12 ज्योतिर्लिंग के नाम, स्थान और फोटो | 12 Jyotirlinga List with Place in Hindi

Lord shiva 12 jyotirlinga places in hindi / शिव भगवान् देवों के देव अर्थात् महादेव हैं। भोलेनाथ अर्थात शिव जी से प्रत्येक कण की उत्पत्ति हुई है तथा उन्ही मे प्रत्येक कण की समाप्ति होती है। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। आज हम यहाँ भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) और भगवान शिव के “द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्” के बारें में जानेंगे..

भगवान् शिव के '12 ज्योतिर्लिंग' की सूचि, इतिहास | 12 Jyotirlinga Listज्योतिर्लिंग क्या हैं – अथार्त ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है? (12 Jyotirlinga Details in Hindi)

‘ज्योतिर्लिंग’ शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों, ‘ज्योति’ और ‘लिंगम्’ से हुई है। ज्योति का अर्थ है, ‘प्रकाश’ और ‘लिंगम्’ का तात्पर्य भगवान् शिव की छवि या उनके चिन्ह से है। अतः ज्योतिर्लिंग का अर्थ है – सर्वशक्तिमान शिव का एक प्रकाशमान चिन्ह।

ज्योतिर्लिंग की कथा – Jyotirlingas Story in Hindi

शिव महापुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में सर्वोच्चता (सर्वश्रेष्ठता) को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद का अंत करने के लिए, भगवान् शिव ने उन्हें एक कार्य सौंपा और स्वयं एक ज्योतिर्लिंग, प्रकाश का एक विशाल और अनंत स्तम्भ, के रूप में तीनों लोकों में प्रसारित हो गए। अब ब्रह्मा और विष्णु को अपने मार्ग पृथक कर इस प्रकाशमान स्तम्भ के ऊपरी और निचले सिरों का अंत खोजना था। दोनों इस खोज में लग गए। ब्रह्मा जी ने आकर कहा कि उन्हें अंत मिल गया, लेकिन विष्णु जी ने यह कहते हुए अपनी पराजय स्वीकार ली कि उन्हें इस प्रकाशमान स्तम्भ का कोई अंत नहीं मिला। अंततः ब्रह्मा जी और विष्णु जी को ज्ञात हुआ कि वास्तव में भगवान् शिव की वह दिव्य ज्योति अनंत है और उसकी कोई सीमा नहीं है।

सभी ज्योतिर्लिंग मंदिर वही स्थान हैं जहाँ भगवान् शिव प्रकाश के एक प्रदीप्तमान स्तंभ के रूप में प्रकट होते हैं। बारह ज्योतिर्लिंग स्थलों में से प्रत्येक को उसके प्रमुख आराध्य, भगवान् शिव के एक विशिष्ट अवतार के नाम से जाना जाता है। इन सभी स्थलों पर पूजी जाने वाली भगवान् शिव की प्रमुख छवि ‘शिवलिंग’ है, जो अनादि और अंतहीन लिंग का प्रतिनिधित्व करती है और भगवान् शिव की अनंत प्रकृति का प्रतीक है।

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान, सूची – 12 Jyotirlinga in India List in Hindi

निचे हर ज्योतिर्लिंग की जानकारी अलग-अलग दी गयी हैं। 12 ज्योतिर्लिगों में से जिस ज्योतिर्लिग की जानकारी और इतिहास आपको जानना हैं उस ज्योतिर्लिग के नाम पर क्लिक करे।

क्र.स. ज्योतिर्लिंग के नाम (Name) स्थान (Place) राज्य (State)
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वेरावल, सोमनाथ गुजरात
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम आंध्र प्रदेश
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्य प्रदेश
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग खंडवा मध्य प्रदेश
5.  केदारनाथ ज्योतिर्लिंग केदारनाथ उत्तराखंड
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे महाराष्ट्र
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी उत्तर प्रदेश
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक महाराष्ट्र
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर झारखंड
10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग द्वारका गुजरात
11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम तमिलनाडु
12. घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग औरंगाबाद महाराष्ट्र

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान मैप – 12 Jyotirlingas Map and Address

12 Jyotirling Map
12 Jyotirlinga Map

12 ज्योतिर्लिगों की इतिहास और जानकारी – 12 Jyotirlinga in India History in Hindi

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थान उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक फैले हुए हैं। पूरी दुनिया की बात करे तो, शिव पुराण के अनुसार भारत और नेपाल में 64 मूल ज्योतिर्लिंग मंदिरों का उल्लेख है, जिनमें से 12 सबसे पवित्र हैं। यहां पर हम बारह ज्योतिर्लिंग का इतिहास, स्थान और पता जानेंगे (Barah Jyotirling Name and Place in Hindi)। तो आइयें जाने 12 Jyotirling in Hindi के बारे में.

