प्राचीन, मध्यकालीन व आधुनिक भारत का इतिहास | India History in Hindi

History of India in Hindi / भारत देश दुनिया के सबसे प्राचीन देशो में एक माना जाता हैं। इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. पुराना हैं। इसे बहुत से भागो में विभाजित किया गया है। आइये जाने भारत का इतिहास..

प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास | India History, History Of India, Bharat Ka Itihaasभारत का इतिहास – History of India in Hindi – Bharat ka Itihaas Hindi

भारत में मानवीय गतिविधि के जो सबसे प्राचीन चिह्न अब तक मिले हैं, वे 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. के बीच दूसरे और तीसरे हिम-युगों के समय के हैं और वे इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि उस समय पत्थर के उपकरण काम में लाए जाते थे। जीवित व्यक्ति के अपरिवर्तित जैविक गुणसूत्रों के प्रमाणों के आधार पर भारत में मानव का सबसे पहला प्रमाण केरल से मिला है जो 70,000 साल पुराना होने की संभावना है। इस व्यक्ति के गुणसूत्र अफ़्रीक़ा के प्राचीन मानव के जैविक गुणसूत्रों (जीन्स) से पूरी तरह मिलते हैं। इसके बाद बहुत लम्बे समय तक विकास बहुत धीमे तरीके से होता रहा, जिसमें अन्तिम समय में जाकर तेजी आई और उसकी परिणति 2300 ई. पू. के लगभग सिन्धु घाटी की आलीशान सभ्यता (अथवा नवीनतम नामकरण के अनुसार हड़प्पा संस्कृति) के रूप में हुई।

हड़प्पा की पूर्ववर्ती संस्कृतियाँ हैं: बलूचिस्तानी पहाड़ियों के गाँवों की कुल्ली संस्कृति और राजस्थान तथा पंजाब की नदियों के किनारे बसे कुछ ग्राम-समुदायों की संस्कृति। यह काल वह है जब अफ़्रीक़ा से आदि मानव ने विश्व के अनेक हिस्सों में बसना शुरू किया जो 50 से 70 हज़ार साल पहले का माना जाता है। भारत के इतिहास को कई युगो में विभाजित किया जाता हैं। इसका इतिहास पाषाण युग से आधुनिक भारत के बीच हैं।

पूर्व ऐतिहासिक काल – Prehistoric Period of india

पाषाण युग (Paleolithic Era)

पाषाण युग 500,000 से 200,000 साल पहले शुरू हुआ था। मध्य भारत में हमें पुरापाषाण काल की मौजूदगी दिखाई देती है। तमिलनाडु में हाल ही में हुई खोजो में इस क्षेत्र में सबसे पहले मानव की उपस्थिति का पता चलता है। देश के उत्तर पश्चिमी हिस्से से 200,000 साल पहले के मानव द्वारा बनाए हथियार भी खोजे गए हैं। पाषाण काल विकास के भुपटन में हमें चार मंच दिखायी देते है और चौथा मंच ही चारो भागो का मंच के नाम से जाना जाता है जिसे और दो भाग प्लीस्टोसन और होलोसेन में बाँटा गया है। इस जगह की सबसे प्राचीन पुरातात्विक जगह पूरापाषाण होमिनिड है, जो सोन नदी घाटी पर स्थित है। सोनियन जगह हमें सिवाल्किक क्षेत्र जैसे भारत, पकिस्तान और नेपाल में दिखाई देते है।

पाषाण युग इतिहास का वह काल है जब मानव का जीवन पत्थरों पर अत्यधिक आश्रित था। उदाहरनार्थ पत्थरों से शिकार करना, पत्थरों की गुफाओं में शरण लेना, पत्थरों से आग पैदा करना इत्यादि। इसके तीन चरण माने जाते हैं, पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ से लेकर काँस्य युग तक फ़ैला हुआ है।

मध्य पाषाण (Mesolithic Era)

