Fatty Liver Ilaj – लीवर हमारे शरीर का एक मुख्य आंतरिक अंग होता है, जो शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि और दूसरा सबसे बड़ा अंग होता है। लिवर पित्त का निर्माण करता है, जो वसा के टूटने में मदद करता है। यह रक्त के डिटाक्सिफिकैशन में भी मदद करता है। एक सामान्य लिवर में कुछ फैट ज़रूर होता है, लेकिन कभी-कभी लिवर की कोशिकाओं में अनावश्यक फैट की मात्रा बढ़ जाती है। यह एक गंभीर रोग होता है जिसे आम तौर पर फैटी लिवर के नाम से जाना जाता है। भारत में हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा मामले फैटी लिवर के आते हैं।
फैटी लिवर के कारण – Fatty Liver Causes in Hindi
1.अनुचित आहार – अत्यधिक भारी या तेल-मसाले वाले आहार, फास्ट फूड अधिक खाना या फिर कच्चा-पक्का भोजन लेना जिसे पचाने के लिए शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़े, तो वसा की अधिकता आपको फैटी लिवर की समस्या दे सकता है।
2. मोटापा – मोटापा भी इस रोग का एक प्रमुख कारण हो सकता है। शरीर में अधिक वसा न केवल फैटी लिवर बल्कि उच्च रक्तचाप या अन्य सेहत समस्याओं के लिए जिम्मेदार है।
3. दवाओं का सेवन – एस्पिरिन जैसी कुछ दवाएं भी इस रोग को विकसित करने में भूमिका निभा सकती हैं। हेपेटाइटिस-सी के रोगियों को फैटी लिवर होने की संभावना बढ़ सकती है। गर्भवती महिलाओं में भी फैटी लिवर विकसित होने के मामले देखे गए हैं।
4. अनुवांशिकता – जिनके माता-पिता फैटी लिवर रोग से पीड़ित हैं, उनमें यह रोग विकसित होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए इस स्थिति के लिए आनुवंशिकी भी एक प्रमुख भूमिका निभाती है।
5. अल्कोहल – अल्कोहल का सेवन फैटी लिवर की बढ़ती समस्या का एक बड़ा कारण है। जो अधिक शराब पीते हैं, उन्हें यह समस्या हो सकती है।
फैटी लिवर के लक्षण – Fatty Liver Symptoms in Hindi
फैटी लिवर के लक्षण बहुत साफ़ नहीं होते। अक्सर जिन्हें ये बीमारी होती है उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं चलता। इससे जुड़े लक्षण सामने आने में सालों लग सकते हैं। कुछ लक्षण इस प्रकार हैं –
- थकान लगना।
- वजन घटना।
- भूख ना लगना।
- कमजोरी।
- जी मिचलाना।
- भ्रम होना।
- ध्यान केन्द्रित करने में दिक्कत होना।
- लिवर का साइज़ में बढ़ जाना।
- पेट के उपरी हिस्से या बीच में दर्द होना।
- गर्दन पर या बाहों के नीचे की त्वचा में गाढ़े रंग का पैच(दाग) होना।
फैटी लिवर के प्रकार – Types of Fatty Liver
- नॉनअल्कोहलिक – यानी जिसका कारण शराब ना हो।
- अल्कोहलिक – यानी जिसका कारण शराब हो।
फैटी लिवर के उपाय – Fatty Liver ke Gharelu Upay
फैटी लिवर के रोगियों के लिए उपचार के लिए कुछ विकल्प इस प्रकार हैं – जीवनशैली में बदलाव जैसे व्यायाम करना, वजन घटाना, आहार सेवन आदि। दवाइयाँ, सप्लिमेंट्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड, सर्जरी, लिवर प्रत्यारोपण।
1. वजन घटाना और व्यायाम – वजन घटाना और व्यायाम करना फैटी लिवर के मरीजों के उपचार में काफी मददगार होते हैं। लिवर फैट को कम करने के लिए शरीर का बहुत ज्यादा वजन घटाने की जरूरत नही पड़ती, शरीर से 10 प्रतिशत वजन करना काफी होता है।
2. दवाइयाँ और अन्य उपचार – इन्सुलिन सेन्सिटाइजर्स – मेटफोर्मिन (ग्लूकोफेज) डायबिटीज के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, जो कोशिकाओं की इन्सुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने का काम करती है। यह सीधे इन्सुलिन प्रतिरोध के विपरित प्रतिक्रिया करती है जो लिवर रोग और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के साथ जुड़े होते हैं। पियोग्लिटाज़ोन (एक्टोस) और रोसिग्लिटाज़ोन (एवेंडिया) दवाइयों का प्रयोग भी डायबिटीज के उपचार कि लिए किया जाता है, क्योंकि ये दवाएं भी इन्सुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं। इन दोनों दवाओं (पियोग्लिटाज़ो और रोसिग्लिटाज़ोन) से लिवर के फैट और अन्य प्रकार की लिवर समस्याओं में कमी हुई है। पियोग्लिटाज़ो निशान (scarring) की समस्या को भी कम कर देती है, जो NASH (नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहैपेटाइटिस) के कारण बनते हैं।
>> एंटीऑक्सिडेंट्स (Antioxidants) – NASH के उपचार के लिए विटामिन-E का प्रयोग भी किया जा सकता है, मगर यह हर रोगी के लिए प्रयोग नहीं की जा सकती। इसको चुनिंदा मरीजों को दिया जाता है इसके संभावित जोखिमों के बारे में मरीजों को अच्छे से जान लेना चाहिए।
>> ओमेगा-3 फैटी एसिड्स – ओमेगा -3 फैटी एसिड फैटी लिवर रोग और मेटाबोलिक सिंड्रोम वाले रोगियों के लिए उचित उपचार हो सकता है। क्योंकि इन रोगियों में कार्डियोवेस्कुलर (हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी) रोग और मौत की संभावना अधिक हो जाती है।
>> लिपिड कम करने की दवा (Lipid-lowering drug) – खास तौर पर एज़ेटिमिब (ezetimibe) और स्टेटिन (statins) का उपयोग मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़े असामान्य रक्त लिपिड को सामान्य स्तर पर लाने के लिए और उनका इलाज करने के लिए किया जाता है।
