Ooty Information / ऊटी तमिलनाडु राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। ऊटी का पुराना नाम उटकमंड और उदगमंडलम (Udagamandalam) था। पहाड़ियों के बिच बसा यह खूबसूरत नगर नीलगिरि ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। भारत के दक्षिण में स्थित इस हिल स्टेशन में कई पर्यटक आते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए ऊटी स्वर्ग हैं। यहां दूर-दूर तक फैली हरियाली, चाय के बागान, तरह-तरह की वनस्पतियां आपको बांधकर रख लेती हैं।
ऊटी के बारे में संक्षिप्त परिचय – Ooty Information in Hindi
नाम | उटकमंड और उदगमंडलम / ऊटी (Ooty) |
राज्य | तमिलनाडु |
ज़िला | नीलगिरि |
स्थापना | सन् 1821 |
तापमान | गर्मी- 10°C – 25°C, सर्दी- 5°C -21°C |
जनसंख्या | 93921 |
भाषा | तमिल, कन्नड़, हिन्दी, मलयालम और अंग्रेज़ी |
प्रसिद्धि | नैसर्गिक सौंदर्य, धुंध से ढकी पहाड़ों की चोटियाँ और ओस से भीगी पेड़ों की पत्तियाँ |
ऊटी की जानकारी – Ooty Information Guide in Hindi
इस शहर का आधिकारिक नाम उटकमंड है तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए इसे ऊटी का संक्षिप्त नाम दिया गया है। उधगमंडलम शहर का नया आधिकारिक नाम तमिल है। कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों की सीमा पर बसे इस शहर की सुंदरता यहाँ की सुंदर पहाड़ियों की वजह से और भी बड़ जाती है। सर्दियों में यहाँ मौसम बहुत ज्यादा ठंडा हो जाता है, इसके अलावा साल के हर महीने यहाँ का मौसम सुहाना होता है, और यही मौसम पर्यटकों को यहाँ खिंच ले आता है।
ऊटी समुद्र तल से लगभग 7440 फीट (2268 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। ऊटी को ‘हिल स्टेशन की रानी’ भी कहा जाता है। रोमेंटिक होने के साथ-साथ प्राचीन समुद्र तटों, हिल स्टेशनों और शानदार वन्य जीवन का सजीव प्रतीक दक्षिण भारत यात्रा करने के लिए एक आदर्श जगह है। सभी रोमांच प्रेमियों तथा प्रकृति प्रेमियों के लिए ऊटी बेहतरीन स्थानों में से एक है। इसके चारों तरफ कई चोटियाँ हैं, जिनमें तमिल नाडु का सबसे ऊँचा क्षेत्र डोडाबेट्टा (2,637 मीटर) भी शामिल है।
नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है। कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहाँ की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा। ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं।
ऊटी की स्थिति के कारण यहाँ का मौसम पूरे वर्ष खुशनुमा रहता है। हालाँकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागों की तुलना में यहाँ का मौसम अधिक ठंडा होता है। औपनिवेशिक विरासत इस शहर में ब्रिटिश संस्कृति तथा वास्तुकला का प्रभाव देखा जा सकता है।
जैसे ही आप इस शहर में प्रवेश करते हैं वैसे ही आपको यह पता चल जाता है कि इस शहर पर ब्रिटिश लोगों का प्रभाव है। कला और इमारतों की वास्तुकला, घरों के डिज़ाइन और निर्माण की शैली सभी कुछ ब्रिटिश काल से मिलता जुलता है। यहाँ के स्थानीय लोगों के जीवन पर ब्रिटिश परंपराओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है।
वास्तव में गौर करने पर यह हिल स्टेशन सुंदर अंग्रेज़ गाँव की तरह दिखता है। शायद यही कारण है कि इस शहर को अधिकतम आय पर्यटन से होती है। ब्रिटिश यहाँ की जलवायु तथा प्राकृतिक सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस स्थान का नाम ऊटी “क्वीन ऑफ़ हिल स्टेशन” रखा।
