Lalu Prasad Yadav Biography in Hindi / लालू प्रसाद यादव भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वे 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में रेल मंत्री भी रह चुके हैं तथा राजनितिक पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष भी हैं। लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं। लगभग चार दसक राजनितिक में बिता चुके लालू यादव अपनी राजनितिक करियर की शुरुवात बिहार की पटना यूनिवर्सिटी से की थी। मात्र 29 साल की उम्र में लोकसभा सीट जीत कर संसद में कदम रख दिया था, उस समय में सबसे कम उम्र के सांसद हुआ करते थे। लालू जी का राजनैतिक सफ़र कई उतार चढाव से भरा रहा, उनके उपर कई तरह के भ्रष्टाचार, स्कैम के आरोप भी लगे, जिस वजह से उन्हें कई बार अपने पदों से इस्तीफा भी देना पड़ा, और जेल भी जाना पड़ा।
प्रारंभिक जीवन –
Contents
लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1948 बिहार के गोपालगंज में में फुलवरिया गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम मराछिया देवी और कुंदन राय था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्होंने लॉ में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वे कॉलेज के समय से ही छात्र राजनीति में काफी सक्रीय थे। लालू जी ने स्नातक पूरा करने के बाद अपना खर्चा उठाने के लिए नौकरी की तलाश करने लगे। उन्हें बिहार पशु चिकित्सा कॉलेज में क्लर्क की नौकरी मिल गई, यहीं उनके बड़े भाई चपरासी के पद पर कार्यरत थे।
राजनितिक जीवन –
लालू प्रसाद यादव ने छात्र राजनीति में बहुत सक्रीय थे। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन में नाम दर्ज कराया और 1970 में वे इसके महासचिव बन गए। कॉलेज में उनकी राजनीती को पसंद किया गया और 1973 में वे पटना यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट बन गए। 1974 में जय प्रकाश नारायण के साथ, सभी स्टूडेंट ने महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विरोध में बिहार में एक आन्दोलन किया। इसमें लालू जी ने भी मुख्य तौर पर हिस्सेदारी की। पटना यूनिवर्सिटी ने आन्दोलन को बढ़ावा देने के लिए, बिहार चतरा संघर्ष समिति का गठन किया, जिसमें लालू प्रसाद अध्यक्ष चुने गए।
इस आन्दोलन के दौरान लालू प्रसाद जनता पार्टी के करीब आ गए, सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, जो बिहार के भूतपूर्व मुख्य मंत्री और बिहार स्टेट जनता पार्टी के अध्यक्ष थे, के सहयोग से लालू प्रसाद यादव ने छपरा सीट से लोक सभा चुनाव लड़ा। लालू प्रसाद ने चुनाव जीता और भारतीय संसद में सबसे युवा सदस्य में से एक बन गए।
उस समय आजाद भारत में पहली बार कांग्रेस की जगह कोई और पार्टी की सरकार बनी। लेकिन वैचारिक मतभेद के चलते 1980 में देश की जनता पार्टी सरकार गिर गई और फिर से चुनाव की नौबत आ गई। दोबारा 1980 के चुनाव में लालू जी को हार का सामना करना पड़ा। इसी साल बिहार विधानसभा के भी चुनाव हुए, जिसमें लालू जी को जीत मिली। इस समय लालू जी, एक उभरते नेता के रूप में सबके सामने आ रहे है, उनकी सोच से सभी प्रभावित हो रहे थे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे। सिर्फ दस वर्षो के अंदर लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में एक शक्तिशाली शख्सियत बन गए।
बिहार के मुख्यमंत्री –
1990 में बिहार में जनता दल की सरकार बनी। और भूतपूर्व मुख्य मंत्री राम सुन्दर दास को हरा कर लालू प्रसाद बिहार के मुख्य मंत्री चुने गए। हालाँकि उस समय के प्रधानमंत्री वी पी सिंह चाहते थे, राम सुंदर दास मुख्यमंत्री बने, जबकि चंद्रशेखर रघुनाथ झा का नाम ले रहे थे। लेकिन उस समय उप प्रधानमंत्री देवी लाल के सुझाव पर लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाया गया। दूसरी बार 1995 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने।
जनता दल से असामंजस्य होने के कारण 1997 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नाम से एक अलग राजनैतिक दल का गठन किया और उसके अध्यक्ष बने। सात साल तक वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे और ‘चारा घोटाले’ में गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बना दिया। और 1997 से 1999 तक रावड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रहीं।
1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लिये नीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने।
लालू यादव रेलवे मंत्री –
2002 में लालू यादव राज्यसभा के सदस्य चुने गए, वे 2004 तक इसके सदस्य रहे। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा एवं मधेपुरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने। इस समय राजद को 21 सीटें मिली थी। कांग्रेस के बाद राजद, यूपीए सरकार में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी।
लालू यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई। भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया। रेलवे मंत्री के तौर पर लालू जी ने भारतीय रेलवे में बहुत से बदलाव किये। उन्होंने ट्रेन का किराया कम कराया, स्टेशन में प्लास्टिक कप को बेन करके, उसकी जगह कुल्ल्हड़ को लाया गया, रेलवे में बहुत सी- नौकरियां निकाली गई। लालू जी जब रेलवे मंत्री रहे तब उन चार सालों में रेलवे को 250 बिलियन का फायदा हुआ।
लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पायी। 3 अक्टूबर 2013 को लालू जी पर लगाया गया चारा घोटाला का मामला सही साबित हुआ, जिसके चलते उन्हें लोकसभा की सदस्यता खोनी पड़ी। और साथ ही 2014 के आम चुनाव में राजद को फिर 4 सीटें मिली।
2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद को 81 सीटों के साथ एक बड़ी जीत मिली, इसमें उनके साथ जनता दल यूनाइटेड जदयू के नितीश कुमार भी साथ में थे। इसके बाद लालू यादव ने 6 पार्टियों को मिलाकर एक महागठबंधन किया है, जिसे जनता परिवार नाम दिया गया है और नितीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया। अब फिर से राजद-जदयू की महागठबंधन टूट गयी और नितीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन कर बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके साथ लालू यादव की पार्टी विपक्ष की भूमिका में हैं।
लालू यादव भ्रष्टाचार मामला –
1990 के दशक में हुए चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा को दोषी करार देने के बाद उनके राजनीतिक कैरियर पर सवालिया निशान लग गया। लालू पर पशुओं के चारे के नाम पर चाईबासा ट्रेज़री से 37.70 करोड़ रुपए निकालने का आरोप था। लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। उन्हें हिरासत में ले लिया गया, और रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में रखा गया। ढाई महीने बाद लालू को जमानत में छोड़ दिया गया। इसके आलावा 1998 में लालू यादव एवं रावड़ी देवी दोनों पर ये केस रजिस्टर हुआ था। इसके लिए जांच कमिटी बनाई गई, 2006 में सीबीआई ने इनको दोषी नहीं पाया।
निजी जीवन –
1 जून 1973 को लालू की शादी राबड़ी देवी हुई। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं जिनमें से सभी बेटियों की शादी हो चुकी है। इनके दो बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव हैं। दोनों बेटे राजनितिक में कदम रख चुके हैं। महागठबंधन सरकार में तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री पद पे थे वही तेज प्रताप यादव स्वस्थ मंत्री थे। लालू ने अपनी छोटी बेटी राजलक्ष्मी की मुलायम के बड़े भाई के पौत्र तथा मैनपुरी से सांसद तेज प्रताप सिंह के साथ शादी करवाई।
लालू प्रसाद के बारे में रोचक बातें –
⇒ अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अन्दाज है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। इन्टरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला।
⇒ लालू प्रसाद यादव परिवार से होने के कारण उन्हें यादव बिरादरी के सभी कार्य करना आता है, जिसमें गायों और भैसों का दूध दूहने के साथ ही दूध-दही बेचना भी शामिल है। उन्हें बचपन से ही दूध और दही (माठा) खाने का बहुत शौक है।
⇒ लालू प्रसाद को बिहार का प्रमुख व्यंजन लिट्टी-चोखा तथा सत्तू (मक्के और चने का) खाना बेहद पसंद है। वे जब भी अपने गांव जाते हैं तो इस प्रमुख व्यंजन को खाना नहीं भूलते हैं।
⇒ लालू प्रसाद अपने भाषणों में देहाती भाषा के शब्दों का प्रयोग बहुत ही ज्यादा करते हैं। देश तथा विदेशा में भी इनके इस तरह के बोलने के स्टाइल पर फिदा है। लोग इन्हें राजनीति का बहुत बड़ा कॉमेडियन भी मानते हैं। देश की मीडिया में भी इनके इस स्टाइल की बहुत ही चर्चा होती है।
⇒ देश में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है जो 2002 में आई थी जिसमें कहा गया था कि ‘जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू। उस यह कथन बहुत ही ज्यादा प्रचलित हुआ था।
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