साइनस का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार Sinus Treatment in Hindi

Sinusitis in Hindi – साइनस या पीनस रोग (Pinas Rog) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इस बीमारी को नजरअंदाज करने से लाइलाज बीमारी बन जाती हैं। हालाँकि, आप कुछ एहतियाती उपाय लेने और घर पर सही उपचार करके इसके लक्षणों से राहत पा सकते है। साइनस एक तरह से शरीर की खोपड़ी Skull में जमा हवा वाली खाली जगह है। जिसे Sinus Cavity के नाम से भी जाना जाता है। साइनस प्रणाली नांक से ली गई सांस हवा को नमी बनाने और सिर को हल्का करने का कार्य करती है। साइनस प्रणाली सिर के माथे, सिर के पीछे, आंखों के पिछले नीचे भाग, गले के पिछले भाग में होती है। आज भारत में हर 5 में से एक व्यक्ति साइनस की समस्या से पीड़ित हैं। इस बीमारी में नाक झरती रहती है। सर्दी-जुकाम के लक्षण होते विशेष कर सिर दर्द बहुत होता है। नाक के भीतर शोथ और क्षत हो जाता है। रोग पूराना होने पर कृमि भी हो जाते हैं। आइये जाने Sinus ke Gharelu Upchar..

साइनस (पीनस रोग) का कारण, लक्षण, घरेलु उपचार Sinus Treatment

साइनस के प्रकार – Types of Sinusitis in Hindi

साइनस चार प्रकार के होते हैं –

  1. तीव्र साइनोसाइटिस (Acute Sinusitis) : इस प्रकार में लक्षण अचानक शुरू होकर 2 से 4 हफ़्तों तक तकलीफ रहती हैं।
  2. मध्यम तीव्र साइनोसाइटिस (Sub Acute Sinusitis) : इस प्रकार में साइनस में सूजन 4 से 12 हफ़्तों तक रहती हैं।
  3. क्रॉनिक साइनस (Chronic Sinusitis) : इस प्रकार में लक्षण 12 हफ़्तों से अधिक समय तक रहता हैं।
  4. रीकरंट साइनसाइटिस (Recurrent Sinusitis) : इस प्रकार में रोगी को सालभर बार – बार  साइनोसाइटिस की समस्या निर्माण होती हैं।

साइनस के कारण – Causes of Sinus in Hindi

साइनस का प्रमुख कारण साइनस के अन्दर की चिपचिपी झिल्ली में सुजन आना हैं।

  1. फंगस, वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण होना
  2. नाक की हड्डी टेढ़ी होना
  3. एलर्जी के कारण
  4. नाक के अंदर पोलिप होना
  5. धूम्रपान के कारण
  6. वायरल एवं ठंडी ए.सी हवा में रहना
  7. ठंडी बर्फीले चीजों का ज्यादा सेवन करना
  8. कैमिक्ल तेज दुगन्ध में रहना
  9. अस्थमा रोग के कारण
  10. समय पर भोजन न करने से
  11. दांत के संक्रमण के कारण

साइनस के लक्षण – Symptoms of Sinus in Hindi

साइनस के लक्षण इस प्रकार हैं – Sinus Symptoms in Hindi

  1. साइनस के स्थान पर दबाने से दर्द होना
  2. नाक कफ से बंद होना या नाक बहना
  3. नांक से सांस लेने में दिक्कत होना
  4. गंध और स्वाद की परख करने की क्षमता कम होना
  5. सिरदर्द, सर आगे झुकाने या लेटने पर सिरदर्द बढ़ जाना
  6. खांसी या कफ जमना
  7. सर्दी लगातर रहना
  8. हमेशा बुखार रहना
  9. मुंह से दुर्गन्ध आना
  10. दांत में दर्द रहना
  11. नाक से सफ़ेद, हरा या पिला कफ निकलना
  12. चहरे पर सूजन
  13. त्वचा कर रंग बदल जाना
  14. आवाज में बदलाव होना

साइनस का घरेलु इलाज – Sinus ka Gharelu Ilaj in Hindi

साइनस संक्रमण से भारत में लग-भग एक-चैथाई लोग ग्रसित हैं। साइनोसाइटिस का इलाज सर्जरी, एंटीबायोटिक दवाईयों और आर्युवेदिक तरीकों माध्यमों से किया जाता है। परन्तु आर्युवेद तरीकों से साइनोसाइटिस संक्रमण से बिना सर्जरी के छुटकारा पाया जा सकता है। आर्युवेदा में साइनोसाइटिस बीमारी को दृष्ट-प्रतिश्याय से पुकारा जाता है।