ऊटी का इतिहास – Ooty History & Facts in Hindi
इस शहर के इतिहास की जानकारी तोड़ा जनजाति से मिल सकती है क्योंकि 19 वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन प्रारंभ होने के पहले यहाँ इसी जनजाति का शासन था। यहां सदियों से ज़्यादातर तोडा जनजाति के लोग रहते है। लेकिन ऊटी की वास्तविक खोज करने और उसके विकास का श्रेय अंग्रेजों को जाता है।
1822 में कोयंबटूर के तत्कालीन कलक्टर जॉन सुविलिअन ने यहां स्टोन हाउस का निर्माण करवाया था जो अब गवर्मेट आर्ट कॉलेज के प्रधानाचार्य का चैंबर है और ऊटी की पहचान भी। ब्रिटिश राज के दौरान ऊटी मद्रास प्रेसिडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी।
अंग्रेजो के लिए यह एक छिपे हुए खजाने के समान था क्योंकि वे दक्षिण भारत के किसी भी अन्य शहर के गर्म और नम मौसम को सहन नहीं कर सकते थे। वे इस क्षेत्र पर अपना दावा प्रस्तुत करने के लिए इतने उत्सुक थे कि उन्होंने ऊटी के निकट स्थित वेलिंगटन शहर में मद्रास रेजीमेंट की स्थापना की। उस दिन से वेलिंगटन में मद्रास रेजीमेंट का केंद्र बना हुआ है। इसके कारण ऊटी ब्रिटिश लोगों में ग्रीष्म / सप्ताहांत स्थान के रूप में लोकप्रिय हुआ।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ऊटी का विकास भी किया तथा यहाँ नीलगिरी में चाय, सागौन और सिनकोना का उत्पादन प्रारंभ किया। ऊटी में तथा इसके आसपास चाय और कॉफ़ी के अनेक बाग़ान हैं। स्थानीय खाद्य पदार्थों पर भी अंग्रेज़ी डिशेज़ (खाद्य पदार्थों) का प्रभाव दिखाई देता है। इसके परिणामस्वरूप आपको ऊटी में अंग्रेज़ी और भारतीय मसालों के सम्मिश्रण से बना सबसे उत्तम खाना खाने मिल सकता है।
ऊटी के प्रमुख पर्यटक स्थल – Ooty Tourist Place in Hindi
1). बॉटनिकल गार्डन – Botanical Garden
जो लोग प्रकृति प्रेमी है, हरियाली देखने, घूमने-फिरने के शौकीन हैं और दुर्लभ फर्न और अन्य पौधे देखना पसंद करते हैं, उनके लिए इस बॉटनिकल गार्डन से बढ़ कर दूसरी कोई बेहतर जगह नहीं। और यहाँ के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहला नाम बॉटनिकल गार्डन का ही आता है। यह गार्डन 22 एकड़ में फैला हुआ है और यहाँ लगभग 650 दुर्लभ किस्म के पेड़-पौधों के साथ-साथ, अद्भुत ऑर्किड, रंगबिरंगे लिली, ख़ूबसूरत झाड़ियाँ व 2000 हज़ार साल पुराने पेड़ का अवशेष देखने को मिलता है। इन खूबसूरत उद्यानों का रखरखाव राज्य के बागवानी विभाग के हाथ में है।
यहाँ घूमने आने वालों को देखने के लिए सबसे पहले यही जगह सजेस्ट की जाती है, और यह है भी इतना सुंदर कि हर किसी का मन मोह लेता है। यह जगह फोटोग्राफी के लिए भी उपयुक्त है। इस वनस्पति उद्यान की स्थापना सन 1847 में की गई थी। इनमें पौधों और वृक्षों की सैकड़ों-हजारों प्रजातियां हैं। इनमें एक ऐसे वृक्ष का भी जीवाश्म है, जिसके बारे में विश्वास किया जाता है कि वह 2 करोड़ वर्षों से भी अधिक पुराना है।
2). रोज़ गार्डन – Rose Garden
इस गार्डन की स्थापना 1995 में की गई थी। यह उद्यान 10 एकड़ में फैला हुआ है। रोज़ गार्डन में लगभग 200 प्रकार के गुलाब के फूलों का संग्रह है। रोज़ गार्डन को दक्षिण एशिया का सबसे उत्कृष्टता का पुरस्कार मिला है। यह भारत का सबसे बड़ा रोज़ गार्डन है।
