पाचनक्रिया (पाचन करने वाली अग्नि) का मंद हो जाना ही मंदाग्नि कहलाता है। साधारण भाषा में कहे तो, इस अवस्था में अग्नि की तीव्रता बहुत कम होती है. इसलिए अगर आप कम मात्रा में भी भोजन करते हैं तो वह ठीक से पचता नहीं है। इसमे अरुचि कभी कब्ज तो कभी दस्त, सुस्ती, पेट मे गैस बनना, डकारें आना आदि। मंदाग्नि को नष्ट करने वाले कुछ चूर्ण का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं। इनके सेवन से भूख बढ़ती है अपच, अजीर्ण तथा वायु विकार नष्ट होता है।
Mandagni Ayurvedik Churn in Hindi
हिंग्वाष्टक चूर्ण – सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, सेंधा नमक, सफेद जीरा, काला जीरा और अजमोद – सभी को समान भाग में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में आठवां भाग हींग भूनकर मिलाए। यह ‘हिंग्वाष्टक चूर्ण’ कहलाता हैं। जो भूख बढ़ाने की रामबाण औषधि है। भोजन के पहले ग्रास में इस चूर्ण की एक मात्रा में जरा-सा गरम घी मिलाकर खा लें। चूर्ण की मात्रा तीन-चार माशे तक रखे।
हिंगवास्टक चूर्ण गैस के लिए बहुत ही कारगर शास्त्रीय आयुर्वेदिक दवा है जिसका इस्तेमाल आम आदमी आसानी से बना कर कर सकता है।
बड़वानल चूर्ण – सेंधा नमक एक तोला, पीपल तीन तोला, पीपरामूल दो तोला, चव्य चार तोला, चीते की छाल पांच तोला, सौंठ छ: तोला और जंगी हरड़ सात तोला – इन सभी को कूट-पीसकर छान लें, भूख बढ़ाने के लिए या उत्तम चूर्ण।
लवणभास्कर चूर्ण – पीपल, पीपरामूल, धनिया, काला जीरा, सेंधा नमक, विरिया संचार नमक, तेजपात, तालीसपत्र, नागकेसर आठ-आठ तोला: काला नमक बिस तोला, काली मिर्च बिस तोला, जीरा चार तोला, सौंठ चार तोला, दालचीनी दो तोला, बड़ी इलायची के बीज दो तोला, सांभर नमक 32 तोला, अनारदाना सुखा 16 तोला और अम्लवेत आठ तोला – इन सभी को कूट-पीसकर छान ले। यह चूर्ण पेट के सभी रोगों की रामबाण औषधि।
रात को खाना खाने के बाद इसे गर्म पानी से लेने पर कब्ज में राहत मिलती है और सुबह दस्त साफ़ होता है। यदि इस चूर्ण बराबर मात्रा में पंचसकार चूर्ण को मिलाकर लिया जाय तो सुबह पेट पूरी तरह साफ हो जाता है।