हिन्दू धर्म की जानकारी, इतिहास, संस्थापक- About Hindu Dharm in Hindi

Hindu Dharm Information – भारत का सर्वप्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण ‘सनातन धर्म’ भी कहा जाता है। ईसाई, इस्लाम, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के समान हिन्दू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। तो चलिए जाने हिन्दू धर्म का इतिहास ..

हिन्दू धर्म की जानकारी, इतिहास, संस्थापक- About Hindu Dharm In HindiHistory Of Hindu Dharm in Hindi – हिन्दू धर्म का इतिहास

हिन्दू धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिककाल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। सदियों से वाचिक परंपरा चली आ रही है फिर इसे लिपिबद्ध करने का काल भी बहुत लंबा रहा है।

जब हम इतिहास की बात करते हैं तो विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल की शुरुआत 4500 ई.पू. से मानी है। अर्थात यह धीरे-धीरे रचे गए और अंतत: माना यह जाता है कि पहले वेद को तीन भागों में संकलित किया गया- ऋग्‍वेद, यजुर्वेद व सामवेद जि‍से वेदत्रयी कहा जाता था। मान्यता अनुसार वेद का वि‍भाजन राम के जन्‍म के पूर्व पुरुरवा ऋषि के समय में हुआ था। बाद में अथर्ववेद का संकलन ऋषि‍ अथर्वा द्वारा कि‍या गया।

दूसरी ओर कुछ लोगों का यह मानना है कि कृष्ण के समय में वेद व्यास ने वेदों का विभाग कर उन्हें लिपिबद्ध किया था। इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद। यह भी तथ्‍य नहीं नकारा जा सकता कि कृष्ण के आज से 5300 वर्ष पूर्व होने के तथ्‍य ढूँढ लिए गए हैं।

एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम देवताओं, भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक- सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है।

हिंदू और जैन धर्म की उत्पत्ति पूर्व आर्यों की अवधारणा में है जो 4500 ई.पू. मध्य एशिया से हिमालय तक फैले थे। आर्यों की ही एक शाखा ने पारसी धर्म की स्थापना भी की। इसके बाद क्रमश: यहूदी धर्म दो हजार ई.पू., बौद्ध धर्म पाँच सौ ई.पू., ईसाई धर्म सिर्फ दो हजार वर्ष पूर्व, इस्लाम धर्म आज से 14 सौ वर्ष पूर्व हुआ।

लेकिन धार्मिक साहित्य अनुसार हिंदू धर्म की कुछ और धारणाएँ हैं। मान्यता यह भी है कि 90 हजार वर्ष पूर्व इसकी शुरुआत हुई थी। रामायण, महाभारत और पुराणों में सूर्य और चंद्रवंशी राजाओं की वंश परम्परा का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा भी अनेक वंश की उत्पति और परम्परा का वर्णन है। उक्त सभी को इतिहास सम्मत क्रमबद्ध लिखना बहुत ही कठिन कार्य है, क्योंकि पुराणों में उक्त इतिहास को अलग-अलग तरह से व्यक्त किया गया है जिसके कारण इसके सूत्रों में बिखराव और भ्रम निर्मित जान पड़ता है किंतु जानकारों के लिए यह भ्रम नहीं है।

असल में हिंदुओं ने अपने इतिहास को गाकर, रटकर और सूत्रों के आधार पर मुखाग्र जिंदा बनाए रखा। यही कारण रहा कि वह इतिहास धीरे-धीरे काव्यमय और श्रृंगारिक होता गया जिसे आधुनिक लोग इतिहास मानने को तैयार नहीं हैं। वह समय ऐसा था जबकि कागज और कलम नहीं होते थे। इतिहास लिखा जाता था शिलाओं पर, पत्थरों पर और मन पर।

हिंदू धर्म के इतिहास ग्रंथ पढ़ें तो ऋषि-मुनियों की परम्परा के पूर्व मनुओं की परम्परा का उल्लेख मिलता है जिन्हें जैन धर्म में कुलकर कहा गया है। ऐसे क्रमश: १४ मनु माने गए हैं जिन्होंने समाज को सभ्य और तकनीकी सम्पन्न बनाने के लिए अथक प्रयास किए। धरती के प्रथम मानव का नाम स्वायंभव मनु था और प्रथम ‍स्त्री थी शतरूपा। महाभारत में आठ मनुओं का उल्लेख है। इस वक्त धरती पर आठवें मनु वैवस्वत की ही संतानें हैं। आठवें मनु वैवस्वत के काल में ही भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था।

