पुराना किला ‘दिल्ली’ का इतिहास, जानकारी | Purana Qila History in Hindi

Old Fort Delhi in Hindi/ पुराना किला भारत के नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन दीना-पनाह नगर का आंतरिक किला है। इस किले का निर्माण (Purana Qila was built by) शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में 1538 से 1545 के बीच करवाया था। अगर आप इतिहासिक और वास्तुकला के प्रेमी हैं तो पुराना किला एक बार जरूर विजिट करे।

पुराना किला दिल्ली का इतिहास – Old Fort History in Hindi 

दिल्ली के सभी किलों में सबसे पुराना होने के साथ-साथ यह दिल्ली की सभी संरचनाओं में भी सबसे पुराना भी है और यह इन्द्रप्रस्थ नामक स्थान पर स्थित है जो कि एक विख्यात शहर था। किले के तीन बड़े द्वार हैं तथा इसकी विशाल दीवारें हैं। इसके अंदर एक मस्जिद है जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है। हिन्दू साहित्य के अनुसार यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल‍ पर है जो पांडवों की विशाल राजधानी होती थी। जबकि इसका निर्माण अफ़गानी शासक शेर शाह सूरी ने कराया था, जिसने मुगल बादशाह हुमायूँ से दिल्ली का सिंहासन छीन लिया था। ऐसा कहा जाता है कि मुगल बादशाह हुमायूँ की इस किले के सीढ़ी से नीचे गिरने के कारण दुर्घटनावश मृत्यु हो गई।

किंवदन्तियों के अनुसार इस प्राचीन किले को यमुना नदी के किनारे पर पाँडवों द्वारा खोजा गया था जोकि 5000 साल से भी अधिक पुराना है और महाभारत काल से पूर्व बना था। 2013-14 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए सबसे हालिया उत्खनन से इस बात का खुलासा हुआ है कि यह किला पूर्व मौर्य साम्राज्य के समय तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। शोधार्थियों ने इस बात की पुष्टि की है कि पुराना किला की चहार दीवारी के अन्दर इन्द्रप्रस्थ नाम का एक छोटा सा पुरवा था। ऐसा भी माना जाता है कि हुमायूँ की राजधानी दिन पनाह भी यहीं स्थित थी जिसे बाद में भारत के प्रथम अफगान शासक द्वारा जीर्णोद्धार करके शेरगढ़ नाम दिया गया। इसके साथ ही भारत के अन्तिम हिन्दू शासक सम्राट हेम चन्द्र विक्रमादित्य उर्फ हेमू द्वारा सन् 1556 ईस्वी में अकबर की सेनाओं को दिल्ली और आगरा में परास्त करने के बाद उनका राजतिलक इसी महल में हुआ था।

हलाँकि ऐसा माना जाता है यह किला हुमायूँ, शेरशाह और हेमचन्द्र जैसे शासकों, जिन्होंने यहाँ से शासन किया, के लिये अशुभ था। पुराना किला के आस-पास कई रोचक इमारते हैं जिनमें शेरशाह द्वारा बनवाई किला-ए-कुह्ना मस्जिद, अष्टभुजाकार लाल बलुये पत्थर वाली दोमंजिला लाट शेर मण्डल, सम्राट अकबर को पालने वाली माँ महम अंगा द्वारा निर्मित मस्जिद कैरुल मंजिल और शेरगढ़ के लिये दक्षिणी दरवाजा शामिल हैं।

इस किले के इतिहास में जुड़े,  बहुत ही कम समय के लिए कई बादशाहो और शासकों ने इस किले पर शासन किया था और फिर इस पर अंग्रेजों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया। 1920 के दशक में जब एडवर्ड लुटियन ने नई दिल्ली को डिजाइन किया, तो उन्होंने राजपथ को पुराना किला से जोड़ दिया। भारत के विभाजन के समय इस किले ने मुसलमानों के लिए शरणार्थी शिविर के रूप में कार्य किया था। 1970 के दशक में, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने इस किले का इस्तेमाल किया। इसके बाद धीरे धीरे यह किला सांस्कृतिक कार्यक्रमों और संगीत कार्यक्रमों की मेजबानी का केंद्र बन गया।

