Hives Treatment in Hindi – शीतपित यानि की पीती उछलना एक सामान्य बीमारी हैं। इस रोग में रोगी के शरीर में खुजली मचती रहती है, दर्द होता है तथा व्याकुलता बढ़ जाती है। यही नहीं पित्ती उछलने से बुखार और उल्टी आदि तक होने लगती है। कभी-कभी ठंडी हवा लगने या दूषित वातावरण में जाने के कारण भी यह रोग हो जाता है। शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है। वैसे साधारणतया यह रोग पाचन क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है। कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है। लेकिन चिंता ना करें अयुर्वेद में आपकी समस्या का उपचार है। जिससे आप पूरी तरह से इस बीमारी से मुक्त हो सकते है। आइये जाने (Pitti uchalne ke karan lakshan aur gharelu upay in hindi) क्या हैं ये उपचार..
शीतपित्त का कारण – Causes of Hives in Hindi
शीतपित्त होने का मुख्य कारण एलर्जिक रिएक्शन है। इसका जिम्मेवार हिस्टामाइन नाम का एक विशेष हार्मोन है। वहीं, इसके जैसे ही कुछ अन्य रसायनों का अधिक मात्रा में बनना भी पित्ती की वजह बन सकता है। पित्ती होने के और भी कारण हैं, जैसे –
- कीटों का काटना।
- सीप, शंख, मछली, नट्स, अंडा व दूध जैसे अन्य खाद्य पदार्थों से एलर्जी के कारण।
- कभी-कभी ठंडी हवा लगने या दूषित वातावरण में जाने के कारण।
- कुछ विशेष दवाओं का दुष्प्रभाव के कारण भी।
- अधिक व्यायाम या तनाव के कारण।
- एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी।
- बीमारी या प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी कोई समस्या।
- पानी में अधिक समय तक रहने के कारण।
- जानवरों से झड़ने वाले त्वचा के कुछ अंश (खासकर बिल्लियों से)।
पित्ती उछलने के लक्षण – Symptoms of Hives in Hindi
जैसा की हमने पहले ही बताया हैं इस रोग में रोगी के शरीर में खुजली मचती रहती है, दर्द होता है तथा व्याकुलता बढ़ जाती है। यही नहीं पित्ती उछलने से बुखार और उल्टी आदि तक होने लगती है। इसके आलावा त्वचा पर सूजन के साथ लाल चकत्तों का नजर आना, पलकों और होंठों पर सूजन होना भी इसके लक्षण हैं। डर्मिटोग्राफिज्म, जिसमें हल्की-सी खरोंच लगने पर भी त्वचा में सूजन आ जाती है।
पित्ती उछलने के घरेलु आयुर्वेदिक उपचार – Home Remedies for Hives in Hindi
⇒ बच्चों को काला कंबल उढ़ाने और नुक्ती का लड्डू खिलाने से पित्ती उछलने में बहुत लाभ होता है।
⇒ यदि पित्ती उछलने पर खुजली अधिक हो तो चिरौंजी और गोरू का समभाग पीसकर शरीर पर उबटन की तरह मले।
⇒ पानी में जीरे को उबाल लें। जब यह पानी हल्का गरम रहें तब इस पानी से स्नान करें। कुछ दिनों तक रोज नहाने से बदन की खुजली और पित्ती उछलना बंद हो जाती है।
⇒ मक्खन में गेरू और कपूर मिलाकर मालिश करने से पित्ती ठीक हो जाती है।
⇒ सेंधा नमक को देसी घी के साथ मिला लें और इससे अपने पूरे शरीर की मालिश करें। मालिश करने के बाद थोड़ी देर कंबल ओढ़कर पसीना लें। इस उपाय से पित्ती का उछलना बंद हो जाएगा।
⇒ आधा चम्मच शहद में आधी चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिला लें। और दिन में दो बार इसका सेवन कुछ दिनों तक नियमित करें। आपकी पित्ती उछलना बंद हो जाएगी।
⇒ पित्ती वाले रोगी के शरीर में गेरू पीसकर मलें तथा गेरू के परांठे या पुए खिलाएं|
⇒ एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण के साथ एक चम्मच शहद को मिला कर सुबह और शाम में दो बार चाटें। पित्ती उछलने से निजात मिल जाएगा।
⇒ दो कप उबले हुए पानी में एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर नियमित पीते रहने से पित्ती उछलना बंद हो जाता है।
⇒ काली मिर्च का पिसा हुए चूर्ण को देसी घी में मिलाकर उससे शरीर की मालिश करें और आप इसका सेवन भी कर सकते हो। एैसा करने से पित्ती उछलना ठीक हो जाता है। यह उपाय भी आप नियमित करें।
⇒ 50 ग्राम अजवायन दरदरी पीस लें इसे 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर 16 गोलियां बन लें। इन्हें सुबह शाम पानी से निगल लें। सर्दी में होने वाली शीत पित्ती में भी इससे बहुत आराम मिलता है।
⇒ गाय के घी में दो चुटकी गेरू मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है।
⇒ पित्ती निकलने पर नीम के पत्ते चबाने पर कड़वे नहीं लगते। नीम के पत्ते तब तक चबाएं जब तक की कड़वे न लगने लगे। इससे पित्ती ठीक हो जाती है।
⇒ आधा चम्मच सेंधा नमक और एक चम्मच अजवाइन को आपस में मिलाकर रोज सुबह खाली पेट एक फंकी पानी के साथ लेने से आपको इस रोग में बहुत ही जल्दी फायदा मिल जाएगा।
