Sunil Gavaskar / सुनील गावस्कर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान हैं, जिन्हें क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार किया जाता है। ‘लिटिल मास्टर’ के नाम से प्रसिद्ध सुनील गवास्कर बल्लेबाजी से संबंधित कई कीर्तिमान स्थापित किए। ये सिर्फ एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने एक सिंगल वर्ष में एक हज़ार से ज्यादा रन बनाए हैं और यह जादू उन्होंने चार-चार बार करके दिखाया है। सुनील गावस्कर ने अपने समय में कई सारे रिकॉर्ड बनाए एवं पुराने रिकॉर्ड को तोड़े। 34 शतक लगाकर उन्होंने सर डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड को तोड़ा था। इसके अलावा आप दस हज़ार से ज्यादा रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी थे।
सुनील गावस्कर का संक्षिप्त परिचय – Sunil Gavaskar Biography in Hindi
पूरा नाम | सुनील मनोहर गावस्कर (Sunil Manohar Gavaskar) |
अन्य नाम | सनी, लिटिल मास्टर |
जन्म दिनांक | 10 जुलाई, 1949 मुंबई (महाराष्ट्र) |
पिता का नाम | मनोहर गावास्कर |
माता का नाम | मीनल गवास्कर |
पत्नी | मार्शनील |
बल्लेबाज़ी शैली | दाएँ हाथ |
सम्मान | 1980 में ‘विस्डेन और पद्म भूषण |
आख़िरी वनडे | 5 नवंबर, 1987 (इंग्लैंड के विरुद्ध) |
अपने कॉलेज के दिनों से ही सुनील गावस्कर एक अच्छे क्रिकेटर की तोर पर देखने को मिलते थे, तभी से कॉलेज में उनकी क्रिकेट खेलने की स्टाइल को सब पसंद करने लगे थे। वे सबसे सफल बल्लेबाज माने जाते थे। इन्होंने बल्लेबाज़ी से संबंधित कई कीर्तिमान स्थापित किए। गावस्कर (अपने समय काल में) ने विश्व क्रिकेट में 3 बार, एक वर्ष में एक हज़ार रन, सर्वाधिक शतक (34), सर्वाधिक रन (नौ हज़ार से अधिक), सर्वाधिक शतकीय भागेदारियाँ एवं प्रथम श्रृंखला में सर्वाधिक रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज थे। ‘सनी’ गावस्कर की हर पारी एवं रन ऐतिहासिक होते हैं। उन्होंने भारतीय टीम का कुशल नेतृत्व किया और कई महत्त्वपूर्ण विजयें प्राप्त कीं, जिनमें ‘एशिया कप’ एवं ‘बेसन एंण्ड हेजेस विश्वकप’ (BENSON & HAZES WORLD CUP) प्रमुख है।
‘क्रिकेट के आभूषण’ कहे जाने वाले गावस्कर ने एक दिवसीय मैचों में भी अपनी टीम के लिए ठोस आधार प्रस्तुत किया है। वे 100 कैंचों का कीर्तिमान भी इंग्लैंड में बना चुके हैं। गावस्कर क्रिकेट की एक अद्वितीय पहेली हैं। 1986 में उनके खेल जीवन का उत्तरार्द्ध होने के बाद भी उनके खेल में और निखार आया। अपने कॉलेज की ओर से क्रिकेट खेलते समय भी वे सबसे सफल बल्लेबाज माने जाते थे।
प्रारंभिक जीवन –
सुनील गावास्कर का जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका पूरा नाम सुनील मनोहर गावस्कर है। ‘सनी’ और ‘लिटिल मास्टर’ उनके निक नेम हैं। उनके पिता का नाम मनोहर गावस्कर तथा माता का नाम मीनल गावस्कर था। सुनील गावास्कर का विवाह मार्शनील के साथ हुआ। उनके पुत्र का नाम रोहन गावस्कर है।
सुनील गावस्कर अपने जन्म के बाद जब अस्पताल में ही थे, तब उनके साथ एक ऐसा किस्सा हुआ जो उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल सकता था। सुनील गावस्कर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘सनी डेज’ में बताया कि मैं कभी क्रिकेटर नहीं बना होता और न ही यह किताब लिखी गई होती, अगर मेरी जिंदगी में तेज नजरों वाले नारायण मासुरकर नहीं होते। गावस्कर ने बताया था कि जब उनका जन्म हुआ, तब उनके चाचा जिन्हें वह नन-काका कहकर बुलाते थे, वह गावस्कर के जन्म के बाद अस्पताल में उन्हें देखने आए थे और उन्होंने मेरे कान पर एक बर्थमार्क (जन्म के वक्त शरीर पर होने वाला निशान) देखा था। उन्होंने आगे बताया कि अगले दिन चाचा फिर मिलने अस्पताल आए और उन्होंने बच्चे को गोद में उठाया, लेकिन उन्हें बच्चे के कान पर वह निशान नहीं मिला। इसके बाद पूरे अस्पताल में नए जन्में बच्चों को चेक किया गया, जिसके बाद गावस्कर एक मछुआरे की पत्नी के पास सोते हुए मिले। अस्पताल की नर्स ने गलती से उन्हें वहाँ सुला दिया था। सुनील गावस्कर का कहना था कि शायद बच्चों को नहलाते समय वह बदल गए थे। अगर उस दिन गावस्कर के चाचा ने ध्यान नहीं दिया होता तो हो सकता है कि गावस्कर आज मछुआरे होते।