पुराना किला की कहानी – Purana Qila Story in Hindi

वहीं महाभारत के अनुसार कुरु देश की राजधानी गंगा के किनारे हस्तिनापुर में स्थित थी। जब पांडवों और उनके चचेरे भाई कौरवों के बीच संबंध बिगड़ गए तो कौरवों के पिता धृतराष्ट्र ने पांडवों को यमुना के किनारे खांडवप्रस्थ का क्षेत्र दे दिया। वहां उन्होंने समुद्र जैसे गड्ढों द्वारा घिरे हुए एक नगर को बनाया और उसकी रक्षात्मक प्राचीरें बनाई। विद्वानों का मत है कि पुराना किला की रूपरेखा भी इसी प्रकार की थी। इससे भी स्पष्ट होता है कि इंद्रप्रस्थ एक नगर का नाम था, जो पुराना किला के स्थान पर बसा था और जिस क्षेत्र में यह स्थित था, उस क्षेत्र का नाम खांडवप्रस्थ था। कहा जाता है कि कौरवों पर अपनी विजय के बाद पांडवों ने राजधानी इंद्रप्रस्थ को भगवान कृष्ण से संबंधित किसी यादव वंशज को सौंप दिया।

एक और प्रसंग है, जिसके अनुसार पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगे थे। ये वे गाँव थे जिनके नामों के अंत में पत आता है। जो संस्कृत के प्रस्थ का हिंदी साम्य है। ये पत वाले गांव हैं इंदरपत, बागपत, तिलपत, सोनीपत और पानीपत हैं। यह परम्परा महाभारत पर आधारित है। जिन स्थानों के नाम दिए गए हैं। उनमें ओखला नहर के पूर्वी किनारे पर दिल्ली के दक्षिण में लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर तिलपत गांव स्थित है। इन सभी स्थलों से महाभारत कालीन भूरे रंग के बर्तन मिले हैं।

पुराना किले की जानकारी – Purana Qila Information in Hindi 

पुराना किला मूलतः यमुना नदी के तट पर ही बना था परन्तु उत्तर और पश्चिम दिशाओं के ढलान से प्रतीत होता है कि नदी को जोड़ती हुई एक खाई सुरक्षा के दृष्टि से बनी थी। इस किले की चहर दीवारी लगभग 2.4 किलोमीटर लम्बी है और इसके तीन मुख्य दरवाज़े उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में हैं. इनमे से पश्चिमी दरवाज़े का प्रयोग आजकल किले में प्रवेश के लिए किया जाता है। उत्तर की ओर का द्वार “तलाकी दरवाजा” कहलाता है। यह स्पष्ट नहीं है कि कब और क्यों इस दरवाज़े के प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया। यह किला मुग़ल, हिंदू तथा अफघानी वास्तुकला के समन्वय का एक सुंदर नमूना माना जाता है।

किले की मजबूत और मोटी दीवारों के तीन द्वारों पर दोनो तरफ बुर्ज हैं। ये दीवारें 18 मीटर ऊँची हैं जिनपर तीन मेहराबयुक्त प्रवेशद्वार हैं जिन्हें पश्चिम में बड़ा दरवाजा, दक्षिण में हुमायूँ का दरवाजा और तालुकी द्वार हैं, जिसे निषेध द्वार भी कहते हैं। सभी तीन प्रवेशद्वार विशाल दोमंजिला संरचनायें हैं जिनके दोनो ओर बुर्ज होने के साथ-साथ बाल्कनी या झरोखा और सतम्भयुक्त मण्डप हैं।