3). दोदाबेट्टा पीक – Doddabetta peak
यह 2623 मीटर की ऊंचाई पर है। यह जिले का सबसे ऊंचा स्थान है, यहां से आप ऊटी के आसपास के क्षेत्र का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। यह ऊटी से केवल 10 किलोमीटर दूर है। यहां से घाटी का नज़ारा अद्धभुत दिखाई पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब मौसम साफ़ होता है तब यहां से दूर के इलाक़े भी दिखाई देते हैं जिनमें कायंबटूर के मैदानी इलाक़े भी शामिल हैं।
4). ऊटी झील – Ooty Lake
इस झील का निर्माण यहां के पहले कलक्टर जॉन सुविलिअन ने सन 1825 में करवाया था। यह झील 2.5 किमी. लंबी है। इस झील का एरिया लगभग 65 एकड़ का है। ऊटी झील को देखना अपने आप में एक अनोखा और सुखद अनुभव है। झील के चारों ओर फूलों की क्यारियों में तरह तरह के रंगबिरंगे फूल यहाँ की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। झील में मोटर बोट, पैडल बोट और रो बोट्स में बोटिंग का लुत्फ भी उठाया जा सकता है। यहां आने वाले पर्यटक बोटिंग और मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं। मछलियों के लिए चारा ख़रीदने से पहले आपके पास मछली पकड़ने की अनुमति होनी चाहिए। यहां एक बग़ीचा और जेट्टी भी है। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रतिवर्ष 12 लाख दर्शक यहां आते हैं।
5). नीलगिरि की पहाड़ियाँ – Nilgiri Mountain
नीलगिरि की पहाड़ियाँ हिमरेखा में नहीं आतीं, लेकिन गर्मियों में यहां का तापमान दिन में 25 डिग्री सेण्टीग्रेड से ऊपर नहीं जाता और रात में 10 डिग्री तक गिर जाता है। जिसका अंदाज़ बाहर के पर्यटकों को नहीं होता, क्योंकि वे यह मानकर चलते हैं कि दक्षिण भारत का पहाड़ी सैरगाह होने की वजह से यहां भी गर्मी होगी। जिसके चलते यहां आने के बाद ज़्यादातर पर्यटकों को गर्म कपड़े ख़रीदने पर मजबूर होना पड़ता है। फिर अगर बारिश हो जाये तो तापमान और भी नीचे आ जाता है।
7). मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य – Mudumalai National Park
यह ऊटी से लगभग 67 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर वनस्पति और जन्तुओं की कुछ दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं और कई लुप्तप्राय: जानवर भी यहां पाए जाते हैं। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आसानी से देखे जा सकते हैं। जानवरों के अलावा यहां रंगबिरंगे पक्षी भी उड़ते हुए दिखाई देते हैं। अभ्यारण्य में ही बना थेप्पाक्कडु हाथी कैंप बच्चों को बहुत लुभाता है।
8). कालहट्टी वॉटरफॉल्स – Kalhatty Waterfalls
कालहट्टी की ढलानों पर खूबसूरत रमणीक कालहट्टी जलप्रताप लगभग 100 फुट ऊंचा है। जो शहर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। कालहट्टी जलप्रपात ऊटी का एक ख़ूबसूरत दर्शनीय स्थल है। यहाँ अनेक प्रकार के पर्वतीय पक्षी भी देखे जा सकते हैं। झरने के अलावा कलहट्टी-मसिनागुडी की ढलानों पर जानवरों की अनेक प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं, जिसमें चीते, सांभर और जंगली भैसा शामिल हैं।
9). डाल्फिंस नोज – Dolphin Nose Ooty
