आग से जलने पर घरेलु उपचार | Aag se Jalne per Gherlu Upchar

आग या किसी गर्म वास्तु के संपर्क में आने से त्वचा में असहनीय पीड़ा होती है। जलने वाली जगह पर निशान पड़ने से ज्यादा परेशानी होती है, उस अंग पर दर्द होने से। यह घाव का भी रूप ले लेता हैं। ऐसे में घबराहट और जानकारी के अभाव में कई बार यह परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है, जबकि थोड़ी सी सावधानी और घरेलू उपचार इस्तेमाल करने से जलने वाली जगह पर कम घाव बन सकते हैं। आइये जाने आग से जलने के घरेलु उपचार..

आग से जलने का घरेलु उपचार Aag se Jalne per Gherlu Upchar

जलने के प्रकार – Types of Burn in Hindi

जलने से त्वचा को गंभीर क्षति होती है। जो की प्रभावित त्वचा की कोशिकाओं का मरने का कारण बनती हैं। बहुत ठंड के कारण जैसे त्वचा जलती है उसी तरह तेज धूप, आग से जलना, भाप या कोई गर्म तरल पदार्थ, बिजली या रसायनिक पदार्थ के संपर्क में आने से भी जल सकते हैं। जलने के भी तीन स्टेज होते हैं। जिसमे – फर्स्ट डिग्री, सेकेन्ड डिग्री बर्न, थर्ड डिग्री बर्न होते हैं। जब बहुत ही हल्का हो तो उसे फर्स्ट डिग्री बर्न कहते हैं। इसमें मेडिकल ट्रीटमेंट की इतनी आवश्यकता नहीं पड़ती है, जब तक जलने का असर ऊतकों या टिशु पर न हो। सेकेन्ड और थर्ड डिग्री से जलने पर डॉक्टर को दिखाना जरुरी होता हैं।

आग से जलने पर घरेलु इलाज – Aag se jalne ki dawa

दूर्वा और चौलाई के पत्तों अथवा गाजर को बारीक पीसकर जले हुए भाग पर लेप करने या करेले के रस में रुई भिगोकर जली हुई त्वचा पर रखने से जल्दी लाभ होता है।

तेल से जलने पर चूने को दही से निकलने पानी में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से जल्दी लाभ होता है।

किसी अम्ल से जल जाने पर जितना अधिक जल से धोया जाए, जल उतना ही कम होती है। मेहंदी या अनार के पत्ते को जल द्वारा पीसकर जले हुए स्थान पर लेप करने से जलन जल्दी खत्म हो जाती है।

यदि आपके शरीर का कोई हिस्सा अचानक जल गया है तो बेहतर होगा कि आप तुरंत अपने उस अंग को सूखे आटे में दबा लें। संभव हो सकें तो आटे में उस अंग को दबाकर ही डॉक्टर के यहां तक चले जाए। इस तरह आपको जलने पर पीड़ा भी कम होगी और जलने पर बनने वाले छाले भी अपेक्षाकृत छोटे बनेंगे।

तारपीन का तेल और कपूर किसी पात्र में मिलाकर रखें। आग से जल जाने पर इसका उपयोग करने से जलन जल्दी नष्ट होती है।

नारियल को पीसकर जले हुए स्थान पर लेप करने से बहुत लाभ होता है।

नारियल के तेल में मोम मिला कर गर्म करें और फिर ठंडा करके जले हुए स्थान पर मरहम की तरह लगाएं जलन तुरंत कम हो जाती है।

जात्यादि तेल दिन में दो-तीन बार लगाने से आंख से जलने पर जल्दी लाभ होता है। इसके अलावा मंजिष्ठादि तेल भी उपयोग कर सकते हैं।

मोर के पंखो के ऊपरी भाग का भष्म बना कर जले हुए स्थान पर लगाने से व्रण शीघ्र नष्ट होते हैं।

जले हुए भाग पर मोर के पंख या नीम के पत्ते बांधने से विष आक्रमण नहीं होता।

बड़ की जड़, रक्तचंदन, रसौत, तवखीर, गेरू और गुरुच की समान मात्रा पीसकर गाय के शुद्ध घी में गर्म करके लेप करने से व्रण की जलन कम होती है।

जो को भूनकर बारीक पीस लें और तिल के तेल में मिलाकर लेप करें जलन तत्काल कम हो जाएगी।