आधुनिक मानव आज से तक़रीबन 12,000 साल से लेकर 10,000 पहले ही भारतीय उपमहाद्वीप में स्थापित हो गया था। इस युग को माइक्रोलिथ (Microlith) अथवा लधुपाषाण युग भी कहा जाता है। उस समय अंतिम हिम युग समाप्ति पर ही था और मौसम भी गर्म और सुखा बन चूका था। भारत में मानवी समाज का पहला समझौता भारत में भोपाल के पास ही की जगह भीमबेटका पाषाण आश्रय स्थल में दिखाई देता है। मध्य पाषाणकालीन मानव अस्थि-पंजर के कुछ अवशेष प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के सराय नाहर राय तथा महदहा नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं। मध्य पाषाणकालीन जीवन भी शिकार पर अधिक निर्भर था। इस समय तक लोग पशुओं में गाय, बैल, भेड़, घोड़े एवं भैंसों का शिकार करने लगे थे।

नवपाषाण काल (Neolithic Era)

नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व में 9500 ई.पू. के आसपास हुई थी, जिसे पारंपरिक रूप से पाषाण युग का अंतिम हिस्सा माना जाता है। नियोलिथिक युग में कृषि की शुरुआत के साथ हुआ और इसने “नियोलिथिक क्रांति” को जन्म दिया; इसका अंत भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर धातु के औजारों के ताम्र युग (चालकोलिथिक) या कांस्य युग में सर्वव्यापी होने या सीधे लौह युग में विकसित होने के साथ हुआ। नियोलिथिक कोई विशिष्ट कालानुक्रमिक अवधि नहीं है बल्कि यह व्यावहारिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का एक समूह है जिसमें जंगली और घरेलू फसलों का उपयोग और पालतू जानवरों का इस्तेमाल शामिल है। नई खोजों से पता चला है कि नियोलिथिक संस्कृति का आरम्भ एलेप्पो से 25 किमी उत्तर की तरफ उत्तरी सीरिया में टेल कैरामेल में 10,700 से 9,400 ई.पू. के आसपास हुआ था।

कांस्य युग (Bronze Era)

भारत में कांस्य युग की शुरुवात तक़रीबन 5300 साल पहले इंडस वैली सभ्यता के साथ ही हुई थी। इंडस नदी के बीच में यह युग था और इसके सहयोगी लगभग घग्गर-हकरा नदी घाटी, गंगा-यमुना डैम, गुजरात और उत्तरी-पूर्वी अफगानिस्तान तक फैले हुए है। यह युग हमें ज्यादातर आधुनिक भारत (गुजरात, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान) और पकिस्तान (सिंध, पंजाब और बलोचिस्तान) में दिखाई देता है।

कांस्य युग प्राचीन भारत का एक ऐतिहासिक हिस्सा होने के अलावा यह मेसोपोटामिया और प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। इस युग के लोगों ने धातु विज्ञान और हस्तशिल्प में नई तकनीक विकसित की और तांबा, पीतल, सीसा और टिन का उत्पादन किया।

प्रारंभिक ऐतिहासिक काल – Pre Historical Period of India

वैदिक काल – Vedic Period in Hindi

सिंधु सभ्यता के पतन के बाद जो नवीन संस्कृति प्रकाश में आयी उसके विषय में हमें सम्पूर्ण जानकारी वेदों से मिलती है। इसलिए इस काल को हम ‘वैदिक काल’ अथवा वैदिक सभ्यता के नाम से जानते हैं। चूँकि इस संस्कृति के प्रवर्तक आर्य लोग थे इसलिए कभी-कभी आर्य सभ्यता का नाम भी दिया जाता है। भारत पर हमला करने वालों में पहले आर्य थे। वे लगभग 1,500 ईसा पूर्व उत्तर से आए थे और अपने साथ मजबूत सांस्कृतिक परंपरा लेकर आए। संस्कृत उनके द्वारा बोली जाने वाली सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक थी और वेदों को लिखने में भी इसका उपयोग हुआ जो कि 12वीं ईसा पूर्व के हैं और प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं।

