Sadhguru Jaggi Vasudev / सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक भारतीय योगी, रहस्यवादी, कवी, आध्यात्मिक गुरु और न्यू यॉर्क टाइम्स के लेखक भी है। वह ईशा फाउंडेशन संस्थान के संस्थापक भी हैं। ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग सिखाता है साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है। सद्गुरु न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर किताब “इनर इंजीनियरिंग: ए योगीज़ गाइड टू जॉय” के लेखक हैं। आइये जाने Sadhguru Jaggi Vasudev Biography, Jivani, Family, Education, Wife के बारे में..
सद्गुरु जग्गी वासुदेव – Jaggi Vasudev ka Jeevan Parichay
नाम | सद्गुरु जगदीश वासुदेव (Sadhguru Jagadish Vasudev) |
अन्य नाम | सद्गुरु |
जन्म | 3 सितंबर 1957 |
जन्म स्थान | कर्नाटक राज्य के मैसूर |
पिता का नाम | वासुदेव |
माता का नाम | सुशीला वासुदेव |
पत्नी का नाम | विजयकुमारी |
पेशा | लेखक, योग गुरु |
बच्चे | 1 पुत्री (राधे जग्गी) |
धर्म | हिन्दू |
नागरिकता | भारतीय |
अवार्ड | पदम विभूषण 2017 |
भारत वह भूमी हैं, जहां कई संत महात्माओं ने जन्म लिया। इन्ही में एक सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी हैं। वासुदेवजी जैसे संतपुरुषों भी इस समाज में हैं जो अपने अंदर की गहराइयों में छुपी भगवत सत्ता की खोज कर रहे हैं और जनमानस में भी इसकी ज्योति जगा रहे हैं। वह ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जो पूरी दुनिया में योग कार्यक्रमों को संचालित करती है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव सामाजिक कार्यों, पर्यावरणीय कार्यक्रमों और शैक्षणिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहते हैं। सद्गुरु ने 8 भाषाओं में 100 से अधिक पुस्तकों की रचना भी की है।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Sadhguru Jaggi Vasudev
सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) का जन्म 3 सितंबर 1957 को कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में हुआ। उनके पिता वासुदेव एक डॉक्टर थे और माता का नाम सुशीला वासुदेव था। बचपन से ही वासुदेव दुसरे बालको से अलग थे। उन्हें कुदरत से खूब लगाव था। अक्सर ऐसा होता था वे कुछ दिनों के लिये जंगल में गायब हो जाते थे, जहां वे पेड़ की ऊँची डाल पर बैठकर हवाओं का आनंद लेते और अनायास ही गहरे ध्यान में चले जाते थे। जब वे घर लौटते तो उनकी झोली सांपों से भरी होती थी जिनको पकड़ने में उन्हें महारत हासिल है। 11 वर्ष की उम्र में जग्गी वासुदेव ने योग का अभ्यास करना शुरु किया। इनके योग शिक्षक थे श्री राघवेन्द्र राव, जिन्हें मल्लाडिहल्लि स्वामी के नाम से जाना जाता है। मैसूर विश्वविद्यालय से उन्होंने अंग्रजी भाषा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
कॉलेज के दिनों में, उन्हें मोटरसाइकिल पर यात्रा करना बहुत पसंद था। जिसके चलते वह मैसूर के निकट चामुंडी हिल में अपने दोस्तों के साथ रात्रिभोज के लिए जाते थे। कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने पोल्ट्री फार्म, ईंट बनाने, इत्यादि कई व्यवसायों को करने कोशिश की। जिसके कारण, वह व्यवसायी भी बने। जग्गी वासुदेव ने 1984 में विजया कुमारी से शादी की और उनकी एक बेटी है जिसका नाम राधे है। उनकी पत्नी की मृत्यु 1997 में हुई।
