What Babies Should Eat During During Loose Motion in Hindi
शिशु की आंते आरंभ के एक-दो वर्ष तक बेहद संवेदनशील होती है। जिस कारण बच्चों को दस्त लगना सामान्य बात होती है, लेकिन इनकी समय पर देखभाल या सुरक्षा न की जाए तो ये उनके लिए खतरनाक सिद्ध होते हैं। अतः क्षीण बच्चों को दस्त लग जाने पर माता के आहार-विहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। इसी प्रकार ऊपर का दूध पीने वाले बच्चों के दूध पर भी ध्यान देना चाहिए।
आरम्भ में बच्चे को गाय के दूध मे समान मात्रा में पानी मिलाकर सेवन कराना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे पानी की मात्रा कम करके केवल दूध देना उपयुक्त होता है। यदि बच्चे को दिन में तीन चार दस्त हो जाए तो इसमें किसी उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती, किंतु दस्तों की संख्या और मात्रा सामान्य से अधिक हो तथा मल दुर्गंधयुक्त हरे-पीले या रक्तवर्ण का हो तो निम्नलिखित उपचार करने चाहिए।
बच्चो में दस्त होने का कारण – Bacho me Dairiya ke Karan
दस्त होने का सबसे आम कारण एक विषाणु है, जिसका नाम है रोटावायरस। यह विषाणु अंतड़ियों को संक्रमित करता है, जिससे गैस्ट्रोएंटेराइटिस होता है। यह आंत की अंदरुनी परत को क्षति पहुंचाता है। इस क्षतिग्रस्त परत से तरल पदार्थ का रिसाव होता है और पोषक तत्वों का समाहन किए बिना भोजन इसमें से निकल जाता है। दस्त लगने पर बच्चे के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स तथा पानी की कमी हो जाती है। पानी का साफ न होना या फिर कई बार बाहर का दूध पिलाने पर बच्चों में डायरिया हो सकता है साथ ही दांत निकलने के समय भी बच्चों में यह समस्या आती है। बच्चों को दस्त लगने के ये कारण हो सकते हैं –
- फॉर्मूला दूध अगर सही अनुपात में जलमिश्रित (डायल्यूट) न किया जाए
- सर्दी-जुकाम
- एंटिबायटिक्स
- एलर्जी
- भोजन विषाक्तता
- एंजाइम की कमी (कुछ दुर्लभ मामलों में)
- उनके दाँत निकलते समय दस्त लगना
बच्चो में दस्त होने दस्त के लक्षण – Bacho me Dairiya ke Lakshan
- पानी का मल
- निर्जलीकरण
- भूख में कमी
- पेट में ऐंठन या ऐंठन होना
- मतली और उल्टी
- बुखार
बच्चो में पतले दस्त का घरेलु उपचार – Bacho ke Loose Motion ka Gharelu Ilaj
⇒ छह महीने से कम उम्र के बच्चे को दस्त लगने पर सिर्फ मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए। छह महीने से अधिक उम्र के बच्चे को दिन में थोड़ी थोड़ी देर में खिलाते रहें। ऐसे में हल्का आहार लेना सही रहता है।
⇒ 500 मिली ग्राम बालचतुर्भ्द्र चूर्ण को आवश्यकता अनुसार शहद के साथ देने से अपच से उत्पन्न दस्त में विशेष लाभ मिलता है।
⇒ जायफल, लौंग, सफेद जीरा व सुहागा खिल- इन चारों को समान मात्रा में चूर्ण बना लें। 100 से 500 मि.ग्रा चूर्ण आवश्यकता अनुसार शहद के साथ दिन में एक दो बार देने से पतले दस्त रुक जाते हैं।
⇒ राइस कंजी दस्त के लिए एक बेहतरीन घरेलू और कारगर उपाय है। एक मुट्ठी राइस पाउडर पानी में मिलाकर कम से कम 10 मिनट पकाएं। इसमें हल्का नमक और बाद में कम से कम एक लीटर पानी मिलाकर पतला कर लें। इस पतले तरल पदार्थ को बच्चे को पिलाएं।
⇒ मेथी के दाने बहुत गरम होते हैं जिसके कारण इसे दस्त के इलाज में बहुत फायदेमंद माना जाता है। आमतौर पर मेथी के दानों के सेवन से कई लोगों को कब्ज की शिकायत होती है। अतः इसका इस्तेमाल दस्त से निजात पाने के लिए किया जाए तो यह विपरित दिशा में काम करेंगे। इसके लिए आप दिन में 2-3 बार एक चम्मच भिगोए हुए मेथी के दानों को एक कप दही में मिलाकर खाएं।
⇒ साठ से सौ मि.ग्रा कपूर रस शहद के साथ सुबह-शाम बच्चे को देने से पतले दस्त में विशेष लाभ होता है।
⇒ जब ज्यादा दस्त उल्टी होने के कारण बच्चे के शरीर में पानी, नमक और सोडियम की कमी हो जाए तो बच्चे को नमक और चीनी का घोल बनाकर बार-बार पिलाते रहना चाहिए। डायरिया का मतलब है बच्चे को बार-बार पानी के जैसे पतले दस्त होना जिसकी वजह से बच्चे के शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है यह रोग ज्यादातर 6 महीने से लेकर 2 साल तक के बच्चों को होता है।
⇒ नारियल का पानी एक कारगर होम ग्लूकोज इलेक्ट्रोलाइट के रूप में काम कर सकता है। हल्के दस्त वाले बच्चों को नारियल का पानी पिलाया जा सकता है। इसके लिए आप ताजे नारियल को ही प्रयोग में लाएं।
⇒ दस्त के समय बच्चे को भोजन देना जारी रखें, शिशु हो तो स्तनपान जारी रखें। बच्चे को नीबू का पानी, छाछ, नारियल का पानी, चावल का मांड, लाइट चाय देते रहें। ओआरएस का घोल भी देते रहें।
⇒ नौ माह की उम्र से बड़े शिशुओं को फलों के रस में पानी मिलाकर भी दिया जा सकता है। शिशुओं के लिए एक हिस्से जूस में 10 हिस्से पानी मिलाकर देना सही रहता है।
⇒ ऊपर का दूध हमेशा उबाल कर ठंडा करके पिलाना चाहिए और दूध या पानी हमेशा कटोरी-चम्मच से पिलाना चाहिए।
⇒ दही में ‘लाइव-क्लटर्स’ नामक बैक्टीरिया होता है। यह बैक्टीरिया दस्त से छुटकारा पाने के लिए लैक्टिक एसिड को उत्पन्न करता है तथा अंतडों को एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करता है।
⇒ छह महीने के शिशु को दस्त होने पर घरेलू उपाय के तौर पर चावल का पानी देना चाहिए। बच्चों में दस्त के घरेलू इलाज के तौर पर चावल के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल – Bacho ke Dairiya ke Upay
- अगर पतली पॉटी के साथ बच्चे को हल्का बुखार है और बच्चा एक साल से छोटा है, तो इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।
- दस्त के साथ उल्टी पेट में संक्रमण का संकेत हो सकते हैं। इसलिए सावधान रहें।
- ज्यादा प्यास लगना, जीभ सूख जाना, आंखे धंसना और बच्चे का लगातार रोना डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकते हैं।
- दस्त में खून आना भी एक गंभीर समस्या हो सकती है। ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
- उपरोक्त वर्णित जानकारी घरेलू चिकित्सा के अंतर्गत आती है। बच्चे के दस्त के समय जरा भी लापरवाही न बरतते हुए तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।