1). सोमनाथ मंदिर, गुजरात 

Somnath temple
Somnath Temple

सोमनाथ मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। सोमनाथ का अर्थ “सोम के भगवान” से है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में कहा जाता हैं की, इसका निर्माण स्वयं सोमदेव (चंद्रमा) ने शुद्ध सोने से किया था और फिर रावण ने चांदी से इसका नवीनीकरण किया था। इसके बाद कृष्ण भगवान द्वारा चंदन से और अंत में भीमदेव द्वारा पत्थर से बनाया गया था। इस मंदिर में कई बार महमूद गजनवी द्वारा लूटपाट किया गया था।

इस मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। यह एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान और दर्शनीय स्थल है। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्व बढ़ गया। सोमनाथ भगवान की पूजा और उपासना करने से उपासक भक्त के क्षय तथा कोढ़ आदि रोग सर्वथा नष्ट हो जाते हैं और वह स्वस्थ हो जाता है।

मंदिर वास्तुकला की चालुक्य शैली में बनाया गया है। यहां भूमि के नीचे सोमनाथ लिंग की स्थापना की गई है। भू-गर्भ में होने के कारण यहाँ प्रकाश का अभाव रहता है। इस मन्दिर में पार्वती, सरस्वती देवी, लक्ष्मी, गंगा और नन्दी की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं। भूमि के ऊपरी भाग में शिवलिंग से ऊपर अहल्येश्वर मूर्ति है। मन्दिर के परिसर में गणेशजी का मन्दिर है और उत्तर द्वार के बाहर अघोरलिंग की मूर्ति स्थापित की गई है।

सोमनाथ मंदिर पता:

सोमनाथ मंदिर रोड, वेरावल, गीर सोमनाथ जिला, गुजरात- 362268

सोमनाथ मंदिर खुलने और दर्शन का समय:

मंदिर में प्रतिदिन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं। आरती सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे होती है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।

कैसे पहुंचे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर:

रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग से सोमनाथ मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। सोमनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन वेरावल रेलवे स्टेशन है। लेकिन अगर आप फ्लाइट के माध्यम से भी सोमनाथ मंदिर जाना चाहते हैं, नजदीकी हवाई अड्डा, दीव हवाई अड्डा है, जो करीब मंदिर से लगभग 80 किमी दूर है। यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी या टेम्पो ले सकते हैं।

2). मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर, आंध्र प्रदेश 

श्रीशैलम - मल्लिकार्जुना ज्योतिर्लिंगा मंदिर की जानकारी - Mallikarjuna Jyotirlinga Temple Information in Hindi

आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल – Srisailam पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और देवी पार्वती के आंठ शक्ति पीठो में से एक है। मल्लिकार्जुन मंदिर भूतनाथ मंदिरों के समूह का एक भाग है तथा इस क्षेत्र का दूसरा सबसे प्रमुख मंदिर है। मंदिर का गर्भगृह बहुत छोटा है और एक समय में अधिक लोग नहीं जा सकते। शिवपुराण के अनुसार भगवान कार्तिकेय को मनाने में असमर्थ रहने पर भगवान शिव पार्वती समेत यहां विराजमान हुए थे।

स्कंद पुराण में श्री शैल काण्ड नाम का अध्याय है। इसमें उपरोक्त मंदिर का वर्णन है। इससे इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। तमिल संतों ने भी प्राचीन काल से ही इसकी स्तुति गायी है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तब उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी।

