बीबी का मक़बरा का इतिहास, जानकारी | Bibi Ka Maqbara History in Hindi

Bibi Ka Maqbara in Hindi/ बीबी का मक़बरा महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद में स्थित है। इस मकबरे का निर्माण मुगल बादशाह औरंग़ज़ेब के शहजा़दे आज़मशाह ने अपनी मां बेगम राबिया की याद में बनवाया था। मुख्‍य प्रवेश द्वार पर पाए गए एक अभिलेख में यह उल्‍लेख है कि यह मक़बरा अत-उल्लाह नामक एक वास्‍तुकार और हंसपत राय नामक एक अभियंता द्वारा अभिकल्पित और निर्मित किया गया। इस मकबरे का प्रेरणा स्रोत आगरा का विश्‍व प्रसिद्ध ताजमहल था। यही कारण है कि “दक्‍कन के ताज” के नाम से जाना जाता है। हालाँकि ताजमहल की कॉपी करने में वे विफल रहे। अत-उल्लाह उस्ताद अहमद लाहौरी का बेटा था जिन्होंने ताज महल को डिज़ाइन किया था।

बीबी का मक़बरा का इतिहास, जानकारी | Bibi Ka Maqbara History in Hindiबीबी का मक़बरा का इतिहास – Bibi Ka Maqbara History in Hindi

बीबी का मक़बरा मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब की पत्‍नी ‘रबिया-उल-दौरानी’ उर्फ ‘दिलरास बानो बेगम’ का एक सुंदर मक़बरा है। माना जाता है कि इस मकबरे का निर्माण सन 1651 से 1661 के दौरान करवाया गया। ताजमहल और इस मकबरे को एक ही समान माना जाता है, जहाँ मुमताज़ महल को समाधी भी है। कई लोग बीबी के मकबरे की तुलना ताजमहल से करते है। बीबी का मकबरा औरंगजेब और उसके इतिहासिक शहर का मुख्य केंद्र बिंदु था।

ग़ुलाम मुस्तफा की रचना “तारीख नाम” के अनुसार इसके निर्माण का खर्च उस समय 6,68,203.7 रुपये हुआ था। जबकि ताजमहल बनवाने का खर्च उस समय 3.20 करोड़ रुपए आया था। यही वजह है कि बीबी का मकबरा को ‘गरीबों का ताजमहल’ भी कहते हैं। आगरा के ताजमहल को शुद्ध सफेद संगमरमर से बनवाया गया था, वहीं बीबी का मकबरा का मुख्य डोम (गुम्बद) संगमरमर से बनवाया गया था । मकबरा का बाकी हिस्सा प्लास्टर से तैयार किया गया है, ताकि वह दिखने में संगमरमर जैसा हो। इस मकबरा का मुख्य डोम ताजमहल के मुख्य डोम से छोटा है।

बीबी के मकबरे में बनी समाधी में जिस मार्बल का उपयोग किया गया था वह जयपुर के पास ही की खदान से लाया गया था। इतिहासकारो के अनुसार मार्बल को सूरत से गोलकोंडा तक लाने में 150 से भी ज्यादा वाहनों का उपयोग किया गया था।

निर्माण व वास्तुकला – Bibi Ka Maqbara Architecture in Hindi

ताजमहल की तरह, यह भी एक विशिष्ट मुगल वास्तुकला का प्रतीक है। यह मक़बरा एक विशाल महलो के केंद्र में स्थित है, जो अनुमानत: उत्तर-दक्षिण में 458 मीटर और पूर्व-पश्‍चिम में 275 मीटर है। बरादरियाँ या स्तंभयुक्त मंडप, महलो की दीवार के उत्‍तर, पूर्व और पश्‍चिमी भाग के केंद्र में अवस्थित हैं। विशिष्ट मुग़ल चारबाग पद्धति मक़बरे को शोभायमान करती है। इस प्रकार इसकी एकरूपता और इसके उत्‍कृष्‍ट गार्डेन विन्‍यास से इसके सौंदर्य और भव्‍यता में चार चांद लग जाते हैं। महलो की ऊंची दीवार नुकीले चापाकार आलों से मोखेदार बनाई गई है और इसे आकर्षक बनाने के लिए नियमित अंतरालों पर बुर्ज बनाए गए हैं। आलों को छोटी मीनारों से मुकटित भित्ति स्‍तंभों द्वारा विभक्‍त किया गया है।

