बांग्लादेश का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकारी | Bangladesh History in Hindi

Bangladesh / बांग्लादेश अधिकारिक रूप से पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ बांग्लादेश दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। जिसकी राजधानी ढाका हैं। यह देश बंगाल की खाड़ी के सर्वोच्च स्थान पर बना हुआ है, बांग्लादेश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बॉङ्गो या “বাংলা” बांग्ला है। 170 मिलियन की जनसँख्या के साथ, जनसँख्या की दृष्टी से बांग्लादेश दुनिया का आठवा सबसे बड़ा देश है, और एशिया में जनसँख्या की दृष्टी से पाँचवा सबसे बड़ा देश और सर्वाधिक मुस्लिम जनसँख्या की दृष्टी से तीसरा (भारत, पाकिस्तान के बाद ) सबसे बड़ा देश है। अधिकारिक बंगाली भाषा दुनिया में सातवी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जिसका उपयोग बांग्लादेश के साथ-साथ पडोसी राष्ट्र भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और आसाम में भी किया जाता है।

बांग्लादेश का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकारी | Bangladesh History Hindiबांग्लादेश देश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Bangladesh Information in Hindi

1947 में भारत के विभाजन के बाद बंगाल से कटकर पूर्वी पाकिस्तान बना। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। 26 मार्च को प्रत्येक वर्ष यह देश अपना स्वतन्त्रता दिवस मानता है। इस दिन यहाँ राष्ट्रीय अवकाश होता है। उल्लेखनीय है, कि 26 मार्च 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की गई है और मुक्ति युद्ध शुरू कर दिया गया था।

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्व के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी रचना को एक से अधिक देशों क्रमश: भारत और बांग्लादेश में राष्ट्रगान का दर्जा प्राप्त है। उनकी कविता ‘आमार सोनार बाँग्ला’ बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।

बांग्लादेश की राजनीति में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रधान होता है, जबकि प्रधानमंत्री देश का प्रशासनिक प्रमुख होता है। राष्ट्रपति को हर पाँच साल बाद चुना जाता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, प्रधानमंत्री ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है जो उस समय संसद का सदस्य हो और राष्ट्रपति को विश्वास दिलाये कि उसे संसद में बहुमत का समर्थन हासिल है। प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों की कैबिनेट गठित करता है जिसके नियुक्ति की मंजूरी राष्ट्रपति देता है।

बांग्लादेश की संसद को जातीय संसद कहा जाता है जिसके 300 सदस्य प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुनकर आते हैं और पाँच साल तक अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। देश की सबसे बड़ी वैधानिक संस्था बांग्लादेशी सर्वोच्च न्यायालय जिसके प्रधान न्यायाधीश और अन्य न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।

बांग्लादेश का अधिकतर हिस्सा समुद्र की सतह से बहुत कम ऊँचाई पर स्थित है। ज्यादातर हिस्सा भारतीय उपमहाद्वीप में नदियों के मुहाने पर स्थित है जो सुंदरवन के नाम से जाना जाता है। ये मुहाने गंगा (स्थानीय नाम पद्मा नदी), ब्रम्हपुत्र, यमुना और मेघना नदियों के हैं जो बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अवस्थित हैं जो ज्यादातर हिमालय से निकलती हैं। बांग्लादेश की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है लेकिन बाढ और अकाल दोनों से काफी प्रभावित होती रहती है। पहाड़ी क्षेत्र सिर्फ़ चिटागांग जिले में स्थित हैं जिसकी सबसे ऊँची चोटी केओक्रादांग 1,230 मीटर ऊँची है जो सिलहट मंडल के दक्षिण पूर्व में स्थित है।

बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक शक्तिशाली देश के रूप में देखा जाता है और साथ ही इसे नेक्स्ट एलेवेन में भी शामिल किया गया है। निर्वाचित संसद के साथ यह एकात्मक राज्य है जिसे जतियो संग्षद का नाम भी दिया गया है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दक्षिण एशिया में इसकी सैन्य शक्ति भारत और पाकिस्तान से थोड़ी कम है। बांग्लादेश SAARC (सार्क) का संस्थापक सदस्य और BIMSTEC का स्थायी सेक्रेटरी भी है।

यूनाइटेड स्टेट के शांति अभियान एम बांग्लादेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विकसनशील 8 देशो में बांग्लादेश का भी नाम है, साथ ही बांग्लादेश OIC, कामनवेल्थ ऑफ़ नेशन, वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन, G-77 और नेचुरल गैस और लाइमस्टोन का सदस्य भी है। बांग्लादेश में मुख्यतः चावल, जूट और चाय की खेती की जाती है। ऐतिहासिक रूप से यह मलमल और रेशम के लिये भी प्रसिद्ध है, आधुनिक बांग्लादेश दुनिया के प्रमुख टेक्सटाइल उत्पादक देशो में से एक है। इसके प्रमुख्य व्यापर सहयोगियों में यूरोपियन संघ, यूनाइटेड स्टेट, जापान और आस-पास के देशो में चाइना, सिंगापूर, मलेशिया और भारत का समावेश है।

