रानी कर्णावती का इतिहास और हुमायूं से जुड़े राखी की कहानी

Rani Karnavati and Humayun Story in Hindi / रक्षा बंधन का त्योहार भाई और बहन के बीच के बंधन को मजबूत करने वाला पर्व है। इस त्योहार को मनाने की शुरुआत कब हुई, यह कहना कठिन है। इतिहास के पन्नो में रक्षा बंधन से जुड़े कई ऐसी कहानिया दर्ज हैं, जो इस तरह के अहमियत को दर्शाता हैं। इन्ही में एक कहानी हुमायूं और रानी कर्णावती की हैं। यह कहानी हैं की। बताया जाता है कि रानी कर्णावती ने मेवाड़ को सुल्तान बहादुर शाह से बचाने के लिए हुमायूं को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद हुमायूं ने भी उन्हेंं बहन का दर्जा देकर उनकी जान बचाई थी। आइये जाने रानी कर्णावती और हुमायूँ की कहानी …

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रानी कर्णवती और हुमायूं की सच्ची कहानी – Rani Karnavati aur Humayun ki Kahani

रानी कर्णावती मेवाड़ की रानी थी। वे चित्तौड़ के राजा महाराणा सांगा की विधवा थीं। रानी के दो पुत्र थे- राणा उदयसिंह और राणा विक्रमादित्य। एक ओर जहां मुगल सम्राट हुमायूं अपने राज्य का विस्तार करने में लगा था तो दूसरी ओर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था।

सभी राजपूत रियासतों को एक झंडे के नीचे लाने वाले महाराणा सांगा के निधन के बाद चितौड़ की गद्दी पर महाराणा रतन सिंह बैठे। राणा रतन सिंह के निधन के बाद उनके भाई विक्रमादित्य चितौड़ के महाराणा बने। विक्रमादित्य ने अपनी सेना में सात हजार पहलवान भर्ती किये। इन्हें जानवरों की लड़ाई, कुश्ती, आखेट और आमोद प्रमोद ही प्रिय था। इन्हीं कारणों व इनके व्यवहार से मेवाड़ के सामंत खुश नहीं थे। और वे इन्हें छोड़कर बादशाह बहादुरशाह के पास व अन्यत्र चले गए।

इसी का फायदा उठाकर गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चितौड़ के नाराज सामंतो के कहने पर चितौड़ पर हमला किया। हालाँकि विक्रमादित्य ने बहादुरशाह से संधि करने के प्रयास किये पर विफल रहा। बहादुरशाह ने सुदृढ़ मोर्चाबंदी कर चितौड़ पर तोपों से हमला किया। उसके पास असंख्य सैनिकों वाली सेना भी थी। जिसका विक्रमादित्य की सेना मुकाबला नहीं कर सकती थी, अत: राजमाता कर्मवती ने सुल्तान के पास दूत भेजकर संधि की वार्ता आरम्भ की और कुछ शर्तों के साथ संधि हो गई। परन्तु थोड़े दिन बाद बहादुरशाह ने संधि को ठुकराते हुए फिर चितौड़ की और कूच किया।

ऐसे में महारानी कर्णावती ने राजपूतों और मुस्लिमों के संघर्ष के बीच हुमायूं के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुरशाह का मिलकर सामना करें। क्यूंकि उस समय जहां मुगल सम्राट हुमायूं अपने राज्य का विस्तार करने में लगा था तो दूसरी ओर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह भी। मुगल सम्राट हुमायूं ने रानी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। क्यूंकि राजमाता कर्णावती जानती थीं कि महाराणा विक्रमादित्य न तो कुशल योद्धा है और न ही बुद्धिमान शासक। इसलिए मेवाड़ की लाज बचाने के लिए उन्होने मुगल साम्राट हुमायूं को राखी भेज कर सहायाता मांगी। हालांकि हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उसने रानी का साथ दिया। हुमायूं को रानी ने अपना धर्मभाई बनाया था इसलिए हुमायूं ने भी राखी की लाज रखते हुए उनके राज्य की रक्षा की।

हुमायूं ने राजमाता की राखी का मान रखा, राखी मिलते ही उसने ढेरों उपहार भी भेजें, और आश्वस्त किया कि वह सहायता के लिए आएगा। जब चित्तौड़ पर आक्रमण हुआ उस वक्त हुमायूं ग्वालियर किले पर सपरिवार ठहरा हुआ था। उसने वहां से आगरा और दिल्ली हरकारा भेज कर फौजें जुटाने का आदेश दिया, लेकिन जब तक वह फौजों को लेकर चित्तौड़ पहुंचा, वहां देर हो चुकी थी। राजमाता कर्णावती महल की सभी स्त्रियों समेत जौहर कर चुकी थीं। हालांकि जौहर के पहले उन्होंने धाय पन्ना के हाथों टे राजकुमार उदय सिंह को बूंदी किले में सुरक्षित भेज दिया था।