इस मकबरे में प्रवेश इसकी दक्षिण दिशा में एक लकड़ी के प्रवेश द्वार से किया जाता है जिस पर बाहर की ओर से पीतल की प्‍लेट पर बेल-बूटे के उत्‍कृष्‍ट डिजाइन हैं। प्रवेश द्वार से गुजरने के बाद एक छोटा सा कुण्‍ड और साधारण आवरण दीवार है जो मुख्‍य संरचना की ओर जाती है। आवरण वाले मार्ग के केंद्र में फव्‍वारों की एक श्रंखला है जो इस शांत वातावरण का सौंदर्य और अधिक बढ़ा देती हैं।

‘रबिया-उल-दौरानी’ के मानवीय अवशेष भूतल के नीचे रखे गए हैं जो अत्‍यंत सुंदर डिज़ाइनों वाले एक अष्‍टकोणीय संगमरमर के आवरण से घिरा हुआ है जिस तक सीढियाँ उतर कर जाया जा सकता है। मक़बरे के भूतल के सदृश इस कक्ष की छत को अष्‍टकोणीय विवर द्वारा वेधा गया है और एक नीची सुरक्षा भित्ति के रूप में संगमरमर का आवरण बनाया गया है। अत: अष्‍टकोणीय विवर से नीचे देखने पर भूतल से भी क़ब्र को देखा जा सकता है।

यह मकबरा एक ऊंचे-वर्गाकार चबूतरे पर बना है और इसके चारों कोनों में चार मीनारें हैं। इसमें तीन ओर से सीढियों दवारा पहुंचा जा सकता है। मुख्य संरचना (भवन) के पश्चिम में एक मस्जिद पाई गई है जो हैदराबाद के निजाम ने बाद में बनवाई थी जिसके कारण प्रवेश मार्ग बंद हो गया है। इस मकबरे में डेडो स्तर तक संगमरमर लगा हुआ है। डेडो स्‍तर से ऊपर गुम्‍बद के आधार तक यह बेसाल्‍टी ट्रैप से बना है और गुम्‍बद भी संगमरमर से बना है। महीन पलस्‍तर से बेसाल्‍टी ट्रैप को ढका गया है और इसे पॉलिश से चमकाया गया है और सूक्ष्‍म गचकारी अलंकरणों से सजाया गया है। मकबरे के शिखर पर एक गुम्‍बद है जिसे जाली से वेधा गया है और इसके साथ वाले पैनलों की पुष्‍प डिजाइनों से सजावट की गई है जो उतनी ही बारीकी और सफाई से की गई है जितनी कि आगरा के ताज महल की।

मकबरे की और जानकारी – Bibi Ka Maqbara Information in Hindi

आपकी जानकारी के लिए बता दे। बीबी का मकबरा बनाने वाले कलाकार का नाम अत-उल्लाह था। यह ताजमहल बनाने वाले कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी का बेटा था। बीबी का मकबरा में कई आकर्षण जगहे हैं। सुंदर गार्डन, पॉन्ड्स, फव्वारे, झरने हैं। यहां पर अच्छा खासा पाथ-वे है और इसके गार्डन की दीवारें भी ऊंची बनाई गई हैं ताकि बाहर का व्यक्ति अंदर न देख सके। इसके तीन साइड में ओपन पवेलियन है।

कैसे पहुंचे – How To Reach Umaid Bhawan Palace Jodhpur in Hindi

स्थानः बीबी का मक़बरा औरंगाबाद से नागपुर-औरंगाबाद-मुंबई हाइवे और मकबरा रोड के माध्यम से 5 कि.मी. और स्टेशन रोड / अम्बेडकर रोड से 6 किमी दूर है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मनमाद रेलवे स्टेसशन है। यहां से औरंगाबाद तक 900 रूपए में प्राइवेट टैक्सीे से पहुंचा जा सकता है। औरंगाबाद में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के सभी प्रमुख शहरों और राज्यों से जुड़ा हुआ है।

घूमने का सही समय और फीस – Timing and Fees

औरंगाबाद एक गर्म इलाका हैं। यहां घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च के बीच हैं। इसके आलावा आप यहां मानसून में भी घूम सकते हैं। वही अगर फीस की बात करे तो भारतीयों के लिए 10 रुपए का टिकट है। वही विदेशी नागरिकों के लिए 250 रुपए का टिकट है।


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