ह्रदय ‘दिल’ की पीड़ा एवं जलन का घरेलु उपचार Dil ke Dard ka Ilaj

ह्रदय (दिल) हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं, यही से हमारे शरीर में खून पम्पिंग होता हैं। लेकिन हमारे कुछ गलतियों या किसी बीमारी के वजह से हृदय में पीड़ा होने लगाती हैं। इसका मूल कारण खान-पान भी हैं। ह्रदय में पीड़ा एंव जलन होने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए।

ह्रदय (दिल) की पीड़ा एवं जलन का घरेलु उपचार Dil ke Dard ka Ilaj

ह्रदय में पीड़ा होने का कारण –

  • धूम्रपान, अत्यधिक वसा और चिकनाईयुक्त भोजन का सेवन
  • उच्च रक्तचाप, ज्यादा चर्बी, अधिक कोलेस्ट्रॉल, अति चिंता और मधुमेह के कारण भी

ह्रदय में पीड़ा होने पर घरेलु उपचार – Dil ke Dard ka Ilaj in Hindi

हृदय रोगी के लिए लहसुन का प्रयोग श्रेष्ट है। यह रक्तावरोध नलिकाओं को खोल कर रक्त-प्रवाह नियमित करता है जिससे हृदय में पीड़ा-जलन नहीं होती।

यदि नियमित रूप से सुबह-शाम लौकी का सूप पिए या उसकी सब्जी बनाकर खाएं तो हृदय रोग में लाभ होता है।

अनार के 10 ग्राम रस में, पिसी मिश्री डालकर नित्य सुबह पीने से हृदय की जकड़न और दर्द दूर हो जाता है।

बंसलोचन तथा गावजबान के फूल और छोटी इलायची के बीज – इन सबको समान भाग में लेकर पीस ले। 3 ग्राम औषधि को सेब के मुरब्बे के साथ सेवन करने से हृदय की घबराहट, जलन एवं कमजोरी दूर होती है।

पीपल के कोमल पत्तों का रस 6 ग्राम से 10 ग्राम तक निकालें। इसमें शहद मिलाकर पीने से हृदय की पीड़ा मिट जाती है।

दो ग्राम कुटकी और तीन ग्राम मुलहटी को पीसकर मिश्री के साथ शरबत बनाकर पीने से हृदय गति सामान्य होकर कमजोरी दूर होती है।

मूली का सेवन नियमित रूप से करने वाले व्यक्ति के हृदय में पीड़ा-जलन नहीं होती।

यदि तुलसी की माला गले में इस तरह पहने जाए कि उसका स्पर्श हृदय के ऊपरी हिस्से में होते रहे तो हृदय रोग का खतरा टल जाता है।

गेहूं का सत और अर्जुन की छाल के चूर्ण समान भाग लेकर भून लें। उसमें इस चूर्ण की 3 गुना शहद डालें। इसकी 6 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा प्रतिदिन सेवन करने से सभी प्रकार के ह्रदय रोग दूर होते हैं।

अर्जुन वृक्ष की छाल का काढ़ा पीने से हृदय की पीड़ा और जलन में आराम मिलता है।

अदरक या सोंठ का गुनगुना काढ़ा पिलाने से ह्रदय एवं जलन में शीघ्र ही आराम मिलता है।

हृदय में पीड़ा की शिकायत होने पर तत्काल तंबाकू सूंघना चाहिए। इससे ह्रदय की जलन में भी आराम मिलेगा।

लहसुन को दूध में पकाकर सेवन करने से हृदय की जकड़न पीड़ा एवं जलन में आराम मिलता है।

असगंध तथा बहेड़ा के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाएं। सुबह शाम दो-दो गोली गर्म पानी के साथ खाने से हृदय की पीड़ा में छुटकारा मिल जाता है।

पारस पिपली की छाल के मध्य भाग को पानी में घिसकर छाती पर लगाने से हृदय की पीड़ा दूर होती है।

दस ग्राम अर्जुन की छाल, दस ग्राम गुड़ और पचास ग्राम दूध ले। अर्जुन की छाल के चूर्ण को दूध में डालकर पकाएं तथा गुड मिलाकर पिए। इससे हृदय के समस्त रोग विकार दूर हो जाते हैं।

छः ग्राम मेथीदाना लेकर उसका क्वाथ बना लें। इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से हृदय की पीड़ा जलन और घबराहट दूर होती है।

गुड और देसी घी मिलाकर पीने से हृदय की शक्ति में वृद्धि होती है।


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