एफिल टॉवर का इतिहास और तथ्य Eiffel Tower History, Facts in Hindi

The Eiffel Tower / एफ़िल टॉवर फ्रांस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह से बने ज़ालियों का टॉवर है। गुस्ताव एफिल इस टावर का डिजाइन और निर्माण करने वाली कंपनी के मलिक थे जो की पेशे मे एक इंजिनियर थे उन्ही के नाम पे ये टॉवर का नाम रखा गया हैं। इसका निर्माण 1887-1889 में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ताज महल भारत की पहचान है, वैसे ही एफ़िल टावर फ्रांस की पहचान है। यह टॉवर पर्यटकों द्वारा टिकट खरीदके देखी गई दुनिया की इमारतों में पहले स्थान पे है।

एफिल टॉवर का इतिहास और सच्चाई The Eiffel Tower History, Facts In Hindiएफिल टॉवर का इतिहास – Eiffel tower history in Hindi

Eiffel Tower – आज फ्रांस की पहचान बन चुकी एफिल टावर को सन 1887 में फ़्रांस की क्रांति के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर, वैश्विक मेले का आयोजन किया गया था। इस मेले के प्रवेश द्वार के रूप में सरकार एक टॉवर बनाना चाहती थी। जिसके लिए सरकार ने परियोजना तैयार की और तीन मुख्य शर्तें रखी :

  1. टावर की ऊँचाई 300 मिटर होनी चाहिए.
  2. टावर लोहे का होना चाहिए.
  3. टावर के चारों मुख्य स्थंभ के बीच की दूरी 125 मिटर होनी चाहिए।

प्रारंभ मे एफिल टॉवर के आकार को मौरिस कोएचलीं और एमिले नौगुइएर ने बनाया था, जो दोनों ही इंजिनियर थे। जिसमे उन्होंने चार सीधी लकीरों को सतह से वर्गाकार रूप में बनाकर उपर से उन्हें जोड़ा और एक उसे एक विशेष टावर का दर्जा दिया। शुरू में एफिल टावर के डिजाईन की काफी आलोचना की गयी, कई लोगो ने इसे अपनाने से इंकार भी किया था। लेकिन बाद में ज्यादा समय तक अभ्यास करने और उनमे कुछ सुधार करने के बाद इन दो इंजिनियर ने अपने इस डिजाईन को विशेषज्ञों के सामने रखा।

फिर उन्होंने मिलकर वास्तविक डिजाईन में कुछ आवश्यक बदलाव किये और टावर की एक आकर्षित डिजाईन बनाई। इसकी नई डिजाईन को गुस्ताव एफिल की सहायता मिली। सरकार द्वारा घोषित की गईं तीनों शर्तें पूरी की गई। ऐसी 107 योजनाओं में से गुस्ताव एफ़िल की परियोजना मंज़ूर की गई।

इसके बाद उन्होंने इसके डिजाईन का पेटेंट हासिल कर लिया और 1884 में इसे एक्जीबिशन में रखा गया, एक्जीबिशन में इसे कंपनी के नाम से ही रखा गया था। 30 मार्च 1885 को एफिल ने अपने विचार और टावर की डिजाईन को सोसिएट देस इन्गेनियूर्स सिविल्स के सामने प्रदर्शित किया। प्रदर्शित करते समय उन्होंने टावर से संबंधित बनावट और वास्तविक मुश्किलों पर भी अपने विचार व्यक्त किये।

उन्होंने लोगो को बताया की यह टॉवर न केवल मॉडर्न इंजिनियर की एक कला होंगी बल्कि उद्योग और विज्ञान के क्षेत्र में यह एक नया चमत्कार होंगा। और आख़िरकार इसके बनने के बाद यह टावर फ्रांस की पहचान बन गया।

हालाँकि एफ़िल टॉवर उस समय की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था और वैश्विक मेले के दौरान आम जनता ने इसे काफी सराया, फिर भी कुछ नामी हस्तियों ने इस इमारत की आलोचना की और इसे “नाक में दम” कहके बुलाया। उस वक़्त के सभी समाचार पत्र पैरिस के कला समुदाय द्वारा लिखे गए निंदा पत्रों से भरे पड़े थे। विडंबना की बात यह है की जिन नामी हस्तियों ने शुरुआती दौर में इस टावर की निंदा की थी, उन में से कई हस्तियाँ ऐसी थीं जिन्होंने बदलते समय के साथ अपनी राय बदली।

शुरुआती दौर में एफ़िल टॉवर को 20 साल की अवधि के लिए बनाया गया था जिसे 1909 में नष्ट करना था। लेकिन इन 20 साल के दौरान टावर ने अपनी उपयोगिता वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में साबित करने के कारण आज भी एफ़िल टावर पैरिस की शान बनके खड़ा है। हालाँकि समय के साथ टावर के मजबूती और अंदर खामियाँ को दुरुस्त किया गया।

