कारगिल युद्ध का कारण, इतिहास, परिणाम | Kargil War History in Hindi

Kargil War in Hindi/ कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में 8 मई से 26 जुलाई तक कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष को कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है। कारगिल युद्ध वही लड़ाई थी जिसमें पाकिस्तानी सेना ने द्रास-कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी भारतीय सेनाओं ने इस लड़ाई में पाकिस्तानी सेना तथा मुजाहिदीनों के रूप में उसके पिट्ठुओं को परास्त किया। “कारगिल विजय दिवस” हर साल 26 जुलाई को उन शहीदों की याद में मनाया जाता हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और वीरगति को प्राप्त हुए। आइये जाने kargil yudh ki puri kahani..

कारगिल युद्ध का कारण, इतिहास, परिणाम | Kargil War History in Hindiकारगिल युद्ध क्यों हुआ ? Reason of Kargil War in Hindi

आम तौर पर कारगिल युद्ध को भी 1947-48 तथा 1965 में पाकिस्तानी सेना द्वारा कबीलाइयों की मदद से कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिशों के एक अंग के रूप में देखने की प्रवृत्ति रही है। वास्तव में कारगिल युद्ध कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के जिहादियों के 20 वर्ष से जारी अभियान का एक महत्वपूर्ण बिंदु है और यह अनेक मामलों में पहले की दोनों लड़ाइयों से भिन्न है।

कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में सामरिक महत्त्व की ऊँची चोटियाँ भारत के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। उन दुर्गम चोटियों पर शीत ऋतु में रहना काफ़ी कष्टसाध्य होता है। इस कारण भारतीय सेना वहाँ शीत ऋतु में नहीं रहती थी। इसका लाभ उठाकर पाकिस्तान ने आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी सेना को भी कारगिल पर क़ब्ज़ा करने के लिए भेज दिया। वस्तुत: पाकिस्तान ने सीमा सम्बन्धी नियमों का उल्लघंन किया था। लेकिन उसके पास यह सुरक्षित बहाना था कि कारगिल की चोटियों पर तो आतंकवादियों ने क़ब्ज़ा किया है, न कि पाकिस्तान की सेना ने। ऐसी स्थिति में भारतीय सेना के सामने बड़ी चुनौती थी। दुश्मन काफ़ी ऊँचाई पर था और भारतीय सेना उनके आसान निशाने पर थी। लेकिन भारतीय सेना ने अपना मनोबल क़ायम रखते हुए पाकिस्तानी फ़ौज पर आक्रमण कर दिया।

कारगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। मुशर्रफ के साथ 80 ब्रिगेड के तत्कालीन कमांडर ब्रिगेडियर मसूद असलम भी थे। दोनों ने जिकरिया मुस्तकार नामक स्थान पर रात बिताई थी।

कारगिल युद्ध – Kargil War Information in Hindi

मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने उस इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी का पता दिया। शुरू में भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को जिहादी समझा और उन्हें खदेड़ने के लिए कम संख्या में अपने सैनिक भेजे, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की ओर से हुए जवाबी हमले और एक के बाद एक कई इलाकों में घुसपैठियों के मौजूद होने की खबर के बाद भारतीय सेना को समझने में देर नहीं लगी कि असल में यह एक योजनाबद्ध ढंग से और बड़े स्तर पर की गई घुसपैठ थी, जिसमें केवल जिहादी नहीं, पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी। यह समझ में आते ही भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया, जिसमें 30,000 भारतीय सैनिक शामिल थे।

8 मई को कारगिल युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने इंडियन आर्मी की मदद करना शुरू कर दिया था। कारगिल की लड़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे।

थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया।

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कारगिल युद्ध में मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग किया था। मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन स्थानों पर बम गिराए जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। इसके अलावा मिग-29 करगिल में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ इस विमान से पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं।

कारगिल की ऊंचाई समुद्र तल से 16000 से 18000 फीट ऊपर है। ऐसे में उड़ान भरने के लिए विमानों को करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है। ऐसी ऊंचाई पर हवा का घनत्व 30% से कम होता है। इन हालात में पायलट का दम विमान के अंदर ही घुट सकता है और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है।

कारगिल युद्ध का कारण, इतिहास, परिणाम | Kargil War History in Hindiभारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे। लड़ाई के महत्वपूर्ण 17 दिनों में प्रतिदिन हर आर्टिलरी बैटरी से औसतन एक मिनट में एक राउंड फायर किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी।

भारतीय सैनिकों ने ठान लिया था कि वे कारगिल से पाकिस्तानियों को खदेड़कर ही दम लेंगे। भारतीय सैनिकों ने विलक्षण वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को चारों ओर से घेर लिया। बेशक़ कारगिल युद्ध में भारत को विजयश्री प्राप्त हुई लेकिन अमेरिका के हस्तक्षेप के कारण भारत सरकार ने पाकिस्तानी सैनिकों को हथियारों सहित निकल भागने का मौक़ा दे दिया। पाकिस्तान को सामरिक महत्त्व की चोटियाँ ख़ाली करनी पड़ीं और भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों की ज़िन्दा वापसी को स्वीकार कर लिया। वस्तुत: युद्ध के भी कुछ नियम होते हैं। भारतवर्ष ने उन्हीं नियमों का पालन किया था।

कारगिल युद्ध की 3 प्रमुख अवस्थाएँ रहीं – Kargil War Story in Hindi

  • सबसे पहले पाकिस्तान ने भारत अधिगृहित कश्मीरी क्षेत्र में अपनी सेना की घुसपैठ शुरू की और अपनी तोपों की रेंज में आने वाले नेशनल हाइवे 1 [NH1] की ओर के स्थानों पर रणनीति पूर्वक कब्ज़ा किया।
  • दुसरे चरण में भारत ने इस घुसपैठ का पता लगाया और भारतीय सेना को इसका जवाब देने के लिए उन स्थानों पर भेजा।
  • अंतिम चरण में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया और इसका नतीजा ये हुआ कि भारत ने उन सभी स्थानों पर विजय प्राप्त की, जहाँ पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर लिया था और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तानी हुकुमत ने अपनी फ़ौज को लाइन ऑफ़ कंट्रोल से पीछे हटा लिया।

कारगिल युद्ध का अंजाम – Kargil Yudh in Hindi

दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था और आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत पा ली गई। यही दिन अब ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फ़िल्में बनीं जिनमें एल ओ सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य हैं।

ऑपरेशन विजय – Kargil War Operation in Hindi

भारतीय सेना ने इस युद्ध की चुनौती को ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया। युद्ध के दौरान भारतीय सेना के सैकड़ों अफ़सरों और सैनिकों को कुर्बानी देनी पड़ी। पाकिस्तानी सैनिक भी बड़ी संख्या में हताहत हुए। यहाँ यह भी बताना प्रासंगिक होगा कि कुछ ही समय पहले भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान का दौरा करके आए थे और भारत-पाक सम्बन्धों को सुधारने की दिशा में महत्त्वपूर्ण मंत्रणाएँ भी हुई थीं। ऑपरेशन विजय, वॉर मेमोरियल, कारगिल उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ थे और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़। फ़रवरी 2009 में नवाज शरीफ़ ने यह ख़ुलासा किया कि कारगिल पर क़ब्ज़ा करने की साज़िश तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ़ की थी और उन्होंने मुझे क़ैद कर लिया था। कारगिल में पाकिस्तानी सेना का प्रवेश परवेज मुशर्रफ़ के आदेश पर ही हुआ था, जबकि परवेज मुशर्रफ़ ने यह कहा था कि कारगिल में पाकिस्तानी आतंकवादी उपस्थित थे।

कारगिल का ‘ऑपरेशन विजय’ इस कारण भी महत्त्वपूर्ण था क्योंकि पाकिस्तानियों ने इस पर क़ब्ज़ा करके बढ़त प्राप्त करने की योजना बनाई थी। यदि पाकिस्तानियों को कारगिल से नहीं खदेड़ा जाता तो निकट भविष्य में वे कश्मीर की काफ़ी भूमि पर क़ब्ज़ा कर सकते थे।

शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान –

कारगिल युद्ध के बाद शहीद भारतीय सैनिकों के शवों को उनके पैतृक आवास पर भेजने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे पूर्व ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पैतृक आवास पर शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया। उनके शवों को ले जाने के लिए काफ़ी मंहगे शव बक्सों (कॉफ़िन बॉक्स) का उपयोग किया गया।

भारतीय सेना द्वारा द्रास में टोलोलिंग हिल की तलहटी में कारगिल वार मेमोरियल बनाया गया हैं। यह मेमोरियल शहर के मध्य से 5 कि. मी. की दूरी पर टाइगर हिल के पार बनाया गया हैं। इसका निर्माण कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में किया गया हैं. मेमोरियल के मुख्य द्वार पर 20वीं सदी के प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता “ पुष्प की अभिलाषा ” लिखी हुई हैं. मेमोरियल की दीवारों पर उन जवानों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।

‘कारगिल विजय दिवस’ Kargil Vijay Diwas

कारगिल युद्ध 60 दिनों से भी ज्यादा दिनों तक चला था और इस युद्ध का अंतिम दिन था 26 जुलाई का और इसी दिन को हमारा पूरा देश ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाता हैं और देश के जवानों को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं। परन्तु इस युद्ध के कारण दोनों ही सेनाओं के कई सैनिकों की जान भी गयी। अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक दबाव के चलते पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना पड़ा। कारगिल विजय दिवस हर साल कारगिल के द्रास क्षेत्र में मनाया जाता हैं। साथ ही यह हमारे देश की राजधानी नयी दिल्ली में भी मनाया जाता हैं, यहाँ इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति स्थल पर देश के भावी प्रधानमंत्री हर साल देश के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं।

कारगिल युद्ध से जुड़े तथ्य – Kargil War Facts in Hindi

  • कारगिल युद्ध के तीन चरण रहे। पहला, पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया। दूसरे चरण में भारत ने घुसपैठ का पता लगाया और अपने बलों को तुरंत जवाबी हमले के लिए लामबंद करना शुरू किया तथा तीसरा, भारत और पाकिस्तान के बलों के बीच भीषण संघर्ष हुआ और पड़ोसी देश की शिकस्त हुई।
  • कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है।
  • एलओसी से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए कारगिल में चलाए गए इस अभियान को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया। भारतीय सीमा में दुश्मनों की घुसपैठ के बारे में जानकारी चरवाहों ने दी थी।
  • थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया।
  • करगिल युद्ध के बाद पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और जबकि 1500 से अधिक घायल हुए। भारतीय सेना के 562 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दे, विश्व के इतिहास में करगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है।
  • इस युद्ध में जीत हासिल करने में भारतीय वायुसेना की बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने पाक सैनिकों पर 32000 फीट की ऊंचाई से बम बरसाए। मिग—29, मिग—29 और मिराज—2000 विमानों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था।
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 14 जुलाई को ही युद्ध की घोषणा कर दी थी। मगर, आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की घोषणा हुई।

FAQ

Q : कारगिल युद्ध कितने दिन तक चला था?

Ans : कारगिल युद्ध 60 दिनों तक चला था।

Q : कारगिल युद्ध में कितने शहीद हुए थे?

Ans : 562 जवान शहीद हुए

Q : कारगिल युद्ध के समय भारत में किसकी सरकार थी?

Ans : अटल बिहारी वाजपेयी

Q : कारगिल युद्ध को क्या नाम दिया गया है?

Ans : कारगिल युद्ध, को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है।


और अधिक लेख –

Please Note : – Kargil War History & Information in Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे  Comment Box मे करे।

2 thoughts on “कारगिल युद्ध का कारण, इतिहास, परिणाम | Kargil War History in Hindi”

  1. What a fantastic post !
    This is so chock full of useful information. Your exuberance for writing is great.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *