Sukha Rog in Hindi / सूखा रोग ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जिनके शरीर में विटामिन `डी´ और कैल्शियम की कमी होती है। सूखा रोग में बच्चा प्रतिदिन निर्बल होता जाता है। उसके हाथ-पांव सूखते जाते हैं। इसके साथ ही पेट बढ़ कर आगे की ओर निकल आता है। त्वचा का रंग पीला दिखाई देता है। पाचन क्रिया विकृत हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार कुपोषण अथवा संतुलित आहार के अभाव से सूखा रोग की उत्पत्ति होती है। हालाँकि यह रोग कुछ आनुवंशिक स्थितियों के कारण भी हो सकता है।
सूखा रोग कितने प्रकार के होते हैं? Types of Rickets in Hindi
सूखा रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं जिन्हें कैल्सीपेनिक और फॉस्फोनिक के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। कैल्सीपेनिक रिकेट्स मूल रूप से विटामिन डी की कमी या इसके अवशोषण के खिलाफ विकसित प्रतिरोध के कारण होता है। दूसरी ओर, फॉस्फोनिक रिकेट्स वृक्क नलिका के माध्यम से फॉस्फेट के नुकसान के परिणामस्वरूप होता है। आहार फॉस्फेट की कमी या फॉस्फेट के कुअवशोषण के कारण स्थिति उत्पन्न होती है।
सूखा रोग के क्या कारण हैं? Rickets Causes in Hindi
- शरीर में विटामिन डी की कमी
- कैल्शियम की कमी
- रिकेट्स हाइपोफोस्फेटेमिक रिकेट्स जैसे आनुवंशिक विकार के कारण भी हो सकता है।
सूखा रोग होने का लक्षण – Symptom of Rickets in Hindi
जब किसी छोटे बच्चे को सूखा रोग हो जाता है तो उसमें चिड़चिडापन, मांसपेशियां ठंडी होना, बेचैनी, फीकापन लगना, हड्डियों के फ्रैक्चर बढ़ना, सिर से अधिक पसीना निकलना, दस्त, पेचिश तथा हडि्डयां कमजोर होना आदि लक्षण पैदा हो जाते हैं। जब सूखा रोग से पीड़ित रोगी की रीढ़ की हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं तो उसकी छाती में भी विकार हो जाते हैं, जिसके कारण रोगी बच्चे को चलने-फिरने तथा उठने-बैठने में परेशानी होने लगती है। इसके आलावा कलाई का चौड़ा होना, छोटे बच्चों के झुके हुए पैर, मोटर कौशल में देरी, कमजोर मांसपेशियां, श्रोणि(पेल्विस) में दर्द, पैर और रीढ़, और शरीर में अवशोषण के साथ समस्याएं भी इसके लक्षण हैं।
सूखा रोग का घरेलु आयुर्वेदिक उपचार – Rickets Treatment in Hindi
⇒ बच्चे में रोग निरोधक शक्ति विकसित करने के लिए मुक्तावटी या प्रवाल भस्म में से कोई एक औषधि तथा चवनप्राश खिलाने से सूखा रोग में शीघ्र लाभ होता है।
⇒ बच्चे को कच्चे लाल टमाटर का रस एक महीने तक रोजाना पिलाने से सूखा रोग में आराम आता है और बच्चा सेहतमंद और अच्छा हो जाता है। सूखा रोग में टमाटर का सेवन बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
⇒ प्रतिदिन जैतून, काडलीवर आयल अथवा महानारायण तेल से बच्चे की मालिश करने पर वह जल्दी ही सूखा रोग से मुक्त हो जाता है।
⇒ रात को तीन बादाम भिगोकर और सुबह उसे पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से सूखा रोग ठीक हो जाता है।
⇒ सूखा रोग में हरी सब्जियां, फलों का रस एवं चावल के माड़ का उपयोग करने से शीघ्र लाभ होता है।
⇒ भांगरे के रस में थोड़ा-सा अजवाइन का चूर्ण मिलाकर देने से बच्चों की आकृति वृद्धि समाप्त होती है। इससे सूखा रोग नष्ट हो कर बच्चे स्वस्थ और हुष्ट-पुष्ट रहते हैं।
⇒ बैंगन को अच्छी तरह से पीसकर उसका रस निकालकर उसके अंदर थोड़ा सा सेंधानमक मिला लें। इस एक चम्मच रस को रोजाना दोपहर के भोजन के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को पिलाने से सूखा रोग में आराम आता है।