इस मंदिर का निर्माण 1234 ईस्वी में होयसल राजा वीर नरसिम्हा द्वारा किया गया था। मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनाया गया है। मंदिर परिसर 20000 वर्ग मीटर में फैला है और इसमें चार गेटवे टावर बना हैं जिन्हें गोपुरम के नाम से जाना जाता है। मंदिर प्रांगण में कई हॉल भी हैं और सबसे उल्लेखनीय मुख मंडप हॉल है। अनेक धर्मग्रन्थों में इस स्थान की महिमा बतायी गई है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

मल्लिकार्जुन मंदिर का पता:

श्रीशैलम, नंदयला, आंध्र प्रदेश- 528101

मल्लिकार्जुन मंदिर खुलने का समय:

मंदिर रोजाना सुबह 5:30 से दोपहर 01:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। इसके बाद शाम को 06:00 से 10:00 बजे तक खुला रहता है। इस मंदिर में आरती प्रात: 05:15 से 06:30 तक होती है। संध्या आरती शाम को 05:20 से 06:00 तक होती है।

कैसे पहुंचे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर:

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुचने के लिए हमें पहले हैदराबाद पहुँचना होगा। हैदराबाद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की दूरी 213 किमी है और हैदराबाद, श्रीशैलम का निकटतम हवाई अड्डा भी हैं। यहाँ से बस टैक्सी या अन्य साधनों से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मरकापुर रेलवे स्टेशन है। यह भारत के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

3). महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन, मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, कथा | Mahakaleshwar Temple

महाकालेश्वर मंदिर भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे स्थान पर रखा जाता हैं। यह भारत में सात मुक्ति-स्थलों में से एक है; मतलब वह स्थान जो मनुष्य को अनंत काल तक मुक्त कर सकता है। यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। उज्जैन का पुराणों और प्राचीन अन्य ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ तथा ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेख किया गया है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी। इसके साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है।

पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है। एक कथा के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर को पांच वर्षीय लड़के श्रीकर द्वारा स्थापित किया गया था जो उज्जैन के राजा चंद्रसेन की भक्ति से प्रेरित था ।

महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। 1235ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है।

वर्तमान मंदिर को श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में बनवाया था। इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई बदलाव और मरम्मत भी करवायी थी।

महाकालेश्वर मंदिर का पता:

उज्जैन नगरी , मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर मंदिर खुलने का समय:

यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक खुलता है। भक्तगण दर्शन सुबह 8 बजे से 10 बजे तक, सुबह 10:30 से शाम 5 बजे तक, शाम 6 बजे से शाम 7 बजे तक और रात 8 बजे से 11 बजे तक किए जा सकते हैं। यहां हर रोज अलसुबह भस्म आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। हालाँकि इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से बुकिंग की जाती है।

कैसे पहुंचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर:

उज्जैन देश के हर हिस्से से अच्छी तरह जुड़ा हैं। महाकालेश्वर का निकटतम रेलवे स्टेशन उज्जैन जंक्शन है, जो मंदिर से मात्र 2 किमी दुरी पर स्थित हैं। इसके आलावा अन्य रेलवे स्टेशन चिंतामन, विक्रम नगर और पिंगलश्व हैं। नजदीकी हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा, इंदौर है जो मंदिर से लगभग 57 किमी दूर है। सड़क मार्ग से उज्जैन भी पहुँच सकते हैं।

4). ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, खंडवा, मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर (ॐकारेश्वर) मन्दिर भारत के मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह मन्दिर नर्मदा नदी के बीच मन्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। यहां दो मंदिर स्थित हैं- (1) ॐकारेश्वर, (2) अमरेश्वर। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगओं में से एक है। मान्‍यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं।

ओंकारेश्वर शब्द का अर्थ है “ओंकार के भगवान” या ओम ध्वनि के भगवान ! इस मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी तथा शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे शिव ने देवताओ का धनपति बनाया था। यहां ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही अमलेश्वर ज्येतिर्लिंग भी है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर स्थान भी मालवा क्षेत्र में ही पड़ता है।

ओंकारेश्वर लिंग किसी मनुष्य के द्वारा गढ़ा, तराशा या बनाया हुआ नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है। इसके चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है। प्राय: किसी मन्दिर में लिंग की स्थापना गर्भ गृह के मध्य में की जाती है और उसके ठीक ऊपर शिखर होता है, किन्तु यह ओंकारेश्वर लिंग मन्दिर के गुम्बद के नीचे नहीं है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि मन्दिर के ऊपरी शिखर पर भगवान महाकालेश्वर की मूर्ति लगी है। कुछ लोगों की मान्यता है कि यह पर्वत ही ओंकाररूप है।

