इजराइल और फिलिस्तीन युद्ध का कारण

Israel and Palestine War Reason in Hindi

israel and palestine

इस्राइल और फिलिस्तीन दो ऐसे देश हैं, जिनका विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने और मतभेद को खत्म करने के लिए कई बार समझौते हुए पर निष्कर्ष कुछ खास नहीं निकला।

1948 के बाद से ही यरूशलम संयुक्त राष्ट्र के अधीन है. वहां ना तो इजराइल की सत्ता है और ना ही फिलिस्तीन की। इजराइल ने जब-जब फिलिस्तीन से जंग लड़ी तो उसे फायदा ही हुआ है। उसने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा किया और इस बार भी वो यही कोशिश कर रहा है. जानकार ये भी मानते हैं कि ये जंग गाजा या वेस्ट बैंक तक सीमित रही तो ठीक है। अगर ये मामला यरूशलम तक पहुंच गया तो ये दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की दहलीज पर खड़ी नजर आएगी।

ये संघर्ष कम से कम 100 साल पहले से चला आ रहा है। फिलहाल जहां इजराइल है, वहां कभी तुर्की का शासन था, जिसे ओटोमान साम्राज्य कहा जाता था। 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ।

इजराइल और फिलिस्तीन आमने-सामने हैं। दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच जंग जैसे हालात हैं। फिलिस्तीन का हमास (इजराइल इसे आतंकी संगठन मानता है) लगातार इजराइल की राजधानी तेल अवीव, एश्केलोन और होलोन शहर को निशाना बना रहा है। हमास ने अपने कब्जे वाले इलाके गाजा पट्टी से इजराइल के शहरों पर रॉकेट दाग रहा है। येरूशलम पर हमले के जवाब में इजराइली वायुसेना ने हमास के कब्जे वाले गाजा पट्टी पर हमला कर वहां की एक 13 मंजिला इमारत को निशाना बनाया गया। इजराइल का कहना है कि इस बिल्डिंग में हमास की राजनीतिक शाखा का दफ्तर था। इस संघर्ष में कई लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में एक भारतीय नर्स भी शामिल है।

है। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच अरसे से संघर्ष चल रहा है। 1948 में इजराइल की आजादी के बाद से ही अरब देश और इजराइल कई बार आमने-सामने आ चुके हैं। विवाद की ताजा वजह इजराइल द्वारा शेख जर्राह को खाली कराया जाना है। शेख जर्राह पूर्वी येरूशलम का इलाका है, जहां से इजराइल फिलिस्तीनी परिवारों को हटाकर यहूदी लोगों को बसा रहा है। फिलिस्तीनी लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

येरूशलम मुसलिम, ईसाई और यहूदी- तीनों धर्म मानने वाले लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। यहां अल-अक्सा मस्जिद है। मुसलिमों का मानना है कि पैगंबर मोहम्मद मक्का से यहीं आए थे। इस मस्जिद के पास डोम ऑफ रॉक भी है। मुस्लिमों के अनुसार यहीं से पैगंबर मोहम्मद ने स्वर्ग की यात्रा की थी। मक्का और मदीना के बाद मुसलिम इसे तीसरी सबसे पवित्र जगह मानते हैं। येरूशलम में ईसाइयों का पवित्र द चर्च ऑफ द होली सेपल्कर भी है। दुनिया भर के ईसाइयों का मानना है कि ईसा मसीह को इसी जगह पर सूली पर चढ़ाया गया था और यही वह स्थान भी है, जहां ईसा फिर से जीवित हुए थे। येरूशलम में एक वेस्टर्न वॉल है। यहूदियों का कहना है कि यहां कभी उनका पवित्र मंदिर था और यह दीवार उसी की बची हुई निशानी है। यहीं पर यहूदियों की सबसे पवित्र जगह होली ऑफ होलीज है। यहूदी मानते हैं कि यहीं पर इब्राहिम ने अपने बेटे इसाक की कुर्बानी दी थी।

1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ। तुर्की ने इस विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों के खिलाफ वाले देशों का साथ दिया। मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन भी शामिल था। लिहाजा तुर्की और ब्रिटेन आमने-सामने आ गए। उस समय ब्रिटिश साम्राज्य अपने चरम पर था जिसका नतीजा ये हुआ कि ब्रिटेन ने युद्ध जीता और ओटोमान साम्राज्य ब्रिटेन के कब्जे में आ गया। इस समय तक जियोनिज्म की भावना चरम पर थी। ये एक राजनीतिक विचारधारा थी, जिसका उद्देश्य एक अलग और स्वतंत्र यहूदी राज्य की स्थापना करना था। इसी के कारण दुनियाभर से यहूदी फिलिस्तीन में आने लगे। 1917 में ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स बेलफोर ने एक घोषणा की जिसमें कहा गया कि ब्रिटेन फिलिस्तीन को यहूदियों की मातृभूमि बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

हालाँकि युद्ध में जीत के बाद भी ब्रिटेन ने देश बनाने का वादा पूरा नहीं किया लेकिन यहूदियों को इस इलाके में बसने में मदद की और उन्हें यहा बसाने के लिए तमाम तरह की सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराए। इसके साथ ही फिलिस्तीन और यहूदियों के बीच आधुनिक संघर्ष की शुरुआत हुई।

प्रथम विश्व युद्ध के बाद साल 1920 और 1945 के बीच यूरोप में बढ़ते उत्पीड़न और हिटलर की नाजियों के हाथों नरसंहार से बचने के लिए लाखों की संख्या में यहूदी फिलिस्तीन पहुंचने लगे। इलाके में यहूदियों की बढ़ती आबादी को देखकर फिलिस्तीनियों को अपने भविष्य की चिंता हुई और इसके बाद फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच टकराव शुरू हो गया।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन पर शासन कर रहे ब्रिटन के लिए दोनों गुटों फिलिस्तीनियों और यहूदियों को संभाल पाना मुश्किल हो गया। ऐसे में वो इस मामले को नवगठित संयुक्त राष्ट्र में ले गया। संयुक्त राष्ट्र ने 29 नवंबर, 1947 को द्विराष्ट सिद्धांत के तहत अपना फैसला सुनाया और इस इलाके को यहूदी और अरब देशों में बांट दिया। यरुशलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया गया. यहूदियों ने इस फैसले को तुरंत मान्यता दे दी और अरब देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसके बाद 1948 में अंग्रेज इस इलाके को छोड़कर चले गए और 14 मई, 1948 को यहूदियों का देश इजरायल वजूद में आया।

इजरायल के खुद के राष्ट्र घोषित करते हुए सीरिया, लीबिया,सऊदी अरबिया और इराक ने इसपर हमला बोल दिया। एक साल तक लड़ाई के चलने के बाद युद्ध विराम की घोषणा हुई। 1967 में एक बार फिर अरब देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला किया. लेकिन इसबार इजरायल ने महज छह दिन में ही उन्हें हरा दिया और उनके कब्जे वाले वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया। हालांकि गाजा के कुछ हिस्से को उसने फिलिस्तीनियों को वापस लोटा दिया है. वर्तमान में ज्यादातर फिलिस्तीनी गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में रहते हैं। अब भी यह लड़ाई जारी हैं।

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