वरुण ग्रह ‘नॅप्चयून’ की जानकारी, तथ्य Neptune Planet Information in Hindi

Neptune Planet / वरुण या नॅप्चयून हमारे सौर मण्डल में सूर्य से आठवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का चौथा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर तीसरा बड़ा ग्रह है। इसकी खोज 1846 ई. में जर्मन खगोलज्ञ जॉन गले और अर्बर ले वेरिअर ने की है। यह 166 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है तथा 12.7 घंटे में अपनी दैनिक गति पूरा करता है। यह हरे रंग का है। इस ठन्डे ग्रह में बर्फ़ कि मात्रा अधिक है इसलिए इसे बर्फ-दानव भी कहते हैं। इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है। इसके 8 उपग्रह हैं, जिनमें टाइटन प्रमुख है।

वरुण ग्रह (नॅप्चयून) की जानकारी, तथ्य Neptune Planet Information in HindiNeptune Planet Profile – नेपच्यून ग्रह की रूपरेखा

Equatorial Diameter: 49,528 km
Polar Diameter: 48,682 km
Mass: 1.02 × 10^26 kg (17 Earths)
Moons: 14 (Triton)
Rings:5Orbit Distance: 4,498,396,441 km (30.10 AU)Orbit Period:60,190 days (164.8 years)
Effective Temperature:– 214 °CDiscovery Date:September 23rd 1846
Discovered By: Urbain Le Verrier & Johann Galle
Average Distance from Sun :- 4.5 billion (अरब) km

वरुण ग्रह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Neptune Planet Information in Hindi

वरुण का द्रव्यमान पृथ्वी से 17 गुना अधिक है और अपने पड़ोसी ग्रह अरुण (यूररेनस) से थोड़ा अधिक है। खगोलीय इकाई का हिसाब से वरुण का कक्षा सूरज से 30.1 बीएई की औसत दूरी पर है, अर्थात् वरुण पृथ्वी की मुक़बले में सूरज से लगभग तीस गुना अधिक दूर है। वरुण ग्रह का एक साल हमारी पृथ्वी के 165 साल के बराबर है।

हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। वरुण इनमे से एक है – बाकी तीन बृहस्पति, शनि और अरुण (युरेनस) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है – पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को “बर्फ़ीले गैस दानव” नाम की श्रेणी में डाल देते हैं।

जहाँ अरुण ग्रह सिर्फ एक गोले का रूप दिखता है जिसपर कोई निशान या धब्बे नहीं हैं, वहाँ वरुण पर बादल, तूफ़ान और मौसम का बदलाव साफ़ नज़र आता है। माना जाता है कि वरुण पर तूफानी हवा सौर मंडल के किसी भी ग्रह से अधिक तेज़ चलती है और 2,100 किलोमीटर प्रति घंटे की गतियाँ देखी गई हैं। जब 1989 में वायजेर द्वितीय यान वरुण के पास से गुज़रा तो वरुन पर एक “बड़ा गढ़ा धब्बा” नज़र आ रहा था, जिसकी तुलना बृहस्पति की “बड़ी लाल धब्बे” से की गई है। क्योंकि वरुण सूरज से इतना दूर है, इसलिए उसका ऊपरी वायुमंडल बहुत ही शांत है और वहां का तापमान -128 डिग्री सेंटीग्रेड (55 केल्विन) तक गिर सकता है। इसके बड़े अकार की वजह से इस ग्रह के केंद्र में इसके गुरुत्वाकर्षण के भयंकर दबाव से तापमान 5,000 °सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। वरुण के इर्द-गिर्द कुछ छितरे-से उपग्रही छल्ले भी हैं जिन्हें वॉयेजर द्वितीय ने देखा था। वरुण का हल्का नीला रंग अपने ऊपरी वातावरण में मौजूद मीथेन गैस से आता है।

वैज्ञानिक के अनुसार नेपेचुन पर भारी मात्रा में मिथेन है जो कि इसके Atmospheric Pressure के कारण वातावरण में हीरे में बदल जाता होगा। यही हीरा फिर बादलो के रूप में आकार के इस ग्रह पर बरसता है और इसी बरसने के कारण से हीरे में गजब का फ्रिक्सन होता है जिससे काफी उर्जा निकलती है। इसी हीरों की वर्षा की वजह से यह ग्रह सूर्य की प्राप्त हीट से दोगूना हीट खुद में से अंतरिक्ष में छोड़ता है।