वेदों को मेसोपोटामिया और मिस्त्र ग्रंथों के बाद सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है। उपमहाद्वीप में वैदिक काल लगभग 1,500-500 ईसा पूर्व तक रहा और इसमें ही प्रारंभिक भारतीय समाज में हिंदू धर्म और अन्य सांस्कृतिक आयामों की नींव पड़ी। आर्यों ने पूरे उत्तर भारत में खासतौर पर गंगा के मैदानी इलाकों में वैदिक सभ्यता का प्रसार किया।

आर्यो के आगमन के विषय में विद्धानों में मतभेद है। विक्टरनित्ज ने आर्यो के आगमन की तिथि के 2500 ई. निर्धारित की है जबकि बालगंगाधर तिलक ने इसकी तिथि 6000 ई.पू. निर्धारित की है। मैक्समूलर के अनुसार इनके आगमन की तिथि 1500 ई.पू. है। आर्यो के मूल निवास के सन्दर्भ में सर्वाधिक प्रमाणिक मत आल्पस पर्व के पूर्वी भाग में स्थित यूरेशिया का है। वर्तमान समय में मैक्सूमूलन ने मत स्वीकार्य हैं।

वैदिक सभ्यता के समय, बहुत से आर्य वंशज और आर्य समुदाय के लोग थे। जिनमे से कुछ लोगो ने मिलकर कुछ विशाल स्थापित किया जैसे कुरूस साम्राज्य। वेद भारत के सबसे प्राचीन शिक्षा स्त्रोतों में से एक है, लेकिन 5 वी शताब्दी तक इसे केवल मौखिक रूप में ही बताया जाता था। धार्मिक रूप से चार वेद है, पहला ऋग्वेद। ऋग्वेद के अनुसार सभी राज्यों में सबसे पहले आर्य भारत में स्थापित हुए थे और जहाँ वे स्थापित हुए थे उस जगह हो 7 नदियों की जगह भी कहा जाता था, उस जगह का नाम सप्तसिंधवा था। चार वेदों में से बाकी तीन वेद सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद है। सभी वेदों में कुछ छंद है जिनमे भगवान और दूसरो की स्तुति की गयी है। वेद में दूसरी बहुमूल्य जानकारियाँ भी है। उस समय में शामरा समाज काफी ग्राम्य था।

महाजनपद

प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसापूर्व को परिवर्तनकारी काल के रूप में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह काल प्राय: प्रारंम्भिक राज्यों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के के लिए जाना जाता है। इस काल में भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के बाद शहरीकरण का दूसरा सबसे बड़ा उदय देखा गया। ‘महा’ शब्द का अर्थ है महान और ‘जनपद’ का अर्थ है किसी जनजाती का आधार। वैदिक युग के अंत में पूरे उपमहाद्वीप में कई छोटे राजवंश और राज्य पनपने लगे थे। इसका वर्णन बौद्ध और जैन साहित्यों में भी है जो कि 1,000 ईसा पूर्व पुराने हैं। 500 ईसा पूर्व तक 16 गणराज्य या कहें कि महाजनपद स्थापित हो चुके थे, जैसे कासी, कोसाला, अंग, मगध, वज्जि या व्रजी, मल्ला, चेडी, वत्स या वम्स, कुरु, पंचाला, मत्स्य, सुरसेना, असाका, अवंति, गंधारा और कंबोजा।

पर्शियन और ग्रीक आक्रमण

उपमहाद्वीप का ज्यादातर उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान और अफगानिस्तान है, में फारसी आक्मेनीड साम्राज्य के डारियस द ग्रेट के शासन में सी. 520 ईसा पूर्व में आया और करीब दो सदियों तक रहा। 326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने एशिया माइनर और आक्मेनीड साम्राज्य पर विजय पाई फिर उसने भारतीय उपमहाद्वीप की उत्तर पश्चिमी सीमा पर पहुंचकर राजा पोरस को हराया और पंजाब के ज्यादातर इलाके पर कब्जा किया।

