हिडिम्बा देवी मंदिर, मनाली | Hadimba Devi Temple History in Hindi

Hadimba Devi Templ / हिडिम्बा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू के मनाली में स्थित हैं जो की एक आकर्षण पर्यटक स्थल हैं। यह मंदिर एक गुफा में बना हुआ है जो देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा महाभारत काल में हिडिंब राक्षस की बहिन थी। मनाली आने वाले टूरिस्ट इस मंदिर की खूबसूरती को देखने के लिए यहां आते रहते हैं।

हिडिम्बा देवी मंदिर, मनाली | Hadimba Devi Temple History in Hindi

हिडिम्बा देवी मंदिर का इतिहास – Hadimba Devi Temple History in Hindi

Hadimba Mandir – हिडिम्बा मंदिर हिमालय की तलहटी पर स्थित है जिसके आसपास हरियाली है और सिदार के जंगल हैं। इस मंदिर का इतिहास पांडवों से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि हिडिम्बा एक राक्षसी थी, जिसका राज मनाली के आस-पास पूरे इलाके में चलता था। कुल्लू राजवंश के लोग इन्हें देवी के रूप में पूजते हैं। नवरात्र के दौरान इस मंदिर में काफी भीड़ होती है। कुल्लू के मशहूर दशहरे मेले में हिडिम्बा देवी की पूजा होती है।

इस मंदिर का निर्माण 1553 ई. में एक पत्‍थर में किया गया था। पत्‍थर को इस प्रकार काटा गया कि उसका आकर गुफानुमा हो गया। इस पत्‍थर के अंदर जाकर श्रद्धालु दर्शन कर सकते है और विशेष पूजा का आयोजन कर सकते हैं। कहा जाता है कि राजा ने इस मंदिर को बनवाने के बाद मंदिर बनाने वाले कारीगरों के सीधे हाथों को काट दिया ताकि वह कहीं और ऐसा मंदिर न बना सकें।

हिडिम्बा देवी मंदिर चारों ओर से देवदार के घने पेड़ों के बीच बना हुआ है। 40 मीटर ऊंचे इस मंदिर का निर्माण केवल लकड़ी से किया गया है। इस मंदिर की बनावट शैली को पैगोडा बोला जाता है। मनाली आने वाले टूरिस्ट इस मंदिर का दर्शन करने जरुर आते हैं। मनाली शहर से इसकी दूरी करीब 1 किमी पर है।

यहां पर होने वाली विशेष पूजा को घोर पूजा के नाम से जाना जाता है। यह पूजा मंदिर में ही आयोजित की जाती है। हर साल 14 मई को मंदिर में देवी जी का जन्‍मदिन मनाया जाता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और दर्शन करते हैं।

देवी हिडिम्बा की कहानी – Hadimba Devi Temple Manali Story in Hindi

महाभारत काल में जुए में सब कुछ हारने पर धृतराष्ट्र व दुर्योधन ने पाण्डवों को वारणावत नाम स्थान में भेज दिया था। पाण्डवों का इस साजिश का पता चल गया और उन्होंने रात को भीतर ही भीतर एक सुरंग खोद डाली। रात को भवन में आग लगने पर वे सुरंग के रास्ते भाग निकले। इस सुरंग के रास्ते वे निकल कर गंगातट पर आ गए।

विदुर के परामर्श पर वे वहां से भागकर एक दूसरे वन में गए, जहाँ पीली आँखों वाला हिडिंब राक्षस अपनी बहन हिडिम्बा के साथ रहता था। एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिडिम्बा से वन में भोजन की तलाश करने के लिये भेजा परन्तु वहां हिडिम्बा ने पाँचों पाण्डवों सहित उनकी माता कुन्ति को देखा। इस राक्षसी का भीम को देखते ही उससे प्रेम हो गया इस कारण इसने उन सबको नहीं मारा जो हिडिंब को बहुत बुरा लगा। फिर क्रोधित होकर हिडिंब ने पाण्डवों पर हमला किया, इस युद्ध में भीम ने इसे मार डाला और फिर वहाँ जंगल में कुंती की आज्ञा से हिडिम्बा एवं भीम दोनों का विवाह हुआ।

लोगों का मानना है कि हिडिम्बा ने महाभारत काल में पांचों पांडवों में सबसे बलशाली भीम से शादी की थी। ऐसी मान्यता है कि हिडिम्बा ने प्रण लिया था कि जो उसके भाई हिडिम्ब को युद्ध में मात देगा। उससे वो शादी करेगी। भीम ने हिडिम्ब को युद्ध में हराकर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद हिडिम्बा ने भीम से शादी कर ली थी।

महाभारत के युद्ध में घटोत्कच का नाम आता है। यहां के लोककथाओं के मुताबिक वो हिडिम्बा का ही बेटा था। मां के आदेश पर घटोत्कच ने युद्द में अपनी जान देकर कर्ण के बाण से अर्जुन की जान बचाई थी। लोगों का मानना है कि हिडिम्बा राक्षसी की तब से ही लोग पूजा करने लगे थे।

विहंगमणि पाल को आशीर्वाद – Hadimba Devi Temple in Hindi

विहंगमणि पाल को कुल्लू के शासक होने का वरदान हिडिंबा देवी ने ही दिया था। वह कुल्लू के पहले शासक विहंगमणि पाल की दादी और कुल की देवी भी कहलाती है। नवरात्र के समय इनके वंशज आज भी हिडिम्बा देवी की पूजा करते हैं।

कहा जाता है कि कुल्लू के विहंगम दास नाम का शख्स एक कुम्हार के यहां नौकरी करता था। हिडिम्बा देवी (Hadimba Devi) ने विहंगम को सपने में दर्शन दिया था। उन्होंने उसे कुल्लू का राजा बनने का आशीर्वाद दिया था। इसके बाद विहंगम दास ने यहां के अत्याचारी राजा की हत्या कर दी थी। वे कुल्लू राजघराने के पहले राजा माना जाते हैं। कुल्लू राजघराने के ही राजा बहादुर सिंह ने हिडिम्बा देवी की मूर्ति के पास मंदिर बनवाया था।


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