ऊटी में डाल्फिंस नोज एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। डाल्फिंस नोज अपने नाम की तरह ही रोचक व रोमांच पैदा करने वाला स्थल है। यहाँ से पूरी घाटी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। मौसम साफ़ हो तो यहाँ से कोटागिरी के कैथरज फॉल्स का नज़ारा भी देखा जा सकता है। यहाँ बच्चों के साथ आउटडोर पिकनिक का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। यहां आने का एक फायदा यह है कि वहां से आसपास के इलाकों का समग्र दृश्य देख सकते हैं। अगर दिन साफ हो, तो वहां से कैथरीन जलप्रपातों को भी देख सकते हैं।
10). कोटागिरी हिल – Kotagiri Hills
कोटागिरी हिल ऊटी से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोटागिरी हिल प्राकृतिक सुंदरता के लिए दर्शनीय स्थल है। यहाँ के चाय बाग़ानों को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। नीलगिरी के तीन हिल स्टेशनों में से यह सबसे पुराना है। यह ऊटी और कून्नूर के समान प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि इन दोनों की अपेक्षा कोटागिरी का मौसम ज़्यादा सुहावना होता है। यहां बहुत ही सुंदर हिल रिजॉर्ट है जहां चाय के बहुत खूबसूरत बाग़ान हैं। हिल स्टेशन की सभी खूबियां यहां मौजूद लगती हैं। इसलिए ऊटी जाएं तो कोटागिरी की सैर के लिए जाना न भूलें।
11). अवलांचे झील – Avalanche lake
ऊटी से 28 किलोमीटर की दूरी पर यह झील स्थित है, और यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं। आप चाहे तो यहाँ फिशिंग का भी लुफ्त उठा सकते है, यही पास ही में फिशिंग के लिए उपयोगी इक्विपमेंट भी उपलब्ध हो जाते है।
12). लैम्ब्स रॉक – Lamb’s Rock
यह कुनूर से केवल 9 किलोमीटर दूर है। यहां से आप कोयंबटूर के नजारों और आसपास के इलाकों के चाय बगानों के सुरम्य दृश्य देख सकते हैं। यहां का हर दृश्य फोटो खींचने लायक है।
13). स्टोन हाउस – Stone House Ooty
सन 1822 में बना हुआ ब्रिटिश गवर्नर जॉन सुलीवान का यह बंगला ऊटी में बना हुआ पहला बंगला है। आज के समय में यह ऊटी में स्थित गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज के प्रिन्सिपल को निवास के रूप में दिया जाता है।
14). ऊटी माउंटेन रेल्वे और स्टीफेंस चर्च
ऊटी में मौजूद यह रेल्वे 1908 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया था। यहाँ ट्रेन आज भी पुराने तरीके के अनुसार भाप के इंजन द्वारा ही चलती है। यहां स्थित स्टीफेंस चर्च 19 वी शताब्दी में बना हुआ नीलगिरी के प्राचीन चर्च में से एक है। यहाँ आप हमारे देश की प्राचीन कला को देख सकते है।
कैसे जाये और कहा ठहरे – Ooty Tour and Travels Guide in Hindi
सर्दियों में यहाँ मौसम बहुत ज्यादा ठंडा हो जाता है, इसके अलावा साल के हर महीने यहाँ का मौसम सुहाना होता है। परंतु ऊटी जाने वाले पर्यटकों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि, सर्दियों में यहाँ का तापमान शून्य के भी निचे होता है।
यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा कोयंबटूर है, जो कि 100 किलोमीटर दूर है। आप चेन्नई, कोजीकोडे, बंगलोर और मुंबई से कोयंबटूर के लिए सीधी उड़ान भर सकते हैं। मेत्तूपलयम बड़ी लाइन का रेलवे स्टेशन है। बड़ी लाइन का प्रमुख रेल जंक्शन कोयंबटूर है, जो कि सभी बड़े नगरों से मिला हुआ है।
यहां ठहरने के लिए बहुत से होटल मिल जायेंगे। जैसे – डेक्कन पार्क रिजॉर्ट, होटल वेलबैक रेजीडेंसी, होटल लेक व्यू, होटल ऊटी आदि।
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