Lord shiva 12 jyotirlinga places / शिव भगवान् देवों के देव अर्थात् महादेव हैं। भोलेनाथ अर्थात शिव जी से प्रत्येक कण की उत्पत्ति हुई है तथा उन्ही मे प्रत्येक कण की समाप्ति होती है। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। आज हम यहाँ भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) और भगवान शिव के “द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्” के बारें में जानेंगे..
ज्योतिर्लिंग क्या हैं – अथार्त ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है?
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‘ज्योतिर्लिंग’ शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों, ‘ज्योति’ और ‘लिंगम्’ से हुई है। ज्योति का अर्थ है, ‘प्रकाश’ और ‘लिंगम्’ का तात्पर्य भगवान् शिव की छवि या उनके चिन्ह से है। अतः ज्योतिर्लिंग का अर्थ है – सर्वशक्तिमान शिव का एक प्रकाशमान चिन्ह।
शिव महापुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में सर्वोच्चता (सर्वश्रेष्ठता) को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद का अंत करने के लिए, भगवान् शिव ने उन्हें एक कार्य सौंपा और स्वयं एक ज्योतिर्लिंग, प्रकाश का एक विशाल और अनंत स्तम्भ, के रूप में तीनों लोकों में प्रसारित हो गए। अब ब्रह्मा और विष्णु को अपने मार्ग पृथक कर इस प्रकाशमान स्तम्भ के ऊपरी और निचले सिरों का अंत खोजना था। दोनों इस खोज में लग गए। ब्रह्मा जी ने आकर कहा कि उन्हें अंत मिल गया, लेकिन विष्णु जी ने यह कहते हुए अपनी पराजय स्वीकार ली कि उन्हें इस प्रकाशमान स्तम्भ का कोई अंत नहीं मिला। अंततः ब्रह्मा जी और विष्णु जी को ज्ञात हुआ कि वास्तव में भगवान् शिव की वह दिव्य ज्योति अनंत है और उसकी कोई सीमा नहीं है।
सभी ज्योतिर्लिंग मंदिर वही स्थान हैं जहाँ भगवान् शिव प्रकाश के एक प्रदीप्तमान स्तंभ के रूप में प्रकट होते हैं। बारह ज्योतिर्लिंग स्थलों में से प्रत्येक को उसके प्रमुख आराध्य, भगवान् शिव के एक विशिष्ट अवतार के नाम से जाना जाता है। इन सभी स्थलों पर पूजी जाने वाली भगवान् शिव की प्रमुख छवि ‘शिवलिंग’ है, जो अनादि और अंतहीन लिंग का प्रतिनिधित्व करती है और भगवान् शिव की अनंत प्रकृति का प्रतीक है।
12 ज्योतिर्लिगों की इतिहास और जानकारी – 12 Jyotirlinga in India List in Hindi
निचे हर ज्योतिर्लिंग की जानकारी अलग-अलग दी गयी हैं। 12 ज्योतिर्लिगों में से जिस ज्योतिर्लिग की जानकारी और इतिहास आपको जानना हैं उस ज्योतिर्लिग के नाम पर क्लिक करे।
- सोमेश्वर या सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात – Somnath Gujarat, Saurashtra
- श्रीशैलम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आन्ध्र प्रदेश – Mallikarjuna Srisailam, Andhra Pradesh
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश – Mahakaleswar Ujjain, Madhya Pradesh
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश – Omkareshwar Omkareshwar, Madhya Pradesh
- केदारेश्वर या केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड – Kedarnath , Uttarakhand
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र – Bhimashankar, Maharashtra
- विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, काशी – Kashi Vishwanath Uttar Pradesh, Varanasi
- त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र – Trimbakeshwar, Maharashtra
- वैद्यनाथ महादेव ज्योतिर्लिंग, झारखण्ड – Baidyanath Deoghar, Jharkhand
- नागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग, गुजरात – Nageshwar, Gujrat
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु – Rameswaram, Tamil Nadu
- घृष्णेश्वर या घुसृणेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र – Grishneshwar, Maharashtra
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् – Dwadasa Jyotirlinga Stotram
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति। कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
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ज्योर्तिलिंगों के बारे में जानकर अच्छा लगा। आभार।