टॉन्सिल एवं गाला बैठना का कारण, घरेलु उपचार Tonsils Treatment in Hindi

बदलते मौसम में टॉन्सिल्स होने की संभावना ज्यादा होती हैं। इसमें गले में सूजन के साथ ही असहनीय दर्द होता है। साधारण शब्दों में समझे तो गले के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ माँस के छोटे, पतले व लंबे टुकड़े की भांति (मांस की गांठ), इसे घाटी भी कहते हैं। जब इनमे सूजन आ जाता है तो इसे टांसिल (Tonsil) या घाटी बढ़ना कहते हैं। इसी कारण कभी-कभी गाला बैठ जाता हैं या घाव हो जाता हैं। इससे गले में बहुत दर्द होता हैं और खाने-पिने में भी तकलीफ होती हैं। टॉन्सिल होने के कई कारण हो सकते हैं। आइये जाने टॉन्सिल के लक्षण और घरेलु उपचार.. (Tonsil ka Gharelu Upchar)

टॉन्सिल एवं गाला बैठना का कारण, घरेलु उपचार Tonsil Treatment in Hindiटॉन्सिल के प्रकार – Types of Tonsils in Hindi

टॉन्सिल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –

1). पहले प्रकार में दोनों तरफ़ या एक तरफ़ के टांसिल में सूजन आता है और वह सुपारी की तरह मोटा हो जाता है। उसके बाद उपजिह्वा में भी सूजन होकर वह रक्‍त वर्ण की हो जाती है। धीरे-धीरे यह खाने-पीने की नली को भी संक्रमित कर देता है और कुछ भी खाने-पीने में दर्द होता है। यह दर्द कान तक फैल जाता है। इस अवस्‍था में 103 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार चढ़ सकता है, जबड़े में दर्द हो सकता है तथा मुंह पूरा खुलता नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि समय पर उचित इलाज न मिला तो टांसिल पक कर फूट सकता है।

2). दूसरे तरह के टांसिल क्रोनिक होते हैं। जिसे बार-बार टांसिल्स की बीमारी होती हैं, वह क्रोनिक हो जाती है। टांसिल का आकर बड़ा हो जाता है और सांस लेने व छोड़ने में तकलीफ़ होने लगती है।

टॉन्सिल (Tonsil) होने के कारण – Tonsils Causes in Hindi

  • चावल, मैदा, खट्टी चीज़ों का ज़्यादा सेवन टांसिल्स का मुख्‍य कारण है।
  • मौसम में अचानक परिवर्तन, गर्मी से अचानक ठंडे मौसम में आ जाना व सर्दी लगने से भी टांसिल्स हो सकते हैं।
  • किसी तरह के वायरस या गले में संक्रमित होने के कारण भी।
  • बहुत ज्यादा ठण्डा खाने या पीने (आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक) से।
  • वायरल इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता हैं।

टांसिल (Tonsils) के लक्षण – Tonsils Symptoms in Hindi

  • गले में दर्द होना या खराश महसूस होना
  • दर्द के कारण बुखार होना और कंठ में तेज दर्द होना।
  • किसी चीज का स्वाद महसूस न होना, यहाँ तक कि थूक निगलने में भी दिक्‍कत आना।
  • कान और गले में दर्द होना।
  • खांसी और कफ होना।
  • सोने में कठिनाई या ठंड लगना।
  • छोटे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, एवं लार टपकाना।
  • जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन होना।
  • आवाज प्रभावित होना भी इसका एक लक्षण हैं।

टॉन्सिल का घरेलु आयुर्वेदिक इलाज – Tonsils ka Gharelu Upchar in Hindi

यदि टॉन्सिल बढ़ गए हो तो मेहंदी के पत्ते जलाकर काढ़ा बना लें और उसे गरारे करें तुरंत लाभ होगा।

मूली के रस में पानी मिलाकर गरारे करे। गले की सूजन और घाव ठीक हो जाएंगे।

टांसिल यदि हो गया है तो गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करने से लाभ मिलता है, सूजन कम हो जाती है।

गले में खराश होने पर सुबह सौंप चबाएं। इससे बंद गला भी खुल जाता है।

दालचीनी या तुलसी की मंजरी का एक चुटकी चूर्ण, मधु में मिलाकर दिन में नियमित तीन बार सेवन करने से आराम मिलता है।

आवाज बैठ जाने पर मुल्ली के 5 ग्राम बीज पीस कर गर्म पानी से सेवन करें। इससे आवाज खुल जाएगी और गले की खराश खत्म हो जाएगी।

टॉन्सिल्स तथा गलगंड में गाजर का रस प्रतिदिन तीन चार बजे दिन में 125 ग्राम (एक छोटा गिलास) लगातार दो तीन मास तक पियें। यह कॉड लिवर आयल का अच्छा विकल्प है।

टॉन्सिल बढ़ जाने पर सफेद नमक, हल्दी और बायविंडक – तीनों को अलग अलग पीसकर शीशियों में भरकर रख ले। जब तकलीफ हो तो एक गिलास सहते हुए गरम पानी में आधा आधा चम्मच चूर्ण डालकर घोल बना लें। और सुबह शाम गरारे करें टोंसिल ठीक हो जाएगा।

गला बैठ जाने पर अकरकरा, कुलंजन और मुलहटी के टुकड़े मुंह में डालकर चूसें बैठा गला खुल जाएगा।

आंवले का चूर्ण गाय के ताजा कच्चे दूध के साथ लेने से बैठा गला खुल जाता है।

पानी में सिंघाड़ा उबाल लें और उसी पानी से कुल्‍ला करें। लाभ मिलेगा।

गणना भूनकर चूसने से बैठा गला खुल जाता है।

हल्‍दी का चूर्ण दो चुटकी व काली मिर्च का चूर्ण आधी चुटकी लेकर एक चम्‍मच अदरक के रस में मिलाकर आग पर गर्म कर लें। रात को सोते समय मधु में मिलाकर इसका सेवन करें। नियमित दो-तीन दिन के प्रयोग से ही टांसिल का सूजन चला जाता है।

यदि किसी कारण वश आपके गले में सुजन आ गई हो और उस कारण आपका गला बैठ गया हो तो एक गिलास पानी ले और उसमे 50 ग्राम फिटकिरी को डाल कर दिन में दो से तीन बार गारगल करे। ऐसा करने से गले की खराश दूर हो जाती है और आपके गले को आराम मिलती है। इस प्रक्रिया को दो से तीन दिन करने से आपकी गले की सुजन कम हो जाता है और बैठा हुआ गला ठीक हो जाएगा।

रोजाना सोने से पहले आधा चमच मुलहठी के चूर्ण को मुह में रखकर स्वाद लेते हुए सो जाए या फिर मुलहठी के चूर्ण को पान के पत्ते में डाल कर इसका सेवन करने से गले को आराम मिलती है।

एक गिलास दूध में 4-6 तुलसी के पत्ते उबाल लें। गुनगुना होने पर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। लाभ मिलेगा।

इन चीजों का परहेज करे – Tonsils ka Ilaj

टांसिल्स की समस्‍या है तो बिना नमक की उबली हुई सब्ज़ियों का प्रयोग करना चाहिए। मिर्च-मसाला, तेल, खट्टी व ठंडी चीज़ों के सेवन से परहेज़ करना चाहिए, साथ ही धूम्रपान से भी परहेज करे। कुछ खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं। खांसने और छींकने के बाद हाथों को धोएं। इसके आलावा साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

डॉक्टर से कब मिले – Tonsils ke Liye Dosctor se Mile 

अगर नमक के गरारे और एंटीबॉयोटिक्स के सेवन से भी टॉन्सिल की बीमारी में आराम नही मिल रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह ले। ऐसे तो टॉन्सिल्स में हुआ इंफेक्शन अपने आप ठीक होने लगता है लेकिन अगर दर्द व अन्य लक्षण तीन दिन से ज्यादा बने रहें तो बेहतर होगा कि आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।


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