दीक्षाभूमि का इतिहास और जानकारी | Deekshabhoomi History in Hindi

Deekshabhoomi Nagpur / दीक्षाभूमि भारत में बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। यह महाराष्ट्र राज्य के उपराजधानी नागपुर शहर में स्थित हैं। यहीं पर सैकड़ों दलित लोगों ने डॉ. बी. आर. आम्बेडकर को अपना नेता मानते हुए बौद्ध धर्म को अपनाया था। यहां इस दिन को ‘अशोक विजय दशमी’ के रूप में मनाया जाता है।

दीक्षाभूमि का इतिहास और जानकारी | Deekshabhoomi History in Hindi

दीक्षाभूमि, नागपुर – Deekshabhoomi History & Information in Hindi

दीक्षाभूमि में हर साल हज़ारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां एक बौद्ध स्तूप है, जो 120 फुट लंबा है। इस पवित्र स्थान पर बोधिसत्त्व डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने 14 अक्टूबर 1956 को पहले महास्थविर चंद्रमणी से बौद्ध धम्म दीक्षा लेकर अपने 5,00,000 से अधिक अनुयायिओं को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी।

त्रिशरण, पंचशील और अपनी 22 प्रतिज्ञाएँ देकर डॉ. आंबेडकर ने हिन्दू दलितों का धर्मपरिवर्तन किया था। अगले दिन फिर 15 अक्टूबर को तीन लाख लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी और स्वयं भी फिर से दीक्षीत हुए।

देश तथा विदेश से हर साल दीक्षाभूमि में 25 लाख से अधिक आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी आते हैं। हर साल 14 अक्टूबर को यहां हज़ारों की संख्या में लोग बौद्ध धर्म परावर्तित होते रहते हैं।

दीक्षाभूमि में 14 अक्टूबर, 2015 में 50,000 लोग दीक्षीत हुए थे। 14 अक्टूबर, 2016 में 20,000 और 25 अक्टूबर, 2016 को ‘मनुस्मृति दहन दिवस’ के उपलक्ष में 5,000 ओबीसी लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

महाराष्ट्र सरकार ने दीक्षाभूमि को ‘अ’ वर्ग के पर्यटन क्षेत्र का दर्जा दिया है। नागपुर शहर के सभी धार्मिक व पर्यटन क्षेत्रों में यह पहला स्थल है, जिसे ‘ए’ क्लास का दर्जा हासिल हुआ है।


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