बच्चों की पसली चलना घरेलु उपचार | Pasli Chalna in Hindi

Bachho ka Pasli Chalna in Hindi – बच्चो की पसली चलना एक आम समस्या हैं जो मौसम के बदलाव के कारण होता हैं ये अक्सर सर्दी के मौसम में अधिक पाए जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार नवजात बच्चों का स्वास्थ्य माता के भोजन पर निर्भर करता है। यदि किसी तरह से मां रोगी है तो बच्चा भी बीमार होता रहेगा क्योंकि बच्चा मां के दूध का ही सेवन करता है। इसलिए बच्चे को रोग होने पर उसका इलाज करने के साथ-साथ मां का इलाज करना भी जरूरी है। बच्चों को सर्दी लग जाने के कारण उनकी पसली चलने लग जाती है। इस रोग में बच्चों को छीक आती रहती हैं व नाक बहने लगती है तथा सांस तेज चलने लगती है। बच्चा रोता रहता है तथा चुप कराने पर भी आसानी से चुप नहीं होता। यह समस्या अक्सर छोटे बच्चों में दिखायी देती है। इसका घरेलु इलाज निम्नलिखित हैं…

बच्चों की पसली चलना घरेलु उपचार | Pasli Chalna in Hindi

बच्चो में पसली चलना के लक्षण – Pasli Chalna ke Lakshan

  • बार-बार बुखार आता-जाता हैं।
  • बच्चा श्‍वास लेता है तो पसली तेज चलती है।
  • श्‍वास लेने में कठिनाई होने।
  • आमाशय से मुंह तथा पसलियों के बीच में गड्ढा पड़ा दिखाई देता है।
  • नाक की नथनों से श्‍वास तेजी से बाहर निकलती है।

बच्चों की पसली चलना घरेलु आयुर्वेदिक उपचार – Bacho ki Pasli Chalne ka Ilaj

भूमि पीपली का जरा सा चूर्ण शहद में मिलाकर बच्चों को देने से पसली चलने में लाभ होता है। उसका लेप भी पसलियों पर किया जा सकता है।

बच्चे के पेट में अरंडी के तेल की मालिश करके ऊपर से बकायन की पत्ती गरम करके बांधने से पसली का चलना रुक जाता है।

सरसो का तेल गर्म करके उसमें थोड़ा सा नमक डाल कर उतार ले। इस तेल को ठंडा करके शीशी में रख ले। पसली के चलने या दर्द होने पर इसकी मालिश करने से शीघ्र ही लाभ होता है।

गर्म पानी से दर्द की सेंकाई करने पर भी पसली दर्द ठीक हो जाता है।

मुनक्का एक दाना, काकड़ासिंगी तीन रत्ती, आधा रत्ती दालचीनी मिलाकर शुद्ध शहद के साथ बालक को चटाने से खांसी में काफी लाभ होता है व पसली चलना भी रुक जाता है। (एक रत्ती = ०.12 ग्राम )

बेल की जड़, छाल, पत्ते, नागरमोथा, त्रिफला और कटेरी की पांच-पांच ग्राम मात्रा लेकर 100 ग्राम पानी में काढ़ा तैयार कर लें। काढ़ा तैयार करते समय पानी को अच्छी तरह उबालें। थोड़ा सा गुड़ मिलाकर एक चम्मच काढ़ा दस-दस मिनट के अंतराल से बच्चे को पिलाते रहें। इससे बच्चे को काफी आराम मिलेगा।

बच्चे की पसली चलने लगे तो उसे ठीक करने के लिए शुद्ध दूध तथा फलों का रस बच्चे को चम्मच से पिलाना चाहिए तथा इसके बाद बच्चे के पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए।

देशी घी में अजवायन को हल्का गर्म करके उससे बच्चे की छाती पर मालिश करनी चाहिए। इससे बच्चे की पसली चलना बंद हो जाती है।

अगर बच्चे की पसली चल रही है, तो दूध में तीन चार तुलसी की पत्तियां और एक लौंग उबाल लें। उबालने के बाद दूध को गुनगुना कर लें और उसे पिलाएं। तुलसी और लौंग वाला ये दूध बच्चे को पिलाने से पसली चलने में राहत मिलती है।


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