पुराणों में हिंदू इतिहास का आरंभ सृष्टि उत्पत्ति से ही माना जाता है। ऐसा कहना कि यहाँ से शुरुआत हुई यह ‍शायद उचित न होगा फिर भी हिंदू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों में मनु (प्रथम मानव) से भगवान कृष्ण की पीढ़ी तक का उल्लेख मिलता है।

हिन्दू धर्म की जानकारी – Hinduism Information in Hindi

हिन्दू धर्म के प्राचीन इतिहास को किसी मानव की उत्पत्ति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता, जैसा कि दूसरे धर्मों में आदम से इतिहास की शुरुआत होती है और फिर क्रमश: मूसा, ईसा और मोहम्मद तक समाप्त हो जाती है। जबकि हिन्दू धर्मानुसार मनुष्य पहली बार नहीं जन्मा तथा उसका अस्तित्व कई बार मिट गया और हर बार उसकी उत्पत्ति किसी एक माध्यम से नहीं हुई। कभी उसको रचा गया तो कभी वह क्रम विकास के माध्यम से जन्मा।

हिन्दू मानते हैं कि समय सीधा ही चलता है। सीधे चलने वाले समय में जीवन और घटनाओं का चक्र चलता रहता है। समय के साथ घटनाओं में दोहराव होता है फिर भी घटनाएं नई होती हैं। राम तो कई हुए, लेकिन हर त्रेतायुग में अलग-अलग हुए और उनकी कहानी भी अलग-अलग है। पहले त्रेतायुग के राम का दशरथ नंदन राम से कोई लेना-देना नहीं है। यह तो ब्रह्मा, विष्णु और शिव ही तय करते कि किस युग में कौन राम होगा और कौन रावण और कौन कृष्ण होगा और कौन कंस? ब्रह्मा, विष्णु और महेश के ऊपर जो ताकत है उसे कहते हैं… ‘काल ब्रह्म’। यह काल ही तय करता है कि कौन ब्रह्मा होगा और कौन विष्णु? उसने कई विष्णु पैदा कर दिए हैं कई अन्य धरतियों पर।

हिन्दू धर्म के स्रोत – 

हिन्दू धर्म की परम्पराओं का अध्ययन करने हेतु हज़ारों वर्ष पीछे वैदिक काल पर दृष्टिपात करना होगा। हिन्दू धर्म की परम्पराओं का मूल वेद ही हैं। वैदिक धर्म प्रकृति-पूजक, बहुदेववादी तथा अनुष्ठानपरक धर्म था। यद्यपि उस काल में प्रत्येक भौतिक तत्त्व का अपना विशेष अधिष्ठातृ देवता या देवी की मान्यता प्रचलित थी, परन्तु देवताओं में वरुण, पूषा, मित्र, सविता, सूर्य, अश्विन, उषा, इन्द्र, रुद्र, पर्जन्य, अग्नि, वृहस्पति, सोम आदि प्रमुख थे। इन देवताओं की आराधना यज्ञ तथा मंत्रोच्चारण के माध्यम से की जाती थी। मंदिर तथा मूर्ति पूजा का अभाव था।

उपनिषद काल में हिन्दू धर्म के दार्शनिक पक्ष का विकास हुआ। साथ ही एकेश्वरवाद की अवधारणा बलवती हुई। ईश्वर को अजर-अमर, अनादि, सर्वत्रव्यापी कहा गया। इसी समय योग, सांख्य, वेदांत आदि षड दर्शनों का विकास हुआ। निर्गुण तथा सगुण की भी अवधारणाएं उत्पन्न हुई। नौंवीं से चौदहवीं शताब्दी के मध्य विभिन्न पुराणों की रचना हुई। पुराणों में पाँच विषयों (पंच लक्षण) का वर्णन है

  1. सर्ग (जगत की सृष्टि),
  2. प्रतिसर्ग (सृष्टि का विस्तार, लोप एवं पुन: सृष्टि),
  3. वंश (राजाओं की वंशावली),
  4. मन्वंतर (भिन्न-भिन्न मनुओं के काल की प्रमुख घटनाएँ) तथा
  5. वंशानुचरित (अन्य गौरवपूर्ण राजवंशों का विस्तृत विवरण)।