उस समय का एक इतिहासकार हेरोडोतस, ने लिखा था की जीता हुआ यह हिस्सा एलेग्जेंडर के साम्राज्य का सबसे समृद्ध हिस्सा था। अचेमेनिद ने तक़रीबन 186 सालो तक शासन किया थम और इसीलिए आज भी उत्तरी भारत में हमें ग्रीक सभ्यता के कुछ लक्षण दिखाई देते है।

मगध साम्राज्य

मगध साम्राज्य ने भारत में 684 ईसा पूर्व – 320 ईसा पूर्व तक शासन किया। मगध साम्राज्य का दो महान काव्य रामायण और महाभारत में उल्लेख किया गया है | मगध साम्राज्य पर 544 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व तक शासन करने वाले तीन राजवंश थे। पहला था हर्यंका राजवंश (544 BC से 412 BC ), दूसरा था शिशुनाग राजवंश (412 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व) और तीसरा था नन्दा राजवंश (344 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व)।

मगध के साम्राज्य में ज्यादातर बिहार और बंगाल का भाग ही शामिल था जिनमे थोडा बहुत उत्तर प्रदेश और ओडिशा भी हमें दिखाई देता है। प्राचीन मगध साम्राज्य की जानकारी हमें जैन और बुद्ध लेखो में मिलती है। इसके साथ ही रामायण, महाभारत और पुराण में भी इसका वर्णन किया गया है। मगध राज्य और साम्राज्य को वैदिक ग्रंथो में 600 ईसा पूर्व से पहले ही लिखा गया था।

जैन और बुद्ध धर्म के विकास में मगध ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और साथ ही भारत के दो महान साम्राज्य मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन साम्राज्यों ने ही प्राचीन भारत में विज्ञान, गणित, धर्म, दर्शनशास्त्र और खगोलशास्त्र के विकास पर जोर दिया। इन साम्राज्यों का शासनकाल भारत में “स्वर्ण युग” के नाम से भी जाना जाता है।

आरंभिक मध्य साम्राज्य – Early Middle History of India in Hindi

सतवहना साम्राज्य

सतवहना साम्राज्य हमें 230 ईसा पूर्व के सास-पास दिखाई देता है। इस साम्राज्य को लोग आंध्रस के नाम से भी जानते थे। तक़रीबन 450 साल तक बहुत से सतवहना राजाओ ने उत्तरी और मध्य भारत के बहुत से भागो में राज किया था।

आक्रमण – 185 ई.पू.-320 ईसवी

इस अवधि में बक्ट्रियन, पार्थियन, शक और कुषाण के आक्रमण हुए। व्यापार के लिए मध्य एशिया खुला, सोने के सिक्कों का चलन और साका युग का प्रारंभ हुआ।

गुप्त साम्राज्य 

गुप्त साम्राज्य का शासनकाल 320 ईसवी-520 ईसवी के दरमियाँ था। इस काल में चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की, उत्तर भारत में शास्त्रीय युग का आगमन हुआ, समुद्रगुप्त ने अपने राजवंश का विस्तार किया और चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया। इस युग में ही शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई। आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए और भक्ति पंथ भी इस समय उभरा।

छोटे राज्यों का काल – हूँ आक्रमण

पाँचवी शताब्दी के पहले भाग में, कुछ लोगो का समूह अफगानिस्तान में स्थापित हो गया था। वे कुछ समय बाद काफी शक्तिशाली बन चुके थे। उन्होंने बामियान को अपनी राजधानी बनाया था। इसके बाद उन्होंने भारत के उत्तरी-पश्चिम भाग पर आक्रमण करना भी शुरू कर दिया था। हूणों के उत्तर भारत में आने से मध्य एशिया और ईरान में पलायन देखा गया। गुप्त साम्राज्य के शासक स्कंदगुप्त ने उनका सामना कर उन्हें कुछ सालो तक तो अपने साम्राज्य से दूर रखा था। लेकिन अंततः हूँ को जीत हासिल हुई और फिर उन्होंने धीरे-धीरे शेष उत्तरी भारत पर भी आक्रमण करना शुरू किया। इसी के साथ गुप्त साम्राज्य का भी अंत हो गया था।

