विद्यासागर सेतु कोलकाता का इतिहास | Vidyasagar Setu History

Vidyasagar Setu Kolkata in Hindi / विद्यासागर सेतु, पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित हुगली नदी पर बना एक पुल (Bridge) हैं। यह दूसरे हावड़ा पुल के नाम से भी जाना जाता है। भारत में बने सभी सेतुओं में यह सबसे लंबा है। इसके साथ ही यह एशिया के सबसे लंबे सेतुओं में गिना जाता है। 10 अक्टूबर 1992 में 388 करोड़ रुपये की लागत के साथ विद्यासागर सेतु का निर्माण किया गया था। इसे केबल के जरिए बनाया गया है।

विद्यासागर सेतु का इतिहास और जानकारी - Vidyasagar Setu History in Hindi

विद्यासागर सेतु का इतिहास और जानकारी – Vidyasagar Setu History in Hindi

विद्यासागर सेतु हुगली नदी पर कोलकाता से हावड़ा को जोड़ता हुआ सेतु है। यह सेतु टोल ब्रिज है, पर साइकिलों के लिए निःशुल्क है। इस सेतु का नाम उन्नीसवीं शताब्दी के बंगाली समाज-सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाम पर रखा गया है।

इसे आमतौर पर दूसरा हावड़ा ब्रिज कहा जाता है। इस पुल की भव्यता देखते ही बनती है और जब रात के समय यह रोशनी से जगमगा उठता है तो यह नजारा मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। इस ब्रिज पर पैदल चलने का लेन नहीं हैं पर वाहन से जाकर फोटोग्राफी की जा सकती हैं।

विद्यासागर सेतु आधुनिक बांध निर्माण कला का एक बेहतरीन नमूना है, जो चार स्तम्भों और 121 रस्सियों के सहारे खड़ा हुआ है। ‘स्टील रोपवे’ पर आधारित विद्यासागर सेतु की कुल लंबाई 2700 फुट तथा ऊँचाई और चौड़ाई 115 फुट है।

1992 ई. में शुरु हुआ यह सेतु छ: लेन वाला है। विद्यासागर सेतु के दोनों ओर नदी पर हावड़ा पुल और विवेकानंद सेतु नाम के दो अन्य बड़े सेतु भी हैं।

जापानी तकनीक से बना विद्यासागर सेतु की लंबाई 832 मीटर तथा चौड़ाई 35 मीटर है। सेतु का उद्घाटन 10 अक्टूबर 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने किया था। उक्त सेतु से रोजाना छोटे बड़े मिलाकर करीब 90 हजार वाहन गुजरते हैं।

पश्चिम बंगाल की राजधानी महानगर कोलकाता से दूसरे राज्यों को जाने का सबसे प्रमुख मार्ग विद्यासागर सेतु को माना जाता है। यह देश के उत्तर, पश्चिम और दक्षिण के राज्यों को जोड़ता है। हुगली नदी पर बने इस सेतु को पार कर लोग वाहन ओडिसा, मुम्बई, दिल्ली, बिहारझारखण्ड पहुंचते हैं।


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