इस प्रकार पुराणों में मध्य युगीन धर्म, ज्ञान-विज्ञान तथा इतिहास का वर्णन मिलता है। पुराणों ने ही हिन्दू धर्म में अवतारवाद की अवधारणा का सूत्रपात किया। इसके अलावा मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा, व्रत आदि इसी काल के देन हैं। पुराणों के पश्चात् भक्तिकाल का आगमन होता है, जिसमें विभिन्न संतों एवं भक्तों ने साकार ईश्वर की आराधना पर ज़ोर दिया तथा जनसेवा, परोपकार और प्राणी मात्र की समानता एवं सेवा को ईश्वर आराधना का ही रूप बताया। फलस्वरूप प्राचीन दुरूह कर्मकांडों के बंधन कुछ ढीले पड़ गये। दक्षिण भारत के अलवार संतों, गुजरात में नरसी मेहता, महाराष्ट्र में तुकाराम, पश्चिम बंगाल में चैतन्य महाप्रभु, उत्तर भारत में तुलसी, कबीर, सूर और गुरु नानक के भक्ति भाव से ओत-प्रोत भजनों ने जनमानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।

आज हिन्दू धर्म की हालत यह है कि हर संत का अपना एक धर्म और हर जाति का अपना अलग धर्म है। लोग भ्रम और भटकाव में जी रहे हैं। वेदों को छोड़कर संत, ज्योतिष और अन्य लोग दूसरे या मनमाने धर्म के समर्थक बन गए।

हिन्दू धर्म का संस्थापक – Founder of Hinduism in Hindi

अक्सर यह कहा जाता है कि हिन्दू धर्म का कोई संस्थापक नहीं। इस धर्म की शुरुआत का कुछ अता-पता नहीं। हालांकि धर्म के जानकारों अनुसार वर्तमान में जारी इस धर्म की शुरुआत प्रथम मनु स्वायम्भुव मनु के मन्वन्तर से हुई थी।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित अग्नि, आदित्य, वायु और अंगिरा ने इस धर्म की स्थापना की। क्रमश: कहे तो विष्णु से ब्रह्मा, ब्रह्मा से 11 रुद्र, 11 प्रजापतियों और स्वायंभुव मनु के माध्यम से इस धर्म की स्थापना हुई। इसके बाद इस धा‍र्मिक ज्ञान की शिव के सात शिष्यों से अलग-अलग शाखाओं का निर्माण हुआ। वेद और मनु सभी धर्मों का मूल है। मनु के बाद कई संदेशवाहक आते गए और इस ज्ञान को अपने-अपने तरीके से लोगों तक पहुंचाया। लगभग 90 हजार से भी अधिक वर्षों की परंपरा से यह ज्ञान श्रीकृष्ण और गौतम बुद्ध तक पहुंचा। यदि कोई पूछे- कौन है हिन्दू धर्म का संस्थापक तो कहना चाहिए ब्रह्मा है प्रथम और श्रीकृष्ण-बुद्ध हैं अंतिम। ज्यादा ज्ञानी व्यक्ति को कहो…अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा। यह किसी पदार्थ नहीं ऋषियों के नाम हैं।

हिन्दू धर्म के इतिहास की मुख्य बातें – Facts Of Hinduism in Hindi

भाषा: मान्यता है कि प्राचीन हिन्दू धर्म की मुख्य भाषा संस्कृत थी।

समाज: प्राचीन हिन्दू समाज में राजा और प्रजा के रूप में विभाजित थी, जहां राजा प्रजा को संचालित करता था।

देव: वेदों की मान्यतानुसार सनातन धर्म के मुख्य देव इन्द्र, वरुण, अग्नि और वायु देव हैं।

तीन मुख्य संप्रदाय: सनातन हिन्दू धर्म मुख्यत: तीन संप्रदायों में बंटा था एक शैव जो शिव की पूजा करते थे। दूसरा वैष्णव जो विष्णुजी को अपना आराध्य मानते थे। और तीसरे शक्ति के उपासक थे।

श्री आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म की पुन: स्थापना: मान्यता है कि विभिन्न संप्रदायों में बंट जाने से जब सनातन धर्म कमजोर होने लगा तो आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर पुन: धर्म की स्थापना कर लोगों को जोड़ने का काम किया।

अन्य संस्कृतियां: मान्यता है कि बौद्ध और जैन धर्म भी सनातन हिन्दू धर्म का ही एक अंग है।

युग : सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलि युग।

वेद: 1. ऋग्वेद 2. सामवेद 3. अथर्ववेद 4. यजुर्वेद

वैदिक काल कितने भागों में बांटा गया है: दो भागों में: ऋग्वैदिक काल (2000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) तथा उत्तर वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व) (यहाँ एक बार फिर ध्यान दें ऋग्वैदिह काल की शुरूआत का कोई साक्ष्य नही है कोई विद्धान इसे 2000 ईसा पूर्व, कोई 2500 ईसा पूर्व, कोई 3000 ईसा पूर्व तो कोई 4000 ईसा पूर्व तक मानता है इसलिए आप भ्रमित ना होकर इसे 2000 ईसा पूर्व ही मानें जो कि सबसे अधिक विद्धानो द्वारा बताया गया है)