क्रिकेटर करियर –
अपने पढाई के दिनों से ही सनी एक अच्छे क्रिकेटर के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे। 1966 में सुनील को भारत का ‘बेस्ट स्कूल ब्याव’ का पुरस्कार मिला था। सेकेण्डरी शिक्षा के अंतिम वर्ष में दो लगातार दोहरे शतक लगाकर उन्होंने सबका ध्यान आकर्षित किया। 1966 में ही उन्होंने रणजी के मैंचो में अपना डेब्यू किया। कॉलेज में उनके खेल के लोग दीवाने हुआ करते थे। रणजी मैच में कर्नाटक के साथ खेलते हुए उन्होंने फिर से दोहरा शतक लगाया और चयनकर्ताओं को प्रभावित किया। 1971 के टूर के लिए उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम के लिए चुना गया था।
लम्बे अर्से से भारतीय क्रिकेट को जिस उद्घाटक (ओपनर) बल्लेबाज़ की तलाश थी, उसकी सही खोज 1971 में पूरी हुई। जब सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध अद्वितीय प्रदर्शन किया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उस पहली शृंखला के चार टेस्ट मैचों में गावस्कर ने 774 रन (औसत 184.80) बनाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया। पोर्ट आफ़ स्पेन के पाँचवें टेस्ट की पहली पारी में 124 व दूसरी पारी में 220 रन बनाकर वे विश्व विख्यात बल्लेबाज़ वाल्टर्स, जी. एस. चैपल और लारेन्स रौ की श्रेणी में आ खड़े हुए, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में पहली पारी में शतक व दूसरी पारी में दोहरा शतक बनाने का रिकार्ड क़ायम किया है।
1975-76 में न्यूज़ीलैण्ड के दौरे के समय गावस्कर ने भारतीय टीम को नेतृत्व भी दिया, जिसमें भारत विजयी रहा। 1978-79 में वेस्टइंडीज़ की टीम ने भारत का दौरा किया था। उस समय उन्हें भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया। उसमें सुनील गावस्कर ने एक साथ कई रिकार्ड और कीर्तिमान स्थापित किए। उन्होंने 34 शतक बनाए जो उस समय तक सबसे ज्यादा थे। इस प्रकार शतक बनाने और सबसे अधिक रन बटोरने के मामले में वह सबसे आगे निकल गए थे।
वे अकेले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने वेस्टइंडीज के विरुद्ध 27 टैस्टों में 2749 रन, इंग्लैंड के विरुद्ध 38 टैस्टों में 2483 रन, पाकिस्तान के विरुद्ध 24 टैस्टों में 2089 रन और आस्ट्रेलिया के विरुद्ध 20 टैस्टों में 1550 रन बनाये। इन्होंने बल्लेबाज़ी से संबंधित कई कीर्तिमान स्थापित किए। गावस्कर (अपने समय काल में) ने विश्व क्रिकेट में 3 बार, एक वर्ष में एक हज़ार रन, सर्वाधिक शतक (34), सर्वाधिक रन (नौ हज़ार से अधिक), सर्वाधिक शतकीय भागेदारियाँ एवं प्रथम शृंखला में सर्वाधिक रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज थे।
सम्मान और पुरस्कार
भारत में सुनील गावस्कर को 1975 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ एवं 1980 में ‘पद्म भूषण’ प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त कई देशों में उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। 1980 में ही वे ‘विस्डेन’ भी प्राप्त कर चुके हैं।
सुनील गावस्कर के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि वह अपने शरीर (कद 5 फ़ुट 5 इंच, वज़न 66 किलो) की ठीक-ठाक रखने के लिए क्रिकेट के मैदान से सीधे बैडमिंटन के मैदान में पहुँच जाते हैं। पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का उन्हें बहुत ही शौक़ है। उन्होंने स्वयं भी ‘सनी डेज़’ नामक एक पुस्तक लिखी है और हमेशा लोगों से क्रिकेट की शब्दावली में बात करते हैं। इसके आलावा गावस्कर ने क्रिकेट से सम्बन्धित कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी हैं। जिनमें सनी डेज, आइडल्स, रंस एण्ड रूइंस तथा वन डे वंडर्स काफ़ी लोकप्रिय हुई हैं। आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी सुनील गावस्कर एक फ़िल्म में भी अभिनय कर चुके हैं।
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