Tawang / तवांग, अरुणाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो तवांग जिले का मुख्यालय भी है। इस छोटे से जगह की खूबसूरती ऐसी है, जिसे देखने के बाद आपको इस जगह से वापस आने का मन नहीं करेगा। तवांग जिला अपनी रहस्यमयी और जादुई खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
तवांग अरुणाचल प्रदेश का संक्षिप्त परिचय – Tawang Arunachal Pradesh Information in Hindi
नाम | तवांग (Tawang) |
राज्य | अरुणाचल प्रदेश |
जनसंख्या | 49,950 (2011 तक) |
ऊँचाई (AMSL) | 2,669 मीटर (8,757 फी॰) |
क्षेत्रफल | 2,085 km2 (805 sq mi) |
भाषा | Sino-Tibetan , English, Hindi |
तवांग की जानकारी और इतिहास – Tawang Information & History in Hindi
अरुणाचल प्रदेश के सबसे पश्चिम में स्थित तवांग हिमालय की तराई में समुद्र तल से 3500 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। तवांग की उत्तर-पूर्व दिशा में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग स्थित है। यह प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है। छुपे हुए स्वर्ग के नाम से यह पर्यटकों में काफ़ी लोकप्रिय है। तवांग बहुत ख़ूबसूरत है। पर्यटक यहाँ पर ख़ूबसूरत चोटियाँ, छोटे-छोटे गाँव, शानदार गोनपा, शांत झील और इसके अलावा बहुत कुछ देख सकते हैं। इन सबके अलावा यहाँ पर इतिहास, धर्म और पौराणिक कथाओं का सम्मिश्रण भी देखा जा सकता है।
तवांग का नामकरण 17वीं शताब्दी में मिराक लामा ने किया था। यहाँ पर मोनपा जाति के आदिवासी रहते हैं। यह जाति मंगोलों से संबंधित है। यह पत्थर और बांस के बने घरों में रहते हैं। प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अलावा पर्यटक यहाँ पर अनेक बौद्ध मठ भी देख सकते हैं। यह मठ बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर एशिया का सबसे बडा मठ तवांग मठ भी है। अपने बौद्ध मठों के लिए यह पूरे विश्व में पहचाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि तवांग शब्द की व्युत्पत्ति तवांग टाउनशिप के पश्चिमी भाग के साथ-साथ स्थित पर्वत श्रेणी पर बने तवांग मठ से हुई है। ‘ता’ का अर्थ होता है- ‘घोड़ा’ और ‘वांग’ का अर्थ होता है- ‘चुना हुआ।’
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान का चुनाव मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो के घोड़े ने किया था। मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो एक मठ बनाने के लिए किसी उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहे थे। उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिली, जिससे उन्होंने दिव्य शक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने का निर्णय लिया। प्रार्थना के बाद जब उन्होंने आंखे खोली तो पाया कि उनका घोड़ा वहां पर नहीं है।
वह तत्काल अपना घोड़ा ढूंढने लगे। काफी परेशान होने के बाद उन्होंने अपने घोड़े को एक पहाड़ की चोटी पर पाया। अंतत: इसी चोटी पर मठ का निर्माण किया गया और तवांग शब्द की व्युत्पत्ति हुई। प्राकृतिक सुंदरता के मामले में तवांग बेहद समृद्ध है और इसकी खूबसूरती किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती है।
यहां सूरज की पहली किरण सबसे पहले बर्फ से ढंकी चोटियों पर पड़ती है और यह नजारा देखने लायक होता है। वहीं सूरज की आखिरी किरण जब यहां से गुजरती है तो पूरा आसमान अनगिनत तारों से भर जाता है। तवांग का शांत वातावरण हनीमून पर जाने वाले कपल्स के लिए बहुत ही परफेक्ट है।
तवांग के पर्यटन स्थल – Tawang Tourist Place in Hindi
