Qutub Minar / कुतुब मीनार भारत में दिल्ली शहर के महरौली भाग में स्थित, ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) और व्यास 14.3 मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है। इसमें 379 सीढ़ियाँ हैं। यह विश्व धरोहर UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल है। यह भारत का सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
कुतुब मीनार की जानकारी – Qutub Minar Information in Hindi
क़ुतुब मीनार का इतिहास 800 सौ साल पुराना हैं। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया। इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। मीनार के चारों ओर बने अहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें से अनेक इसके निर्माण काल सन 1193 या पूर्व के हैं।
दिल्ली के महरौली इलाके स्थित क़ुतुब मीनार मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में नाम आता है। इस भव्य ईमारत में पत्थरो पर बनी कुरआन की आयते क़ुतुब मीनार की सुंदरता और बड़ाती हैं। मीनार की हर मंजिल में बेहद शानदार शिल्पकारी की गई है। इस मीनार की सबसे आखिरी मंजिल से पूरे दिल्ली शहर का शानदार और अद्भुत नजारा दिखाई देता है।
मीनार का इस्तेमाल पहले मस्जिद की मीनार के रुप में किया जाता था, और वहीं से अजान दी जाती थी, हालांकि बाद में यह एक पर्यटन स्थल के तौर पर मशहूर हो गया। इस मीनार के निर्माण में नागरी और अरबी लिपि के कई शिलालेखों का इस्तेमाल किया गया है।
कुतुब मीनार का इतिहास – Qutub Minar History in Hindi
अफ़गानिस्तान में स्थित, जाम की मीनार (Minaret of Jam) से प्रेरित एवं उससे आगे निकलने की इच्छा से, दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, कुतुब मीनार का निर्माण सन 1199 में ने आरम्भ करवाया, परन्तु केवल इसका आधार ही बनवा पाया। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों को बढ़ाया और सन 1368 में फीरोजशाह तुगलक ने पाँचवीं और अन्तिम मंजिल बनवाई।
कुतुब मीनार के उत्तर में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद भी स्थित है। कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने 1192 में करवाया था। यह मस्जिद भारतीय उपमहाद्वीप की काफी पुरानी मस्जिद भी बताई जाती है। इस मस्जिद का निर्माण करवाने के बाद फिर इल्तुमिश (1210-35) और अला-उद-दिन ख़िलजी ने इस मस्जिद का पुननिर्माण करवाया।
ऐबक से तुगलक तक स्थापत्य एवं वास्तु शैली में बदलाव, यहाँ स्पष्ट देखा जा सकता है। मीनार को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जिस पर कुरान की आयतों की एवं फूल बेलों की महीन नक्काशी की गई है। कुतुब मीनार पुरातन दिल्ली शहर, ढिल्लिका के प्राचीन किले लालकोट के अवशेषों पर बनी है। ढिल्लिका अन्तिम हिन्दू राजाओं तोमर और चौहान की राजधानी थी।
इस मीनार के निर्माण उद्देश्य के बारे में कहा जाता है कि यह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से अजान देने, निरीक्षण एवं सुरक्षा करने या इस्लाम की दिल्ली पर विजय के प्रतीक रूप में बनी। इसके नाम के विषय में भी विवाद हैं। कुछ पुरातत्व शास्त्रियों का मत है कि इसका नाम प्रथम तुर्की सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पडा, वहीं कुछ यह मानते हैं कि इसका नाम बग़दाद के प्रसिद्ध ख़्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर है, जो भारत में वास करने आये थे। इल्तुतमिश उनका बहुत आदर करता था, इसलिये कुतुब मीनार को यह नाम दिया गया।
इसके शिलालेख के अनुसार, 1369 में क़ुतुब मीनार की सबसे ऊँची मंजिल पर बिजली कड़की और इससे मंजिल पूरी तरह गिर गयी थी। इसीलिये फिरोज शाह तुग़लक़ ने फिर कुतुब मीनार के पुर्ननिर्माण का काम करना शुरू किया और वे हर साल 2 नयी मंजिल बनाते थे।
1505 में एक भूकंप की वजह से क़ुतुब मीनार को काफी क्षति पहुंची और बाद में सिकंदर लोदी ने ठीक किया था। 1 अगस्त 1903 को एक और भूकंप आया, और फिर से क़ुतुब मीनार को क्षति पहुंची, लेकिन फिर ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने 1928 में उसको ठीक किया और साथ ही कुतुब मीनार के सबसे ऊपरी भाग पर एक गुम्बद भी बनवाया। लेकिन बाद में पकिस्तान के गवर्नल जनरल लार्ड हार्डिंग के कहने पर इस गुम्बद को हटा दिया गया और उसे क़ुतुब मीनार के पूर्व में लगाया गया था।
कहा जाता है की कुतुब मीनार का आर्किटेक्चर तुर्की के आने से पहले भारत में ही बनाया गया था। लेकिन क़ुतुब मीनार के सम्बन्ध में इतिहास में कोई भी दस्तावेज नही मिलता है। लेकिन कथित तथ्यों के अनुसार इसे राजपूत मीनारों से प्रेरीत होकर बनाया गया था। पारसी-अरेबिक और नागरी भाषाओ में भी हमें क़ुतुब मीनार के इतिहास के कुछ अंश दिखाई देते है।
