Teacher’s Day – शिक्षकों को सम्मान देने के लिये विद्यार्थियों द्वारा हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। कहते हैं कि गुरू ही हमारे जीवन को सार्थक करते हैं। ये ही हमें जीने का तरीका और उसमें आने वाली परेशानियों से लड़ने के बारे में बताते हैं। जीवन में सफल होने के लिए गुरु का मार्गदर्शन मिलना आवश्यक है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है। आज हम आपको बताएंगे टीचर्स डे के इतिहास के बारे में…
शिक्षक दिवस का इतिहास – Teacher’s Day History in Hindi
भारत में शिक्षक दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan) की जयंति के मौके पर मनाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक, दार्शनिक, महानवक्ता एवं पूर्व राष्ट्रपति थे। जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिया है। उन्ही के जन्मदिन (5 सितंबर) को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं।
उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे। वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
शिक्षक दिवस पहली बार 1962 में मनाया गया था। इसकी शुरुवात ऐसे हुई थी – एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा। इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधा कृष्णन ने उन्हें कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से सेलिब्रेट करने के बजाय शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मुझे गर्व होगा। इसके बाद से ही 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। अपने महान कार्यों से देश की लंबे समय तक सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को इनका निधन हो गया। डॉ. राधाकृष्णन की मान्यता थी कि यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाय़े तो समाज की अनेक बुराईयों को मिटाया जा सकता है।
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