विन्सटन चर्चिल की जीवनी | Winston Churchill Biography in Hindi

Sir Winston Churchill / विन्सटन चर्चिल द्वितीय विश्वयुद्ध, 1940-1945 के समय इंगलैंड के प्रधानमंत्री रहे थे। वे एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल के दम पे ब्रिटेन को द्वितीय विश्वयुद्ध में हार के मुंह से निकाल कर जीत का स्वाद चखाया। उन्हें हिटलर जैसे शक्तिशाली तानाशाह से लड़ने और उन्हें हराने वाले नेता की तरह देखा जाता है। चर्चिल एक प्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, साथ ही वह इतिहासकार, लेखक और कलाकार भी थे। इतिहास के अनुसार विंस्टन चर्चिल 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध या यूँ कहे तो महानतम राजनेताओं में से एक थे। आइये जाने विंस्टन चर्चिल के जीवन परिचय।

विन्सटन चर्चिल की जीवनी | Winston Churchill Biography in Hindi

विन्सटन चर्चिल की जीवनी – Winston Churchill Biography in Hindi

पूरा नाम विन्सटन चर्चिल (Winston Churchill)
जन्म दिनांक 30 नवंबर 1874 आक्सफोर्ड शायर, ब्लेनहिम पैलेस, इंग्लैंड
प्रसिद्धि के कारण आदर्शवादी, व्यावहारिकवादी, एक वक्ता, सैनिक, इतिहासकार, लेखक, प्रगतिशील सामाजिक सुधारों के समर्थक और एक लोकतंत्र के रक्षक थे
पुरस्कार-उपाधि नोबेल पुरस्कार (1953)
राष्ट्रीयता ब्रिटिश
मृत्यु 24 जनवरी, 1965, लन्दन
प्रधानमंत्री कार्यकाल 1940-1945 और 1951-1955

बीसवीं सदी ने दो विश्वयुद्धों की भयावह विभीषिकाओं को झेला है। इन दोनों ही युद्धों के दौरान संपूर्ण विश्व के सामने या तो राख के ढेर में तब्दील हो जाने या फिर तानाशाहों का साम्राज्य कायम हो जाने की क्रूर वास्तविकता बहुत करीब आकर खड़ी हो गई थी। खासतौर पर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब हिटलर और मुसोलिनी के तानाशाह इरादों की स्याह चादर दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने का प्रयत्न कर रही थी, तब जिन राजनयिकों ने पूरी दृढ़ता के साथ इनका मुकाबला किया, सर विंस्टन चर्चिल उनमें से एक नाम है।

विन्सटन चर्चिल सेना में अधिकारी रहे थे। आर्मी कैरियर के दौरान चर्चिल भारत, सूडान और द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना जौहर दिखाया था। उन्होंने युद्ध संवाददाता के रूप में ख्याति पाई थी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सेना में अहम जिम्मेदारी संभाली थी। राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने कई पदों पर कार्य किया। विश्वयुद्ध से पहले वे गृहमंत्रालय में व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष रहे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे लॉर्ड ऑफ एडमिरिल्टी बने रहे। युद्ध के बाद उन्हें शस्त्र भंडार का मंत्री बनाया गया। 10 मई 1940 को उन्हें युनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री बनाया गया और उन्होंने धूरी राष्ट्रों के खिलाफ लड़ाई जीती।

प्रारंभिक जीवन – Early Life of Winston Churchill

चर्चिल का जन्म 30 नवंबर 1874 को आक्सफोर्ड शायर के ब्लेनहिम पैलेस में हुआ था। इनके पिता लार्ड रेनडल्फ चर्चिल थे और माता का नाम जेनी था। उनके पिता, मार्लबोरो के प्रथम ड्यूक के वंशज थे और अपने समय के टोरी राजनीति में एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उनकी मां, जेनी जेरोम, एक अमीर घराने से थीं, जिनके पिता एक स्टॉक सट्टेबाज और द न्यूयॉर्क टाइम्स के आंशिक-मालिक थे। चर्चिल की शिक्षा हैरी और सैंहर्स्ट में हुई। शुरुवाती दिनों में पढाई में इनका खराब प्रदर्शन रहा था।

