Statue of Unity – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई 182 मीटर (597 फीट) है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। यह प्रतिमा भारत के गुजरात राज्य में स्थित हैं।
स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी – Statue of Unity Details Information
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का मतलब हैं ‘एकता की मूर्ति’। यह मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दुगनी 182 मीटर हैं। इस मूर्ति का निर्माण गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर किया गया है। इस मूर्ति को कंक्रीट और स्टील से बनाया गया है। इसका उद्धघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया।
यह एक पर्यटक स्थल भी हैं। इस मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है। जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है। जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं। वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी गयी हैं। इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से पर्यटक ऊपर सरदार पटेल की छाती तक जा सकेंगे और वहां से सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था हैं।
यहां सामने नदी से 500 फिट ऊँचा आब्जर्वर डेक का भी निर्माण किया गया है जिसमे एक ही समय में दो सौ लोग मूर्ति का निरिक्षण कर सकते हैं। नाव के द्वारा केवल 5 मिनट में मूर्ति तक पहुँच सकते हैं। यहां एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है। इसमें लेजर लाइटिंग की गई है। यहीं खान-पान स्टॉल, उपहार की दुकानें, रिटेल और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं, जिससे पर्यटकों को अच्छा अनुभव होगा।
इस प्रतिमा के साथ-साथ 250 एकड़ में एक वैली ऑफ फ्लॉवर बनाया गया है। इसमें 100 से ज्यादा तरह के फूलों के पौधे लगाए गए हैं। यह परियोजना स्थल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, भारत के एकीकरण में सरदार के योगदान को जीवंत करती विश्व स्तरीय प्रदर्शनी, संग्रहालय, स्मारक उद्वान, साधु द्वीप को मुख्यभूमि से जोड़ता सेतु हैं।
निर्माण और इतिहास – Statue of Unity History
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की निर्माण की घोषणा गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को की गयी थी। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गठित ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट’ ने तय किया है कि जितना ऊंचा सरदार पटेल का काम-उतनी ऊंची उनकी प्रतिमा होनी चाहिए।
31 अक्टूबर, 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नर्मदा ज़िले में सरदार पटेल के स्मारक का शिलान्यास किया। इसका नाम ‘एकता की मूर्ति’ (स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी) रखा गया। शुरुवात में इस परियोजना की कुल लागत भारत सरकार द्वारा लगभग भारतीय रुपया 3,001 करोड़ रखी गयी थी, लार्सन एंड टूब्रो कंपनी ने अक्टूबर 2014 में सबसे कम 2,989 करोड़ की बोली लगाई; जिसमें आकृति, निर्माण तथा रखरखाव शामिल था। इसके बाद इसका निर्माण शुरू हुआ।
इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। इसके लिए एक ट्रस्ट भी बना “सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट”। 3 महीने लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति निर्माण के लिए लोहा दान किया। इस दौरान लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहे का संग्रह किया गया। हालाँकि शुरुआत में यह घोषणा की गयी थी कि संग्रहित किया गया लोहे का उपयोग मुख्य प्रतिमा में किया जायेगा, मगर बाद में यह लोहा प्रतिमा में उपयोग नहीं हो सका; और इसे परियोजना से जुड़े अन्य निर्माणों में प्रयोग किया गया।
इस मूर्ति के निर्माण में भारत के 2400 मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया। इसे बनाने में पुरे 5 वर्ष लगे और करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। प्रतिमा का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है।
इसे बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने मलेशिया स्थित एवरसेंडाई नामक कंपनी से स्टील फ्रेमवर्क बनाने के लिए समझौता किया था। यह मशहूर कंपनी दुनिया की सबसे ऊँची ईमारत दुबई के प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा और बुर्ज अल अरब जैसी जानी-मानी इमारतें बना चुकी है। 31 अक्टूबर 2018 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटेल जयंती पर इसका उद्धघाटन किया। इसी के साथ यह दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा बन गयी।
बनावट – Architecture of Statue of Unity
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की बनावट इस तरह हैं की यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है और 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। इस प्रतिमा का कुल वजन 1700 टन है। इसके पैर की हाइट 80 फीट है। हाथ की ऊंचाई 70 फीट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है। मूर्ति का तीन-स्तरीय आधार, जिसमे प्रदर्शनी फ्लोर, छज्जा और छत शामिल हैं। छत पर स्मारक उपवन, विशाल संग्रहालय तथा प्रदर्शनी हॉल है जिसमे सरदार पटेल की जीवन तथा योगदानों को दर्शाया गया है।
इस लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है। इस प्रतिमा की बनावट बहुत खास हैं। यह कॉम्पोजिट प्रकार का स्ट्रक्चर है और सरदार पटेल की मूर्ति के ऊपर ब्रॉन्ज की क्लियरिंग है। इस प्रोजेक्ट में एक लाख 70 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगा है। साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है। इसके अलावा 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है। यह मूर्ति 22500 मीट्रिक टन सीमेंट से बनी है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है। इस मूर्ति के कंस्ट्रक्शन इंजीनियर्स ने इसे चार चरणों में पूरा किया। जो इस प्रकार है:- (1) मॉक-अप, (2) 3डी (3) स्कैनिंग तकनीक, (4) कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल (CNC) प्रोडक्शन तकनीक। वहीं मूर्ति के नीचे के हिस्से को ऊपर के हिस्से की तुलना में थोड़ा पतला किया गया है। मूर्ति के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती इसे भूकंप और अन्य आपदा से बचाव करना था।
कैसे जाएँ – Statue of Unity Tour
यहाँ जाने के लिए वाहन की अच्छी सुविधा हैं। फिलहाल एयरपोर्ट और रेल लाइन के लिए वडोदरा सबसे नजदीक है। प्रतिमा को देखने के लिए टिकट की दो कैटेगरी हैं। एक गैलरी देखने और एक बिना गैलरी वाली टिकट। अगर आप गैलरी, म्यूजियम और वैली ऑफ फ्लावर में जाना चाहते हैं तो पूरा नजारा देखना चाहते हैं तो तीन साल के बच्चों से लेकर व्यस्क तक 350 रुपये की टिकट लेनी होगी और 30 रुपये बस के देने होंगे। प्रत्येक सोमवार को रखरखाव के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्मारक बंद रहता है।
Statue of Unity Tour Facts
182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, इसके बाद चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा (153 मीटर), जापान की Ushiku Daibutsu (120 मीटर), अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर), रूस की ‘द मदरलैंड काल्स’ (85 मीटर) और ब्राज़ील स्थित ‘क्राइस्ट द रेडीमर’ (39.6 मीटर) है।.