क़ुतुब मीनार कई इतिहासिक धरोहरो से घिरा हुआ है, ये इतिहासिक रूप से क़ुतुब मीनार कॉम्पलेक्स से जुड़े हुए है। इसमें दिल्ली का आयरन पिल्लर, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, द टॉम्ब ऑफ़ इल्युमिश, अलाई मीनार, अला-उद-दिन मदरसा और इमाम ज़मीन टॉम्ब शामिल है. और भी दूसरी छोटी-मोटी इतिहासिक धरोहर शामिल है।
क़ुतुब मीनार के बारे में कुछ रोचक बाते – Interesting Facts About Qutub Minar in Hindi
1). ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का प्रयोग पास बनी मस्जिद की मीनार के रूप में होता था और यहाँ से अजान दी जाती थी।
2). लाल और हल्के पीले पत्थर से बनी इस इमारत पर क़ुरान की आयतें लिखी हैं।
3). मूल रूप से क़ुतुबमीनार सात मंज़िल का था लेकिन अब यह पाँच मंज़िल का ही रह गया है।
4). क़ुतुब मीनार परिसर में और भी कई इमारते हैं। भारत की पहली कुव्वत-उल-इस्लाम-मस्जिद, अलई दरवाज़ा और इल्तुतमिश का मक़बरा भी यहाँ बना हुआ है।
5). मस्जिद के पास ही चौथी शताब्दी में बना लौहस्तंभ भी है जो पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।
6). पाँच मंज़िला इस इमारत की तीन मंज़िलें लाल पत्थरों से एवं दो मंज़िलें संगमरमर एवं लाल पत्थर से निर्मित हैं। प्रत्येक मंज़िल के आगे बालकॉनी होने से भली-भाँति दिखाई देती है।
7). मीनार में देवनागरी भाषा के शिलालेख के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने ठीक करवाया था।
8). इल्तुमिश की कब्र के निचे भी एक रहस्य है, जो 1235 AD में बनी थी और वही इल्तुमिश की वास्तविक कब्र है। इस रहस्य को 1914 में खोजा गया था।
9). कुतुब मीनार परिसर में स्थित अलाई मीनार, क़ुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊँची, बड़ी और विशाल है। 1316 AD में अला-उद-दिन ख़िलजी की मृत्यु हो गयी थी और तभी से अलाई मीनार का काम रुका हुआ है।
10). क़ुतुब मीनार परिसर में इमाम ज़ामिन की कब्र दुसरे मुग़ल शासक हुमायूँ ने 1538 AD में बनवायी थी, और कुतुब मीनार कॉम्पलेक्स में यह सबसे नयी धरोहर है।
11). क़ुतुब मीनार के सबसे ऊपरी मंजिल पर जाना एलोव नहीं हैं। छठी मंजिल तक जा सकते।
12). जिस इंसान ने क़ुतुब मीनार कॉम्पलेक्स बनवाया उसी की याद में वहा एक धुप घडी भी लगवायी गयी है।
13). 1368 में फ़िरोज़शाह तुग़लक़ ने इसकी ऊपरी मंज़िल को हटाकर इसमें दो मंज़िलें और जुड़वा दीं। इसके पास सुल्तान इल्तुतमिश, अलाउद्दीन ख़िलज़ी, बलबन व अकबर की धाय माँ के पुत्र अधम ख़ाँ के मक़बरे स्थित हैं।
14). कुतुब मीनार, 120 मीटर ऊँची दुनिया की सबसे बड़ी ईंटो की मीनार है और मोहाली की फ़तेह बुर्ज के बाद भारत की दुसरी सबसे बड़ी मीनार है।
15). कुतुबमीनार के परिसर में एक लौह है इस लौह स्तंंभ की खासियत यह है कि यह सैकडों बर्ष पुराना होने के बाद भी इस स्तंंभ में अभी तक जंग नहीं लगी है।
16). वर्ष 1983 में कुतुबूमीनार को युनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया।
17).एक सर्वे के अनुसार क़ुतुब मीनार अपने आधार केंद्र की तुलना में 3.5 सेकेंड प्रतिवर्ष के वार्षिक बदलाव की औसत दर से झुक रही है।
कैसे पहुंचे – Qutub Minar Tour
कुतुब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है, जिस कारण यह देश दुनिया के हर हिस्से से अच्छी तरह जुडी हैं। कुतुबमीनार तक मेट्रो ट्रेन से भी आप पहुँच सकते हैं। यहां महरौली जाने वाली सभी बस कुतुब मीनार को पार करती हैं क्योंकि महरौली बस स्टैंड क़ुतुब मीनार मस्जिद के पास स्थित है। यहां आप साल के किसी भी मौसम में जा सकते हैं। प्रमुख पर्यटक स्थल होने कारण यहां हमेसा भीड़ रहता हैं।
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आप को ध्यान देना चाहिए ।। महाराजा विक्रमादित्य निर्मित ध्रुव स्तम्भ को कुतुबमीनार का नाम दे दिया गया। ध्रुव स्तम्भ के बारे मे कुछ भी पड़ेंगे तो सच्चाई सामने आ जायेगी। खुद को ज्ञानी पण्डित कहते हैं तो पहले दूसरे तथ्यों पर गौर कर लिया करें।। आधी सच्चाई और गलत बताना भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है इसी तरह हमारा इतिहास विलुप्त होता जा रहा है।
धन्यवाद।।
Thanx Alok Sir. Jankaari Dene Ke Liye. Is Bare Me Hamare Pas Jankari Nahi Hain. Agar Aap Is Jankaari Ko Detail Me Email Karnge To Hm Ise Update Kar Denge. Uske Sath Apko Kuch Proof V Send Karna Hoga.
Bhai Sahab aap yh kyo nhi jankari dete h ki jab dilly K akhri shasak tomar dhilli nagar m bani Hindu mandeer ko tor kr hi, to ishlami shasak ne qutub minar ka nirman kiya
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Sir Aap Sahi Ho Sakte Hain, Agar Aap Jankaari me Update Chahte Hain To Kripya Hame Email Kare. Aur Sath Is Bat ka Koi Shrot Bhi DE. Dhanyvaad,