⇒ आंवले के चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से गरमी के कारण उछली पित्ती ठीक हो जाती है।
⇒ पूरे शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करने के बाद गरम पानी से नहाने से पित्ती की बीमारी ठीक हो जाती है।
⇒ पित्ती रोगियों को हल्दी , मिश्री और शहद इन तीनों को मिलाकर रात को खाने से पित्ती की शिकायत दूर हो जाती है। और खाने के बाद रोगी को हवा नही लगनी चाहिए। बेसन के लड्डू बनाकर या बाजार से खरीद कर इसमें काली मिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की बीमारी दूर हो जाती है।
पित्ती उछलने के घरेलू उपाय – Pitti Uchalne ke Gharelu Upay
1). अदरक में प्राकृतिक रूप से एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाले) गुण मौजूद होते हैं, जो पित्ती के कारण त्वचा पर आने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसका इस्तेमाल के लिए, एक चम्मच अदरक का ताजा जूस ले और दो चम्मच शहद। अब अदरक के जूस को शहद के साथ मिलाकर पिएं। इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो से तीन बार तक दोहराएं। जल्दी लाभ मिलेगा।
2). ग्रीन टी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव मौजूद होते हैं, जो संयुक्त रूप से पित्ती के कारण त्वचा पर होने वाली सूजन के साथ-साथ त्वचा से संबंधित बैक्टीरियल इन्फेक्शन के प्रभाव को भी दूर करने में सहायक साबित होते हैं। इसके लिए, एक ग्रीन टी बैग, एक चम्मच शहद, एक कप गर्म पानी ले। ग्रीन टी बैग को एक कप गर्म पानी में पांच से दस मिनट के लिए डालकर छोड़ दें। बाद में इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर धीरे-धीरे सिप करके पिएं। दिन में आप दो से तीन कप तक ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं।
3). दो गिलास पानी में एक चम्मच एक चम्मच खाने का सोडा मिलाकर इस पानी का शरीर पर स्पंज करने से पित्ती के अलावा खुजलीदार दानो में भी आराम मिलता है।
4). अगर पित्ती से जल्दी रहत चाहिए तो, देसी घी में सेंधा नमक मिलाकर इससे मालिश करके ओढ़ कर सो जाएँ। पसीना आने के साथ पित्ती में आराम आ जायेगा।
5). पित्ती के घरेलू उपाय में आप बेकिंग सोडा को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले बर्तन में एक चम्मच बेकिंग सोडा और आवश्यक पानी मिलाकर उसका पेस्ट बनाये और ब इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और पांच से दस मिनट सूखने के लिए छोड़ दें।
पित्ती की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Hives Treatment in Homeopathy in Hindi
पित्ती की होम्योपैथिक दवा इस्तेमाल करने के लिए सबसे बेहतर हैं आप किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह पर इसे ले। विशेषज्ञ हमेशा इस बात को ध्यान में रखकर होम्योपैथिक उपचार की सलाह देते हैं कि स्थिति एक्यूट (अचानक या तेज) है या क्रोनिक (धीरे-धीरे व लंबे समय से प्रभावित करने वाली) है। लक्षणों के अलावा, व्यक्ति की स्वास्थ्य (शारीरिक और मानसिक दोनों), उम्र और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखा जाता है। कुछ होम्योपैथिक उपचार जिनका उपयोग पित्ती के उपचार के लिए किया जाता है, उनमें एपिस मेलिफिका, रस टॉक्सिकोडेंड्रोन, कैम्फोरा, सल्फर, आर्सेनिकम एल्बम, कोपाइवा ऑफिसिनैलिस, एंटीमोनियम क्रूडम और बोविस्टा लाइकोपेरोडन शामिल हैं।
शीतपित्त में क्या खाना चाहिए – Hives Diets in Hindi
शीतपित्त होने पर हलका, सुपाच्य, सात्त्विक आहार करें। मूंग की दाल और चोकर युक्त आटे से बनी रोटी सेवन करें। हरी सब्जियां और मीठे फल खाएं।
शीतपित्त में क्या नहीं खाना चाहिए
शीतपित्त होने पर दूध या दूध से बने प्रोडक्ट, मसालेदार, बहुत ज्यादा नमकीन फूड, फिश, नॉन वेज फूड और प्रोसेस्ड फूड नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा शराब और धूम्रपान भी नहीं करना चाहिए।
पित्ती उछलने (शीतपित्त) से बचाव – Prevention Tips for Hives in Hindi
किसी भी बीमारी का इलाज सही प्रकार से तब होता हैं, कुछ चीजों में परहेज किया जाएँ। पित्ती होने पर इन बातो का ध्यान रखे-
- किसी दवा विशेष के कारण यह एलर्जी है, तो उसका सेवन बंद करें।
- तनाव को दूर रखें।
- अधिक व्यायाम न करें।
- पानी में अधिक देर तक भीगने से बचें।
- किसी जानवर के संपर्क में आने से बचे।
- किसी गलत दवाई का सेवन करने से बचे।