Virender Sehwag in Hindi / वीरेंद्र सहवाग प्रसिद्ध पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वे ऐसे भारतीय खिलाडी थे जिन्हे कहा जाता हैं की वे सिर्फ मैदान पर खड़े रहकर ही अपनी बल्लेबाजी से मैच की दशा और दिशा दोनों को बदल सकते है। वीरेंद्र सहवाग को लोग प्यार से वीरू पुकारते हैं। उन्हें “नज़फ़गढ़ के नवाब” व “आधुनिक क्रिकेट के ज़ेन मास्टर” के रूप में भी जाना जाता है। वे दायें हाथ के आक्रामक सलामी बल्लेबाज तो हैं ही किन्तु आवश्यकता के समय दायें हाथ से ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं। वे विश्व के सर्वश्रेष्ठ सलामी बल्लेबाज़ों में से एक रहे हैं।
वीरेन्द्र सहवाग का परिचय – Virender Sehwag Biography in Hindi
सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट मैच में तिहरा शतक जड़ा है। सर डोनाल्ड ब्रेडमैन और ब्रायन लारा के बाद सहवाग दुनिया के तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। सहवाग अपने पूरे करियर में भारतीय टीम को बहुत तेज शुरुआत देते थे और गेंदबाजों पर शुरू से ही हावी हो जाते थे। सहवाग जब क्रीज पर रहते थे, तब तक विरोधियों के माथे पर उनकी क्रीज पर मौजूदगी का खौफ साफ-साफ देखा जा सकता था। सहवाग ने अक्टूबर 2015 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।
उन्होंने भारत की ओर से पहला एकदिवसीय मैच 1999 में व पहला टेस्ट मैच 2001 में खेला था। अप्रैल 2009 में सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय बने जिन्हें “विजडन लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर” के खिताब से नवाज़ा गया। उन्होंने अगले वर्ष भी इस ख़िताब को फिर जीता।
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Virender Sehwag
सहवाग का जन्म 20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के एक जाट परिवार में हुआ। सहवाग अपने माता-पिता के चार बच्चों में तीसरे संतान हैं। पिता का नाम कृष्ण एवं माता का नाम कृष्णा सहवाग हैं। सहवाग से बड़ी दो बहनें मंजू और अंजू हैं जबकि उनसे छोटे एक भाई हैं जिनका नाम विनोद है। हालाँकि सहवाग का बचपन संयुक्त परिवार में अपने भाई-बहन, अंकल, आंटी और 16 भाइयो के साथ बिता।
सहवाग के पिता कृष्ण सहवाग बताते हैं कि उनमें क्रिकेट के लिए प्यार सात माह की उम्र से ही जाग गया था, जब उनके पिता ने पहली बार उन्हें खिलौना बैट दिया था। इसके बाद बारह साल की उम्र में वह क्रिकेट के दौरान अपना दांत तुड़वाकर घर पहुंचे तो पिता ने क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया था। यह बैन उनकी माँ के हस्तक्षेप के बाद ही टूट पाया था। उसके बाद तो क्रिकेट उनका हमेशा पहला प्यार बना रहा।
सहवाग का परिवार हरियाणा से है और बाद में वे दिल्ली चले गये थे। बाद में सहवाग पढने के लिए नयी दिल्ली के अरोरा विद्या स्कूल जाने लगे और सहवाग अपने माता-पिता को हमेशा क्रिकेट खेलने के लिए सताया करते थे। इसी आधार पर उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के शुरुवाती दौर में अपनी पहचान एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में बनायी और उस समय उनके कोच अमर नाथ शर्मा थे। 2004 में सहवाग ने शादी रचाई और उनकी पत्नी हैं आरती सहवाग। इन दोनों के दो पुत्र हैं। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली के नज़फगढ इलाके में रहते हैं।
क्रिकेट करियर की शुरुआत – Virender Sehwag Cricket Career in Hindi
विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1999 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेला था। इस मैच में सहवाग एक रन बनाकर चलते बने और गेंदबाजी के दौरान तीन ओवरों में 35 रन दे डाले। इसके बाद 20 महीने तक उन्हें कोई मौका नही मिला। जिंबाब्वे के ख़िलाफ़ घरेलू सीरीज में दिसंबर 2000 में सहवाग को फिर से टीम में शामिल किया गया। अगस्त 2001 में श्रीलंका और न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ ट्राई सीरीज में सहवाग ने पारी की शुरुआत करते हुए करियर का पहला अर्धशतक जमाया। इसी सीरीज में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ 69 गेंदों पर शतक ठोककर सहवाग ने अपने हुनर का नमूना पेश किया। फिर 2001 में इन्होने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बैंगलोर में 54 बॉल्स पर 58 रन बनाये और तीन विकेट भी लिए। इस मैच में भारत को जीत हासिल हुई और वीरेन्द्र सहवाग को मैन ऑफ़ द मैच का ख़िताब मिला।
2001 में सहवाग को एक मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में Bloemfontein में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना पहला टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला जिसमे इन्होने 105 रन बनाये इस मैच की विजेता टीम साउथ अफ्रीका थी। इसके बाद उन्हें ओवरअप्पिलिंग के कारण ICC बोर्ड ने मैच से बाहर कर दिया। 2002 इंग्लैंड टूर में इन्हें ओपनर के रूप में उतारा गया इनका प्रदर्शन लाजवाब रहा। 2004 में इन्होने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ तिहरा शतक (309) बनाया और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहले भारतीय बल्लेबाज के तौर पर अपना नाम दाखिल किया। इसके आलावा उन्होंने 2008 में भी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 309 रन की पारी खेली थी।
सहवाग की खासियत – Virender Sehwag Records in Hindi
सहवाग अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बड़े एवं धुंआधार शतक बनाने में माहिर माने जाते थे। सहवाग एकमात्र ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने टेस्ट मैच में तिहरा शतक जड़ा है। डॉन ब्रैडमैन और ब्रायन लारा के बाद सहवाग दुनिया के तीसरे बल्लेबाज हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है।
सहवाग के नाम कई रिकार्ड्स हैं जिनमे किसी भी भारतीय क्रिकेटर द्वारा टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन (319) का रिकॉर्ड भी शामिल है, साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में अब तक का सबसे तेज़ तिहरा शतक है (300 रन सिर्फ 278 गेंदों में) और साथ ही सबसे तेज़ 250 रनों का रिकॉर्ड भी उन्ही के नाम है (207 गेंदों में श्रीलंका के खिलाफ 3 दिसम्बर 2009 को मुंबई के ब्राबौर्ने स्टेडियम में बनाए थे)। उनकी दूसरी पारियों में 309 और 293 भी शामिल है, जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा दूसरा और तीसरा सर्वोच्च स्कोर है।
मुंबई में श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीन तिहरे शतक का विश्व रिकार्ड बनाने से मात्र सात रन से चूक गये। वह 290 और 299 के बीच आउट होने वाले दुनिया के चौथे बल्लेबाज भी बने। सहवाग भारत की ओर से सर्वाधिक छ: दोहरे शतक बनाने वाले बल्लेबाज हैं। सहवाग को बड़े-बड़े शतक बनाने की आदत रही है। टेस्ट मैचों में उन्होंने जो अंतिम 11 शतक बनाए हैं सभी में 150 से ऊपर स्कोर किया है। इनमें दो तिहरे और तीन दोहरे शतक शामिल हैं। अपने पहले ही टेस्ट में शतक जड़ने वाले सहवाग की तुलना उनके आदर्श सचिन तेंदुलकर से की जाने लगी थी। लेकिन समय के साथ सहवाग ने साबित किया कि उनका अपना एक अलग स्टाइल है।