वरुण ग्रह का इतिहास – Neptune Planet History in Hindi

वरुण पहला ग्रह था जिसकी अस्तित्व की भविष्यवाणी उसे बिना कभी देखे ही गणित के अध्ययन से की गयी थी और जिसे फिर उस आधार पर खोजा गया। यह तब हुआ जब अरुण की परिक्रमा में कुछ अजीब गड़बड़ी पायी गयी जिनका अर्थ केवल यही हो सकता था के एक अज्ञात पड़ौसी ग्रह उसपर अपना गुरुत्वाकर्षक प्रभाव डाल रहा है।

खगोल में खोजबीन करने के बाद यह अज्ञात ग्रह 23 सितंबर 1846 को पहली दफ़ा दूरबीन से देखा गया और इसका नाम “नॅप्टयून” रख दिया गया। “नॅप्टयून” प्राचीन रोमन धर्म में समुद्र के देवता थे, जो स्थान प्राचीन भारत में “वरुण” देवता का रहा है, इसलिए इस ग्रह को हिन्दी में वरुण कहा जाता है। रोमन धर्म में नॅप्टयून के हाथ में त्रिशूल होता था इसलिए वरुण का खगोलशास्त्रिय चिन्ह ♆ है।

वायेजर – 2 नामक अंतरीक्ष यान को अमेरिका ने सन 1977 को भेजा था और सन 1989 में यह अंतरीक्ष यान वरुण ग्रह की सतह में पहुंचा था जिसने वरुण ग्रह के छल्ले और उपग्रह के बारे में जानकारी दी थी। साथ इस इस अंतरीक्ष यान की वजह से वरुण ग्रह के वातावरण के बारे में भी काफी जानकारी हांसिल हुई थी।

वरुण ग्रह से जुड़े कुछ रोचक तथ्य – Neptune Facts in Hindi

1). वरुण ग्रह के भी Saturn Planet यानी की शनी ग्रह की तरह छल्ले है। फ़िलहाल वरुण ग्रह के पास 5 ज्ञात छल्ले और 14 उपग्रह है। उपग्रह में ट्राईटन (Triton) सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है। यदि युरेनस के सभी उपग्रहों के द्रव्यमान को जोड़ दिया जाए तो वह ट्राईट के द्रव्यमान के आधे से भी कम होगा। ट्राईटन सौर मंडल का सांतवा सबसे बड़ा उपग्रह है। यह मुख्यत नाईट्रोजन से बना हुआ है और सौर मंडल की सबसे ठंडी जगहों में से एक है।

2). वरुण हमारी पृथ्वी से इतना दुरी पर स्थित है की नंगी आँखों से देखने मुश्किल है, और दिखाई देता है तो भी एक टीमटिमाते तारे की तरह दीखता है जिसकी वजह से प्राचीन लोग इस ग्रह के बारे में पता नहीं लगा पाए होंगे।

3). नेपच्यून में एक अद्वितीय मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है यह धरती से 27 गुना मजबूत है। यह अन्य ग्रहों की तुलना में विशेष है क्योंकि यह ग्रह के axis के अनुरूप नहीं है और यह 47 डिग्री कोण पर झूका है। यह ग्रह बर्फ और गेस से बनी किसी गेंद की तरह है जिस पर यदी हम खड़े रहेने की कोसिस करेगे तो सीधे अन्दर चले जाएगे।

4). नेपच्यून की खोज यूरेनस की कक्षा को देखकर हुई थी। जब यह देखा गया कि यूरेनस जब सूर्य की परिक्रमा कर रहा है तो वह अपनी कक्षा में स्थिर नहीं है वहां पर किसी और वस्तु के ग्रेविटी का प्रभाव है। वैज्ञानिकों ने इसी के आधार पर बाद में नेपच्यून की खोज की थी।

5). इस ग्रह को गैलीलीयो ने जब बृहस्पति का अध्ययन कर रहे थे तो उन्होंने नेप्च्यून को बृहस्पति के पास देखा था जिसे उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए चित्रों में अंकित किया। उन्होंने दो रातों तक नेप्च्यून को एक तारे के संदर्भ में अपना स्थान बदलते हुए देखा, परंतु बाद की रातों में नेप्च्यून गैलीलीयो की दूरबीन के दृश्यपटल से दूर चला गया। यहां पर ध्यान रखने वाली बात है कि आकाश में केवल तारे गति करते नज़र नही आते केवल ग्रह, उपग्रह और उल्का आदि ही गति करते नज़र आते हैं। यदि गैलीलीयो ने पहले की कुछ रातों को नेप्च्यून को देखा होता तो उन्हें इसकी गति नज़र आ जाती और इस ग्रह की खोज का श्रेय गैलीलीयो को मिलता।

– Varun grah ki Khoj aur Rochak Tathy in Hindi


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