ओंकारेश्वर मंदिर का पता:

मार्कंडेय आश्रम रोड, ओंकारेश्वर, खंडवा, मध्य प्रदेश- 450554

ओंकारेश्वर मंदिर खुलने का समय:

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग हैं, यहां सालो भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। मगर, भगवान शिव के प्रिय सावन के महीने में यहां भक्तो की भीड़ ज्यादा रहती है। मंदिर खुलने का समय सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक रहता है। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:20 बजे और शाम 4 बजे से 8:30 बजे के बीच कर सकते है।

कैसे पहुंचे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर:

ओंकारेश्वर का नजदीकी रेलवे स्टेशन खंडवा जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 70 किमी दूर है। इंदौर, उज्जैन और खंडवा से ओंकारेश्वर के लिए बसें भी चलती हैं। आप प्राइवेट कैब भी ले सकते हैं। महाकालेश्वर का निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा, इंदौर है जो मंदिर से करीब 85 किमी दूर है।

5). केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर,  उत्तराखंड

Kedarnath Temple History & Story In Hindi

उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। हजारो साल पुराना यह मंदिर विशाल पत्थरो से बना हुआ है। प्राचीन साहित्य में मंदिर के निर्माण के बारे में कोई स्पष्ट पुष्टि नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह 3,000 साल पुराना है।

यह मंदिर उत्तराखंड राज्य में 11,755 फीट (3,583 मीटर) की ऊंचाई पर अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। केदारखण्ड में द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिंग में आने वाले केदारनाथ दर्शन के सम्बन्ध में लिखा है कि जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किये यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात व्यर्थ हो जाती है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को हिंदू धर्म के 4 धामों में से एक माना जाता है। अत्यधिक ठंड के मौसम और बर्फबारी के कारण, मंदिर सर्दियों के दौरान 6 महीने के लिए बंद रहता है और केवल अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

केदारनाथ के रास्ते में तीर्थयात्री, पवित्र जल लेने के लिए पहले गंगोत्री और यमुनोत्री जाते हैं, जो वे केदारनाथ शिव लिंग को चढ़ाते हैं। मन्दिर के अन्दर गर्भगृह है जहाँ भगवान की पूजा की जाती है। मन्दिर परिसर के अन्दर ही एक मम्डप स्थित है जहाँ पर विभिन्न धार्मिक समारोहों का आयोजन होता है। यह मंदिर 3584 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है, सीधे रास्ते से आप इस मंदिर में नही जा सकते और गौरीकुंड से मंदिर तक जाने के लिए आपको 21 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा करनी पड़ती है। मंदिर तक जाने के लिए गौरीकुंड में टट्टू और मेनन की सेवाए भी प्रदान की जाती है। साथ ही यह मंदिर 275 पादल पत्र स्थलों में से भी एक है।

केदारनाथ मंदिर पता:

केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड – 246445

केदारनाथ मंदिर खुलने का समय:

जैसे की ऊपर पहले ही बताया गया हैं केदानाथ दर्शन के लिए साल में 6 महीने खुला रहता हैं। यह मंदिर अप्रैल मई में अक्षय तृतीया के दिन खोला जाता है और ऑक्टूबर, नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन केदरनाथ मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 3 से रात 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर का खुलना भी मौसम की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।

कैसे पहुंचे केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर :

केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के तीन रास्ते हैं। जो हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून है। केदारनाथ हरिद्वार से 247 किमी दूर है। और केदारनाथ देहरादून से 256 किमी दूर है। लेकिन सबसे नजदीकी शहर ऋषिकेश हैं, जो केदारनाथ से सिर्फ 105 किमी दूर है। आप ट्रैन, हवाई, बस और निजी वाहन से पहुँच सकते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो गौरीकुंड से लगभग 210 किमी दूर है। मंदिर जाने के लिए आप हेलिकॉप्टर की सवारी भी कर सकते हैं। केदारनाथ जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून एयरपोर्ट हैं। भारत के लगभग सभी शहरों विमान यहां आते हैं। इसके बाद आपको बाकी की यात्रा बस या टैक्सी से करनी होगी।

6). भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर, पुणे, महाराष्ट्र

भीमाशंकर मंदिर पुणे के पास खेड के उत्तर-पश्चिम से 50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर पुणे के शिवाजी नगर से 127 किलोमीटर की दुरी पर सह्याद्री पहाडियों की घाटी में बना हुआ है। यह शिवलिंग काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। भीमशंकर मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन यहां के कुछ भाग का निर्माण नया भी है। इस मंदिर के शिखर का निर्माण कई प्रकार के पत्थरों से किया गया है। यह मंदिर मुख्यतः नागर शैली में बना हुआ है। मंदिर में कहीं-कहीं इंडो-आर्यन शैली भी देखी जा सकती है।

18वीं शताब्दी में भीमाशंकर मंदिर नाना फडणवीस ने बनवाया था। भीमशंकर मंदिर से पहले ही शिखर पर देवी पार्वती का एक मंदिर है। इसे कमलजा मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी ने राक्षस त्रिपुरासुर से युद्ध में भगवान शिव की सहायता की थी। युद्ध के बाद भगवान ब्रह्मा ने देवी पार्वती की कमलों से पूजा की थी।

भीमाशंकर मंदिर का पता:

भीमाशंकर मंदिर, खेड़, पुणे, महाराष्ट्र 410509

भीमाशंकर मंदिर खुलने का समय:

इस मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5 बजे से शुरू होकर रात 9:30 बजे तक है। दोपहर में आरती के दौरान 45 मिनट के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। पुरे सफ्ताह दर्शन के लिए मंदिर खुला रहता हैं। इस दौरान भक्तगण भगवान भोलेनाथ के दर्शनों के लाभ उठा सकते हैं।

कैसे पहुंचे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर :

मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन कर्जत और पुणे जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 147 किमी दूर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा पुणे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 109 किमी दूर है।

7). काशी विश्वनाथ मन्दिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

काशी विश्‍वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। यह ज्योतिर्लिंग मंदिर विश्व के सर्वाधिक पूजनीय और प्रसिद्ध स्थल काशी में स्थित है। यह पवित्र शहर बनारस (वाराणसी) की भीड़-भाड़ वाली गलियों के बीच स्थित है।

गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्‍वनाथ का मंदिर। ऐसी मान्‍यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था। ऐसा भी माना जाता है कि जब पृथ्वी का निर्माण हुआ था तब प्रकाश की पहली किरण काशी की धरती पर पड़ी थी।

इस मंदिर के मुख्य देवता को विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है पूरे ब्रह्मांड का शासक। यह काफी पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण मराठा शासक महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्ष 1780 में किया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में 1000 किलो शुद्ध सोने से इसे बनवाया था। काशी विश्वनाथ मंदिर के कारण वाराणसी को बाबा भोले की नगरी या शिव नगरी कहा जाता है।

विश्वनाथ मंदिर का पता:

विश्वनाथ मंदिर, लाहौरी टोला, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – 221001

विश्वनाथ मंदिर खुलने का समय:

दर्शन के लिए सुबह 2.30 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं, पहली आरती सुबह 3 बजे की जाती है। यहां दिन में पांच बार भगवान शिव की आरती होती है और आखिरी आरती 10.30 बजे की जाती है।

कैसे पहुंचे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर :

वाराणसी एक प्रसिद्ध शहर हैं, और काशी विश्वनाथ मंदिर यही स्थित हैं। इस कारण देश के अन्य हिस्सों से मंदिर जाने का रास्ता अच्छी तरह जुड़ा हैं। वाराणसी सिटी स्टेशन मंदिर से केवल 2 किलोमीटर दूर है, जबकि वाराणसी जंक्शन लगभग 6 किलोमीटर दूर है। काशी विश्वनाथ मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा, बाबतपुर में लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मंदिर से मात्र 25 किमी दूर है।

8). त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र

त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग मन्दिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर से तीस किलोमीटर पश्चिम में अवस्थित है। इसे त्रयम्बक ज्योतिर्लिंग, त्र्यम्बकेश्वर शिव मन्दिर भी कहते है। यह एक प्राचीन मंदिर हैं। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की और त्र्यम्बकेश्वर नाम से विख्यात हुए।