आध्यात्मिक अनुभव –
सद्गुरु जग्गी वासुदेव को 25 वर्ष की उम्र में अनायास ही बड़े विचित्र रूप से गहन आत्म अनुभूति हुई, जिसने उनके जीवन की दिशा को ही बदल दिया। एक दोपहर, जग्गी वासुदेव मैसूर में चामुंडी पहाड़ियों पर चढ़े और एक चट्टान पर बैठ गए। तब उनकी आँखे पूरी खुली हुई थीं। अचानक, उन्हें शरीर से परे का अनुभव हुआ। उन्हें लगा कि वह अपने शरीर में नहीं हैं, बल्कि हर जगह फैल गए हैं, चट्टानों में, पेड़ों में, पृथ्वी में। जब तक वह अपने होश में वापस आये, उससे पहले से ही शाम हो गई थी। उसके बाद के दिनों में, वासुदेव ने एक बार फिर से इसी स्थिति का अनुभव किया। वह अगले तीन या चार दिनों के लिए भोजन और नींद त्याग देते थे। इस घटना ने पूरी तरह से उनके जीवन जीने का तरीका बदल दिया। जग्गी वासुदेव ने अपना पूरा जीवन अपने अनुभवों को साझा करने के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया।
योग शिविर –
1983 में मैसूर में अपने सात सहयोगियों के साथ उन्होंने अपनी पहली योगा क्लास की शुरुवात की। कहा जाता है की ध्यानलिंग में उपचारात्मक शक्तियां होती है, जो मानव विकास और सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ध्यान केंद्र होने की वजह से ऐसा माना जाता है ध्यान करने के बाद लोगो में यहाँ अपार उर्जा आ जाती है। यहाँ पर ध्यानकेंद्र में बैठकर लोग जितनी देर तक चाहे उतनी देर तक ध्यान लगाकर रह सकते है।
समय के साथ-साथ वे कर्नाटक और हैदराबाद में भी यात्राए कर योगा क्लास का आयोजन करने लगे। वे पूरी तरह से अपने पोल्ट्री फार्म पर आश्रित थे और क्लास के लिए उन्होंने लोगो से पैसे लेना भी मना कर दिया। उनका उद्देश्य यही होता था की वे सहयोगियों से आने वाले पैसो को क्लास के अंतिम दिन में स्थानिक चैरिटी करते थे। बाद में इन्ही शुरुवाती कार्यक्रमों के आधार पर ईशा फाउंडेशन की रचना की गयी।
ईशा योग सेण्टर –
1992 में गुरु और उनके अनुयायियों ने ईशा योग सेण्टर और आश्रम की स्थापना भी की। यह आश्रम कोयंबटूर के पास पूंडी में वेल्लिंगिरी पहाडियों पर बना हुआ है। यह आश्रम तक़रीबन 150 एकड़ के विशाल भू-भाग में फैला हुआ है, जिसके भीतर 13 फीट ऊँचे विशाल ध्यानलिंग है। आश्रम परिसर में एक बहुत-धार्मिक मंदिर भी है, जिसका निर्माणकार्य 1999 में पूरा हुआ। आंतरिक विकास के लिए बनाया गया यह शक्तिशाली स्थान योग के चार मुख्य मार्ग – ज्ञान, कर्म, क्रिया और भक्ति को लोगों तक पहुंचाने के प्रति समर्पित है। साधगुरू जग्गी वासुदेव के अनुसार यूनाइटेड स्टेट के योग सेण्टर के अलावा दुनियाभर में उनके कुल 25 योग सेण्टर है।
ईशा फाउंडेशन – Sadhguru Isha Foundation