आक्रमण के बाद उत्तरी भारत का बहुत सा हिस्सा प्रभावित हो गया था। और इससे उत्तर में कई राजवंशों के परस्पर युद्ध करने से बहुत से छोटे राज्यों का निर्माण हुआ। लेकिन हूँ की सेना ने इसके बाद डेक्कन प्लाटौ और दक्षिणी भारत पर आक्रमण नही किया था। इसीलिए भारत के यह भाग उस समय शांतिपूर्ण थे। लेकिन कोई भी हूँ की किस्मत के बारे में नही जानता था। कुछ इतिहासकारो के अनुसार समय के साथ-साथ वे भी भारतीय लोगो में ही शामिल हो गए थे।

हर्षवर्धन

गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद, कनौज के हर्ष ने ही उत्तरी भारत के सभी भागो को मिलाकर एक विशाल साम्राज्य की नीव रखी। हर्षवर्धन के शासनकाल (606 ई-647 ईसवी) में प्रसिद्ध चीनी यात्री हेन त्सांग ने भारत की यात्रा की। हूणों के हमले से हर्षवर्धन का राज्य कई छोटे राज्यों में बँट गया। यह वह समय था जब डेक्कन और दक्षिण बहुत शक्तिशाली बन गए।

दक्षिण राजवंश

(500ई-750 ईसवी) इस दौर में चालुक्य, पल्लव और पंड्या साम्राज्य पनपा और पारसी भारत आए।

प्रतिहार, पलास और राष्ट्रकूट

प्रतिहार राजा का साम्राज्य राजस्थान और भारत के कुछ उत्तरी भागो में छठी से 11 वी शताब्दी के बीच था। पलास भारत के पूर्वी भागो पर राज करते थे। वे वर्तमान भारत के बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश जैसे राज्यों पर शासन करते थे। पलास का शासनकाल 8 से 12 वी शताब्दी के बीच था।

भारत के दक्षिणी भाग में मालखेडा के राष्ट्रकूट के शासन था उन्होंने चालुक्य के पतन के बाद 8 से 10 वी शताब्दी तक राज किया था। यह तीनो साम्राज्य हमेशा पुरे उत्तरी भारत पर शासन करना चाहते थे। लेकिन चोल राज के बलशाली और शक्तिशाली होने के बाद वे असफल हुए। विजयालस द्वारा स्थापित चोल साम्राज्य ने समुद्र नीति अपनाई।

उत्तरी साम्राज्य

(750ई-1206 ईसवी) इस समय राष्ट्रकूट ताकतवर हुआ, प्रतिहार ने अवंति और पलस ने बंगाल पर शासन किसा। इस दौर ने राजपूत कुलों का उदय देखा। 6 वी शताब्दी में बहुत से राजपूत राजा राजस्थान में स्थापित होने के इरादों से आये थे। कुछ राजपूत राजा भारत के उत्तरी भाग में राज करते थे। उनमे से कुछ भारतीय इतिहास में 100 से भी ज्यादा साल तक राज कर चुके थे। इसी समय खजुराहो, कांचीपुरम, पुरी में मंदिरों का निर्माण हुआ और लघु चित्रकारी शुरु हुई। इस अवधि में तुर्कों का आक्रमण हुआ।

विजयनगर साम्राज्य

1336 में, हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयो ने मिलकर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना वर्तमान भारत के कर्नाटक राज्य में की थी। इस साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध राजा कृष्णदेवराय था। 1565 में इस साम्राज्य के शासको को एक युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा था। इस अवधि में तुर्कों का आक्रमण हुआ।

मध्यकालीन भारतीय इतिहास – Middle History of India in Hindi

मुगल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य, एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया – इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया।