  1. गाजर :- गाजर के रस में महान चिकित्सा गुणों शामिल है जो साइनस के इलाज में बहुत फायदेमंद है। आप एक ग्लास गाजर का रस अलग से या चुकंदर, खीरे या पालक के रस के साथ ले सकते है। यह साइनस के लक्षणो के उपचार में मदद करेगा।
  2. पानी पियें :- अधिक पानी पियें, इससे आपकी समस्‍या काबू में रहेगी। अधिक पानी पीने से मूत्र संबंधी कोई विकार भी नहीं होता। इसके अलावा करीब आधा लीटर पानी में एक चम्‍मच नमक और बेकिंग सोडा मिलाकर उस पानी से नाक धोने से भी लाभ मिलता है।
  3. ताजी हवा :- पीड़ित व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना और रोज 25-30 मिनट सैर (Morning Walk) करना फायदेमंद है। सुबह की ताजी ठंडी हवा साइनस विकार कम करने में सक्षम है।
  4. पोष्टिक आहार :- पोष्टिक आहार में विटामिन-सी और विटामिन-ए, युक्त चीजें शामिल करें। जैसे कि आंवला, मौंसमी, संतरा, नींबू, अमरूद, अनार, हरी मिर्च, अनार इत्यादि विटामिनसी-सी, ए युक्त चीजें आहार में जरूर शामिल करें। इससे सफेद रक्त कणों में वृद्धि होती है। और श्लेष्मा झिल्ली निरोग होते हैं। विटामिन सी, ए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम है। साथ में रिच एंटीबायोटिक बन जाता है।
  5. नमक :- आमतौर पर नमक का उपयोग घर पर होता है, तो साइनस की समस्या के समाधान के लिए आप नमक और पानी से अपनी नाक धो सकते है। नमक नासिका से बेक्टीरिया और वायरस को दूर करने में सहायक होता है।
  6. हल्दी और अदरक :- अगर आप साइनस से तुरंत छुटकारा प्राप्त करना चाहते हैं तो हल्दी और अदरक की जड़ से बनी चाय का सेवन करें। हल्दी में कई औषधीय गुण होते हैं और इसमें मौजूद तत्व इसे जलनरोधी भी बनाते हैं, जिससे किसी भी तरह की एलर्जी और चिडचिडेपन को दूर किया जा सकता है। अदरक की जड़ें नाक को खोलने में आपकी मदद करती हैं और अन्दर की गन्दगी को साफ़ करती हैं। इसके लिए 1 इंच हल्दी और 1 इंच अदरक की जड़ लें। इन दोनों को मसलकर एक कप उबलते गर्म पानी में डाल दें तथा ऊपर से ढक्कन लगा लें। इसे 10 मिनट तक आंच पर रखें और फिर छान लें। इस चाय का सेवन करने से आपको साइनस के दर्द से छुटकारा प्राप्त हो जाएगा।
  7. अदरक :- साइनस विकारे से बचाने के लिए रोज सुबह शाम 1 चम्मच गुड़ और अदरक का मिश्रण खाना Sinus Clearing में फायदेमंद है। किंचन में खाने बनाने में अदरक, लहसुन, इलायची, दालचीनी, एंटीबायोटिक मसालों का इस्तेमाल करना फायदेमंद है।

साइनस का आयुर्वेदिक इलाज – Sinus Treatment in Ayurveda in Hindi

देवदारु, गुलर, अर्जुन और कुरैया (कुटज) की छाल का काढ़ा बनाकर नाक को धोने, इनका कल्क तथा क्वाथ बनाकर लगाने से साइनस में लाभ होता है।

⇒ तुलसी पत्तों, लहसुन, प्याज को विक्स के साथ अच्छे से कूटकर उबले गर्म पानी में डालकर नांक मुंह से Steam भाप लें। तुलसी पत्ते, लहसुन, प्याज, विक्स से बनी भाप मिलकर एक अचूक औषधि की तरह काम करती है। यह विधि रोज सुबह शाम करें। तुलसी, लहुसन, प्याज, विक्स भाप स्टीम साइनस बीमारी को जल्दी Sinus Cure करने में सहायक है।

