Pench National Park in Hindi/ पेंच राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह पार्क सतपुड़ा की पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में स्थित है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इसे 1983 में नेशनल पार्क घोषित किया गया और 1992 में इसे अधिकारिक रूप से भारत का उन्नीसवा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। इस स्थान का नामकरण पेंच नदी के कारण हुआ है जो कि पेंच नेशनल पार्क के साथ-साथ उत्तर से दक्षिण की और बहती है। इस पार्क में औषधीय महत्व के दुर्लभ पौधों की 1300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।
पेंच राष्ट्रीय पार्क के बारे में जानकारी – Pench National Park Information in Hindi
सिवनी और छिन्दवाड़ा जिले की सीमाओं पर 292.83 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
इस पार्क में झाड़ियों, बेलों, पेड़ – पौधों, जड़ी बूटीयों, वीड्स और घास की अधिकता है। यहाँ पर पौधों की 1200 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस पार्क में पक्षियों की 164, उभयचर जंतुओं की 10, स्तनधारी जीवों की 33, रेंगने वाले जीवों की 30 और मछली की 50 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के कीड़े- मकोड़ें भी यहाँ पर पाए जाते हैं।
पार्क में वनस्पति और जीव जंतुओं की बहुतायत है। पैंथर और बाघों के अलावा, पेंच राष्ट्रीय उद्यान चीतल, काले हिरन, काले नेप्ड खरगोश, लकडबग्घा, उड़ने वाली गिलहरी, सांभर, लोमड़ी, जंगली सूअर, साही, सियार, चार सींगा, नील गाय आदि जंतुओं के लिए भी शरण स्थली है। पार्क में अनेक पक्षी भी बहुतायत में पाए जाते हैं, जिनमें देशी और प्रवासी दोनों प्रकार के पक्षी शामिल हैं।
इन पक्षियों में भारतीय पितास, सफेद आंखों वाले बाज,जलपाखी, चितकबरे मालाबार होर्नबिल्स, सारस, हरे कबूतर और मछारंग आदि शामिल हैं।
अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें, ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट, रंगबिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे तन-बदन पर हरीतिमा का ऐसा अनंत सागर रोम-रोम में सिहरन भर देता है।
अंतरराष्ट्रीय जल विद्युत परियोजना के तहत तोतलाडोह बांध बनने से मध्य प्रदेश का कुल 5,451 वर्ग किलोमीटर डूब क्षेत्र में आता है। इस बांध के बन जाने से राष्ट्रीय उद्यान के मध्य भाग में विशाल झील बन गई है, जो वन्यप्राणियों की पानी की आवश्यकता की दृष्टि से बहुत उपयुक्त है। डूब क्षेत्र में छिंदवाड़ा का 31.271 वर्ग किमी तथा सिवनी का 17.246 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। कान्हा और बांधवगढ़ जैसे विख्यात राष्ट्रीय उद्यान के विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से पेंच टाइगर उद्यान बेहतर स्थिति में है।
पेंच राष्ट्रीय पार्क का इतिहास – Pench National Park History in Hindi
पेंच नेशनल पार्क का इतिहास बहुत पुराना हैं। इस पार्क को प्राकृतिक समृद्धि का उल्लेख मुगल काल के समय के सम्राट अकबर के शासन काल में 16 वीं सदी के दस्तावेज ऐन-ए-अकबरी में भी किया गया है। जहां यह पार्क स्थित हैं, वहां मूल रूप से 1977 में एक अभयारण्य घोषित किया गया था फिर 1983 में इसके एक राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्राप्त करने वाले पेंच नेशनल पार्क को साल 1993 में टाइगर रिजर्व बना दिया गया था।
पेंच नेशनल पार्क कैसे पहुंचे और कब जाएँ – How To Reach Pench National Park in Hindi
पेंच नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व भारत में सभी जगह से आसानी से पहुँच सकते हैं। मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमाओं और महाराष्ट्र की सीमाओं में स्थित इस वन्यजीव पार्क की सैर करने के लिए हर साल भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस पार्क का निकटतम हवाई अड्डा नागपुर में सोनेगांव हवाई अड्डा है जो उद्यान से 93 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन की बात करे तो, सिवनी है जो पेंच से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। सिवनी जिला मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में रोडवेज के एक अच्छे नेटवर्क के साथ सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसलिए आप आसानी से सड़क मार्ग से जा सकते हैं।
यहां आपको रिसॉर्ट्स और लॉज की सुविधा आसानी से उपलब्ध है। अगर आप पेंच नेशनल पार्क की यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा समय फरवरी से जून तक के महीनों का है। इस पार्क में भारतीयों के लिए- 15 रूपये और विदेशियों के लिए 150 रूपये चार्ज हैं।
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