बांग्लादेश का इतिहास  – Bangladesh History in Hindi

बांग्लादेश में सभ्यता का इतिहास काफी पुराना रहा है। आज के भारत का अंधिकांश पूर्वी क्षेत्र कभी बंगाल के नाम से जाना जाता था। बौद्ध ग्रंथो के अनुसार इस क्षेत्र में आधुनिक सभ्यता की शुरुआत ७०० इसवी इसा पू. में आरंभ हुआ माना जाता है। यहाँ की प्रारंभिक सभ्यता पर बौद्ध और हिन्दू धर्म का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। उत्तरी बांग्लादेश में स्थापत्य के ऐसे हजारों अवशेष अभी भी मौज़ूद हैं जिन्हें मंदिर या मठ कहा जा सकता है।

बंगाल का इस्लामीकरण मुगल साम्राज्य के व्यापारियों द्वारा 13 वीं शताब्दी में शुरू हुआ और 16 वीं शताब्दी तक बंगाल एशिया की प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र के रूप में उभरा। यूरोप के व्यापारियों का आगमन इस क्षेत्र में 15 वीं शताब्दी में हुआ और अंततः 16 वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा उनका प्रभाव बढ़ाना शुरू किया था। 18 वीं शताब्दी आते आते इस क्षेत्र का नियंत्रण पूरी तरह से उनके हाथों में आए, जो धीरे धीरे पूरे भारत में फैल गया। जब स्वाधीनता आंदोलन के फलस्वरुप 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था, तब से राजनीतिक कारणों से भारत को हिंदू बहुल भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में विभाजित करना पड़ा।

भारत का विभाजन होने का फलस्वरुप बंगाल भी दो हिस्सों में बँट गया। इसके हिन्दू बहुल क्षेत्र भारत के साथ रहा और पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है और मुस्लिम बहुल इलाका पूर्वी बंगाल पाकिस्तान का हिस्सा बना है जो पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। जमींदारी प्रथा ने इस क्षेत्र को बुरी तरह झकझोर रखा था, इसके खिलाफ 1950 में एक बड़ी आंदोलन शुरू हुआ और 1952 के साथ बांग्ला भाषा आंदोलन के साथ यह एक बड़ी आंदोलन के दिशा में बांग्लादेशी गणतंत्र की दिशा में है। इस आंदोलन के फलस्वरुप बांग्ला भाषियों को उनकी भाषाई अधिकार मिल गए।

1955 में पाकिस्तान सरकार ने पूर्व बंगाल का नाम बदलकर पूर्व पाकिस्तान कर दिया था। पाकिस्तान द्वारा पूर्व पाकिस्तान की उपेक्षा और दमन की शुरुआत यहीं से हो गई। और तनाव स्त्तर का दशक आते आते अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। पाकिस्तानी शासक याहया खाँ द्वारा लोकप्रिय अवामी लीग और उनके नेताओं को प्रताड़ित किया जाने लगा, जिसके फलस्वरुप बंगबंधु शेख मुजीवु्ररहमान की अगुआई में बांग्लादेशा का स्वाधीनता आंदोलन शुरु हुआ।

पाकिस्तान में 1970 का चुनाव बांग्लादेश के अस्तित्व के लिए काफी अहम साबित हुआ। इस चुनाव में मुजीबुर रहमान की पार्टी पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग ने जबर्दस्त जीत हासिल की। पूर्वी पाकिस्तान की 169 से 167 सीट मुजीब की पार्टी को मिली। 313 सीटों वाली पाकिस्तानी संसद में मुजीब के पास सरकार बनाने के लिए जबर्दस्त बहुमत था। लेकिन पाकिस्तान को कंट्रोल कर रहे पश्चिमी पाकिस्तान के लीडरों और सैन्य शासन को यह गवारा नहीं हुआ कि मुजीब पाकिस्तान पर शासन करें। मुजीब के साथ इस धोखे से पूर्वी पाकिस्तान में बगावत की आग तेज हो गई। लोग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने लगे। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान ने पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह को कुचलने के लिए सेना को बुला लिया।

बांग्लादेश में खून की नदियों के बही, लाखों बंगाली मारे गए और 1971 में खूनी संघर्ष में दस लाख से अधिक बांग्लादेशी शरणार्थी को पड़ोसी देश भारत में शरण लेना पड़ा। भारत इस समस्या से जूझने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और भारत को बांग्लादेश की मांग पर इस समस्या में हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके फलस्वरुप 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध शुरू हुआ।

बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी सेना का गठन हुआ, जिसके अधिकांश सदस्य बांग्लादेश के बौद्धिक वर्ग और छात्र समुदाय थे, उन्होंने भारतीय सेना की मदद से सूचनाएं भेजी और गुरिल्ला युद्ध पद्धति से की पाकिस्तानी सेना ने अंततः 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, लगभग 93000 युद्ध बंधुओं को बनाए रखा गया, भारत में विभिन्न कैम्पों में रहने के लिए, ताकि वे नहीं शिकार करने के लिए बांग्लादेशी क्रोध। बांग्लादेश एक आज़ाद मुल्क बना और मुजीबुर रहमान अपनी पहली प्रधान मंत्री बन गए।

1975 में बांग्लादेश छोटा एक पार्टी का राज्य था, जहाँ बहुत से सैन्य तख्तापलट किये गये और राष्ट्रपति सरकार की स्थापना की गयी। इसके बाद 1991 में संसदीय गणराज्य को पुनर्स्थापित करने के बाद देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आया और देश की अर्थव्यवस्था भी स्थिर थी। लेकिन बांग्लादेश के सामने फिर भी गरीबी, भ्रष्टाचार, ध्रुवीकृत राजनीती, सुरक्षा कर्मियों द्वारा मानव अधिकारों का हनन, बढती जनसँख्या और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियाँ थी। जबकि देश ने बहुत कम समय में ही प्रभावशाली रूप से मानव विकास कर लिया था, जिनमे स्वास्थ, शिक्षा, लिंग समानता, जनसँख्या नियंत्रण और खाद्य उत्पादन में सुधार मुख्य रूप से शामिल है। 1990 में जो गरीबी दर बांग्लादेश में 57% थी वह 2014 में घटकर 25.6% ही रह गयी।

बांग्लादेश के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण दिन – Important Dates Of Bangladesh History

  • भारत में ब्रिटिश औपनिवेश शासन का अंत हुआ। 1947 में सर्वाधिक मुस्लिम जनसँख्या वाले राज्य पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान की स्थापना की गयी। इस दोनों प्रांतो को एक दुसरे से 1500 किलोमीटर की दुरी से अलग किया गया।
  • 1970 – शेख मुजीब के नेतृत्व में अवामी लीग ने चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया, पाकिस्तान की सरकार ने इन परिणामों को मानने से इनकार कर दिया. पाकिस्तानी सरकार के इस निर्णय के बाद दंगे भड़क उठे।
  • 1971 – शेख़ मुजीब और अवामी लीग ने 26 मार्च को स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। नए देश का नाम रखा गया बांग्लादेश, लड़ाई की मार से बचने के लिए करीब एक करोड़ लोग भारत की सीमा में शरणार्थी बनकर आए।
  • 1975 – शेख़ मुजीब बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने. अगस्त में हुए सैनिक तख्ता पलट के बाद उनकी हत्या कर दी गई, देश में सैनिक शासन लागू हो गया।
  • 1977 – जनरल ज़िया -उर -रहमान राष्ट्रपति बने. इस्लाम को सांविधानिक मान्यता दी गई।
  • 1982 – एक और तख्ता पलट के बाद जनरल एरशाद सत्ता में आए. संविधान और राजनैतिक दलों की वैधता समाप्त की गई।
  • 1983 – सभी स्कूलों में अरबी और क़ुरान की पढ़ाई के जनरल एरशाद के फ़ैसले के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू हुए. सीमित राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति दी गई। एरशाद राष्ट्रपति बने।
  • 1990 – भारी जन -विरोध के बाद एरशाद पद से हटे।
  • 1991 – भ्रष्टाचार के आरोप में एरशाद जेल भेजे गए। जनरल ज़िया -उर -रहमान की विधवा ख़ालिदा ज़िया प्रधानमंत्री बनीं। संविधान में परिवर्तन करके राष्ट्रपति के अधिकार सीमित कर दिए गए। चक्रवाती तूफ़ान ने लगभग डेढ़ लाख लोगों की जान ली।
  • 1996 -अवामी लीग सत्ता में लौटी, शेख़ हसीना प्रधानमंत्री बनीं. देश में हड़तालों का दौर शुरू हुआ।
  • 2001′ -आम चुनाव में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग हार गई और धार्मिक दलों के समर्थन के साथ जातीय पार्टी सत्ता में आई और बेग़म ख़ालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं।
  • 2008 – भारी बहुमत के बाद शेख़ हसीना फिर से प्रधानमंत्री बनीं।
  • 2013 – जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेता अब्दुल कादर मुल्ला को 1971 के बंगलादेश मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध-अपराधों के लिए फाँसी दी गयी।

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