⇒ सूखा रोग तथा यकृत वृद्धि में मूली की छोटी-छोटी फांके काटकर नौसादर मिलाकर रख दें। सुबह उठने पर शौचादि से निर्वृत करा कर बच्चे को वह मूली खिलाने से लाभ होता है।
⇒ एक चम्मच अमचूर को भिगोकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को नित्य दो बार चटाने से सूखारोग ठीक हो जाता है।
⇒ मकोय का स्वरस गरम करके लेप करने से यकृत वृद्धि नष्ट होती है। इससे बच्चे का सूखा रोग समाप्त हो जाता है।
⇒ सुबह सूरज उगने से पहले काली गाय का 10 मिलीलीटर पेशाब और 10 ग्राम केसर लें। केसर को गाय के पेशाब में मिलाकर शीशी में भर लें। 6 महीने तक के बच्चों को इसकी 5 बूंदें और उसके ऊपर की उम्र के बच्चे को 8 बूंदे सुबह और शाम मां के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) मिट जाता है।
⇒ नवायस लौह या लौ भस्म में से कोई भी एक औषधि देने से सूखा रोग जल्दी लाभ होता है।
⇒ बच्चे को पेट भर अंगूर का जूस पिलाएं। दिन में दो बार कुछ दिनों तक अंगूर का रस बच्चे को पिलाते रहने से सूखा रोग ठीक हो जाता है।
⇒ बच्चे को विटामिन डी युक्त चीजें खाने को दें। इसके अलावा बच्चे को धूप में थोड़ी देर घूमने दें। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और सूख रोग ठीक हो जाता है।
⇒ बच्चों के सूखा रोग में खजूर और शहद को बराबर की मात्रा में मिला कर दिन में दो बार कुछ हफ्ते तक खाना चाहिए। इससे सूखा रोग ठीक हो जाता है।
⇒ रात में दो से तीन बादामों कि गिरी को भिगों लें और इन्हें पीसकर दूध में मिला लें और इसका सेवन सूखा से पीड़ित बच्चे को दें। इस उपाय से भी सूख रोग ठीक होने लगता है।
⇒ यदि किसी बच्चे को यह रोग हो गया हो तो उस बच्चे को दूध में तिल मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे सूखा रोग ठीक हो जाता है।
⇒ एक वर्ष के बच्चे को आधा चम्मच, दो वर्ष के बच्चे को दो चम्मच और इसी क्रम से आयु के अनुसार मात्रा में, उबलाकर ठंडा किए हुए दूध को तिगुनी मात्रा में लेकर चूने के पानी के साथ मिलाकर सुबह-दोपहर व शाम को पिलाना चाहिए। यह सूखा रोग या दुबलेपन की बढ़िया दवा है। दाँत या दाढ़ निकलते समय इसका सेवन बहुत उपयोगी रहता है। इस चूने के पानी और दूध का सेवन बड़ी आयु वाले भी कर सकते हैं।
रिकेट्स से बचाव – Prevention of Rickets in Hindi
रोग होने से रोकथाम करने का सबसे बेहतर तरीका ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन डी मौजूद हो। इस तरह के खाद्य पदार्थों में ताजा वसायुक्त मछलियां जैसे सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन, लीवर, मशरूम और अंडे की जर्दी शामिल हैं। साथ ही डेयरी उत्पादों का अधिक सेवन।
- धूप में समय बिताएं ताकि प्राकृतिक विटामिन डी का उचित सेवन हो
- सर्दियों के महीनों में जब धूप कम होती है, तो चेहरे और हाथों को धूप के संपर्क में रखना चाहिए।
- विटामिन डी के सप्लीमेंट भी काम करते हैं।
FAQ
Q : रिकेट्स किसकी कमी से होता है?
Ans – Vitamin D and Calcium
Q : सूखा रोग कैसे होता है?
Ans – सूखा रोग ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जिनके शरीर में विटामिन `डी´ और कैल्शियम की कमी होती है।
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keep it up good work
24 ki age walo ko bhi ho skta h kya