मतंगेस्वर मन्दिर खजुराहो, मध्य प्रदेश | Matangeshwar Temple Khajuraho

Matangeshwar Temple in Hindi / मतंगेस्वर मन्दिर खजुराहो, मध्य प्रदेश के विख्यात मन्दिरों में से एक है। मातंगेश्वर मंदिर हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है। यह मन्दिर हिन्दू आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यही एक मात्र ऐसा मन्दिर है, जहाँ आदि काल से निरंतर पूजा होती चली आ रही है। माना जाता है कि चंदेल वंशी राजाओं द्वारा नौवीं सदी में बनाये गए इस मन्दिर के शिवलिंग के नीचे एक ऐसी मणि है, जो हर मनोकामना पूरी करती है।

मतंगेस्वर मन्दिर खजुराहो, मध्य प्रदेश | Matangeshwar Temple Khajuraho

मतंगेस्वर मन्दिर की जानकारी – Matangeshwar Temple Information in Hindi

Matangeshwar Mandir – मान्यता है कि किसी समय में मतंगेस्वर मन्दिर में भगवान श्रीराम ने भी पूजा की थी। इस मंदिर में 8फीट ऊँचा एक भव्य और विशाल शिवलिंग है। महाशिवरात्रि के वार्षिक उत्सव पर इस मंदिर में भारी भीड़ होती है। यह शिवलिंग देश के ऊपरी भाग में सबसे बड़ा शिवलिंग है।

‘शिवरात्रि’ के दिन यहाँ भगवान शिव के भक्तों का तांता लगा रहता है। खजुराहो के सभी मन्दिरों में सबसे ऊँची जगह पर बने इस मन्दिर में जो भी आता है, वह भक्ति में डूब जाता है, चाहे वह भारतीय हो या फिर विदेशी। कहते हैं की मन्दिर का शिवलिंग किसी ने बनवाया नहीं है, बल्कि यह स्वयंभू है।

खजुराहो के इस मन्दिर में हर कोई एक मनोकामना लेकर आता है। यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित है। भगवान शिव हर किसी की मनोकामना पूर्ण भी करते है, ऐसा विश्वास यहाँ के लोगों का है। मतंगेस्वर मन्दिर के प्रति लोगों की गहरी आस्थाएँ हैं, तभी तो यहाँ प्रत्येक शिवरात्रि और अमावस्या पर हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहाँ आने वाले भक्त लोग उल्टे हाथ लगाकर अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद सीधे हाथ लगाते हैं।

मतंगेस्वर मन्दिर का इतिहास – Matangeshwar Temple Khajuraho History in Hindi

किंवदंतियों के अनुसार यह माना जाता है कि मतंग ऋषि यहाँ शिवलिंग की पूजा करते थे। इसका मतंगेस्वर नाम स्वयं भगवान श्रीराम ने मतंग ऋषि के नाम पर रखा था। यहाँ पर मूर्ति पहले से स्थापित थी। त्रेता युग में इसका उलेख मिलता है। रामायण में भी इसका उल्लेख हुआ है। यहाँ मतंग ऋषि से मिलने राम आए थे। उन्होंने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और मतंग के नाम पर ही भगवान शिव को ‘मतंगेस्वर’ नाम दिया।

यंहाँ के चंदेल राजाओं को ‘मरकत मणि’ चन्द्र वंशी होने के कारण विरासत में मिली थी। चंदेल राजाओं ने इस मणि की सुरक्षा और उसकी नियमित पूजा-अर्चना के लिए इसे शिवलिंग के नीचे रखवा दिया था। लोक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति ‘मरकत मणि’ की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

देवराज इन्द्र के द्वारा ‘मरकत मणि’ पाण्डव धर्मराज युधिष्ठिर को दी गई थी। कालक्रम में यह मणि यशोवर्मन, चन्द्रवर्मन के पास रही। उन्होंने उसकी सुरक्षा करने के हिसाब से और इसकी पूजा-अर्चना होती रहे, इसीलिए शिवलिंग के नीचे स्थापित करा दिया था।

मंदिर की बनावट – Matangeshwar Temple Architecture 

यह शिवलिंग पीले बलुआ पत्थर से बना है। शिवलिंग को चमकदार बनाने के लिए इस पत्थर को पॉलिश किया गया है। यह प्राचीन मंदिर खजुराहो में बनाया गया सबसे पहला मंदिर है। श्रद्धालु इसे खजुराहो में सबसे पवित्र मंदिर मानते हैं।


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