Jupiter Planet / बृहस्पति, सूर्य से दूरी में पाँचवाँ और सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह पृथ्वी से 318 गुना अधिक बड़ा है। गैसीय संरचना होने के कारण बृहस्पति की कोई ठोस सतह नहीं है। इसे ग्रहो का गुरु भी कहा जाता हैं।
Jupiter Planet Profile and Detail
Equatorial Diameter: | 142,984 km |
Polar Diameter: | 133,709 km |
Mass: | 1.90 × 10^27 kg (318 Earths) |
Moons: | 67 (Io, Europa, Ganymede & Callisto) |
Rings: | 4 |
Orbit Distance: | 778,340,821 km (5.20 AU) |
Orbit Period: | 4,333 days (11.9 years) |
Effective Temperature: | -148 °C |
First Record: | 7th or 8th century BC |
Recorded By: | Babylonian astronomers |
बृहस्पति गृह के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Jupiter Planet Information in Hindi
बृहस्पति गृह में हवाओं की गति 400 मील प्रति घंटा से अधिक होती है। यह हवाएं विस्तृत अक्षांशों की पट्टियों के बीच फंसी हुई है। इन अक्षांशों की प्रत्येक पट्टी की रासायनिक संरचना और तापमान में आंशिक विभिन्नता पायी जाती है और यह विभिन्नता ही प्रत्येक पट्टी को अलग रंग देते हैं। हल्के रंग के पट्टे को ‘जोन’ कहा जाता है जबकि काले रंग के पट्टे को ‘बेल्ट’ कहा जाता है।
बृहस्पति ग्रह की सबसे उत्कृष्ट और विस्मयकारी विशेषता को ‘महान लाल धब्बा’ (Great Red Spot) कहा जाता है। यह बृहस्पति पर मौजूद 25,000 किमी लंबा और 12,000 किमी चौड़ा अंडाकार लाल धब्बा है जो इतना विशाल है कि इसमें दो पृथ्वी समा सकती हैं। बृहस्पति पर इस तरह के अन्य कई छोटे धब्बे मौजूद हैं। वास्तव में महान लाल धब्बा उच्च-दाब वाला क्षेत्र है जिसके बादल का सबसे उपरी भाग अपने आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक उंचा और ठंडा है। बृहस्पति पर भी शनि के जैसे धुंधले छल्ले हैं लेकिन बहुत छोटे हैं। शनि के विपरीत बृहस्पति के छल्ले गहरे हैं और शायद वे चट्टानी सामग्री के बहुत ही छोटे छोटे कणों से मिलकर बने हुए हैं।
बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है। अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी ‘महान लाल धब्बा’ (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को 17 वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम 64 चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् 1610 में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है।
बृहस्पति को अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा (सबसे कम) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं। इसके उपग्रहों की ज्ञात संख्या अबतक 64 है, जिसमें ग्यानीमीड सबसे बड़ा उपग्रह है। यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है, जिसका रंग पीला है।
बृहस्पति ग्रह को सौरमंडल का ‘वैक्युम क्लीनर’ भी कहा जाता हैं यह पृथ्वी को विनाशकारी हमलों से बचाता हैं। यह बहुत ही ठंडा ग्रह हैं. इसका Average Temp. हैं -145°C. ब्रहस्पति ग्रह की कोई जमीन नहीं हैं यह पूरी तरह गैस के बादलों से बना हुआ ग्रह हैं। बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 11 गुना भारी और इसका द्रव्यमान 317 गुना ज्यादा हैं। जुपिटर पर सभी ग्रहों के मुकाबले सबसे छोटा दिन होता हैं. ये अपनी धुरी पर हर 9 घंटे 55 मिनट में घूमता हैं। जल्दी-जल्दी घूमने के चक्कर में ये थोड़ा चपटा नजर आता हैं।
बृहस्पति गृह का इतिहास – Jupiter Planet History in Hindi
बृहस्पति (Jupiter) की ख़ोज सर्वप्रथम प्राचीन बेबीलोन निवासियों द्वारा लगभग 7वीं ईसा पूर्व की गई थी। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)।
बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी 2007 में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं।
बृहस्पति (Jupiter) एक नजर में – Jupiter Planet in Hindi
बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का चौथा सबसे अधिक चमकने वाला ग्रह है। इसके बाद सूरज चंद्रमा और शुक्र ऐसे ग्रह है जो काफी चमकदार हैं। साथ ही बृहस्पति उन 5 ग्रहों में शुमार है, जिन्हें दूरबीन की सहायता के बिना नग्न आँखों से देखा जा सकता है। बृहस्पति ग्रह लाल रंग का दिखता है। इसकी वजह इस पर उठने वाला तूफान है। यह तूफान 350 सालों से उफान पर है। बृहस्पति ग्रह हमारी आकाशगंगा का सबसे विशालकाय ग्रह है। यदि बाकी के सभी ग्रहों को आपस में मिला दिया जाए तो भी वह बृहस्पति ग्रह से छोटा रहेगा।
बृहस्पति ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक है। इसलिए इस पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी की तुलना में 3 गुना हो जाता है। यदि 50 किलोग्राम वजन वाला व्यक्ति बृहस्पति की सतह पर खड़ा होगा तो उसका वजन 150 किलोग्राम हो जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि बृहस्पति ग्रह का निर्माण सबसे पहले के ग्रहों में हुआ होगा। इसका अध्ययन करने पर पृथ्वी की संरचना और दूसरी चीजों के बारे में जानकारी मिल सकती है। Jupiter Planet का आंतरिक व्यास: 139,822 किमी और ध्रुवीय व्यास: 133,709 किमी है।
बृहस्पति ग्रह पर 90% हाइड्रोजन 10% हिलियम, मिथेन, पानी, अमोनिया गैसे पाई जाती हैं। यह गैस और चट्टानों के मिश्रण से बना हुआ है। बृहस्पति ग्रह का द्रव्यमान (Mass) 1898103 खरब किलोग्राम है। वैज्ञानिकों के द्वारा बृहस्पति के उपग्रह गैनीमेड (Ganymede) में एक भूमिगत सागर का पता लगाया गया है। उनके अनुसार यह सागर पृथ्वी पर मौज़ूद सागरों से कम से कम 10 गुना अधिक गहरा होगा और 150 किलोमीटर मोटी बर्फ़ की परत के नीचे दबा हुआ होगा। इस तरह इस सागर में मौजूद पानी पूरी पृथ्वी में मौजूद पानी से कहीं ज्यादा होगा।