दिल्ली सल्तनत

गुलाम साम्राज्य की शुरुवात क़ुतुब उद्दीन ऐबक ने की थी। वे उनमे से एक थे जिन्होंने आर्किटेक्चरल धरोहर को बनाने की शुरुवात की थी और सबसे पहले उन्होंने मुस्लिम धर्म के हित में क़ुतुब मीनार का निर्माण करवाया। चौगन खेलते समय ही क़ुतुब उद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गयी थी। अपने घोड़े से गिरने की वजह से उनकी मृत्यु हुई थी। इसके बाद इल्तुमिश उनके उत्तराधिकारी बने। इसके बाद रज़िया सुल्तान उनकी उत्तराधिकारी बनी और साथ ही पहली महिला शासक भी बनी।

मैसूर साम्राज्य

मैसूर का साम्राज्य ही दक्षिण भारत का साम्राज्य था। लोगो के अनुसार सन 1400 में वोदेयार्स ने मैसूर साम्राज्य की स्थापना की थी। इसके बाद, हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान ने वोदेयार के साथ लढाई की थी। इसके साथ-साथ उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ भी उनका विरोध किया था लेकिन अंततः उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ब्रिटिश राज में वोदेयार राजा कर्नाटक पर राज करते थे। जब 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ था तब वोदेयार साम्राज्य भी भारत का ही हिस्सा बना गया था।

सिख साम्राज्य

सिख साम्राज्य का उदय, उन्नीसवीं सदी की पहली अर्धशताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में एक ताकतवर महाशक्ती के रूप में हुआ था। महाराज रणजीत सिंह के नेत्रित्व में उसने, स्वयं को पश्चिमोत्तर के सर्वश्रेष्ठ रणनायक के रूप में स्थापित किया था, जन्होंने खाल्सा के सिद्धांतों पर एक मज़बूत, धर्मनिर्पेक्ष हुक़ूमत की स्थापना की थी जिस की आधारभूमि पंजाब थी। सिख साम्राज्य की नींव, सन् 1799 में रणजीत सिंह द्वारा, लाहौर-विजय पर पड़ी थी। उन्होंने छोटे सिख मिस्लों को एकत्रित कर एक ऐसे विशाल साम्राज्य के रूप में गठित किया था जो अपने चर्मोत्कर्ष पर पश्चिम में ख़ैबर दर्रे से लेकर पूर्व में पश्चिमी तिब्बत तक, तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में मिथान कोट तक फैला हुआ था। यह 1799 से 1899 तक अस्तित्व में रहा था।

सिक्खों और ब्रिटिश सेना के बीच इतिहास में कई लढाईयाँ हुई थी। जब तक महाराजा रणजीत सिंह जिन्दा थे तब तक ब्रिटिश अधिकारियो को सुल्तेज नदी पार करने में कभी सफलता नही मिली। उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने पुरे पंजाब को हथियाँ लिया था और सिक्ख शासको का पतन कर दिया था।

दुर्रानी साम्राज्य

दुर्रानी साम्राज्य एक पश्तून साम्राज्य था जो अफ़्ग़ानिस्तान पर केन्द्रित था और पूर्वोत्तरी ईरान, पाकिस्तान और पश्चिमोत्तरी भारत पर विस्तृत था। इस 1747 में कंदहार में अहमद शाह दुर्रानी (जिसे अहमद शाह अब्दाली भी कहा जाता है) ने स्थापित किया था जो अब्दाली कबीले का सरदार था और ईरान के नादिर शाह की फ़ौज में एक सिपहसलार था। 1773 में अहमद शाह की मृत्यु के बाद राज्य उसके पुत्रों और फिर पुत्रों ने चलाया जिन्होने राजधानी को काबुल स्थानांतरित किया और पेशावर को अपनी शीतकालीन राजधानी बनाया। अहमद शाह दुर्रानी ने अपना साम्राज्य पश्चिम में ईरान के मशाद शहर से पूर्व में दिल्ली तक और उत्तर में आमू दरिया से दक्षिण में अरब सागर तक फैला दिया और उसे कभी-कभी आधुनिक अफ़्ग़ानिस्तान का राष्ट्रपिता माना जाता है। बहुत कम समय के लिये, अहमद शाह दुर्रानी उत्तरी भारत के कुछ भागो में राज करने लगे थे।

