बलूचिस्तान का इतिहास, विवाद के कारण | Balochistan History in Hindi

Balochistan, Pakistan / बलूचिस्तान, पाकिस्तान के पश्चिमी इलाका में स्थित एक प्रांत है। बलूचिस्तान की सिमा ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहाँ की राजधानी क्वेटा है। 1948 में कलात के स्वायत्तशासी बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी कब्जे के बाद से ही यहां आजादी के लिए लगातार विद्रोह होते रहे हैं। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है।

बलूचिस्तान का इतिहास, विवाद के कारण | Balochistan History in Hindi

बलूचिस्तान, पकिस्तान की जानकारी – Balochistan, Pakistan in Hindi 

यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, जिसके पास पाकिस्तान के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 44% हिस्सा है। लेकिन यहां आबादी सबसे कम है. बलूच बहुसंख्यक हैं, पश्तून भी मौजूद हैं। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है, लेकिन खनिजों के मामले में ये काफी रईस है। यहां ग्वादर बंदरगाह है, जो पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। बलूचिस्तान चीन के 46 अरब डॉलर की निवेश योजना का अहम हिस्सा है।

पाकिस्तान में सबसे ज्‍़यादा गरीबी दर, नवजात और महिलाओं की मृत्यु दर, सबसे कम साक्षरता दर बलूचिस्तान में है, जो हालात का अंदाज़ा देती हैं। यहां विकास नहीं पहुंचा है, ऐसे में बुनियादी सुविधाओं की भी ख़ासी कमी है। पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बलूचिस्तान की हिस्सेदारी महज़ 3.7% है।

1944 में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर 1947 में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। अभी यह राज्य पाकिस्तान और ईरान के बीच बंटा है। पाकिस्तानी के हिस्से वाले बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा है। यहां होने वाले विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान लगातार सैन्य अभियान चलाता रहा है। 1948, 1958-59, 1962-63 और 1973-77 में ये अभियान चलाए।

बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराने की मांग लगातार उठती रही है। आजादी के लिए कई हथियारबंद अलगाववादी समूह बलूचिस्तान में सक्रिय हैं। इनमें प्रमुख हैं बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और लश्कर-ए-बलूचिस्तान। पाकिस्तानी सरकार पर लगातार बलूच आंदोलन को योजनाबद्ध ढंग से दबाने और बलूचियों की मांग को दरकिनार करने के आरोप लगते रहे हैं। यहां 5 बार हुए विद्रोह में हजारों बलूच देशभक्त और पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके हैं।

बलूचिस्तान का इतिहास, विवाद के कारण | Balochistan History in Hindi

बलूचिस्तान का इतिहास – Balochistan History in Hindi

आज़ादी से पहले चार रियासतों से मिलकर बलूचिस्तान बना था। मकरन, खरन और लासबेला साल 1947 में पाकिस्तान के साथ चले गए। कलत के खनत ने आज़ादी चुनी, लेकिन मार्च 1948 में पाकिस्तान ने उस पर हमला बोल दिया। बलूचों ने 1948 में ही पाकिस्तान के खिलाफ हथियार उठा लिए थे, लेकिन 2003 से वहां स्वायत्तता की मांग को लेकर आंदोलन ने ज्‍़यादा ज़ोर पकड़ा।

बलूचिस्तान का इतिहास भी भारत के इतिहास से जुड़ा हैं। अफ़ग़ानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान सभी भारत के हिस्से थे। बलूचिस्तान आर्यों की प्राचीन धरती आर्यावर्त का एक हिस्सा है। भारत का प्राचीन इतिहास कहता है कि अफगानी, बलूच, पख्तून, पंजाबी, कश्मीरी आदि पश्‍चिम भारत के लोग पुरु वंश से संबंध रखते हैं अर्थात वे सभी पौरव हैं। पुरु वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए जिनके वंशज कौरव कहलाए। 7,200 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9,200 वर्ष पूर्व ययाति के इन पांचों पुत्रों में से पुरु का धरती के सबसे अधिक हिस्से पर राज था। बलूच भी मानते हैं कि हमारे इतिहास की शुरुआत 9 हजार वर्ष पूर्व हुई थी।

Balochistan – बलूचिस्तान भारत के 16 महाजनपदों में से एक जनपद संभवत: गांधार जनपद का हिस्सा था। चन्द्रगुप्त मौर्य का लगभग 321 ई.पू. का शासन पश्चिमोत्तर में अफ़ग़ानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला था। महाभारत में वर्णित लगभग 200 जनपद हैं, इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था। बलूचिस्तान में देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज माता का है। बलूचिस्तान की भूमि पर दुर्गम पहाड़ियों के बीच माता का मंदिर है जहां माता का सिर गिरा था। बलूचिस्तान में भगवान बुद्ध की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। यहां किसी काल में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था।

बलूचिस्तान पर अंग्रेज़ों का कब्ज़ा 

प्रथम अफगान युद्ध (1839-42) के बाद अंग्रेंजों ने इस क्षेत्र पर अधिकार जमा लिया। 1869 में अंग्रेजों ने कलात के खानों और बलूचिस्तान के सरदारों के बीच झगड़े की मध्यस्थता की। वर्ष 1876 में रॉबर्ट सैंडमेन को बलूचिस्तान का ब्रिटिश एजेंट नियुक्त किया गया और 1887 तक इसके ज्यादातर इलाके ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गए।

बलूचिस्तान पर पाकिस्तान का कब्ज़ा 

अंग्रेज़ों ने बलूचिस्तान को 4 रियासतों में बांट दिया- कलात, मकरान, लस बेला और खारन। 20वीं सदी में बलूचों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया। इसके लिए 1941 में राष्ट्रवादी संगठन अंजुमान-ए-इत्तेहाद-ए-बलूचिस्तान का गठन हुआ। कुछ समय बाद जब भारत आजाद हुवा तो उसी के साथ पाकिस्तान का भी जन्म हुवा। 14 और 15 अगस्त 1947 में भारत नहीं बल्कि एक ऐसा क्षेत्र आजाद हुआ जिसे बाद में पाकिस्तान और हिन्दुस्तान कहा गया। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के पहले बलूचिस्तान 11 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था।

आजादी से पहले बलूचिस्तान का पाकिस्तान के साथ विलय के लिए किसी भी प्रकार का करार पास नहीं हुआ था। तब यह समझाया गया था कि इस्लाम के नाम से बलूच पाकिस्तान के साथ विलय कर लें। लेकिन तब बलूचों ने यह यह मसला उठाया कि अफगानिस्तान और ईरान भी तो इस्लामिक मुल्क है तो उनके साथ क्यों नहीं विलय किया जाए? हम पाकिस्तान के साथ ही क्यों रहें, जबकि उनकी और हमारी भाषा, पहनावा और संस्कृति उनसे जुदा है।

अंत में यह निर्णय हुआ कि बलूच एक आजाद मुल्क बनेगा। कलात के खान ने बलूची जनमानस की नुमाइंदगी करते हुए बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय करने से साफ इंकार कर दिया था। यह पाकिस्तान के लिए असहनीय स्थिति थी। अंतत: पाकिस्तान ने सैनिक कार्रवाई कर जबरन बलूचिस्तान का विलय कर लिया। यह आमतौर से माना जाता है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने अंतिम स्वाधीन बलूच शासक मीर अहमद यार खान को पाकिस्तान में शामिल होने के समझौते पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया था।

बलूचिस्तान तभी से आजादी की लड़ाई लड़ रही हैं। पाकिस्तान ने स्थानीय बलूच नेताओं के प्रभाव को खत्म करने के लिए आम चुनावों में तालिबानियों की मदद भी की। आरोप है कि पाकिस्तान, बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर डाका डाल रहा है। पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान के प्राकृतिक गैस भंडार से मिलता है।

Balochistan – बलूचिस्तान का वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान, ईरान के दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान तथा बलूचिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत तक फैला हुआ है, लेकिन इसका अधिकांश इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है, जो पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा है। इसी इलाके में अधिकांश बलूच आबादी रहती है।


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