Coorg Tourist Place in Hindi / कुर्ग या कोडगु, कर्नाटक राज्य में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं। मैसूर से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कूर्ग हिल स्टेशन प्राकृतिक खूबसूरती का प्रतीक है। यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत है। कूर्ग को भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है और इसे कर्नाटक का कश्मीर भी कहा जाता है। यह मुख्य पर्वतीय स्थल है, जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1525 मीटर है। पश्चिमी घाट पर पहाड़ों और घाटियों का यह प्रदेश दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है।
कुर्ग का संक्षिप्त परिचय – Coorg Or Kodagu Karnataka in Hindi
नाम | कुर्ग या कोडगु (Coorg Or Kodagu) |
राज्य | कर्नाटक |
मुख्यालय | मडिकेरि |
जनसंख्या | 5,48,561 (2001 तक) |
क्षेत्रफल | 4,102 कि.मी² |
प्रसिद्धि के कारण | कुर्ग का भारत का प्रमुख हिल स्टेशन हैं |
भाषा | कन्नड़, कोडव तक्क, हिंदी, इंग्लिश |
कब जाये | नवंबर से लेकर अप्रैल |
कुर्ग कि जानकारी – Coorg Information in Hindi
कुर्ग का प्राचीन नाम ‘कोडगू’ (odagu) था, जो कन्नड़ शब्द ‘कुडू’ (ढलवाँ पहाड़ी) का अपभ्रंश है। क्रोड देश भी कुर्ग का ही एक अन्य प्राचीन नाम है। कुर्ग नाम अंग्रेज़ों का दिया हुआ था, जिसे बदलकर फिर से कोडगू कर दिया गया है। कूर्ग, कर्नाटक के दक्षिण पश्चिम भाग में पश्चिमी घाट के पास एक पहाड़ पर स्थित जिला है जो समुद्र स्तर से लगभग 900 मीटर से 1715 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे वन, चाय और कॉफी के गार्डन बड़े ही आकर्षक हैं। कावेरी नदी का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अतिरिक्त हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए भी मशहूर है। यहां की सुंदर घाटियां, रहस्यमयी पहाडि़यां, संतरे के पेड़, बुलंद चोटियां और तेजी से बहने वाली नदियां, पर्यटकों का मन मोह लेती है। यह दक्षिण भारत की प्रसिद्ध कावेरी नदी का उद्गम स्थल है।
कूर्ग एक पुराने संसार की याद ताजा कर देता है, यहां के स्थानों में प्राचीन काल का चार्म देखने को मिलता है। पर्यटक यहां आकर पूर्वी और पश्चिमी ढलानों के सौंदर्य का लाभ उठा सकते है और यहां के दिल थाम लेने वाले दृश्यों को निहार सकते है। कूर्ग में अनेक गाँव बसे हुए हैं। इन गाँवों को देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी पोस्टकार्ड पर खूबसूरत तस्वीर देख रहे हों।
कूर्ग में पर्यटकों के लिए कई दर्शनीय पर्यटन स्थल है। यहां आकर पर्यटक पुराने मंदिरों, ईको पार्क, झरनों और सेंचुरी की खूबसूरती में रम जाते है। यहां के कई स्थलों में प्रकृति की असीम सुंदरता भी देखने को मिलती है। कूर्ग को संस्कृति और परंपरा की दृष्टि से सबसे सुंदर हिल स्टेशन माना जाता है।
कूर्ग का इतिहास – Coorg History in Hindi
कुर्ग नगर लगभग 8 वीं सदी में बसा था। कूर्ग में गंगा वंश का शासन सबसे पहले था। बाद में कुर्ग कई शासकों और वंशजों की राजधानी बना जैसे – पांडवों, चोल, कदम्ब, चालुक्य और चंगलवास आदि। होयसाल ने कूर्ग में 1174 ई. पू. अपना आधिपत्य जमा लिया था। बाद में 14 वीं शताब्दी में यहां विजयनगर शासकों का साम्राज्य हो गया था।
