मल त्याग करते समय या उससे कुछ समय पहले अंतड़ियों में दर्द, टीस या ऐंठन की शिकायत हो तो समझ लेना चाहिए कि यह पेचिश (Dysentery) का रोग है। पेचिश एक बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी होती है। कई लोग पेचिश को सामान्य दस्त समझकर अनदेखा करते हैं, जो बाद में घातक होता हैं। आइये जाने पेचिश का कारण, लक्षण और घरेलु उपचार..
पेचिश रोग कैसे होता है – Pechis Kaise Hota Hai
पेचिश संक्रमण बैक्टीरिया (जीवाणु) या पैरासाइटिस (परजीवी) के कारण होता है। इसके होने के पीछे शिगेला नामक बैक्टीरिया और एटामोइबा हिस्टोलिटिका नामक पैरासाइट जिम्मेदार होते हैं। इन्ही में एक अमीबा एक प्रकार के पैरासाइटिस होते हैं, जो दूषित खाद्य और पेय पदार्थों में पाए जाते हैं। ये पैरासाइटिस मुंह के माध्यम से शरीर में तब घुसते हैं, जब दूषित खाद्य या पेय पदार्थों को निगला जाता है। अगर पेचिश अमीबा (Amoeba) के कारण हुआ है, तो अन्य परेशानियों के साथ-साथ गंभीर खूनी दस्त भी आ सकते हैं। अक्सर अमीबी पेचिश उन लोगों द्वारा फैलाता है, जो इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, लेकिन उस समय उनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देता।
पेचिश होने के कारण – Dysentery Causes in Hindi
पेचिश दूषित भोजन या पानी द्वारा सबसे ज्यादा फैलता है। भोजन और पानी, जो मानव मल से दूषित हो चुका होता है, उसे संक्रामक जीव संक्रमित कर देते है। कई बार संक्रमित लोगों द्वारा बिना हाथ धोएं, भोजन या पानी को छू लेने से भी संक्रमित हो जाता है। आम तौर पर पेचिश उन जगहों पर ज्यादा पाया जाता है, जहां पर लोग भीड़ में रहते हैं और साफ-सफाई की सुविधाएं कम मिलती है। पेचिश के मुख्य कारण हैं –
- दूषित पानी से
- दूषित आहार से
- संक्रमित मल से संपर्क में आने पर
- संक्रमित व्यक्ति से संपर्क
पेचिश के लक्षण – Dysentery Symptoms in Hindi
आंव में गुदाद्वार से मल निकलने से पूर्व मरोड़ उठता है और मल के साथ में लेसदार पदार्थ निकलता है। कभी कभी खून भी आता है तथा मल आसानी से नहीं निकलता। उसे खुनसाना कफ भी कहते हैं। पेचिश में दस्त होते हैं। पेट में बार बार मरोड़ उठता है। इससे पेट की आंतों में सूजन आ जाती है।
- बार-बार मलत्याग.
- मल में खूनौर म्यूकस आना.
- कभी-कभी खून की उल्टी.
- पेट में भयंकर दर्द और ऐंठन.
- मितली तथा वायु का प्रकोप.
- थकान और रूक-रूक कर कब्ज होना
पेचिश के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार – Pechish ka Ilaj in Hindi
⇒ चुकन्दर के रंस में एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर प्रयोग करने से रोग में राहत मिलती है।
⇒ गिलोय का सत 1 ग्राम अथवा सुखी गिलोय 5 ग्राम लेकर बराबर वजन के सौंठ के चूर्ण में मिलाकर रोगी को खिलाने से रोग नष्ट होता है।
⇒ कच्ची बेलगिरी के गूदे को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसमें गुड़ या चीनी मिलाकर सेवन करने से पुरानी पेचिश में लाभ होता है।
⇒ आंव अथवा अतिसार होने पर तुलसी के पत्तों का काढ़ा जायफल के चूर्ण के साथ मिलाकर पिलाने से जल्दी लाभ पहुंचता है।
⇒ आधा पाव ताजे पानी में एक निम्बू निचोड़कर तीन-चार दिन, तीन बार पीने से पेचिश ठीक हो जाएगी।
⇒ सेब के छिलके में जरा-सी कालीमिर्च डालकर चटनी पीस लें। इस चटनी को सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें।
⇒ खसखस के दानो को जल में पीसकर हलवा बना ले। इस हलवे को खिलाने से बालकों के आंव, मरोड़ तथा दस्त में बहुत लाभ होता है।
⇒ प्याज को छीलकर अच्छी तरह से धो लें फिर उसे ताजा दही के साथ खाने पर आंव और खून वाले दस्त रुक जाते हैं।
⇒ दो तोले धनिया लेकर उसका काढ़ा बनाए और मिश्री में मिलाकर पिए। पेचिश में लाभ अवश्य होगा।
⇒ धनिया 2 तोला और सौंफ दो तोला – दोनों को घी में भूनकर दो तोला मिश्री मिला दे। दिन में तीन चार बार छः छः माशे की फकी पानी के साथ ले। पेचिश, दस्त भीतरी जलन और सामान्य खांसी में चमत्कारी लाभ होगा।
⇒ सौंफ के पानी में गेहूं का आटा साने और रोटी बनाकर खाएं। इससे पेचिश में आराम मिलेगा।
⇒ खसखस के बीज महीन पीसकर उसे दही के साथ खाने से लाभ होगा।
⇒ साढ़े चार माशे खजूर पीसकर दही में मिलाकर खाने से पेट में आराम मिलेगा।
⇒ सफेद जीरा पीस कर, दही में मिलाकर खाने से पेट में आराम मिलता है।