एफिल टॉवर की सच्चाई और तथ्य – Eiffel Tower Facts In Hindi

  • एफिल टावर  को Mattel की मदद से बनाया गया है इसीलिए यह ठंड के मौसम में लगभग 6 इंच तक सिकुड़ जाता है।
  • एफ़िल टावर एक वर्ग में बना हुआ है जिसके हर किनारे की लंबाई 125 मीटर है। 116 ऐटेना समेत टावर की ऊँचाई 324 मीटर है और समुद्र तट से 33,5 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • एफिल टावर की उपरी लेवल तक चढ़कर जाना संभव है लेकिन इसके लिये आपको तक़रीबन 1665 सीढियाँ चढ़नी पड़ेंगी। बहुत से लोग इसीलिए लिफ्ट को प्राधान्य देते है।
  • एफिल टावर की पहली मंजिल का क्षेत्र फल 4200 वर्ग मीटर है मंजिल की चारों तरफ एक जालीदार छज्जा लगा हुआ है इसमें यात्रियों के लिए दूरवीन रखे हुए हैं।
  • यह टावर तक़रीबन 6 से 7 सेंटीमीटर हवा में झूलता है।
  • हर रात रौशनी से भरे इस टावर में तक़रीबन 25,000 लाइट बल्ब का उपयोग किया जाता है।
  • हर 7 साल में एक बार टावर को पेंट किया जाता है, जिसके लिये तक़रीबन 60 टन पेंट (Paint) की जरुरत होती है।
  • इसे बनाने में 2 साल, 2 महीने और 5 दिन का समय लगा था – पेरिस के दुसरे महान आकर्षण नोट्रे डैम से 180 साल कम।
  • टावर में तक़रीबन 18.000 मेटालिक भाग है जिन्हें 2.5 मिलियन रिबेट की सहायता से आपस में जोड़ा गया।
  • एफिल टावर की लिफ्ट तक़रीबन एक साल में 103,000 किलोमीटर का सफ़र तय करती है, जो धरती की परिधि से 2.5 गुना ज्यादा है।

एफिल टावर के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ – Interesting Information About The Eiffel Tower

  • इस टावर में पर्यटकों के घुमने के लिये 3 लेवल है, जिसमे पहले और दुसरे लेवल पर रेस्टोरेंट है। इसकी सबसे उपरी लेवल सतह से 276 मीटर ऊँची है। और साथ ही इसकी छत को पर्यटकों की रमणीयता के लिये अच्छी तरह से सजाया गया है। पहली और दूसरी सतह पर लिफ्ट या सीढियों से जाने के लिये पर्यटकों को टिकट लेनी पड़ती है। निचली लेवल से पहले लेवल के बीच तक़रीबन 300 सीढियाँ है, और इतनी ही पहले से दूसरी लेवल तक भी है। उपरी सतह पर भी सीढियाँ बनी हुई है।
  • 1957 में टावर के उपरी भाग पर आकाशीय प्रसारण का काम होने की वजह से 1957 के बाद यह टावर क्रिसलर बिल्डिंग से 5.2 मीटर ऊँचा हो गया था। ट्रांसमीटर को यदि छोड़ दिया जाये तो एफिल टावर, मिल्लाऊ वैडक्ट के बाद फ्रांस की सबसे ऊँची धरोहर है।
  • फ्रेंच कार निर्माता सीत्रों ने इसका उपयोग 1925 से 1934 के बीच विशाल विज्ञापन पट के रूप में किया था – लाइट बल्ब की सहायता से टावर पर कंपनी के नाम को प्रकाशित किया जाता था और उस समय गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसे सबसे विशालकाय विज्ञापन की श्रेणी में सम्मिलित किया गया था।
  • 1944 में हिटलर ने पेरिस के मिलिट्री गवर्नर डीटरीच वों चोल्तित्ज़ को टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, लेकिन जनरल ने ऐसा करने से मना कर दिया।
  • दुनिया भर से हर साल लगभग 70 से 80 लाख लोग एफिल टावर को देखने आते हैं। जिसमे 10% फ्रेंच, 8% क्रमशः स्पेन और इटली, 7% ब्रिटेन, 7% यूयेसे, 5% ब्राज़ील और 5% जर्मनी के लोग है।
  • 2008 में एक महिला ने एफिल टावर से शादी कर ली थी और अपना नाम बदलकर एरिका ला टूर एफिल रखा था।
  • कई विमान चालको ने एफिल टावर के चारो तरफ एयरक्राफ्ट उडाये है। 1926 में लीओन कोलिट ऐसा करने में असफल हुए और उनकी मृत्यु हो गयी थी।
  • एफिल टावर और मार्गरेट थैचर का एक ही उपनाम है – ला डैम दे फेर।
  • 1923 में पिअर लाब्रिक ने एफिल टावर की सीढियों को क्षति पहुचाई थी। ऐसा करते हुए उन्हें लगाई हुई शर्त तो जीत ली थी लेकिन स्थानिक पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
  • 72 इंजिनियर, वैज्ञानिक और गणितज्ञों का नाम टावर की एक बाजू में लिखा गया था, जिन्होंने इस टावर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • एफिल टावर की दूसरी मंजिल का क्षेत्र फल 1650 वर्ग मीटर तक है। एफिल टावर की दूसरी मंजिल से सबसे खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। दूसरी मंजिल में तीसरी मंजिल में जाने के लिए लिफ्ट की सुविधा भी है।
  • 1960 में चार्ल्स दे गुल्ले ने टावर को तोड़कर इसे मोंट्रियल के एक्सपो 67 में भेजने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इसे अस्वीकार किया गया था।
  • 1905 में एक स्थानिक अखबार ने एफिल टावर पर सीढियाँ चढ़ाई की प्रतियोगिता का आयोजन किया था। जिसे ए.एम. फोरेस्तिएर ने जीता था, उन्हें दूसरी मंजिल तक जाने में तक़रीबन 3 मिनट 12 सेकंड का समय लगा था।
  • इसके उद्घाटन के बाद से अब तक तक़रीबन 260 मिलियन लोग इसे देखने आ चुके है।

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