Dwarka in Hindi / द्वारका दक्षिण-पश्चिम गुजरात राज्य, पश्चिम-मध्य भारत का प्रसिद्ध नगर है। यह काठियावाड़ प्रायद्वीप के छोटे पश्चिमी विस्तार, ओखामंडल प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। द्वारका कई द्वारों का शहर (संस्कृत में द्वारका या द्वारवती) को जगत या जिगत के रूप में भी जाना जाता है। द्वारका भगवान कृष्ण की पौराणिक राजधानी थी, जिन्होंने मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी। इसकी पवित्रता के कारण यह सात प्रमुख हिंदू तीर्थस्थलों में से एक और चार धामों में से एक है। यह श्रीकृष्ण की कर्मभूमि है।
द्वारका का इतिहास – Dwarka Temple History in Hindi
मान्यता है कि द्वारका को श्रीकृष्ण ने बसाया था और मथुरा से यदुवंशियों को लाकर इस संपन्न नगर को उनकी राजधानी बनाया था। यहीं बैठकर उन्होने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांड़वों को सहारा दिया। धर्म की जीत कराई और, शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं को मिटाया। द्वारका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान कृष्ण की सलाह लेते थे। इस जगह का धार्मिक महत्व तो है ही, रहस्य भी कम नहीं है। कहा जाता है कि कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई। आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं।
जिस स्थान पर उनका निजी महल ‘हरि गृह’ था। वहाँ आज प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर (Dwarkadhish Temple) है। मान्यता हैं की इस स्थान पर मूल मंदिर का निर्माण भगवान् कृष्ण के प्रपोत्र व्रजनाभ ने करवाया था। इसलिए कृष्ण भक्तों की दृष्टि में यह एक महान तीर्थ है। द्वारका का प्राचीन नाम कुशस्थली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा रैवतक के समुद्र में कुश बिछाकर यज्ञ करने के कारण ही इस नगरी का नाम कुशस्थली हुआ था।
आधुनिक द्वारका एक शहर है। कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चहारदीवारी खिंची है इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मन्दिर है। हालांकि इस नगर के मूल मंदिरों को 1372 में दिल्ली के शासकों ने नष्ट कर दिया था।
द्वारका के पर्यटन के पर्यटक स्थल – Dwarka Tourist Place
द्वारका के पर्यटन स्थलों में जगत मंदिर; 48मीटर ऊंचा खूब नक़्क़ाशीदार मीनार वाला पांच मंज़िला प्राचीन मंदिर 32 किमी दूर शंखोद्वार द्वीप में प्रसिद्ध रणछोड़रायजी मंदिर एवं मत्स्यवतार मंदिर; गोपी झील तथा द्वारिकावन शामिल है। इसके अलावा तीर्थ स्थानों में गोमती द्वारका, निष्पाप कुण्ड, परिक्रमा, दुर्वासा और त्रिविक्रम मंदिर, कुशेश्वर मंदिर आदि।
रणछोड़ के मन्दिर से डेढ़ मील चलकर शंख-तालाब आता है। इस जगह भगवान कृष्ण ने शंख नामक राक्षस को मारा था। इसके किनारे पर शंख नारायण का मन्दिर है। शंख-तालाब में नहाकर शंख नारायण के दर्शन करने से बड़ा पुण्य होता है।
द्वारिका के रहस्य – The Mystery of Dwaraka in Hindi
मथुरा से निकलकर भगवान कृष्ण ने द्वारिका क्षेत्र में ही पहले से स्थापित खंडहर हो चुके नगर क्षेत्र में एक नए नगर की स्थापना की थी। भगवान कृष्ण ने अपने पूर्वजों की भूमि को फिर से रहने लायक बनाया था लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि द्वारिका नष्ट हो गई? किसने किया द्वारिका को नष्ट? क्या प्राकृतिक आपदा से नष्ट हो गई द्वारिका? क्या किसी आसमानी ताकत ने नष्ट कर दिया द्वारिका को या किसी समुद्री शक्ति ने उजाड़ दिया द्वारिका को। आखिर क्या हुआ कि नष्ट हो गई द्वारिका और फिर बाद में वह समुद्र में डूब गई।
काफी समय से जाने-माने शोधकर्ताओं ने पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं किया गया है। 2005 में द्वारिका के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान में भारतीय नौसेना ने भी मदद की। अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छटे पत्थर मिले और यहां से लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए, लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा नहीं जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। आज भी यहां वैज्ञानिक स्कूबा डायविंग के जरिए समंदर की गहराइयों में कैद इस रहस्य को सुलझाने में लगे हैं।
द्वारकासे जुड़े तथ्य – Dwarka Facts in Hindi
- पुरातात्त्विक खोज में सामने आया है कि यह मंदिर करीब 2,000 से 2200 साल पुराना है। इस मंदिर की इमारत 5 मंजिला है और इसकी ऊंचाई 235 मीटर है। यह इमारत 72 स्तंभों पर टिकी हुई है।
- इस प्राचीन व अद्भउत मंदिर का निर्माण चूना पत्थर से किया गया है, जो आज भी अपनी स्थिति में खड़ा हुआ है। मंदिर में मूलतः दो प्रवेश द्वार हैं मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर द्वार को मोक्षद्वारा द्वार कहा जाता है। यह प्रवेश द्वार मुख्य बाजार में ले जाता है। दक्षिण द्वार को स्वर्ग द्वार कहा जाता है।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वारका कृष्ण द्वारा भूमि के एक टुकड़े पर बनाया गया था जिसे समुद्र से पुनः प्राप्त किया गया था।
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Buddha jeevo Kuch poochkar ki likha Karo… Bhagwan Krishna ajana Jai… N jab jiska janam na hua toh Mar Kaha se gaye…. Thoda gyaan le lo.
सर जी आपके पास अगर कोई बेहतर जानकारी हैं तो कृपया हमें ईमेल कर सकते हैं. इसे तुरंत अपडेट कर दिया जायेगा.
Ajanma hai