भगवान गौतम बुद्ध व बौध धर्म का इतिहास | History of Buddhism in Hindi

Buddhism History in Hindi / विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म है। ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं। बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे।

Budha Dharma
भगवान गौतम बुद्ध

भगवान गौतम बुद्ध का परिचय – History of Bhagwan Gautam Buddha in Hindi

पूरा नाम सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, (Gautam Buddha)
जन्म  563 ईसा पूर्व, लुम्बिनी (कपिलवस्तु)
मृत्यु 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (आयु- 80 वर्ष)
अवतार  भगवान विष्णु के दस अवतारों में नौवें अवतार
पिता राजा शुद्धोदन
माता रानी महामाया
विवाह यशोधरा
संतान राहुल
शासन-राज्य शाक्य गणराज्य
जयंती वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा)
धर्म-संप्रदाय बौद्ध धर्म- ‘थेरवाद’, ‘महायान’, ‘वज्रयान’

महात्मा बुद्ध की जीवनी – Guatam Buddha History in Hindi

महात्मा बुद्ध ज्ञान की खोज में विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में ही राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के बाद बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए। इस घटना को “सम्बोधि” कहा गया। जिस वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था उसे “बोधि वृक्ष” तथा गया को “बोध गया” कहा जाता है।

वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं- ‘थेरवाद’, ‘महायान’ और ‘वज्रयान’।

मथुरा में अनेक बौद्ध कालीन मूर्तियाँ मिली हैं। जो मौर्य काल और कुषाण काल में मथुरा की अति उन्नत मूर्ति कला की अमूल्य धरोहर हैं। बुद्ध की जीवन-कथाओं में वर्णित है कि सिद्धार्थ ने कपिलवस्तु को छोड़ने के पश्चात् अनोमा नदी को अपने घोड़े कंथक पर पार किया था और यहीं से अपने परिचारक छंदक को विदा कर दिया था।

बौद्ध धर्म का प्रचार बुद्ध के जीवन काल में ही काफ़ी हो गया था, क्योंकि उन दिनों कर्मकांड का ज़ोर काफ़ी बढ़ चुका था और पशुओं की हत्या बड़ी संख्या में हो रही थी। इन्होंने इस निरर्थक हत्या को रोकने तथा जीव मात्र पर दया करने का उपदेश दिया। प्राय: 44 वर्ष तक बिहार तथा काशी के निकटवर्त्ती प्रांतों में धर्म प्रचार करने के उपरांत अंत में कुशीनगर के निकट एक वन में शाल वृक्ष के नीचे वृद्धावस्था में इनका परिनिर्वाण अर्थात् शरीरांत हुआ। मृत्यु से पूर्व उन्होंने कुशीनारा के परिव्राजक सुभच्छ को अपना अन्तिम उपदेश दिया।

भगवान बुद्ध ने जो अंतिम शब्द अपने मुख से कहे थे, वे इस प्रकार थे-

“हे भिक्षुओं, इस समय आज तुमसे इतना ही कहता हूँ कि जितने भी संस्कार हैं, सब नाश होने वाले हैं, प्रमाद रहित हो कर अपना कल्याण करो।” 

बौध धर्म – इतिहास की नजर में – Buddhism History in Hindi 

  • बुद्ध, संघ एवं धर्म को त्रिरत्न कहा जाता है।
  • बौद्ध धर्म को दो शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागृति।
  • उरूवेला में सिद्धार्थ को कौण्डिन्य, वप्पा, भादिया, महानामा और अस्सागी नाम के 5 साधक मिले।
  • इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान।
  • वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है।
  • बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर।
  • बौद्ध ग्रंथो मे त्रिपीटक (पालि भाषा) सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं, ये है – विनयपिटक, सुत्तपितक, तथा अभिधम्मपितक।
  • बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया जिसे बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है. अभिधम्मपितक।
  • सिद्धार्थ के प्रथम गुरू आलारकलाम थे. बाद मे सिद्धार्थ ने राजगीर के रूद्रकरामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की।
  • महात्मा बुद्ध के प्रमुख अनुयायी शासक थे:
    (1) बिंबसार
    (2) प्रसेनजित
    (3) उदयन
  • महात्मा बुद्ध की मृत्यु 80 साल की उम्र में कुशीनारा में चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई। जिसे बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा गया है।
  • एक अनुश्रुति के अनुसार मृत्यु के बाद बुद्ध के शरीर के अवशेषों को आठ भागों में बांटकर उन पर आठ स्तूपों का निर्माण कराया गया।
  • बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है।
  • बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी है और इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है।
  • तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है।
  • बुद्ध धर्म के अनुयायी दो भागों मे विभाजित थे:
    (1) भिक्षुक – बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन लोगों ने संयास लिया उन्हें भिक्षुक कहा जाता है.
    (2) उपासक – गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वालों को उपासक कहते हैं.
  • बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया है। ये हैं –
    (1) दुख
    (2) दुख समुदाय
    (3) दुख निरोध
    (4) दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा
  • महात्मा बुद्ध के अनुसार अष्टांगिक मार्गों के पालन करने के उपरांत मनुष्य की भव तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्वाण प्राप्त होता है।
  • बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति के लिए 10 चीजों पर जोर दिया है:
    (1) अहिंसा
    (2) सत्य
    (3) चोरी न करना
    (4) किसी भी प्रकार की संपत्ति न रखना
    (5) शराब का सेवन न करना
    (6) असमय भोजन करना
    (7) सुखद बिस्तर पर न सोना
    (8) धन संचय न करना
    (9) महिलाओं से दूर रहना
    (10) नृत्य गान आदि से दूर रहना.
  • अनीश्वरवाद के संबंध में बौद्धधर्म और जैन धर्म में समानता है।

बौध सन्गितिया –

सभा/सन्गिति   काल    स्थान   अध्यक्ष      शासनकाल

पहला  –  483 ई. पु.  –  राजगृह  –  महाकस्साप   –   आजातशत्रु

दूसरा   –  383 ई. पु.  –  वैशाली   –  सब्ब्कामि    –   कालाशोक

तीसरा   –  250 ई. पु. – पाटलिपुत्र  – मोग्गलिपुत्त तिस्स – अशोक

चौथा   –  72 ई.  –  कुण्डलवान  –  वसुमित्र   –  कनिष्क

भगवान बुद्ध के अन्य नाम – Gautam Buddha All Name 

  • विनायक
  • सुगत
  • धर्मराज
  • तथागत
  • समन्तभद्र
  • मारजित्
  • भगवत्
  • मुनि
  • लोकजित्
  • जिन
  • षडभिज्ञ
  • दशबल
  • अद्वयवादिन्
  • सर्वज्ञ
  • श्रीघन
  • शास्तृ

और अधिक लेख – 

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8 thoughts on “भगवान गौतम बुद्ध व बौध धर्म का इतिहास | History of Buddhism in Hindi”

    1. Editorial Staff

      Hello Khushal Sir, Jankari Dene ke Liye dhanyvaad, Par DOB me Jo Aap Information de rhe Hain Uske Bare Koi Proof Send Kr Sakte Hain.. Taki Hm Ise Update Kr Sake

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