कोलोनियल समय

कोलोनियल समय मतलब वह समय जब पश्चिमी देशो ने भारत पर शासन किया था। इन देशो ने दुसरे देशो जैसे एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका पर भी शासन किया था। 16वीं सदी में पुर्तगाल, नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन से यूरोपीय शक्तियों ने भारत में अपने व्यापार केन्द्र स्थापित किए। बाद में आंतरिक मतभेदों का फायदा उठाकर उन्होंने अपनी काॅलोनियां स्थापित कर लीं।

आधुनिक भारतीय इतिहास – Modern History of India in Hindi

ब्रिटिश राज

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 ईस्वी में हुई थी। इसे कभी-कभी जॉन कंपनी के नाम से भी जाना जाता था। इसे ब्रिटेन की महारानी ने भारत के साथ व्यापार करने के लिये 21 सालो तक की छूट दे दी। बाद में कम्पनी ने भारत के लगभग सभी क्षेत्रों पर अपना सैनिक तथा प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया। युद्ध के 100 साल बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी छाप छोड़ दी थी। वे व्यापार, राजनीती और सैन्य बल के जोर पर ही शासन करते थे। लेकिन 1857 में भारतीयों ने कंपनी का काफी विरोध किया और इस विरोध ने जल्द ही एक क्रांति का रूप भी ले लिया था और परिणामस्वरूप कंपनी का पतन हो गया। इसके बाद 1858 में भारत भी ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक भाग बन गया था और रानी विक्टोरिया भारत ही पहले रानी बनी थी।

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में “इंडिया” कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, “ब्रिटिश इंडिया”) और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी।

भारत के ब्रिटिश राज में शामिल होने के बाद ब्रिटिशो ने भारत की संस्कृति और समय पर काफी अत्याचार भी किये। वे भारत से कई बहुमूल्य चीजे ले गए। उन्होंने एक अखंड भारत का विभाजन टुकडो में कर दिया था। और जहाँ पर राजाओ का शासनकाल था उन भागो को भी उन्होंने उनपर आक्रमण कर हथिया लिया था। वे भारत से कई बहुमूल्य चीजे ले गए थे जिनमे भारत का कोहिनूर हिरा भी शामिल है।

अकाल और बाढ़ के समय बहुत से लोगो की मृत्यु भी हो गयी थी सरकार ने लोगो की पर्याप्त सहायता नही की थी। उस समय कोई भी भारतीय ब्रिटिशो को टैक्स देने में सक्षम नही था लेकिन फिर जो भारतीय टैक्स नही देता था उसे ब्रिटिश लोग जेल में डाल देते थे।

ब्रिटिश राज के राजनितिक विरोधियो को भी जेल जाना पड़ता था। लगभग 100 साल तक भारत पर राज करने के बाद उन्होंने फूट डालो और राज करतो निति को लागु किया था और हिन्दू-मुस्लिमो को बाँट दिया। इसी कारन भारत-पकिस्तान विभाजन के दौरान कई लोगो की मृत्यु हो गयी थी।

ब्रिटिशो ने भारतीयों पर अत्याचार करने के साथ-साथ भारतीयों के लिये कई अच्छे काम भी किये। उन्होंने रेलरोड और टेलीफोन का निर्माण किया और व्यापार, कानून और पानी की सुविधाओ को भी विकसित किया था। इनके द्वारा किये गए इन कार्यो परिणाम भारत के विकास और समृद्धि में हुआ था। उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस का निर्माण किया और कई जरुरी नियम और कानून भी बनवाए। उन्होंने भारत में विधवा महिलाओ को जलाने की प्रथा पर भी रोक लगायी थी।