सद्गुरु द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन एक लाभ-रहित मानव सेवा संस्थान है, जो लोगों की शारीरिक, मानसिक और आतंरिक कुशलता के लिए समर्पित है। यह दो लाख पचास हजार से भी अधिक स्वयंसेवियों द्वारा चलाया जाता है। इसका मुख्यालय ईशा योग केंद्र कोयंबटूर में है। ग्रीन हैंड्स परियोजना ईशा फाउंडेशन की पर्यावरण संबंधी प्रस्ताव है। पूरे तमिलनाडु में लगबग 16 करोड़ पेड़ रोपित करना, परियोजना का घोषित लक्ष्य है। अब तक ग्रीन हैंड्स परियोजना के अंतर्गत तमिलनाडु और पुदुच्चेरी में 1800 से अधिक समुदायों में, 20 लाख से अधिक लोगों द्वारा 82 लाख पौधे के रोपण का आयोजन किया है। इस संगठन ने 17 अक्टूबर 2006 को तमिलनाडु के 27 जिलों में एक साथ 8.52 लाख पौधे रोपकर गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया था। पर्यावरण सुरक्षा के लिए किए गए इसके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इसे वर्ष 2008 का इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार दिया गया।
उनका यह फाउंडेशन भारत के साथ-साथ यूनाइटेड स्टेट, यूनाइटेड किंगडम, लेबनान, सिंगापुर, कनाडा, मलेशिया, यूगांडा, चाइना, नेपाल और ऑस्ट्रेलिया में भी फैला हुआ है। साथ ही इस फाउंडेशन के माध्यम से बहुत सी सामाजिक और सामुदायिक विकसित गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है, जिसे देखते हुए यूनाइटेड नेशन की आर्थिक और सामाजिक कौंसिल में उन्हें एक विशेष दर्जा भी दिया गया है।
समाजिक कार्य –
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने मानव कल्याण के लिए कई तरह के समाजिक पहल की हैं। जग्गी वासुदेव प्रोजेक्ट ग्रीन हैंड्स (PGH) के भी संस्थापक है। एक्शन फॉर रूरल रेजुवेनेशन (ARR) ईशा फाउंडेशन की ही एक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य गाँव में रहने वाले गरीबो के स्वास्थ और उनके जीवन की गुणवत्ता को विकसित करना है। ARR की स्थापना 2003 में की गयी और दक्षिण भारत के 54,000 गांवों के 70 मिलियन लोगो को वे सुविधा पहुचाना चाहते है। 2010 में ARR तक़रीबन 4200 गांवों की 7 मिलियन जनता तक पहुच चुकी है। साथ ही भारतीय किसानो द्वारा सहन की जा रही खेती संबंधी विविध समस्याओ का समाधान निकालने में भी ARR कार्यरत है।
इसके आलावा ईशा विद्या के नाम से संस्था चलायी जा रही हैं। यह भी ईशा फाउंडेशन द्वारा ही शिक्षा के क्षेत्र में चलायी जा रही एक योजना है। जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में शिक्षा के स्तर का विकास करना है। इस योजना के तहत उन्होंने 7000 बच्चो को पढ़ाने वाली 7 ग्रामीण स्कूलो की स्थापना की है। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो की सहायता करने के लिए उन्होंने 512 सरकारी स्कूलो को दत्तक ले रखा है और आगे उनका लक्ष्य 3000 स्कूलो को दत्तक लेने का है।
25 जनवरी 2017 को आध्यात्मिकता में दिए गये उनके योगदानो को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।
ध्यानलिंग योग मंदिर –
