हैजा होने का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार | Cholera In Hindi | Haija Ka Ilaj

Cholera in Hindi / हैजा एक संक्रामक बीमारी (infectious disease) है, जो आंतों को प्रभावित करती है और जिसमें पानी की तरह पतले दस्त लग जाते हैं। फिर रोगी को बुखार चढ़ जाता है। पेट तथा अंतड़ियो में ऐठन बेचैनी महसूस होती है। असाध्य हैजा में पेशाब रुक जाता है, सांस टूटने लगती है, प्यास के कारण गले में कांटे से युग आते हैं, हाथ पैर ठंडे पड़ जाते हैं तथा रोगी अनाप-सनाप बकने लगता है। जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

हैजा होने का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार | Cholera In Hindi | Haija Ka Ilaj

हैजा क्या है – What is Cholera in Hindi / Logintohealth

हैजा कोलेरी नामक जीवाणु से दूषित भोजन या पीने के पानी के कारण होता है। अक्सर लोग शुरुआत में हैजा (Cholera) के लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं जिसकी वजह यह समस्या गंभीर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों में भी इस रोग के होने की आशंका ज्यादा रहती है क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। हैजा में व्यक्ति के शरीर से पानी के साथ कई जरूरी लवण, सोडियम और पोटेशियम आदि भी निकल जाते हैं, जिससे व्यक्ति के शरीर का रक्त अम्लीय हो जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

हैजा की आषौधिया घर में पहले से तैयार रखनी चाहिए। प्रारंभ में ही रोगी को दस्त बंद करने वाली दवा नहीं देनी चाहिए। रोगी के शरीर को गरम रखना चाहिए। पेशाब कराने के लिए पेडू पर हींग का लेप करें और ओटाई हुए पानी में पुदीना मिलाकर घुट घुट करके जल दे। वमन रोकने के लिए पेट पर राई का लेप करें। घर में उपचार में लगे दूसरे लोगों को कपूर अपने हाथों में रखना चाहिए और उसे सूंघते रहना चाहिए। लोबान का दुआ घर में कर दे। हैजे के रोगी को देखकर घबराना नहीं चाहिए।

कैसे फैलता है हैजा – Causes Of Cholera In Hindi

संक्रमित आहार या पानी पीने से हैजा के बैक्टेरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसक बाद यह बैक्टेरिया तेजी से आंतो पर हमला करते हैं जिससे पतले दस्त व उल्टी की समस्या शुरु हो जाती है। शेलफिश द्वारा खाए जाने वाले कच्चे पदार्थ भी हैजा के स्रोत हो सकते हैं। सीवेज के साथ प्रदूषित पानी में पकड़े गए कच्चे या अधपकी मछली और समुद्री भोजन के कारण भी हैजा होने का खतरा रहता हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे O ब्लड ग्रुप के लोग अन्य रक्त प्रकार वाले लोगों की तुलना में हैज़ा के प्रति दोगुना ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।

यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बीमार होने का कोई खतरा नहीं होता। हैजा का इंफेक्शन होने पर 3 से 6 घंटे में रोगी को बार-बार उल्टियां व दस्त लगने लगते हैं। कोई इलाज ना लेने पर धीरे-धीरे यह समस्या घातक रूप ले लेती है और रोगी का ब्लड प्रेशर कम होन लगता है।

हैजा फैलने के तीन काल होते हैं –

1. इनक्यूबेशन पीरियड- 

यह समय कुछ घंटों से 5 दिन तक का होता है लेकिन आम तौर पर एक से दो दिनों का ही होता है।

2. इनफेक्टिव पीरियड- 

जब तक रोगी पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तथा बैक्टीरिया से मुक्त नहीं होता तब तक इनफेक्टिव पीरियड होता है।

3. इम्यूनाइजेशन- 

इसके तहत हैजा के संक्रमण से बचने के लिए टीका लगाया जाता है। एक बार टीका लगने से 3 से 6 महीने तक संक्रमण से बचाव हो जाता है।