शेरशाह द्वारा बनवाया गया शेर मंडल जो अश्तकोनीय दो मंजिला भवन है। इसी भवन में हुमायूँ का पुस्तकालय हुआ करता था। यहीं पर एक बार पुस्तकों के बोझ को उठाये हुए जब हुमायूँ सीढियों से उतर रहा था, तभी अजान (इस्लामी प्रार्थना) की पुकार सुनाई पड़ती है, नमाज़ का समय हो चला था। हुमायूँ की आदत थी कि नमाज़ की पुकार सुनते ही, जहाँ कहीं भी होता झुक जाया करता। झुकते समय उसके पैर लंबे चोगे में कहीं फँस गये और वह संतुलन खो कर गिर पड़ा। इस दुर्घटना से हुई शारीरिक क्षति से ही 1556 के पूर्वार्ध में मृत्यु हो गयी।

पुराना किला के प्रमुख आकर्षण स्थल – Tourist Attractions Inside Purana Qila in Hindi

किला-ए-कुहना मस्जिद – Qila-E-Kuhna Mosque At Purana Qila

पुराना किला परिसर में सन 1541 में बनी मस्जिद किला-ए-कुहना दो बादशाहों से रिश्ता रहा। इसके निर्माण में दोनों का योगदान रहा। शेरशाह सूरी ने इसका निर्माण अपने निजी इस्तेमाल के लिए किया था। हालांकि ये तामीर होनी शुरू हुई थी हुमायूं के दौर में। इस पर कुरान शरीफ की सूरतें अंकित हैं। यह इंडो- इस्लामिक स्थापत्य शैली को प्रदर्शित करता है। एकल गुंबद वाली मस्जिद में पाँच दरवाजों में बड़े पैमाने पर घोड़े की नाल के आकार के सामान मेहराबें बनी हैं। इसे मुख्य रूप से ‘जामी मस्जिद’ कहा जाता है जिसका निर्माण शुक्रवार की नमाज के लिए खुद राजा और उनके दरबारियों के लिए किया गया था।

शेर मंडल – Sher Mandal At Purana Qila

यह अष्टकोणीय तथा लाल बलुआ पत्थर से बना भवन दिल्ली स्थित पुराने किले के दक्षिण के तरफ दरवाजे के अंदर स्थित है। भारत में मुगल काल के दौरान एक योग्य शासक शेरशाह सूरी ने इसे बनवाया था। शेर मंडल शीर्ष पर छत्री के साथ लाल पत्थर में निर्मित दो मंजिला अष्टकोणीय भवन है जिसका निर्माण राजा के लिए आनंद मंडल रूप में काम करता था।

पुरातत्व संग्रहालय – Archaeological Museum At Purana Qila

पुराना किला में स्थित संग्रहालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किले के स्थल से खुदाई किए गए कई नमूनों को प्रदर्शित करता है। इस संग्रहालय के मुख्य प्रदर्शनों में कुषाण वंश, राजपूतों, दिल्ली सल्तनत और मुगलों के प्राचीन साम्राज्यों से लेकर 1500 ईसा पूर्व तक के चित्रित ग्रेवेयर शामिल हैं।

पुराना किला घूमने कब और कैसे जाएँ – How To Reach Purana Qila Delhi in Hindi

पुराना किला भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित हैं, आप दिल्ली किसी भी माध्यम से पहुँच सकते हैं। दिल्ली शहर मेट्रो और राज्य द्वारा संचालित बसों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। पुराना किला जाने के लिए सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन प्रगति मैदान मेट्रो है, जो ब्लू लाइन पर स्थित है। किला मेट्रो से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। मेट्रो स्टेशन से किला जाने के लिए आप स्थानीय या बैटरी से चलने वाले रिक्शा को किराए पर ले सकते हैं। आप निजी वाहन सभी पहुँच सकते हैं। आप किसी भी मौसम में पुराना किला देखने जा सकते हैं। यहां घूमने-फिरने, के आलावा लॉन में बैठने, नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। अगर आप ध्वनि और लाइट शो का आनंद लेना चाहते हैं सूर्यास्त के बाद पुराना किला के लिए जाएं।

पुराना किला कहां स्थित है –

Address: Mathura Rd, Near Delhi Zoo, New Delhi, Delhi 110003


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