1999 में सद्गुरु द्वारा प्रतिष्ठित ध्यान लिंग अपनी तरह का पहला लिंग है जिसकी प्रतिष्ठता पूरी हुई है। योग विज्ञान का सार ध्यानलिंग, ऊर्जा का एक शाश्वत और अनूठा आकार है। 13 फीट 9 इंच की ऊँचाई वाला यह ध्यानलिंग विश्व का सबसे बड़ा पारा-आधारित जीवित लिंग है। यह किसी खास संप्रदाय या मत से संबंध नहीं रखता, ना ही यहाँ पर किसी विधि-विधान, प्रार्थना या पूजा की जरूरत होती है। जो लोग ध्यान के अनुभव से वंचित रहे हैं, वे भी ध्यानलिंग मंदिर में सिर्फ कुछ मिनट तक मौन बैठकर घ्यान की गहरी अवस्था का अनुभव कर सकते हैं। इसके प्रवेश द्वार पर सर्व-धर्म स्तंभ है, जिसमें हिन्दू, इस्लाम, ईसाई, जैन, बौध, सिक्ख, ताओ, पारसी, यहूदी और शिन्तो धर्म के प्रतीक अंकित हैं, यह धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर पूरी मानवता को आमंत्रित करता है।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव की किताबे – Sadhguru Jaggi Vasudev Books
इन्होने विभिन्न भाषाओं में कई किताबें लिखीं हैं जैसे कि – “इनर इंजीनियरिंग: ए योगी गाइड टू जॉय”, “आदियोगी: द सोर्स ऑफ योग”, “वेल ट्रॉन्स ऑफ थ्री ट्रुथ”, “एनकॉन्टेड द एनलाइटेड”,”मिस्टिक म्यूज़िंग्स”,”कंबल ऑफ विस्डम”, तमिल-” अथानाइकम असिपुडू”,”आनंद अलीई”,”अयराम जन्नल”,”मोंड्रावथु कोनाम”,”ज्ञानथिन ब्रमंदम”,”अनककेव ओरु रगासियाम” , “गुरु थंथा गुरु”, “कोंजम अमुधम कोंजम विश्व”, हिंदी में- “योगी: साधुरु की महायात्रा”, “ऋषि से श्रृता ताक”, “एक अध्यात्मिक गुरु का अलौकिक ज्ञान”, “आत्मज्ञान: आखिर है क्या”,”राह के फूल”, कन्नड़ -“ज्ञानोदय”,” करुणगे भेदविल्ला “, तेलुगू-“गनी सनिधिहिलो”, इत्यादि।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव के बारे रोचक बातें – Sadhguru Jaggi Vasudev Facts in Hindi
- सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी को कॉलेज के दिनों में, मोटरसाइकिल पर यात्रा करना बहुत पसंद था।
- वह खाना पकाने के बहुत शौकीन है और अपनी बेटी के लिए रोजाना खाना पकाते थे।
- वह एक अच्छे वास्तुकार भी हैं, उन्होंने अपने सभी आश्रमों को खुद ही डिजाईन किया है।
- वर्ष 1983 में, उन्होंने मैसूर में अपनी पहली योग कक्षा का आयोजन किया था।
- वर्ष 1993 में, उन्होंने ईशा (“निरर्थक दिव्य”) योग केंद्र को स्थापित किया, जो संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय निकायों आर्थिक और सामाजिक परिषद के साथ मिलकर काम करता है।
- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता को सुधारने के लिए, उन्होंने ईशा विद्या फाउंडेशन 3,000 से अधिक स्कूलों को अपनाने के उद्देश्य से शुरू किया था। जिसमें उन्होंने पिछड़े क्षेत्रों में वित्तीय रूप से कमजोर छात्रों की मदद के लिए 512 सरकारी स्कूलों में अपनाया था।
- सद्गुरु ने एक प्रसिद्ध डाक्यूमेंट्री फिल्म में भी भाग लिया – वन: द स्कॉट कार्टर, वार्ड एम पावर, जिसे डियान पावर द्वारा निर्देशित किया गया था।
- वासुदेव ने मैसूर के डिमॉन्स्ट्रेशन स्कूल और महाजन प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में पढ़ाई की। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
- 2022 में, उन्होंने “जर्नी टू सेव सॉइल” अभियान पर लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए लंदन से भारत तक की 100-दिवसीय मोटरसाइकिल यात्रा पूरी की, जो मिट्टी के क्षरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित थी।
- वह साल 2019 में इंडिया टुडे की पचास सबसे शक्तिशाली भारतीयों की सूची में 40वें स्थान पर थे।
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