1600 ईसवी के पश्चात् लिंगायत राजाओं ने कुर्ग पर शासन किया और मदिकेरी को अपनी राजधानी बनाया। मदिकेरी में उन्होंने मिट्टी का क़िला भी बनवाया था। 1785 में मैसूर के टीपू सुल्तान की सेना ने इस साम्राज्य पर अधिकार करके यहाँ अपना अधिकार जमा लिया। चार वर्ष बाद कुर्ग ने अंग्रेज़ों की सहायता से आज़ादी पाई, तब यहाँ के राजा वीर राजेन्द्र ने पुर्ननिर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। 1834 ई. में अंग्रेज़ों ने इस स्थान पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के अंतिम शासक पर मुकदमा चलाकर उसे कारागार में डलवा दिया। आजादी से पहले 1947 तक कूर्ग पर अंग्रेजों ने अपना शासन जमाया और 1950 तक यह एक स्वंतत्र राज्य था। 1956 में इसे राज्यों के पुर्नगठन के दौरान कर्नाटक राज्य का हिस्सा बना दिया गया।
कूर्ग के नाम यानि कोडगू की उत्पत्ति को लेकर कई कहानियां कहीं जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि कोडगू शब्द की उत्पत्ति क्रोधादेसा से हुई है जिसका अर्थ होता है कदावा जनजाति की भूमि। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि कोडगू शब्द, दो शब्द से मिलकर बना है – कोड यानि देना और अव्वा यानि माता, जिससे इस स्थान को माता कावेरी को समर्पित माना जाता है। बाद में कोडगू को कूर्ग के नाम से जाना गया।
कूर्ग की संस्कृति – Coorg Culture in Hindi
यहाँ के निवासियों में एक अलग तरह की खुशमिज़ाज़ी है, जो कुदरत के क़रीब रहने वाले हर इंसान में दिखाई देती हैं। दक्षिण भारत के दूसरे इलाकों से कुर्ग हर मायने में अलग है। कुर्गी लोग आमतौर पर गोरे, आकर्षक और अच्छी कद-काठी वाले होते हैं। इन लोगों की वेशभूषा भी प्राय: अलग-अलग होती है। कुर्गी पुरुष काले रंग का एक विशेष प्रकार का परिधान पहनते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में ‘कुप्या’ कहा जाता है।
कूर्ग के लोग बहुत मिलनसार हैं जोकि पर्यटको का दिल खोल के स्वागत करते हैं। कूर्ग की आबादी में कई जनजाति समुदाय शामिल है, इनमें से कुछ प्रजातियों के नाम कोदावा, तुलु, गोवडा, कुदीयास और बुंटास आदि है। यहां की अधिकांश: जनता कोदावा जनजाति से ताल्लुक रखती है और यह जनजाति अपनी बहादुरी और आतिथ्य के लिए जानी जाती है।
कूर्ग में मनाएं जाने वाले त्यौहारों में से हुट्टारी, मेरकारा दसारा, केल पोदू ( केल मुहुरथ या आर्म का त्यौहार ) और कावेरी संक्रमण या तुला संक्रमण आदि प्रमुख है। यहां की स्थानीय पाक कला में नॉन वेज डिश सबसे ज्यादा बनाई जाती हैं। इसके अलावा, यहां का साउथ इंडियन खाना भी बेहद लज़ीज बनता है।
कुर्ग के प्रसिद्ध दर्शनीय और पर्यटक स्थल – Coorg Tourist Place Information in Hindi
1). निसारगाधाम – Nisargadhama
निसारगाधाम एक वन्यजीव अभयारण्य है। यह एक द्वीप है जो कावेरी नदी के बीच में स्थित है। इस अभयारण्य में हाथी, खरगोश, और मोर को आसानी से देखा जा सकता है। इन सभी के अलावा, यहां बेंत के बाग, चंदन के पेड़ और टीक के वृक्ष भी देखे जा सकते है। पर्यटक यहां आकर अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते है जैसे – बोटिंग और हाथी की सवारी आदि। पर्यटकों के लिए, यहां ठहरने के लिए कुटिया भी बनी है जहां वह आसानी से रूक सकते है। स्थानीय लोग यहां पिकनिक मनाने भी आते है।
2). मडिकेरि – Madikeri
मडिकेरि कुर्ग का जिला मुख्यालय है। इसका नाम यहां के पहले शासक मुद्दुराजा के नाम पर पड़ा। भारत के स्कॉटलैंड के नाम से मशहूर यह जगह एक खूबसूरत पहाड़ी नगर है। यहां पर स्थित महल, किला, ओंमकारेश्वर मंदिर, राजा की सीट और अब्बी फॉल्स बहुत प्रसिद्ध हैं। मडिकेरि मैसूर से करीब 120 किलोमीटर दूर है।
