बिवाइयां पैरों की मोटी त्वचा पर होती हैं और ये अधिकतर एड़ियों व तलुवों पर होती हैं। इस लिए इसे एड़ी फटना (Edi Fatne ke Upay) भी कहते हैं। इस रोग के कारण रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस रोग के कारण एड़ी तथा तलुवों के रोगग्रस्त भाग पर बहुत अधिक जलन तथा दर्द होता है। नंगे पांव घूमने-फिरने व गीले पर अधिक समय रहने से पांवों में बिवाइयों की विकृति होती है।
बिवाइयां होने का कारण –
- यह रोग उन व्यक्तियों को होता है जिनके पैरों के रक्त संचालन वाहिकाओं में कोई दोष उत्पन्न हो जाता है।
- शीत ऋतु में शीतल वायु के स्पर्श से पांवों में बिवाइयों की विकृति अधिक होती है।
- शरीर के खून में दूषित द्रव उत्पन्न हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
- पैरों की त्वचा में किसी तरह की खराबी आ जाने के कारण भी बिवाइयां रोग हो सकता है।
- कुछ स्त्रियां बाथरूम में नंगे पांव देर तक कपड़े धोती हैं या घर में फर्श की सफाई करती हैं। ऐसा करने से अधिक समय तक पांव भीगे रहने से बिवाइयां फटती हैं।
बिवाइयां होने का लक्षण –
यह रोग पांवों के पंजों में होता है। इसमें सबसे पहले एड़ियों व उसके आसपास की त्वचा में छोटी-छोटी दरारें पैदा हो जाती हैं, जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती हैं तथा उनसे रक्त निकलने लगता है। रोग की गंभीर अवस्था में रोगी का पैदल चलना मुश्किल हो जाता है तथा बिवाई में दर्द होने लगता है।
बिवाइयां का घरेलु आयुर्वेदिक इलाज – Crack Heels Ayurvedic Treatment in Hindi
⇒ सरसों के तेल में हल्दी डालकर गर्म करें और बिवाइयों पर सेंक करके उसे बांध दे। बिवाइयां दूर हो जाएगी।
⇒ मोम गर्म करके बिवाइयां में धीरे-धीरे भरने से बिवाइयां फटनी बंद हो जाती है।
⇒ नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से बिवाइयां में लाभ होता है।
⇒ ग्लिसरीन, नींबू, गुलाब जल व खीरा पीसकर बिवाइयों पर लगाएं।
⇒ मिट्टी का तेल लगाने से बिवाई फटना बंद हो जाती है।
⇒ उष्ण जल में जैतून के तेल की कुछ बूंदें डालकर, उसमें पांवों को 10-15 मिनट तक रखें।
⇒ हल्दी का चूर्ण कच्चे दूध में मिलाकर गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से बिवाइयां नष्ट होती हैं।
⇒ बिवाई वाले भाग को नमक मिले गुनगुने पानी से धोकर फिर उस पर लाल रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए तथा उस भाग पर कम से कम 15 मिनट तक मालिश करनी चाहिए। रोगी व्यक्ति को बिवाई वाले भाग पर कम से कम 3 बार मालिश करनी चाहिए।
⇒ शलगम को उबालकर उसको पानी से बिवाइयों को आहिस्ता-आहिस्ता धोएं, फिर बिवाइयों पर शलगम को रगड़े। यह उपचार रात्रि के समय करके बिवाइयों पर कपड़ा लपेट दें या पट्टी बांध दें। इससे बिवाइयां ठीक हो जाती हैं तथा सुकोमल व सुंदर हो एड़ियां निखर जाती हैं
⇒ इस रोग से पीड़ित रोगी को फलों का अधिक सेवन करना चाहिए तथा दूध और मट्ठे का सेवन करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को बिवाई वाले भाग को नमक मिले गुनगुने पानी से धोना चाहिए और फिर चालमोगरे के तेल को उस पर लगाना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।