कप्तानी – Virender Sehwag Captain
2005 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में सहवाग की नियुक्ती भारतीय टीम के उपकप्तान के रूप में की गयी थी। उपकप्तान बने रहते हुए, उन्होंने राहुल द्रविड़ के जख्मी होने के बाद 2 एकदिवसीय और एक टेस्ट मैच में भारतीय टीम की कप्तानी भी की थी। 2008 में घरेलु मैदान में वापिस आने के बाद, जब अनिल कुंबले ने रिटायरमेंट ले लिया तब सहवाग की नियुक्ती टेस्ट और एकदिवसीय दोनों श्रेणियों में उपकप्तान के रूप में की गयी थी।
बुरा समय –
सहवाग का अच्छा समय रहा तो बुरा समय भी रहा। लंबे समय तक वे भारतीय टीम से अलग भी रहे। ख़ासकर 2007 के विश्व कप के बाद तो उन्हें बहुत लम्बा ब्रेक मिला। लेकिन वापसी हुई तो ज़बरदस्त। सहवाग ने वनडे के साथ-साथ टेस्ट में भी सलामी बल्लेबाज़ी की है और ख़ूब चले भी हैं। बल्ले के साथ-साथ सहवाग उपयोगी गेंदबाज़ भी हैं और कई मौक़े पर उन्होंने भारत को अहम सफलताएँ दिलाई हैं।
सम्मान और पुरस्कार – Virender Sehwag Awards in Hindi
सहवाग को 2008 में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए ‘विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वर्ल्ड’ से सम्मानित किया गया। सहवाग ने इस पुरस्कार को 2009 में भी अपने नाम किया। इसके अलावा वीरू को 2002 में अर्जुन पुरस्कार का सम्मान मिल चुका है। इसके आलावा 2010 में उन्हें ICC टेस्ट प्लेयर ऑफ़ द इयर मिला और 2010 में ही पद्म श्री भी।
वीरेन्द्र सहवाग क्रिकेट करियर – Virender Sehwag Cricket Profile in Hindi
Batting Career –
कम्पटीशन्स | टेस्ट क्रिकेट | एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट |
मुक़ाबले | 92 | 240 |
बनाये गये रन | 7890 | 8025 |
बल्लेबाज़ी औसत | 52.16 | 34.85 |
100/50 | 22/30 | 15/37 |
सर्वोच्च स्कोर | 319 | 219 |
Bowling Career –
कम्पटीशन्स | टेस्ट क्रिकेट | एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट |
फेंकी गई गेंदें | 3243 | 4230 |
विकेट | 39 | 92 |
गेंदबाज़ी औसत | 44.41 | 40.39 |
पारी में 5 विकेट | 1 | 0 |
मुक़ाबले में 10 विकेट | 0 | नहीं है |
सर्वोच्च गेंदबाज़ी | 5/104 | {एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सर्वोच्च गेंदबाज़ी} |
कैच/स्टम्पिंग | 44/0 | 69/0 |
Virender Sehwag Facts
- वीरेंद्र सहवाग दुनिया के अकेले बल्लेबाज हैं जिनके नाम बतौर कप्तान वनडे में दोहरा शतक जमाने का रिकॉर्ड है।
- वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) दुनिया के इकलौते बल्लेबाज जिनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में शतक, दोहरा शतक और तिहरा शतक जमाने का रिकॉर्ड दर्ज है। इसके अलावा वह इकलौते बल्लेबाज जो 90s, 190s और 290s का शिकार हुए हैं।
- सहवाग टेस्ट किकेट के इतिहास में 100 से ज्यादा स्ट्राइक रेट के साथ सबसे बड़ी पारी खेलने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं।
- सहवाग दुनिया के सबसे तेज तिहरा शतक जमाने वाले बल्लेबाज हैं।
- सहवाग भारत के इकलौते खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट में दो बार तिहरा शतक ठोका।
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