जब ब्रिटिश लोग भारत पर राज कर रहे थे तो इसका आर्थिक लाभ ब्रिटेन को हो रहा था। भारत में सस्ते दामो में कच्चे काम का उत्पादन किया जाता था और उन्हें विदेशो में भेजा जाता था। उस समय भारतीयों को भी ब्रिटिशो द्वारा बनायी गयी चीजो का ही उपयोग पड़ता था।

स्वतंत्रता अभियान 

अंग्रेजो के अत्याचार से परेशान लोग अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह करने लगे। अधिकांश भारतीय विद्रोहियों ने बहादुर शाह ज़फर को भारत का राजा चुना और उनके अधीन वे एकजुट हो गए। अंग्रेजों की साजिश के सामने वो भी नहीं टिक पाए। उनके पतन से भारत में तीन सदी से ज्यादा पुराने मुगल शासन का अंत हो गया।

इसके बाद कई स्वतंत्रता सेनानी उभरे, 34वीं बंगाल नेटिव इंफैंट्री का हिस्सा रहे मंगल पांडे को 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में एक वरिष्ठ अंग्रेज अधिकारी पर हमला करने के लिए जाना जाता है। इस घटना को ही भारत की स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत माना जाता है।

भारतीय स्वतंत्रता अभियान का संघर्ष काफी लंबा और दर्दभरा था। भारतीय स्वतंत्रता अभियान के संघर्ष में मुख्य नेता महात्मा गांधी थे। गांधी को अहिंसा पर पूरा विश्वास था। अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति के कारण पिछले कुछ सालों में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक तनाव बढ़ता गया खासतौर पर पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे प्रांतों में। महात्मा गांधी ने दोनों धार्मिक समुदायों से एकता बनाए रखने की भी अपील की। दूसरे विश्व युद्ध के बाद कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का फैसला किया, जिससे अंतरिम सरकार बनाने का रास्ता बना। आखिरकार, भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और अंग्रेजों के कब्जे से इस क्षेत्र को सन् 1947 में आजादी मिली और देश आज़ाद बन गया।

इसी के साथ भारतीय उपमहाद्वीपमें ब्रिटिश राज का पतन हुआ था। 26 जनवरी 1950 को भारत ने स्वतंत्र न्याय व्यवस्था को अपनाया था। उसी दिन से भारत भारतीय गणराज्य के नाम से जाना जाने लगा।

आजादी के बाद के समय – After 1947 India History in Hindi

आजाद भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरु को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया। उनके नेतृत्व में भारत ने असामाजिक अर्थव्यवस्था को अपनाया था। कुछ अर्थशास्त्र विद्वानों के अनुसार यह मिश्रित अर्थव्यवस्था थी। इस समय में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर, विज्ञान और तंत्रज्ञान क्षेत्रो में काफी विकास किया।

दुनिया सभ्यताओं जैसे ग्रीक, रोमन और मिस्त्र ने उदय और पतन देखा। भारतीय सभ्यता और संस्कृति इससे अछूती रही। इस देश पर एक के बाद एक कई आक्रमण हुए, कई साम्राज्य आए और अलग अलग हिस्सों पर शासन किया, लेकिन भारतवर्ष की अदम्य आत्मा पराजित नहीं हुई। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे जीवंत गणराज्य के तौर पर विश्व में देखा जाता है। यह एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति और दक्षिण एशिया का एक प्रभावशाली देश है।

भारत एशिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और दुनिया का सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या के तौर पर दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसमें एशिया का एक तिहाई हिस्सा है और मानव जाति का सातवां भाग इसमें है। वर्तमान में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट के रूप में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया किस 10 वी सबसे विशाल अर्थव्यवस्था है। कुछ अर्थशास्त्र विद्वानों के अनुसार आने वाले कुछ दशको में भारत दुनिया की सबसे विशाल अर्थव्यवस्था वाला देश बनेंगा।


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