त्र्यंबकेश्वर एक प्रमुख आध्यात्मिक महत्व भी रखता है क्योंकि यह उन चार हिंदू शहरों में से है जहां हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नाना साहब पेशवा ने करवाया था। एक कथा के अनुसार निर्माण से पहले पेशवा ने एक शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। पत्थर खोखला साबित हुआ और इस तरह शर्त हारने पर पेशवा ने वहां मंदिर पुनर्निर्माण कराया।

मंदिर का आकार बहुत ही अनोखा है और यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवन शिव को विश्व प्रसिद्ध नासक डायमंड से बनाया गया। हालाँकि मंदिर को तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध में अंग्रेजों ने लूट लिया था। लूटा गया हीरा अभी भी ग्रीनविच, कनेक्टिकट, यूएसए के ट्रकिंग फर्म के कार्यकारी एडवर्ड जे हैंड के पास है।

इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1755 में शुरू हुआ था और 31 साल के लंबे समय के बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ। कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब 16 लाख रुपए खर्च किए गए थे, जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर है और साथ ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहाँ हिन्दुओ की वंशावली का पंजीकरण भी किया जाता है। यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है। इन्हीं पुण्यतोया गोदावरी के उद्गम-स्थान के समीप असस्थित त्रयम्बकेश्वर-भगवान की भी बड़ी महिमा हैं।

Trimbakeshwar Temple Bhagwan Shiv

त्र्यंबकेश्वर मंदिर का पता:

त्र्यंबकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र -422212

त्र्यंबकेश्वर मंदिर खुलने का समय:

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर सप्ताह के प्रत्येक दिन खुला होता है। मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 5 बजे खुलता है और रात्रि में 9 बजे बंद हो जाता है।

कैसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर :

त्र्यंबकेश्वर गाँव नासिक से काफी नजदीक है। नासिक पूरे देश से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके आलावा त्र्यंबकेश्वर मंदिर ठाणे से 157 किलोमीटर, मुंबई से 178 किलोमीटर और औरंगाबाद से 224 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन गतपुरी है, जो मंदिर से मात्र 28 किमी दूर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप किसी टैक्सी या ऑटो किराए पर ले सकते हैं। एक अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन नासिक रोड है जो मंदिर से लगभग 38 किमी दूर है।

नजदीकी हवाई अड्डा की बात करि जाएँ तो, नासिक हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 50 किमी दूर है। आप नासिक पहुँचकर वहाँ से त्र्यंबक के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई है जो मंदिर से 166 किमी दूर है।

9). श्री बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, देवघर, झारखण्ड

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास, जानकारी | Baidyanath Temple

श्री बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत का एक अति प्राचीन मंदिर है जो भारत के झारखंड में अतिप्रसिद्ध देवघर नगर में अवस्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे “बाबा वैद्यनाथ धाम” भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को “देवघर” अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए।

यह ज्‍योतिर्लिंग एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को “कामना लिंग” भी कहा जाता हैं। मंदिर के परिसर में बाबा बैद्यनाथ के मुख्य मंदिर के साथ-साथ दुसरे 21 मंदिर भी है। बैद्यनाथ धाम मंदिर कमल के आकार का है और 72 फीट लंबा है। मंदिर में प्राचीन और आधुनिक दोनों प्रकार की स्थापत्य कला देखने को मिलती है। खुलासती-त-त्वारीख में लिखी गयी जानकारी के अनुसार बाबाधाम के मंदिर को प्राचीन समय में भी काफी महत्त्व दिया जाता था। बैद्यनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण 1596 में राजा पूरन मल द्वारा किया गया था, जो गिद्दौर के महाराजा के पूर्वज थे। बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में हर साल श्रावण मेले के दौरान लाखों भक्त आते हैं।

बैद्यनाथ मंदिर का पता:

शिवगंगा गली, देवघर, झारखंड – 814112

बैद्यनाथ मंदिर दर्शन का समय:

