Ear problems in hindi – बहरापन या अश्रव्यता पूर्ण या आंशिक रूप से ध्वनियों को सुनने की शक्ति का ह्रास होने की स्थिति को कहते हैं। यह एक आम बीमारी है। इस रोग में न सिर्फ सुनने की शक्ति कम हो जाती है बल्कि व्यक्ति की सामाजिक व मानसिक परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो वह ध्वनि तरंगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा करता है। यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से संबंधित तीन हड्डियों-मेलियस, इन्कस एवं स्टेपीज के द्वारा आंतरिक कान में पहुंचता है और सुनने की नस द्वारा आंतरिक कान से मस्तिष्क में संप्रेषित होता है। इस कारण ध्वनि का अहसास होता है। यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाए, तो बहरापन हो जाएगा।
बहरापन होने का कारण – Hearing Loss Causes
- उम्र बढ़ने के साथ बहरापन की समस्या उत्पन्न होना प्राकृतिक घटना है
- व्यावसायिक जोखिम (जो लोग शोर वाले क्षेत्रों में काम कर रहे हैं)
- मोम के कान में गिरने या डालने से
- गंभीर कान संक्रमण
- टीम्पेनिक रोग
- टीम्पेनिक झिल्ली में छेद
- कान में हड्डियों का विकास या भर जाना और कैंसर जैसे बीमारी
- कान में मैल होना
- कान के पर्दे में छेद होना
बहरापन का लक्षण – Hearing Loss Symptoms
- बच्चा जब किसी आवाज का जवाब नहीं देता हो
- दूसरों की बात समझने में असमर्थ
- दूसरों से जोर से बात बोलने के लिए कहना
- रेडियो और टीवी को तेज आवाज में सुनना
बहरापन के प्रकार – Types of Deafness in Hindi
1). कंड्टिव बहरापन
यदि अवरोध कान के पर्दे या सुनने की हड्डियों तक सीमित रहता है तो इसे कन्डक्टिव डेफनेस (बहरेपन का एक प्रकार) कहते हैं। कन्डक्टिव डेफनेस के कारण कान का मैल या फंगस होना, कान का बहना, जिसकी वजह से कान का पर्दा फट जाता है और उसमें छेद हो जाता है, ओटोस्क्रोसिस जिसमें कान की अत्यंत सूक्ष्म हड्डी स्टेपीज और भी सूक्ष्म हो जाती है, जिसके कारण कम्पन्न आन्तरिक कान तक नहीं पहुंचता है, पहुंच सकता हैं। इस तरह का बहरापन सामान्यतया युवाओं में कान बहे बगैर भी हो सकता है। इसके अलावा कान पर जोर से झापड़ मारना, चोट लगना, या तेज ध्वनि के धमाके द्वारा कान का पर्दा फट सकता है। इस स्थिति में कान से खून आ सकता है। कान सुन्न हो जाता है अथवा उसमें सांय-सांय की आवाज आने लगती है। सिर भारी हो जाता है या चक्कर भी आ सकता है।
2). सेन्सरी न्यूरल बहरापन
यदि अवरोध कान के आंतरिक भाग में या सुनने से संबंधित नस में है, तो इसे सेन्सरी न्यूरल डेफनेस कहते हैं। इसके सामान्य लक्षण में कान से सांय-सांय की आवाज अथवा तरह-तरह की आवाजें आना और कान का भारी होना, कान में दर्द होना, जो मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से बढ़ सकता है, चक्कर आना, व्यक्तित्व से संबंधित मानसिक परेशानियां आदि होते हैं। सेन्सरी न्यूरल बहरापनके कारण पैदाइशी बहरापन, जो वंशानुगत अथवा पैदा होते समय बच्चे के देर से रोने पर खून में आक्सीजन की कमी के कारण अथवा कान के पूर्णतया विकसित न होने के कारण हो सकता है। इनके अलावा ध्वनि प्रदूषण जैसे तेज आवाज के जेनरेटर, प्रेशर हार्न, वाहनों द्वारा प्रदूषण से भी बहरापन हो सकता है। और अधिक उम्र की वजह से कान में शिथिलता आ जाना, कभी-कभी कान में बहरापन एकदम से आ जाता है। इस स्थिति में शीघ्र ही नाक, कान, गला विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।
बहरापन का घरेलु आयुर्वेदिक इलाज – Hearing loss treatment in ayurveda in hindi
- गुलाबी फिटकरी, केशर और एलुआ एक-एक ग्राम लेकर तुलसी के पत्तों के 80 ग्राम रस में पीसकर मिला लें। उक्त द्रव की चार-पांच बूंदे रोज कान में टपकाएं। यदि कान का पर्दा फटा हुआ नहीं है तो बहरापन कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा।
- सरसों के तेल में कुछ धनिये के कुछ दाने दाल कर पकाएं, जब यह आधा रह जाए तो इसे छान कर कान में एक एक बूंद डाले।
- मूली का रस निकालकर उसमें उस रस का चौथाई भाग तिल का तेल मिलाकर तब तक पकाएं, जब तक तिल का तेल शेष ना रह जाए। इस तेल की 3-4 बूंदे दिन में दो बार कानों में डालने से बहरापन दूर हो जाएगा।
- एक चम्मच बेल के पत्तों का रस, एक चम्मच अनार के पत्तों का रस दोनों को 100 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं। जब यह आधा रह जाए तो उसे उतार लें। इस तेल को नियमित रूप से कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
- तिल का तेल 3.73 कि.ग्रा., गौ-मूत्र में पीसी हुई बेलगिरी 936 ग्राम तथा बकरी का दूध 15 कि. ग्रा – इन सब को तेल पाक-विधि से पका लें। इस तेल को कान में डालने से कान दर्द बहरापन आदि अच्छा होता है।
- लहसुन की सात–आठ कलियों को सरसों के तेल में तब तक गर्म करेंं, जब तक यह काली न हो जाए, फिर इसे छान लें, इस तेल को बूंद-बूंद करके कान में डालें।
- जलकुंभी कल्क 233 ग्राम, इसी का स्वरस 3.73 कि.ग्रा और तिल का तेल 933 ग्राम – सबको मिलाकर पकाए। जब मात्र तेल शेष रह जाए तो इसे कान में डालें। इससे बहरापन, कान का दर्द, पकना एवं बहना आदि ठीक हो जाता है।
- अदरक के रस में शहद, तेल तथा जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर कान में डालने से बहरापन और कर्णशूल आदि का नाश होता है।
- 1-1 चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में मिलाकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2-3 बूंदें रोजाना कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
- हर रोज़ एक ग्लास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद मिलाकर दो बार पीएं, इससे सुनने की क्षमता बढ़ेगी।
इन बातों का भी ख्याल रखे – Deafness Safety in Hindi
- शोरगुल वाले स्थानों से दूर रहें
- डॉक्टर से सलाह लेकर बहरेपन के कारण का पता लगायें
- सुनने में सहायक यंत्रों का उपयोग करें
- कान के मैल को साफ़ करते रहे
Sir meri Age 24year ki h our mujhe bahrepan ki sikayat 9-10year se h
Mine bahut illaj karwaya lekin koi relief nahi mila
Problem or jyada bad gai
Mujhe kya karna chahiye bataye
Ek Bar Aap Upar Di Gayi Tips Ko Follow Kare,,, I Hope Aapki Prblm Thik Ho Jayegi,