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26 thoughts on “हिन्दू धर्म की जानकारी, इतिहास, संस्थापक- About Hindu Dharm in Hindi”

    1. Accha to phir aap log dharm ke mamle me itne andhe ho ki koi kuch bhi bole jaldi bura mann jate ho

  1. Comment:Mai zyada kuch nhi sochta bhai kisi bhi dharam ke bare me bus mai ye sochta hu ki jo actress hai wo nachti hai gaati hai unko marne ke baad jitni baar uski video log dekhte hai usse kahi zyada usko ajaab milta hai

    Magar inko kaun samjhaye bhai ye to ram lakshman hanuman ki puja karte hai to unko kitne ajaab milta hoga
    Mtlb unko apna bhagwan maante hai jinka pura pariwar hai

    Bhai log ye baat gaur kijiyega agar bura lage to sorry magar jo sach hai wo sach hai

    Ki bhagwan kabhi paida nhi hota aur
    Jo paida hota hai wo bhagwan nhi hota

    1. vinay kumar tiwari

      bhai dont comment if you dont know
      waise hamare dharm ke bhagwaan ne ye bataya hai ki aap ke karm bhi aap ko bhagwaan bana skte hai…
      uske liye aap ko avtaar lene ki jarurat nahi hai

  2. Dekho bhai आप किसी भी धर्म की पूजा करो लकिन किसी को भी दूसरे धर्म को मानने के लिए मजबूर मत करो l
    इंडिया का पुराना धर्म हिंदू है तो रहेगा लकिन किसी बहलाकर भूसलाकर बाहर आ ये इस्लाम या बाहरी धर्म मानने के लिए मजबूर mat karo मै भले ही एक मुस्लिम धर्म मे पैदा हो गया हू लकिन मुझे यह धर्म खराब बेकार लगता है जिसमे लोग झूठ बोल कर अपना धर्म मानने के लिए मजबूर करते हैं l

    1. असलम सैय्यद इंदौरी

      जी भाई तुम सच ही बोल रहे हो।
      ओर हिन्दू भाइयो। आपका सनातन धर्म ही सबसे अच्छा धर्म है, आपका धर्म आपस मे बेर रखना नही सिखाता। ओर एक ये हमारा मुस्लिम धर्म जिसका कोई रिकॉर्ड नही है। हमे सिर्फ ये सिखाता है के कैसे हिन्दू या किसी भी धर्म को मुस्लिम धर्म से जोड़ा जाए और इससे क्या फायदे है। हमारे पूर्वज ने आपके साथ अनन्याय किया है। में आपके धर्म का सम्मान करता हु। मुझे अपने धर्म से बहोत गंदी नफरत है। जिसे में बयाँ भी नही कर सकता। हमारी पूरी कोम नापाक है। और हम सब उन ल की गंदी हरकत।
      हमारी कोम की एक ही गंदी सोच है । वो आपको खत्म करना चाहते है। और भारत जैसे पवित्र देश पर राज करना चाहते हैं। खुदा ये दिन कभी ना लाये यही मेरी दुआ। आमीन

      1. ये तुम्हारी इस्लाम की दी हुई सोच है जरूरी नही इस्लाम सच बोल रहा हो
        जिसको किसी ने देखा नही सिर्फ मुहम्मद ने कहा तुम उसको कैसे सच मान रहे हो फिर मोहम्मद की समय कुरान आई तो मोहम्मद के मा बाप किस धर्म को मानते थे कभी सोचो झूट पकड़ा जाएगा न तुम्हारे पास कोई लॉजिक है ना ही सबूत सिर्फ एक किताब है उल्टी पढ़ो या सीधी

  3. आप बहुत अच्छी जानकारी देते है। मुझे भी आपकी तरह एक ब्लॉगर बनना है। आप अपने ब्लॉग पर सभी जानकारी बहुत विस्तार से समझाते है। अगर आपको याद होगा तो मैंने पहले भी आपकी पोस्ट में कमेंट की है।

  4. Rainloure ઝમાઝમ વરસાદ #Ankit Patel

    yha gyaan ki baat hui magar bhagwan ke hisaab se manusya jo karm karta hai wesa uska dharm or adharm naki hota hai,
    aap ke information mai kahi bhi hindu , ya kisi or dharm ka naam kai se pda iska gyaan nahi hai.
    or aap hi nah rhe hai ki logo ne bol kar or man se sab sanghrah kiya to fir manusya kab sach bola hai jo sab baat sachi maani ja rahi hai or ek baat har koi apni khyati ke liye juth facts mai jod hi deta hai . ispar kya kahna hai !

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