3. सर्जरी – बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric surgery), गेस्ट्रोइंटेस्टिनल (gastrointestinal) की एक सर्जरी होती है, जिसके कारण वजन कम होने लगता है। क्योंकि मोटापा नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग के कारणों में एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। जबकि वजन कम होना नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में लाभकारी प्रभाव दिखाता है। इसमें कोई आशचर्य नहीं है कि बेरिएट्रिक सर्जरी को नॉन-एल्कोहॉलिक रोग के लिए एक संभावित उपचार माना जाता है।
4. लिवर प्रत्यारोपण (Liver transplantation) – जब लिवर सिरोसिस रोग ग्रस्त हो जाता है और जटिलताएं बढ़ जाती है। तो उपचार के लिए एक – दो ही विकल्प बचते हैं या तो जटिलताओं का इलाज किया जाए जैसे ही वे लिवर में पनती हैं, या फिर रोग ग्रस्त लिवर को प्रत्यारोपित लिवर के साथ बदल दिया जाए। असल में, NASH लिवर के प्रत्यारोपण करने का तीसरा सबसे सामान्य कारण बन गया है। केवल एल्कोहॉलिक लिवर रोग और हैपेटाइटिस-सी इससे पहले आते हैं।
फैटी लिवर के घरेलू उपचार – Natural Home remedies for Fatty Liver in Hindi
1. ग्रीन टी का सेवन – हरी चाय में मौजूद तत्व अत्यधिक फैट या वासा वाले tissues को नष्ट करने में कारगर हैं। ग्रीन टी का उपयोग हमेशा चर्बी को कम करने के लिए किया जाता है। ग्रीन टी का सेवन करने से लिवर में मौजूद वसा का नष्ट होता है और यह जिगर को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है। इसके लिए आप प्रतिदिन दो से तीन कप ग्रीन टी का सेवन करें।
2. सेब का सिरका – यह जिगर में मौजूद चर्बी को कम करने में बहुत उपयोगी है। यह लिवर के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पिएं। आप इसका सेवन प्रतिदिन दो बार कर सकते हैं।
3. करेला – फैटी लीवर के उपचार के लिए करेला भी एक प्रभावी घरेलू उपाय माना जाता है। करेला लिवर के सभी कामकाज के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके लिए आप सुबह एक गिलास करेले के रस का सेवन करें।
4. नींबू – नींबू एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरा हुआ है जो लिवर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। नींबू सूजन की समस्या में भी उपयोगी है। बस इसके लिए आप एक गिलास पानी में आधे नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन दो बार सेवन करें।
5. मुलैठी – मुलेठी एक ऐसी उपयोगी जड़ी बूटी है जिसके अपने बहुत स्वास्थ्य लाभ हैं। मुलेठी लिवर से जुड़े एंजाइम की उच्च गतिविधियों को कम करने में मदद करती है। यह विषाक्त पदार्थों और सूजन से जिगर को सुरक्षित रखती है और बचाती भी है। एक गिलास पानी में 5 मिनट के लिए मुलैठी की जड़ उबाल कर इसको प्रतिदिन दो बार पिएं।
6.आंवला – इसमें कई शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। लिवर के कामकाज को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसका उपयोग शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थों को निकालने में मदद करता है। फैटी लिवर विकार में आप प्रतिदिन 2-3 आंवला खाएं या एक गिलास आंवले के रस का सेवन करें।
7. फलों का सेवन – संतरा विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट तत्व से भरा हुआ एक स्वस्थ फल है जो शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को हटाकर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। अलसी फैटी जिगर की समस्या में आप उन सभी फलों का सेवन कर सकते हैं जिनमें उच्च मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। रोजाना एक या दो संतरे का सेवन आप के लिए बहुत अच्छा होगा। साथ ही फाइबर में समृद्ध फल भी शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। यह जिगर के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं। जैसे पपीता और अनानास फैटी जिगर विकार की समस्या में मदद करते हैं।
8. अलसी – यह फैटी लिवर के ईलाज के लिए बहुत उपयोगी है। अलसी के नियमित सेवन से लिवर स्वस्थ रहता है। प्रतिदिन पानी के साथ एक चम्मच अलसी का सेवन करें। अलसी के तेल का उपयोग भी कर सकते हैं जो विटामिन ई से भरा होता है।
9. अदरक – यह वसायुक्त लिवर के उपचार में अच्छा काम करता है। यह जिगर एंजाइमों के अनावश्यक कार्यों को रोकने में मदद करता है। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं जो लिवर के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं। वसायुक्त लिवर के उपचार के लिए प्रतिदिन एक कप अदरक की चाय का सेवन करें।
10. हल्दी – हल्दी एंटीऑक्सिडेंट से भरी हुई है जो फैटी लिवर से लड़ने में मदद करती है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने का गुण पाई जाती है। हल्दी लिवर को कुशलतापूर्वक काम करने में मदद करता है। फैटी लिवर रोग में एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर प्रतिदिन पिएं।
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Bhai kaafi achhi baate batayi hai aapne is post me..mujhe bhi ye samsya huyi thi…aapke tips kaafi useful hain. thanks.