हैजा होने का लक्षण – Symptoms Of Cholera in Hindi

  • हैजे के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में हो जाते हैं तो वहां विष पैदा करते हैं, यह विष रक्त द्वारा शरीर के अन्य भागों में जाता है और रोग बढ़ता है।
  • इस रोग में जबरदस्त उलटियां व दस्त होते हैं। कई बार उलटी नहीं भी होती है और जी मिचलाता है व उलटी होने जैसा प्रतीत होता है।
  • उलटी में पानी बहुत अधिक होता है, यह उलटी सफेद रंग की होती है। कुछ भी खाया नहीं कि उलटी में निकल जाता है।
  • उलटी के साथ ही पतले दस्त लग जाते हैं और ये होते ही रहते हैं, शरीर का सारा पानी इन दस्तों में निकल जाता है। इस बीमारी में बुखार नहीं आता, बस रोगी निढाल, थका-थका सा कमजोर व शक्तिहीन हो जाता है।
  • इस रोग में प्यास ज्यादा लगती है, पल्स मंद पड़ जाती है, यूरिन कम आता है व बेहोशी तारी होने लगती है।
  • हैजा होने पर रोगी के हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं।
  • हैजे की शुरुआत होने पर रोगी की सांस टूटने लगती है.
  • पेशाब (यूरीन) में समस्या होती है और पीले रंग का होता है.
  • रोगी की नाडी तेज चलने लगती है और कमजोर रहती है.
  • हैजा में ज्यादा बुखार नहीं होता, जैसा कि दूसरे इन्फेक्शन में होता है ।
  • हैजा में रोगी की हृदय गति बढ़ जाती है।

हैजा का घरेलु आयुर्वेदिक इलाज – Home Remedies For Cholera in Hindi

 पुदीना हैजे की रामबाण औषधि है। हैजा होने पर पुदीने का अर्क रोगी को तत्काल देना चाहिए।

 हैजा होने पर लहसुन का उबला पानी रोगी को देने से तत्काल आराम मिलता है।

 नींबू के रस में कच्ची हल्दी की जड़ें 2 घंटे के लिए भिगा कर रखें और बाद में पीसकर एक कंटेनर में रख लें। एक कप पानी में इस पेस्ट की कुछ मात्रा को पानी और शहद मिलाकर पीएं।

 हैजा होने पर प्याज का रस हल्का गर्म करके दो तीन बार पिलाए और राइ पीसकर पेट पर लेप करें। इससे पेट का दर्द मरोड़ खत्म हो जाता है तथा हैजे की सभी कीटाणु मर जाते हैं।

 चार-पांच टोले कपूर, केले की जड़ के पानी में खरल करके सुखा लें। अब उसे अजवाइन के अर्क में खरल करके सुखाए। फिर छ माशे कपूर एक साथ सीसी में लेकर उसमें छ: माशे अजवाइन का सत और छ: माशे पिपरमिंट के फूल डाल दे। उसके बाद सीसी बंद करके रख दे। थोड़ी देर में सभी चीजें गलकर पानी हो जाएगी। इस अर्क का 4-5 बूंदे लेने से हैजा और अजीर्ण नष्ट हो जाता है।

 बेल का गुदा, सोंठ और जायफल का काढ़ा पिलाने से हैजे के रोगी को आराम मिलता है।

 यदि गर्मी के मौसम में हैजा हो जाए तो इलायची के बीज, कासनी व धनिया 4-4 माशे और गुलकंद एक तोला- सभी को छानकर रोगी को पिलाएं। जल्द ही आराम मिलेगा।

 सर्दी के मौसम में हैजा होने पर उत्तम हींग एक तोला, लाल मिर्च एक तोला, उत्तम अफीम छ: माशे और कपूर छ: माशे- चारों को कूट-पीसकर थोड़े में पुराने गुड़ में मिलाकर चने के आकार का गोलिया बना ले। वयस्क को छह से आठ और बालक को चार गोलिया देना चाहिए। अगर यह दवा उल्टी के रास्ते बाहर निकल जाए तो फिर उसे आधा आधा घंटे बाद तब तक देते रहे, जब तक रोगी ठीक ना हो जाए।

 मदार की जड़ की छाल दो तोला एवं अदरक का रस दो तोला – दोनों को खरल में डालकर घोट लें। फिर रत्ती रत्ती भर की गोलिया बनाकर छाया में सुखा लें। यह हैजे की रामबाण औषधि है। इसे रोगी को आधा आधा घंटे के अंतराल से पानी के घूंट से निगलना चाहिए।

 सौंफ एक तोला, पुदीना आठ माशे, लॉन्ग चार दाने और गुलकंद दो तोलें- इन्हें औटाकर रोगी को पिलाने से हैजा शांत होता है।

 प्याज और काली मिर्च को पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे दिन में तीन बार एक हफ्ते के लिए खाएं।

 एक तोला छोटी इलायची के छिलके को दो तोले गुलाब जल में घोटकर पिला दे। गुलाब जल ना मिले तो आधा किलो पानी में औताए। जब तक जल आधा रह जाए तो उतार कर छान लें और रोगी को घुट घुट कर के थोड़ी देर बाद पिलाएं। यह हैजे की प्यास कम करेगा।

 तीन माशे पेठे के फूल को 5 तोले पानी में पीसकर हैजे के रोगी को पिलाने से शीघ्र आराम मिलता है।

 जब हैजे के आसार हो तो रोगी को बिना झिझक अपना पेशाब पी जाना चाहिए। यह उपाय उस समय के लिए रामबाण है जब किसी भी दवा का प्रबंध ना हो।

 पुदीने की तीन पत्ती, काली मिर्च के 3 दाने, काला नमक-1 माशा, छोटी इलायची भूमि हुई दो दाने और इमली कच्ची या पक्की एक माशा – इन सब को पानी के साथ पीसकर महीन चटनी बनाकर हैजे के रोगी को चटाएं। तत्काल आराम मिलेगा उसे पेशाब भी आने लगेगा।

 पपीते को जल या गुलाब जल में घिसकर चटाने से हैजे का खात्मा हो जाता है।

 अदरक को कद्दूकस करके शहद के साथ मिलाकर खाएं। यदि शौच में खून के धब्बे आ रहे हों तो अदरक न खाएं।

 सफेद जीरा एक तोला और जायफल एक तोला – दोनों को सील पर महीन पीस ले। फिर आधा किलो साफ जल में इसे गोलकर छान ले और हैजे के रोगी को रुक रुककर दिन में चार पांच बार पिलाएं। यह हैजा का रामबान नुस्का है।

 कपूर चार रक्ती हुए सौंठ का चूर्ण तीन माशे – इन दोनों को अच्छी तरह खरल करके इस दवा के आठ भाग करे। आधा-आधा घंटे में इसकी एक-एक खुराक हैजे के रोगी को ताजे जल में खिलाफ। शीघ्र ही लाभ होगा।

 पेय पदार्थ की मात्रा बढ़ायें। पानी, नींबू पानी, छाछ आदि पीते रहें।

इन बातों का ख्याल जरूर रखे – Haija ka Gharelu Upchar

  • हैजा का इलाज करने से पहले रोगी को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना हाहिए। हैजा अकसर साफ-सफाई की कमी के कारण भी फैलता है।
  • दूषित भोजन, पानी या किसी अन्य खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल न करें, और साथ ही बासी भोजन भी न करे।
  • प्रत्येक खाद्य पदार्थ और पानी को हमेशा ढक कर रखें।
  • यदि व्यक्ति के दस्त और उल्टी न रूक रहे हों, तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं।
  • प्रत्येक व्यक्ति को हैजा (Haija) से संबंधित टीका जरूर लगवाना चाहिए।
  • पानी में फिनाइल डालकर फर्श को साफ करें, ऐसा करने से कीटाणु मर जाते हैं।
  • खट्टे फलों जैसे नीम्बू, संतरा आदि का उपभोग करें ये बैक्टीरिया को जल्द ही ख़तम करने में सहायक होते हैं। शरीर में तरल पदार्थों की कमी को पूरा करने के लिए सादा पानी, सोडा या नारियल पानी पीना चाहिए।

हैजा का डॉक्टरी इलाज – Cholera Treatment in Hindi

हैजे की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं जो रोग की अवधि कम करती हैं और इसे फैलने से रोकती है। हैजा का एक वैक्सीन भी है, जो कि छह माह तक ही क्रियाशील रहता है। रोग की संभावना होते ही तुरंत डॉक्टर से संपंर्क करें। डॉक्टर सलाइन चढ़ाकर, एंटीबायोटिक दवाएं देकर रोग को बढ़ने से रोक सकता है। इसके अलावा नमक-शकर-पानी का घोल पिलाया जाता है या बना बनाया इलेक्ट्रोलाइट पिलाकर रोगी को लवणों की पूर्ति की जाती है। रोगी की हालत गंभीर हो तो रक्त शिरा में इंजेक्शन देकर तुरंत आराम पहुंचाने की कोशिश की जाती है।


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