बाइपोलर डिसऑर्डर (मैनिक डिप्रेशन) को हम दोध्रुवी विकार भी कहते हैं। यह एक तरह का मानसिक रोग है, जिसमें मन लगातार कई हफ़्तो या महिनों तक या तो उदास और दुखी रहता है या फिर बेहद खुश रहता है। उदासीनता की स्थिति में नेगेटिव विचार आते हैं। यह एक ऐसा रोग है जो 100 लोगों में से किसी एक इंसान को कभी न कभी होता है। यह बिमारी अक्सर 14 से 19 साल के बीच के बच्चों में होती है। यह ऐसा रोग है जिससे महिला और पुरुष दोनों प्रभावित हुए हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति को समाज में संबंध बनाए रखने और काम करने में बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
द्विध्रुवी विकार तीन प्रकार के होते हैं – द्विध्रुवी I विकार, द्विध्रुवी II विकार और साइक्लोथाइमिक विकार। तीनों प्रकारों में, एक व्यक्ति मूड और ऊर्जा के स्तर में स्पष्ट परिवर्तन से गुजरता है।
लक्षण :- Bipolar disorder symptoms in hindi
- समय समय में मूड बदलना- इसका अगर उदाहरण दिया जाए तो – रोगी किसी भी बात पर हंस सकते हैं और दूसरी ही घड़ी बहुत उदास या बेहद दुखी हो सकते हैं, लगता है जैसे वह सामान्य स्थिति में नहीं हैं।
- हड़बड़ी करना-चलते-चलते बहुत अधिक गति में आ जाना, बाज़ार में अचानक धड़ल्ले से खरीदीरी शुरु कर देना, विचलित हो जाना भी बाइपोलर डिसऑर्डर का ही लक्षण है।
कारण :-
यह मुख्य रूप से या तो मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन या आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों की संख्या के कारण हो सकता है। मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन के परिणामस्वरूप द्विध्रुवी विकार व्यापक रूप से माना जाता है। यह बताता है कि एक व्यक्ति एक ही रसायन के अत्यंत निम्न स्तर के परिणामस्वरूप नोरैड्रेनलाइन या अवसाद के बहुत अधिक स्तर के कारण उन्माद से गुजर सकता है। संभावना है कि किसी को द्विध्रुवी विकार से पीड़ित हो सकता है अगर परिवार के किसी सदस्य को भी इसका अनुभव हो। शारीरिक बीमारी, नींद की गड़बड़ी या रोजमर्रा की जिंदगी में भारी समस्याएं भी द्विध्रुवी विकार को ट्रिगर कर सकती हैं।
घरेलु उपचार :- Bipolar disorder ka ayurvedic ilaj
मानसिक शिक्षा – मनो शिक्षा चिकित्सा का ही अंश है। इस तरह की चिकित्सा रोगी की मन: स्थिति को सशक्त बनाने पर केंद्रित है और यह रोगी में आत्मविश्वास भर देती है। इस तरह उसके मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि होती हैऔर वह सामान्य होना शुरु होता है।
मनोचिकित्सा – यह एक टॉक थेरेपी होती है जो विशेष रूप से रोगी के मानसिक और व्यवहार संबंधी विकारों पर केंद्रित होती है।
फैमिली थेरेपी – यह थेरेपी एक मनोवैज्ञानिक प्रैक्टिस यानि अभ्यास है। रोगी के परिवार के सदस्योंऔर उसके चाहने वाले मित्रों आदि को इकट्ठा करके मतभेदों को हल करने की कोशिश की जाती है। यह थेरेपी परिवार और रोगी के बीच नईं नींव रखती है और रोगी के मुद्दों को समझने के लिए परिवार वालों को सक्षम बनाती है।
दवाओं के द्वारा उपचार – बाइपोलर डिसऑर्डर में दवाओं को अधिक सफल नहीं समझा गया है, परंतु ये रोगी को दी अवश्य जाती हैं क्योंकि कहीं न कहीं इनका अपना महत्व है।
एंटीसाइकोटिकस – यह मनोचिकित्सा विकार के लक्षणों को कम करने के लिए चिकित्सकीय रूप से इलाज किया जाता है और इस तरह के लक्षणों से धीमी गति से वसूली भी होती है।
एंटीकॉन्वल्सेंट – रोगी को दौरे पड़ सकते हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए दवा दी जाती है और इस तरह के एपिसोड के दौरान होने वाले दर्द से भी छुटकारा दिलाता है।
चयनात्मक सेरोटोनिन रिसेप्टेक अवरोधक (SSRI) – उदास मनोदशा और अधिक चिंता के रूप में इस विकार की एक विशेषता है। एसएसआरआई लक्षणों को नीचे लाने का प्रयास करता है।
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