जब हुमायूं ने चित्तौड़ में राजमाता कर्णावती के जौहर की बात सुनी तो दुख और गुस्से में भर गया। हुमायूं ने गुजरात पर आक्रमण कर दिया और बहादुरशाह के सेनापति तातारखां को बुरी तरह हरा दिया। इसके बाद बहादुरशाह हुमायूं से युद्ध के लिए गया और मंदसौर के पास मुगल सेना से हुए युद्ध में हार गया। उसकी हार की खबर सुनते ही चितौड़ के राजपूत सैनिकों ने चितौड़ पर हमला कर बहादुरशाह के सैनिकों को भगा दिया, और राजकुमार उदय सिंह को बूंदी से लाकर दोबारा महराणा बना दिया।

हुमायूं भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते का महत्त्व तब से जानता था, जब वह बुरे वक्त में अमरकोट के राजपूत शासक वीरशाल के यहां शरणागत था। राणा वीरशाल की पटरानी हुमायूं के प्रति अपने सहोदर भाई का भाव रखती थी व भाई तुल्य ही आदर करती थी। हुमायूं के पुत्र अकबर का जन्म भी अमरकोट में शरणागत रहते हुए हुआ था। इसलिए उसने कोशिश की कि कर्णावती की राखी का मान हर हाल में रखा जाए।

FAQ

रानी कर्णावती और हुमायूं की कहानी क्या है?

रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद हुमायूं ने भी उन्हेंं बहन का दर्जा देकर उनकी जान बचाई थी।

रानी कर्णावती हुमायूं को राखी क्यों भेजी?

रानी कर्णावती ने मेवाड़ को सुल्तान बहादुर शाह से बचाने के लिए हुमायूं को राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई थी।

रानी कर्णावती के पति कौन थे?

राणा सांगा


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13 thoughts on “रानी कर्णावती का इतिहास और हुमायूं से जुड़े राखी की कहानी”

  1. एक जिहाद करने वाला काफिर स्त्री की सहायता क्यों करेगा??? कुरान मे अल्लाह पर विश्वास न लाने वालो का कत्ल करने का हुक्म है. और मुगल इसी का पालन करने के लिये जिहाद पर निकले थे जैसे आज आतंकवादी निकल रहे है. मुगलो को महान दिखाने के लिये हरम की पैदाईशो ने महारानी कर्णावती को भी नही बख्शा. ये सत्य है कि सहायता मांगी थी पर हुँमाँयु तीन कभी सहायता के लिये गया ही नही, सभी राजपूत स्त्रियाँ कत्ल कर दी गई थी.

    1. Quraan ki us ayat ko yaha pr likhte to zyada behtr tha
      Saboot K sath baat krni chahiye
      Kher
      Jihad har us yudh ko bolte hai jo julm or buraee k khilaf ho

      1. 3rd 4th me hamne v padha tha, kyunki us time hum padh hi sakte hai, research nhi kar sakte. truth to waha jakar malum hoga, jaha ye incident hua tha. Like…. Ramayan and Mahabharat is myth for US/Western countries. But We know that they were our real history, because , ye sab hamare Bharat me hua tha. FACT hai.

      2. humayu chahta tha…ki Bahadur shah aur Rani ladkar kamjor ho jaye…uske bad attack karna hai, only to ensure his own WIN. Aur aisa hi hua…..
        Aur ap nagpur ke bare me apni GK thik kare.

    2. Gaddaron or Kitna Galat itihas bataoge , sach kyun Nahi batate Humayu ne Rani karnavati Ji ko dhoka Diya tha or dushman se hath Mila Liya tha …. Tum Sa**** batate ho aane me der huyi ..Kitna jhutha itihas bataoge …

    3. लक्ष्मण सिंह भाटी हिन्दू

      यह सही है, हुमायूं ने रानी के साथ धोखा किया। हमें गलत इतिहास पढाया गया।

    4. ये सोच ब्रेनवॉश आज के तथाकथित हिन्दू की प्रतीत होती है। इतिहास को नकारा नहीं जा सकता….

  2. Jihad pe nikla banda na jane kesa tha or kya tha par us waqt mughal shasan me aurto ka samman humesha se hua tha or badshah humayu gaye ki nahi aap kya jano itne itihas karo ne jo likha hai kya wo galat hai or har jagah likhit saboot mange jate hai hai aapke paas koi likhit kaboot vineet ji

    1. Aj to snbeam school ke Hindi kitab me padhaya ja raha hai ki chitaud par bahadursah ne nahi balki European ne akraman kiyatha aj ke seventh ke Bache yahi sahi manlege jab aj apne Des ke gadaro dwara asa Kiya ja raha hai us samay Kya hua hoga jab Inka sasan tha kangresi sikcha niti ko badalna bahut jaruri hai hum to sakchy ke sath hi bat karte hai shahil Kapoor Ji AP vahi jante Jo Jan ne ke Lia majbur Kiya gaya itihas ka bahut kuch hamse chupa Diya gaya

  3. और कितना झूंठा इतिहास पढ़ाओगे अभी सब जाग चुके झूंठ काम नहीं आएगा

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