3). सोमवारपेट – Somwarpet
सोमवारपेट एक पंचायत शहर है और यह सोमवारपेट तालुक के मुख्य शहर में आता है। यह स्थान, सोमवारपेट के आसपास का सबसे महत्वपूर्ण इलाका है जो पुष्पागिरि पहाडि़यों, कोटेबेट्टा और मक्कालागुडी बेट्टा के पास में ही स्थित है। पुष्पागिरि, कूर्ग की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है और यह सोमवारपेट से 6 किमी. दूर स्थित है। ट्रैकर्स यहां आकर पुष्पागिरि पहाड़ी पर ट्रैकिंग कर सकते है और इसके लिए उन्हे भाबाती से चढ़ाई करनी होगी।
4). कुशालनगर – Kushalnagar
यह एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है। यहां का वातावरण कुर्ग की अन्य जगहों से सर्वथा भिन्न है। यहां पर आर्द्रता का स्तर मडिकेरि से अधिक है। कुशालनगर में और इसके आसपास अनेक पिकनिक स्पॉट हैं जिनमें से कुछ हैं- वीरभूमि, निसर्गधाम, तिब्बती मॉनेस्ट्री, स्वर्ण मंदिर और हरंगी बांध।
5). एब्बे झरना – Abbey Falls
एब्बे झरना, मादीकेरी शहर से 7-8 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां कूर्ग आने वाले सैलानी सबसे ज्यादा सैर के लिए जाते है। यहां एक संकरा सा रास्ता है जिसके बीच से गुजरकर पर्यटक कॉफी के बागानों तक पहुंच सकते है और मसालों के एस्टेट भी देख सकते है। एब्बे झरने की सैर, कूर्ग में सबसे अधिक आंनददायी होती है। यहां का शांत माहौल मन को खुश कर देने वाला होता है। पहले इसे जेस्सी झरने के नाम से जाना जाता था, बाद में मादीकेरी के पहले अंग्रेज कप्तान की बेटी एब्बे के नाम पर इस झरने का नाम रख दिया गया। यह झरना, पश्चिमी घाट का एक हिस्सा है, एब्बे झरना, मुख्य रूप से ढ़लानदार चट्टानों से बहने वाला जल स्त्रोत है और यह लुभावना दृश्य प्रदान करता है।
6). इर्पू झरना – Iruppu Falls
दक्षिण कुर्ग में ब्रह्मगिरी पर्वतमाला के अंतर्गत इर्पू नाम का एक पवित्र स्थान है। इसी के पास लक्ष्मण तीर्थ नामक नदी बहती है। किवदंतियों के अनुसार सीता की खोज में राम और लक्ष्मण यहां से गुजरे थे। राम के पानी मांगने पर लक्ष्मण ने ब्रह्मगिरी पर्वत पर तीर मारकर लक्ष्मण तीर्थ नदी निकाली थी। यह नदी इर्पू फॉल्स में गिरती है। इस स्थान के बारे में माना जाता है कि यहां आने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। प्रतिवर्ष शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
7). नागरहोळे राष्ट्रीय उद्यान – Nagarhole National Park
यह राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण भारत का एक प्रमुख अभयारण्य है। इस स्थान पर पहले राजाओं की शिकारगाह हुआ करती थी। आज यह स्थान हाथी, बाघ, चीतों के लिए प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यहां गौर, हिरन और लंगूर जैसे छोटे जानवर भी देखे जा सकते हैं। पूरे वर्ष यहां का मौसम ठंडक भरा रहता है। यहां पहुंचने में थोड़ी कठिनाई होती है इसलिए यह उद्यान अन्य की अपेक्षा शांत है। यहां पर सफारी का आनंद भी उठाया जा सकता है।
8). राजा की सीट – Raja’s Seat
राजा की सीट, कुर्ग जिले में मादीकेरी में सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। यह एक गार्डन है जहां मौसमी फूल खिलते है और यहां कई खूबसूरत झरने है। यह सभी झरने म्यूजिक से चलते है जो देखने में बेहद सुंदर लगते है। इस बगीचे का नाम कोडागु राजा के नाम पर रखा गया। राजा की सीट, एक छोटा सा पावेलियन है जो ईटों और मोटार्र से मिलकर बना हुआ है और यह चार खंभों की मदद से खड़ा है। इस गार्डन में काफी हरियाली है और यहां के पर्वत काफी ऊंचे है। यहां से शहर का शानदार नजारा दिखाई देता है। इस स्थान से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने में बेहद सुंदर लगता है। इसके अलावा, पूरे क्षेत्र को भी यहां से आसानी से देखा जा सकता है।
9). बयालकुप्पे – Bylakuppe
बयालकुप्पे, भारत में दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती स्थल है जिसका स्थान धर्मशाला के बाद आता है। यह कुशलनगर से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां दो तिब्बती स्थल है जिनहे लुग्सम सामदुप्लिंग और डिकई लाओरसे के नाम से जाना जाता है। यह कृषि हेतू क्षेत्र भी है। इस स्थान पर कई शरणार्थी तिब्बती निवास करते है। इस जगह का मुख्य आकर्षण, यहां स्थित गोल्डन मंदिर या नामोद्रोलिंग मठ है जिसे तिब्बती शैली में बनाया गया है, जो दक्षिण भारत में अनोखा लगता है। इस मठ में भगवान बुद्धख् पद्मसंभव और अमितायुस की 40 फीट ऊंची मूर्ति रखी हुई है।
10). पुष्पागिरि वन्यजीव अभयारण्य – Pushpagiri Wildlife Sanctuary
पुष्पागिरि वन्यजीव अभयारण्य, सोमवारपेट तालुक में स्थित है। इस स्थान को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चिडि़यां क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यहां कई प्रकार के पक्षी पाएं जाते है जिनमें से ग्रे – ब्रेस्टेड लॉफिंग थ्रस, ब्लैक, औरेंज फ्लाइकैचर और नीलगिरि फ्लाइकैचर, टेक शेल्टर आदि इस वन्यजीव अभयारण्य में देखने को मिलते है। कादामक्कल रिजर्व फॉरेस्ट, इसी अभयारण्य का हिस्सा है और इसके उत्तर में बिसेल रिजर्व फॉरेस्ट स्थित है। वहीं पश्चिम में कुक्के सुब्रमण्यम स्थित है। इस अभयारण्य की ऊंचाई अलग – अलग स्थानों पर 160 मीटर से 1712 मीटर है।
11). गाग्डीगे – Gaddige
राजरा गाग्डीगे, कूर्ग का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह कोडगु के राजा दोड्डावीराराजेन्द्र लिंगराजेन्द्र और राजागुरू रूद्रारूप की समाधि स्थल है। यहां दो एक समान संरचनाएं है जो राजा दोड्डावीराराजेन्द्र और उनकी रानी की गुंबद है। यह एक दूसरे से काफी मिलती है और पास – पास में स्थित है।
12). ओमकारेश्वर मंदिर – Omkareshwara Temple
ओमकारेश्वर मंदिर, कूर्ग के मादीकेरी हिल स्टेशन के बीचोंबीच स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण 1820 में राजा लिंगराजेन्द्र ने करवाया था। इस मंदिर में मुस्लिम काल की वास्तुकला का प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि उस काल में इस क्षेत्र में हैदर अली और टीपू सुल्तान का शासन हुआ करता था। इस मंदिर के मध्य में एक गुंबद भी है और इसके चारों कोनों पर चार बुर्ज है।
कैसे जाएँ – Coorg Tour & Travels Guide in Hindi
कूर्ग, कर्नाटक राज्य के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कूर्ग से राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बसें आसपास के सभी शहरों और राज्यों तक पहुंचाती है।
वायुमार्ग – कूर्ग के सबसे निकट बेंगलुरु हवाईअड्डा है। यह कूर्ग से 196 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग – कूर्ग, बेंगलुरु-मैसूर राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।
रेलमार्ग – कूर्ग पहुँचने के लिए मैसूर रेलवे स्टेशन सबसे निकट है।
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