⇒ अगर पेट में जलन अथवा ऐठन हो और खूनी पेचिस आ रही हो तो गाय के एक पाव दूध में एक पाव पानी मिलाकर औटाएं। जब दूध आधा रह जाए तो उसमें मिश्री मिलाकर रोगी को पिला दे। जल्दी आराम मिलेगा।
⇒ बारीक पिसे मेथी के बीज दही में मिश्रित कर सेवन करने से आंवयुक्त दस्त बंद होते हैं। अधिक पेशाब आने की शिकायत भी दूर होती है।
⇒ एक तोला तुलसी के पत्तों के रस में जरा सी मिश्री मिलाकर शाम के समय सेवन करने से पुरानी पेचिश में आराम मिलता है।
⇒ सौंफ का काढ़ा बनाकर पीने से अथवा सौंठ व् सौंप को घी में भूनकर उसका चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ 5 ग्राम लेने से आंव तथा दस्त खत्म हो जाते हैं।
⇒ सहजन की फली के रस में थोड़ा शहद मिश्रित कर नारियल के एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में दो या तीन बार सेवन करना पेचिश और दस्त में गुणकारी है।
⇒ एक पक्के नींबू को गर्म करके उस का रस निकाल ले। उसमें सेंधा नमक और शक्कर मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेचिस शांत होती है।
⇒ सुबह खाली पेट चाय के दो चम्मच भर अदरक का रस ले। पेचिस में आराम मिल जाएगा।
⇒ सौंठा प्रयोग करके भी पेचिश के रोग से निजात पा सकते हैं। पेचिश के रोग से छुटकारा पाने के लिए सौंठ का दो प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। पहला तरीका यह हैं की 3 या 4 ग्राम सौंठ लें, और उसे पीस लें। अब एक गिलास पानी के साथ सौंठ के चुर्ण को फांक जाए। पेचिश के रोग में आराम मिलेगा. दूसरा तरीका यह हैं. की सौंठ का क्वाथ बनाकर उसमे एक चम्मच अरंड का तेल मिला लें, और इसे पी जाए। पेचिश का रोग दूर हो जायेगा।
⇒ 10 ग्राम सूखा पुदीना, 10 ग्राम अजवायन, एक चुटकी सेंधा नमक और दो बड़ी इलायची के दाने-इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। सुबह-शाम भोजन के बाद एक-एक चम्मच चूर्ण मट्ठे या ताजे पानी के साथ लें।
⇒ सेब के सिरके का उपयोग पेचिश की स्थिति में सुधार का काम कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को दूर रखने और इनसे लड़ने में सहायक होते हैं।
पेचिश की अंग्रेजी दवा क्या है – Pechis Medicine
पेचिस होने पर डॉक्टर कुछ दिनों के लिए एंटीबायोटिक्स दवाएं लिखते हैं। क्योंकि पेचिश आम तौर पर एक हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक होने लगता है।
पेचिश में क्या खाना चाहिए – Pechish me kya Khaye?
इस प्रकार के रोगियों के लिए दही छाछ आदि अमृत का काम करते हैं। इन रोगो में हल्का सा सुपाच्य भोजन करना चाहिए। मूंग की दाल की खिचड़ी दही के साथ लेना अच्छा रहता है। इस रोग का कारण भी जीवाणुओं का संक्रमण ही है। यह गंदगी तथा संक्रमित भोजन और पानी द्वारा फैलता है। इसमें खूब पानी और पेय पदार्थों का सेवन करें, क्योंकि अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना पेचिश के उपचार की ओर पहला कदम है।
परहेज –
- डेरी उत्पाद जैसे पनीर, भारी मलाई, मक्खन और आइसक्रीम ना लें।
- मसालेदार, चिकने, तले आहार आँतों की उत्तेजना को बढ़ाते हैं और अतिसार को लम्बे समय तक चलने वाला कर देते हैं। इसलिए इनसे दूर रहे।
पेचिश से बचाव – Prevention Tips for Dysentery in Hindi
अगर आप पेचिश से संक्रमित हैं या उसके लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो आप अन्य लोगों के लिए भी संक्रामक हो सकते हैं। इसलिए इसकी सुरक्षा बहुत जरुरी हैं, जैसे –
- शौचालय जाने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी के साथ अच्छे से धोएं।
- अपने आसपास की जगह को साफ रखें।
- बाहर से आने के बाद अच्छी तरह से हाथ-पैर धोएं।
- गंदगी वाले स्थानों पर जाने से बचें।
- उबले हुए पानी को पीएं।
- स्वास्थ्य को लेकर हमेशा जागरूक रहें।
- बासी खाना न खाएं।
- कभी भी जरूरत से ज्यादा न खाएं।
- जब तक आपके लक्षण ठीक नहीं हो जाते, यौन संपर्क बनाने से बचें।
- सभी गंदे कपड़ों, बिस्तर और तौलिए आदि को अच्छे से और गर्म पानी में धोएं।
Note – वैसे तो पेचिश में डॉक्टर को हर बार दिखाना बहुत जरूरी नहीं होता है, क्योंकि पेचिश आम तौर पर एक हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक होने लगता है। हालांकि, अगर इसके लक्षण गंभीर हैं या कुछ दिनों के भीतर कोई सुधार नहीं हुआ, तो डॉक्टर से जरूर मिले।