प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4:00 बजे से 3:30 बजे तक तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश के लिए मंदिर सुवह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। महा शिवरात्रि जैसे विशेष धार्मिक अवसरों के दौरान, दर्शन का समय बढ़ाया जाता है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर, झारखंड कैसे पहुंचे:

देवघर भारत के सभी से अच्छी तरह सड़क मार्ग से जुड़ा हैं। बैद्यनाथ धाम का नजदीकी रेलवे स्टेशन जसीडीह जंक्शन (हावड़ा-पटना-नई दिल्ली रेल मार्ग) है, जो मंदिर से लगभग 7 किमी दूर है। देवघर और बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन दो अन्य स्थानीय स्टेशन हैं। निकटतम हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देवघर है, जो मंदिर से लगभग 4 किमी दूर है, इसके आलावा पटना हवाई अड्डा 230 किमी की दूरी पर स्थित है।

10). नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर, द्वारका, गुजरात

भगवान शिव के मंदिरों में यह पहला मंदिर है जिसका विवरण शिवपुराण में किया गया है। इस मंदिर में पाए जाने वाले पिण्ड को भगवान शिव को नागेश्वर महादेव कहा जाता है और यह मंदिर हजारो तीर्थयात्रियो को आकर्षित करता है। कहा जाता है की जो लोग नागेश्वर महादेव की पूजा करते है वे विष से मुक्त हो जाते है। नागेश्‍वर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जिसे नागनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, मंदिर परिसर के पास ही भगवान शिव की 80 फीट की ऊंचाई वाली मूर्ति स्थापित की गई है। इस मूर्ति में शिव भगवान् पद्मासन मुद्रा में बैठे हुए है। कहा जाता हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के पाप और दुष्कर्म धुल जाते हैं।

मंदिर गुलाबी पत्थर से बनाया गया है और मूर्ति दक्षिणामूर्ति है। वही मंदिर के गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग सामान्य रूप से बने ज्योतिर्लिंगों से थोड़ा बड़ा है, और ज्योतिर्लिंग के ऊपर चांदी की परत चढ़ाई गई है। इस ज्योतिर्लिंग के ऊपर एक चांदी का नाग भी बना हुआ है।

नागेश्वर मंदिर का पता:

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, दारुकवनम, गुजरात 361345

नागेश्वर मंदिर खुलने का समय:

पुराणों में वर्णित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा गया है कि अगर सावन के महीने में इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन और पूजन किया जाए, तो इसका विशेष लाभ मिलता है, एवं मनुष्य शिव धाम को प्राप्त होता है। इसलिए सावन के महीने में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास काफी भीड़ रहती है। मंदिर प्रतिदिन सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से 9 बजे तक खुला रहता है । रात 8 बजे तक दर्शन की अनुमति है।

कैसे पहुंचे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर :

श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रान्त के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 16 किमी दूर है। नागेश्वरम मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर हवाई अड्डा है जो मंदिर से 127 किमी दूर है। आप बस या ट्रेन से मंदिर पहुंच सकते हैं।

11). रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम, तमिलनाडु

रामेश्वरम या श्रीरामलिंगेश्वर ज्योतिर्लिंग हिंदुओं का सबसे पवित्र स्‍थानों में से एक माना जाता है, इसे चार धाम की यात्राओं में से एक स्‍थल माना जाता है। इसके साथ ही यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

ऐसी मान्‍यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ। यह मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है और इसकी सुंदर वास्तुकला और सजाए गए गलियारों देखने लायक है। रामेश्‍वरम वह स्‍थान है जहां भगवान राम ने अपने सभी पापों का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया।

रामेश्‍वरम में 64 तीर्थ या पवित्र जल के स्‍त्रोत है इनमें से 24 को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण माना जाता है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है। मंदिर का विस्तार 12 वीं शताब्दी के दौरान पांड्य राजवंश द्वारा किया गया था और इसके प्रमुख मंदिरों के गर्भगृह का जीर्णोद्धार जयवीरा सिंकैरियान और जाफना साम्राज्य के उनके उत्तराधिकारी गुणवीरा सिंकैरियान द्वारा किया गया था।

श्री रामेश्वर जी का मन्दिर एक हज़ार फुट लम्बा, छ: सौ पचास फुट चौड़ा तथा एक सौ पच्चीस फुट ऊँचा है। इस मन्दिर में प्रधान रूप से एक हाथ से भी कुछ अधिक ऊँची शिव जी की लिंग मूर्ति स्थापित है। इसके अतिरिक्त भी मन्दिर में बहुत-सी सुन्दर-सुन्दर शिव प्रतिमाएँ हैं।

रामेश्वरम मंदिर का पता:

रामेश्वरम, तमिलनाडु 623526

रामेश्वरम मंदिर खुलने का समय:

रामेश्वरम मंदिर को सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से 9 बजे तक खुला रहता है। रात आठ बजकर पैंतालीस मिनट पर पल्लीयाराई पूजा(Palliyarai Pooja) होती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे :

मदुरै रामेश्वरम से 163 किलोमीटर की दूरी पर है जो रामेश्वरम का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो मदुरै के लिए मुंबई, बंगलूरू और चेन्नई से फ्लाइट पकड़ सकते हैं। मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन रामेश्वरम रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 1.5 किमी दूर है। यह चेन्नई सहित कई प्रमुख दक्षिण भारतीय शहरों से रेलवे द्वारा भी जुड़ा हुआ है।

12). घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर का इतिहास, जानकारी Grishneshwar Temple

घृष्णेश्वर मंदिर को कभी-कभी घर्नेश्वर ज्योतिर्लिंग और धुश्मेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है और साथ ही शिव पुराण में वर्णित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह एक है। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। मंदिर का निर्माण लाल और काले पत्थरों से शानदार ढंग से किया गया है।

घर्नेश्वर शब्द का अर्थ ‘करुणा के स्वामी’ से है। यह मंदिर हिन्दुओ की शाव्यवाद परंपरा के अनुसार महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।

प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों में इसे कुम्कुमेश्वर के नाम से भी संदर्भित किया गया है। इस मंदिर को इसके चित्ताकर्षक शिल्प के लिए भी जाना जाता है। यदि क्रम की बात करें तो हिन्दुओं के लिए घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा का मतलब होता है बारह ज्योतिर्लिंग यात्रा का समापन।

मंदिर में कोई भी प्रवेश कर सकता है लेकिन गर्भ-गृह में प्रवेश करने के लिए हिन्दू परंपराओ का पालन करना अनिवार्य है, यहाँ केवल खुले बदन वाले व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया जाता है।

यह मंदिर 240 * 185 फीट में बना भारत का सबसे छोटा ज्योतिलिंग भी है। मंदिर के बीच में भगवान विष्णु के दशावतार का चित्रण भी किया गया है। मंदिर के हॉल का निर्माण 24 पिल्लरो से किया गया है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एलोरा की गुफाओं के करीब स्थित है ।

घृष्णेश्वर मंदिर का पता:

एलोरा, औरंगाबाद, पोस्ट – ग्रिशनेश्वर, महाराष्ट्र – 431102

घृष्णेश्वर मंदिर खुलने का समय:

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन का समय सुबह 5:30 बजे से शाम को 9 बजे तक होता हैं। लेकिन श्रवण माह में (अगस्त से सितम्बर माह) में सुबह 3 बजे से रात के 11 बजे तक मंदिर यहां आने वाले भक्तो के लिए खुला रहता हैं।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर कैसे पहुंचे :

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का सबसे नजदीकी शहर औरंगाबाद से 30 कि.मी. दुरी पर स्थित है। और औरंगाबाद देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हैं। औरंगाबाद से बस टैक्सी या ऑटो से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते है। निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 41 किमी दूर है।

FAQs- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. भारत में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं।

2. 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग कौन सा है?

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता हैं।

3. भारत में 12 ज्योतिर्लिंग कहाँ हैं?

12 ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फैले हुए हैं।

4. ज्योतिर्लिंगो के नाम क्या हैं?

सोमनाथ, नागेश्वर, भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर, ग्रिशनेश्वर, बैद्यनाथ, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, काशी विश्वनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम और मल्लिकार्जुन हैं।

5. महाराष्ट्र में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?

भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंगों हैं, जिसमे 3 ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में स्थित हैं।

6. 12 ज्योतिर्लिंग के नाम लेने से क्या होता है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम जपता है, वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है।

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् – Dwadasa Jyotirlinga Stotram

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति। कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्


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