यदि जले हुए अंग का घाव पुराना हो गया है और वह सही नहीं हो रहा तो तुलसी के पत्तों का पेस्ट आपको फायदे देगा। तुलसी के पत्तों को सिल पर पीसकर उसमें हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को जले हुए हिस्से पर नियमित लगाने से घाव एक हफ्ते में सूख जाएगा।

खाने वाले चुने का पानी दही के पानी का संभाग मिलाकर घाव पर लगाएं, शीघ्र ठंडक पहुंचेगी। यह तेल या घी से जले के लिए भी लाभदायक है।

आलू का छिलका भी जले हुए अंग के उपचार में रामबाण का काम करता है। इसका एन्टी-बैक्टिरीयल गुण घाव को न सिर्फ जल्दी भरने में मदद करता है बल्कि नमी भी प्रदान करता है। यदि आपके शरीर का अंग कम जला हुआ हो तो यह उपचार बहुत असरकारक होता है।

भुने हुए जीरे को बारीक पीसकर मोम, राल तथा घी मिलाकर जले घाव पर लेप करें। जिससे वह ठीक हो जाएगा और जलन शांत होगी।

ढाई सौ ग्राम तिल के तेल में 75 ग्राम पुराना गिला खाने का चूना मिलाकर 8 घंटे और इसका लेप जले हुए स्थान पर करें। जिससे घाव भर जाएगा और व्रण नहीं बनेगा।

यदि किसी व्यक्ति का पूरा शरीर ही जल गया हो तो पूरे शरीर को ठंडे पानी से भरे हुए टब आदि में डुबोए रखना चाहिए। ऐसा करने से 2-3 घण्टों के अन्दर ही रोगी की जलन कम हो जाती है तथा दर्द भी खत्म जाता है। जलन तथा दर्द जब कम हो जाता है तब 1 भाग नारियल का तेल तथा 2 भाग चूने का पानी आपस में मिलाकर रूई के फोहे से जले हुए भाग पर लगाना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोगी का रोग कुछ दिनों के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

जलने वाले स्थान पर गोले का तेल लगाने से काफी राहत मिलती है। गोले के तेल में यदि कपूर मिला हो तो यह और भी ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। जलने वाली जगह पर गोले का तेल और कपूर का मिश्रण लगाने से जलन में आराम मिलता है। साथ ही छालों में भी दर्द कम होता है।

तिल को पीसकर लेप बनाइये और इसे लगायें। इससे जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले भाग पर पड़े दाग धब्बे भी चले जाते हैं।

यदि किसी व्यक्ति की त्वचा जल गई है तो उसके जले हुए भाग को तुरंत पानी के अन्दर करके काफी देर तक हिलाते रहना चाहिए। जब जलन शांत हो जाए, तो रक्त निकलने वाली बाहरी चोट पर गीले कपड़े की ठंडी पटि्टयां बार-बार लगानी चाहिए। इसके कुछ समय के बाद पट्टी को खोलकर उसके ऊपर नीम की पत्तियों का रस, घीकुंआर का रस या आलू पीसकर लगाना चाहिए। इससे रोगी की जलन बहुत जल्दी ठीक हो जाती है तथा उसके जख्म भी जल्दी भरने लगते हैं।

जौ, हल्दी और दही को मिलाकर लगाने से भी जले हुए अंग को काफी राहत देता है। इस मिश्रण को त्वचा पर लगाने से दाग को निकालने और घाव को भरने में मदद मिलती है। इस मिश्रण को बनाने के लिए जौ, हल्दी और दही को एकसमान मात्रा में ले और पीसकर उनका पेस्ट बना लें। जलने वाली जगह पर इस पेस्ट को लगाने से दर्द से राहत मिलता ही है साथ ही घाव भी जल्द भरता है।

नींबू और टमाटर त्वचा की मृत कोशिकाओं को निकालने और त्वचा को ताजगी प्रदान करने में मददगार है। नींबू क्षारीय गुणों वाला होता है जो त्वचा पर बनने वाले दाग और निशान को तेजी से दूर करने में मदद करता है। ताजा टमाटर का रस प्राकृतिक ब्लीचिंग एजेन्ट का काम करता है जो दाग को कम करने में बहुत मदद करता है। जले हुए अंग पर सुबह-शाम नींबू और टमाटर के जूस की मालिश करें।


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