तवांग की खूबसूरती ऐसी हैं की लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं। यहां पर विश्व प्रसिद्द मठ, पहाड़ों की चोटी और झरने सहित कई चीजें हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण में तवांग मठ, सेला पास और ढेर सारे जलप्रपात हैं, जिससे यह बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी पसंदीदा स्थान बन जाता है।
यहां कई नदियां, झीले और ऊंचे-ऊंचे जलप्रपात हैं। जब इनके पानी में नीले आकाश और बादलों का प्रतिबिंब उभरता है तो पर्यटकों के लिए यह नजारा कभी न भूलने वाला नजारा साबित होता है। अगर आप सही मायानों में प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह छुपा हुआ स्वर्ण बाहें फैला कर आपका स्वागत कर रहा है।
विश्व प्रसिद्ध तवांग मठ – About Tawang Math in Hindi
तवांग मठ का निर्माण मेराक लामा लोड्रे ग्यात्सो ने 1680-81 ई. में कराया था। तवांग मठ एक पहाड़ी पर बना हुआ है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 10,000 फीट है। यहाँ पर कई छोटी नदियाँ भी बहती हैं। यहाँ से पूरी त्वांग-चू घाटी के ख़ूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। तवांग मठ दूर से क़िले जैसा दिखाई देता है। पूरे देश में यह अपने प्रकार का अकेला बौद्ध मठ है। तवांग मठ एशिया का सबसे बडा बौद्ध मठ है। तवांग मठ में 700 बौद्ध साधू ठहर सकते हैं। तवांग मठ के पास एक जलधारा भी बहती है। यह जलधारा बहुत ख़ूबसूरत है और यह मठ के लिए जल की आपूर्ति भी करती है। तवांग मठ का प्रवेश द्वार दक्षिण में है। प्रवेश द्वार का नाम काकालिंग है। काकालिंग देखने में झोपडी जैसा लगता है और इसकी दो दीवारों के निर्माण में पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इन दीवारों पर ख़ूबसूरत चित्रकारी की गई है, जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है।
तवांग की संस्कृति –
तवांग में मोनपा जनजाति के लोग रहते हैं। अरुणाचल प्रदेश की दूसरी जनजातियों की तरह ही मोनपा समुदाय के त्योहार भी मुख्य रूप से कृषि और धर्म से जुड़े होते हैं। तवांग के मोनपा हर साल कई त्योहार मनाते हैं। इन्हीं में से एक है लोसर। यह नए साल का त्योहार है, जो पूरे हर्षोल्लास के साथ फरवरी अंत और मार्च की शुरुआत में मनाया जाता है।
तवांग जाये तो शॉपिंग करना न भूले। तवांग के मोनपा लोग शिल्पकारिता में भी काफी दक्ष होते हैं। यहां के बाजारों में खूबसूरत परंपरागत शिल्प को देखकर इस बात अंदाजा भी हो जाता है। ये शिल्प सरकारी शिल्प केन्द्र में भी उपलब्ध रहते हैं। लकड़ी से बने सामान, बुने हुए कार्पेट और बांस से बने बर्तन की खूबसूरती देखने लायक होती है।
दोलोम एक कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया खाने का बर्तन है, जिसका ढक्कन लकड़ी का बना होता है। शेंग ख्लेम एक लकड़ी का बना चम्मच है। वहीं ग्रुक लकड़ी का बना एक कप है, जिसका इस्तेमाल चाय पीने के लिए किया जाता है।
कब जाएँ और कैसे पहुंचे –
तवांग घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर के बीच हैं। इस दौरान यहां का मौसम काफी खुशगवार होता है। तवांग जाने के लिए हवाई मार्ग का प्रयोग सबसे अच्छा हैं, क्यूंकि यहां सिर्फ एक सड़क मार्ग हैं जो की संकीर्ण हैं। देश के अन्य हिस्सों से तवांग गुवाहाटी और तेजपुर होते हुए पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से गुवाहाटी के लिए इंडियन एयरलाइन, जेट एयरवेज और सहारा एयरलाइन की हर दिन फ्लाइट रहती है। इसके अलावा कोलकाता और दूसरे जगहों से भी गुवाहाटी के लिए उड़ानें मिलती हैं। वहीं राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन भी गुवाहाटी जाती है।
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