⇒ लौ भस्म, अभ्र्क भस्म, शुद्ध बछनाग, नागर मोथा, हरड़, बहेड़ा, आंवला, सौंठ, मिर्च, पीपल, शुद्ध धातुरी बीज, सुद्ध भांग, छोटा व बड़ा गोखरू और पीपरामूल – इनका समान भाग चूर्ण करके धतूरा के स्वरस में 7 भावना दे। फिर ढाई सौ मि.ग्रा की वटी बना ले। यह वटी साइनस का नाश करती है।

⇒ एरंड की जड़, तगर, सौंफ, जीवंती, रास्ना, सेंधा नमक, दालचीनी, बायविंडग, मुलहटी और सोंठ – इनका महीन चूर्ण बना ले। फिर 240 ग्राम चूर्ण को बकरी के दूध में भिगो पीसकर तिल का तेल, बकरी का दूध एवं भांगरे का रस – सबको मिलाकर तेल पाक विधि से पकाए और छानकर बोतल में भर दे। इसकी 6-6 बून्द एक-एक नाक में डालने से साइनस में लाभ होता है।

साइनस दूर करने के लिए योग – Sinus Treatment in Yoga in Hindi

साइनस की समस्या योग से भी दूर हो सकती है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इस उपचार से आपकी समस्या पूरी तरह ठीक भी हो सकती है। अगर आप निरंतर योग करते रहें तो आपको साइनस के भयंकर दर्द से छुटकारा प्राप्त होगा। योग के अंतर्गत आपको अपनी सांस को विभिन्न भावों से नियंत्रित करना पड़ता है। इससे ना सिर्फ आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है, बल्कि साँसों से जुड़ी सारी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। अगर आप लम्बे समय से साइनस के शिकार हैं और आपके लिए कुछ भी काम नहीं कर रहा तो किसी अच्छे गुरु से योग सीखें और इसका निरंतर अभ्यास करते रहें।

परहेज – Prevention of Sinusitis in Hindi

⇒ साइनस विकार को कम करने लिए ए.सी., कूलर, पंखें की हवा को सीमित रखें। तेज ठंड़ी हवा / Cold Air साइनस विकार को बढ़ाने में सहायक है। तेज ठंडी हवा लेने से बचें। इलैक्ट्रोनिक हवा यत्रों से कुछ दूर में बैंठे। बिल्कुल सामने ना बैठें।

⇒ बर्फीली चीजों, जैसे, आईसक्रीम, ठंड़ा पेय, ठंड़ा पानी, बर्फ वाली चीजों के सेवन से बचें। ठंड़ी बर्फीली चीजों के सेवन से साइनस बीमारी तेजी से बढ़ रही है।

⇒ बाॅडीस्प्रे, स्मोकिंग धुआं, किंचन गैस, भुनी चीजों की गंध, कैमिक्ल गंध, धूल, सुगन्धित इत्र इत्यादि, जिन भी चीजों से एलर्जी होती है, उन चीजों से दूरी बनाकर रखें।

⇒ धूम्रपान, सफाई उत्‍पाद, हेयर स्‍प्रे और अन्‍य धुंआ छोड़ने वाले उत्‍पाद आपकी समस्‍या को बढ़ा सकते हैं। जानकार इनमें से भी सिगरेट को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को साइनस की समस्‍या है, तो उन्‍हें घर से बाहर जाकर ही धूम्रपान करना चाहिए। अच्‍छा तो यही रहेगा कि आप इस आदत को छोड़ दें, क्‍योंकि यह आपके लिए भी अच्‍छी आदत नहीं।

FAQ

साइनस को जड़ से खत्म कैसे करें?

सही परहेज और सही इलाज से इस बीमारी को जड़ से ख़तम किया जा सकता हैं।

साइनस से क्या दिक्कत होती है?

सँउस होने पर हमेशा जर्दी जुमक बानी रहती हैं। दांतो में दर्द, कफ आना आदि इसके लक्षण हैं।

साइनस कितने दिनों तक रहता है?

तीव्र साइनोसाइटिस होने पर 2 से 4 हफ़्तों तक तकलीफ रहती हैं।

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