचालय का इस्तेमाल करें और उसे साफ-सुथरा बनाएं रखें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? Trachoma in Hindi

ऊपर बताये लक्षण नजर आ रहे हैं, तो बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए। खासकर अगर आपके आस-पास के इलाकों में पहले कभी टेक्रोमा के लक्षण देखें गए हो। ट्रेकोमा एक संक्रामक स्थिति है। जल्द से जल्द इसका इलाज करने से इसके संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

FAQs

Q : ट्रेकोमा वायरस नाम

Ans : क्लामिड्या ट्रेकोमैटिस


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Please Note :- ऊपर दी गयी उपचार जानकारी मात्र हैं, डॉक्टर की सलाह पर उपचार करे।

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