धर्मग्रन्थ पुराण की जानकारी और इतिहास | Puran Information in Hindi

The Puranas / पुराण हिन्दू धर्मग्रन्थ हैं, जिसमे हिंदुओं के धर्म संबंधी जानकारी हैं। पुराण शब्द का अर्थ है प्राचीन कथा। पुराण में देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। मुख्यरूप से 18 पुराण है जिनमे 5 महत्वपूर्ण है।

धर्मग्रन्थ पुराण की जानकारी और इतिहास | Puran Information in Hindi

पुराण क्या हैं – What is Puran in Hindi

पुराण, हिंदुओं के धर्म संबंधी आख्यान ग्रंथ हैं। पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है,ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण भी कहा जा सकता है। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है।

पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, तीर्थयात्रा, मन्दिर, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। हालाँकि पुराणों में वर्णित विषयों की कोई सीमा नहीं है। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है। मतलब की वेद में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ होने के कारण आम आदमियों के द्वारा उन्हें समझना बहुत कठिन था, इसलिये रोचक कथाओं के माध्यम से वेद के ज्ञान की जानकारी देने की प्रथा चली। इन्हीं कथाओं के संकलन को पुराण कहा जाता हैं।

‘पुराण’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘प्राचीन आख्यान’ या ‘पुरानी कथा’। पुराण शब्द का उल्लेख वैदिक युग के वेद सहित आदितम साहित्य में भी पाया जाता है अत: ये सबसे पुरातन (पुराण) माने जा सकते हैं। माना जाता है कि सृष्टि के रचनाकर्ता ब्रह्माजी ने सर्वप्रथम जिस प्राचीनतम धर्मग्रंथ की रचना की, उसे पुराण के नाम से जाना जाता है। प्राचीनकाल से पुराण देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों – सभी का मार्गदर्शन करते रहे हैं।

पुराणों की रचना किसने की – Purana Written in Hindi

पुराणों की रचना मुख्यतः संस्कृत में हुई है किन्तु कुछ पुराण क्षेत्रीय भाषाओं में भी रचे गए हैं। हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मों के वाङ्मय में पुराण मिलते हैं। हिन्दू पुराणों के रचनाकार अज्ञात हैं और ऐसा लगता है कि कई रचनाकारों ने कई शताब्दियों में इनकी रचना की है। इसके विपरीत जैन पुराण जैन पुराणों का रचनाकाल और रचनाकारों के नाम बताए जा सकते हैं। महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश उन पुराणों के मुख्य देव हैं। महर्षि वेदव्यास ने अठारह पुराणों के अतिरिक्त कुछ उप पुराणों की भी रचना की है। उप पुराणों को पुराणों का संक्षिप्त रूप कहा जाता है।

पुराणों में श्लोक संख्या – List of Puran in Hindi

मान्यता अनुसार संसार की रचना करते समय ब्रह्मा ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक अरब श्लोक थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। पुराणों का ज्ञान और उपदेश देवताओं के अलावा साधारण जनों को भी सरल ढंग से मिले ये सोचकर महर्षि वेद व्यास ने पुराण को अठारह भागों में बाँट दिया था। इन पुराणों में श्लोकों की संख्या चार लाख है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचे गये अठारह पुराणों और उनके श्लोकों की संख्या इस प्रकार है :

पुराण
श्लोकों की संख्या
ब्रह्मपुराण दस हज़ार
पद्मपुराण पचपन हज़ार
विष्णुपुराण तेइस हज़ार
शिवपुराण चौबीस हज़ार
श्रीमद्भावतपुराण अठारह हज़ार
नारदपुराण पच्चीस हज़ार
मार्कण्डेयपुराण नौ हज़ार
अग्निपुराण पन्द्रह हज़ार
भविष्यपुराण चौदह हज़ार पाँच सौ
ब्रह्मवैवर्तपुराण अठारह हज़ार
लिंगपुराण ग्यारह हज़ार
वाराहपुराण चौबीस हज़ार
स्कन्धपुराण इक्यासी हज़ार एक सौ
कूर्मपुराण सत्रह हज़ार
मत्सयपुराण चौदह हज़ार
गरुड़पुराण उन्नीस हज़ार
ब्रह्माण्डपुराण बारह हज़ार
मनपुराण दस हज़ार

उप पुराणों की संख्या 16 है जो क्रमशः सनत्कुमार पुराण, कपिल पुराण, साम्ब पुराण, आदित्य पुराण, नृसिंह पुराण, उशनः पुराण, नंदी पुराण, माहेश्वर पुराण, दुर्वासा पुराण, वरुण पुराण, सौर पुराण, भागवत पुराण, मनु पुराण, कालिका पुराण, पराशर पुराण, वसिष्ठ पुराण।


और अधिक लेख –

Please Note :- I hope these “Puran Information & History in Hindi” will like you. If you like these “18 Puraan List in Hindi” then please like our facebook page & share on whatsapp.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *