जाखू मंदिर का इतिहास और जानकारी | Jakhu Temple Shimla History in Hindi

Jakhu (Jakhoo) Temple / जाखू मंदिर, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित एक प्रसिद्द धार्मिक स्थल हैं। यह मंदिर जाखू पहाड़ी पर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। भगवान हनुमान को समर्पित यह धार्मिक मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं। यहां आने वाले भक्‍तों का कहना है कि उन्हें यहां आकर सुकून मिलता है और उनकी मुरादें भी पूरी होती है। यहां जो लोग भी सच्चे मन से आते हैं उन्हें हनुमान जी खाली हाथ नहीं भेजते।

जाखू मंदिर का इतिहास और जानकारी | Jakhu Temple Shimla History in Hindi

जाखू मंदिर की जानकारी – Jakhu Mandir Information in Hindi

Jakhoo Temple – जाखू मंदिर भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान को समर्पित हिन्दू आस्था का मुख्य केंद्र है। मंदिर परिसर में बहुत से बंदर रहते हैं। इस मंदिर के प्रांगण में ही अब हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है, जिसे आप शिमला में कहीं से भी देख सकते हैं।

इस मंदिर परिसर में बहुत से बंदर रहते हैं। यह जगह बर्फीली चोटियों, घाटियों और शिमला शहर का सुंदर और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

जाखू मंदिर से जुडी कथा – Jakhu Temple History & Story in Hindi

पौराणिक कथा के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए हनुमान जी की नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी। जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई।

बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तक बदलता गया। हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे, वहां आज भी उनके पद चिह्नों को संगमरमर से बनवा कर रखा गया है।

यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी का परिचय लेने के बाद वापस जाते हुए उन्होंने मिलकर जाने का वचन यक्ष ऋषि को दिया और द्रोण पर्वत की तरफ चल पड़े। मार्ग में कालनेमि नामक राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण समय के अभाव में हनुमान जी छोटे मार्ग से अयोध्या होते हुए चल पड़े।

जब वह वापस नहीं लौटे तो यक्ष ऋषि व्याकुल हो गए। लेकिन हनुमान जी याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए। जिसे लेकर यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया। आज यह मूर्ति मंदिर में स्थापित है और दूर-दूर से लोग उनके दर्शन को आते हैं।

एक अन्य किवदंति के अनुसार हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। बूटी के लिए जाते समय बजरंगबली ने शिमला की इस पहाड़ी पर विश्राम किया था। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं पर छोड़ कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। ऐसा माना जाता है कि उनके वानर साथियों ने यह समझकर कि बजरंगबली उनसे नाराज होकर अकेले ही गए हैं, उनका यहीं पहाड़ी पर वापस लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहाँ बहुत ज्यादा संख्या में वानर पाए जाते हैं।

पर्यटक स्थल – Jakhoo Temple Tourism in Hindi

यह एक पर्यटक स्थल के रूप में भी स्थापित हैं। पहाड़ी पर राज्य सरकार द्वारा विभिन्न ट्रैकिंग और पर्वतारोहण गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। ट्रैकिंग मार्ग मनोरम पाइन के जंगलों से घिरा हुआ है। आगंतुक जाखू मंदिर तक पहुँचने के लिए ‘पोनी’ (टट्टू) भी किराए पर ले सकते हैं। जाखू पहाड़ी के आधार क्षेत्र में बहुत-सी दुकाने हैं, जो ट्रैकर्स को ऊपर चढ़ाने में मदद के लिए वॉकिंग स्टिक्स आदि प्रदान करती हैं।


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