मूलत: सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे विंस्टन ‍चर्चिल ने भी अपने करियर की शुरुआत एक सैनिक और युद्ध संवाददाता के रूप में की। संवाददाता इसलिए कि उन्हें शुरू से ही लिखने का बेहद शौक था। 1895 से 1898 तक क्यूबा, भारत और सूडान में ब्रिटेन की फौज में तैनाती के दौरान उन्होंने युद्ध रिपोर्टिंग की।

3 सितंबर, 1939 को ब्रिटेन ने जब युद्ध की घोषणा की तो चर्चिल को जलसेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया। मई, 1940 में नार्वे की हार ने ब्रिटिश जनता में प्रधानमंत्री चैंबरलेन के प्रति विश्वास को डिगा दिया। 10 मई को चैंबरलेन ने त्यगपत्र दे दिया और चर्चिल ने प्रधान मंत्री पद संभाला और एक सम्मिलित राष्ट्रीय सरकार का निर्माण किया। लोकसभा में तीन दिन बाद भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैं रक्त, श्रम, आँसू और पसीने के अतिरिक्त और प्रदान नहीं कर सकता। उनका युद्ध विजय में अटूट विश्वास था, जो संकट के समय प्रेरणा देता रहा। ब्रिटिश साम्राज्य की संयुक्त शक्ति ही नहीं वरन् अमरीका और रूस की शक्तियों का जर्मनों के विरुद्ध सक्रिय रूप से प्रेरित किया। उनके अथक परिश्रम, विश्वास, दृढ़ता और लगन के कारण मित्र राष्ट्रों की विजय हुई।

विन्सटन चर्चिल 6 वी कक्षा फ़ैल थे। लेकिन उन्होंने कठिन परिश्रम करना कभी नहीं छोड़ा। वो प्रयत्न करते रहे और दुसरे विश्व युद्ध के दौरान यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने। चर्चिल साधारणतः ब्रिटेन और दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नेता थे। BBC के 2002 के चुनाव में जिसमे 100 महानतम ब्रिटिश लोगो का चुनाव होना था उसमे सभी ने चर्चिल को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया गया।

हालांकि शुरुआती दौर में चर्चिल का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ावों भरा रहा है, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जिस कुशलता और दृढ़ता से उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में लोकतां‍त्रिक शक्तियों का नेतृत्व किया, उसने उन्हें कालजयी बना दिया।

विन्सटन चर्चिल पूरी दुनिया में नायक के तौर पे मशहूर है, लेकिन भारत में उनका एक काला अध्याय भी जुड़ा हैं। भारत की जनता और देश के अधिकतर इतिहासकार चर्चिल को 1943 में बंगाल में भूख से हुई लाखों मौतों का ज़िम्मेदार मानते हैं। इस अकाल में अन्न न मिलने की वजह से 30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और ज़्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि ऐसा चर्चिल की नीतियों की वजह से हुआ था, वरना बहुत सारी मौतों को टाला जा सकता था।

15 जनवरी, 1965 को चर्चिल को एक गंभीर हार्ट अटैक का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वे गंभीर रूप से बीमार हो गए। नौ दिन बाद, 24 जनवरी, 1965 को, अपने लन्दन के घर में उनकी मृत्यु हुई। उस समय पूरा ब्रिटेन एक हफ़्ते से ज्यादा शोक करता रहा।

FAQ

विंस्टन चर्चिल ने गांधी जी के बारे में क्या कहा था?

एक रिपोर्ट के मुताबिक विंस्टन चर्चिल ने गांधीजी को कभी ‘अर्धनग्न फकीर’ कहा था।

1945 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन थे?

विन्सटन चर्चिल


और अधिक लेख –

Please Note : – Winston Churchill Biography & Life History In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे  Comment Box मे करे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *